ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी, Show कविवर भूषण कहते हैं कि शिवाजी के भय से ऊँचे और विशाल महलों में रहने वाली शत्रुओं की स्त्रियाँ अब भयंकर पर्वतों की गुफाओं में रहती हैं। भाव यह है कि शिवाजी के डर से शत्रु-पक्ष की नारियों ने अपने ऊँचे-ऊँचे भवन छोड़ दिए और जान बचाने के लिए अब वे पर्वतों की गुफाओं में छिपती-फिरती हैं। जो मधुर पदार्थों से बने हुए स्वादिष्ट भोजन किया करती थीं वे ही अब वनों में भटकती हुई कंद-मूल-फल खाकर ही अपने जीवन का निर्वाह करती हैं। जिनके शरीरांग आभूषणों के भार से शिथिल हो जाते थे वही अब भूख के मारे शिथिल अंग वाली होकर भटकती फिर रही हैं। महलों में जिन पर व्यजन अर्थात् पँखे डुलाए जाते थे, वही अब निर्जन वनों में अकेली घूमती फिरती हैं। भूषण कवि कहते हैं कि हे शिवाजी, आपके डर से शत्रु की स्त्रियों की यहाँ तक दुर्दशा हो गई है कि जो पहले आभूषणों मे रत्न जड़वाया करती थीं, वही अब वस्त्र न मिलने के कारण नंगी जाड़े में ठिठुरती रहती हैं। स्रोत :
Additional information availableClick on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher. rare Unpublished contentThis ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left. ' ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी। ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहती है।' पंक्तियों में यमक अलंकार है। यहां मन्दर शब्द के अलग-अलग अर्थ है। एक मन्दर का अर्थ ऊंचे किला रूपी महल में रहने वाली और दूसरे मन्दर का अर्थ ऊंची-ऊंची पहाड़ी गुफाओं में रहती है। प्रस्तुत पंक्तियों में यमक अलंकार है। प्रस्तुत पंक्ति यमक अलंकार है। जब काव्य में एक ही शब्द दो बार आए और दोनों ही बार उसके अलग अलग अर्थ हों तो वहाँ यमक अलंकार होता है.।इसमें घोर मंदर का प्रयोग दो बार हुआ है जिसमे एक का अर्थ महल से है तो दूसरे का अर्थ पर्वत से है। प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार का भेद:चूंकि इसमें शब्दों को ज्यों का त्यों प्रयोग किया गया है इसलिए अभंग पद अलंकार है।( घोर मंदर – ऊंचे महल और ऊंचे पर्वत ) Advertisement यमक अलंकार का अन्य उदाहरण:आप यमक अलंकार को अच्छी तरह से समझ सकें इसलिए यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं: “ विजन डुलातीं तें वें विजन डुलातीं है।“ यहाँ विजन के दो अर्थ है – पंखे झुलाती और निर्जन जंगल Advertisement मालाफेरत जग मुआ मिटा न मन का फेर। कर का मनका छोड़ के मन का मनका फेर.। इस पंक्ति में मनका शब्द की आवृति हुई है और दोनों बार अलग अलग अर्थमें प्रयुक्त हुआ है। अतः; यह यमक अलंकार का उदाहरण है। ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहने वाली ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहती है मैं कौन सा अलंकार है?ऊंचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊंचे घोर मन्दर ले अन्दर रहाती है। प्रस्तुत पंक्तियों में यमक अलंकार है। प्रस्तुत पंक्ति यमक अलंकार है। जब काव्य में एक ही शब्द दो बार आए और दोनों ही बार उसके अलग अलग अर्थ हों तो वहाँ यमक अलंकार होता है.।
यमक अलंकार का उदाहरण क्या है?यमक अलंकार का उदाहरण
माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर। पद्य में 'मनका' शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है।
|