Veto Power Kya Hai Aur Yah Kya Hai Bharat Ko Kab MilegaRAJ Raj on 18-04-2020 Show वीटो पावर भारत के राष्ट्रपति के पास है Comments Dinesh Patidar on 22-04-2020 जब भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य हो जायेगा तब भारत को वीटो पावर मिलेगा वीटो पावर से किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा पर वीटो पावर पक्ष में होना जरुरी है । SONU KUMAR on 22-04-2020 जब भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाएगा तो भारत को वीटो पावर मिल जाएगी, किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर वीटो पावर के साथ वीटो पावर होना जरूरी है । Dharmendra Jani on 21-04-2020 uno का जब भारत स्थाई सदस्य बन जायेगा तब यह शक्ति भारत को मिलेगी। इसमें यह शक्ति होती हे की कोई प्रस्ताव आया हे अगर स्थाई सदस्यों में से किसी एक ने भी उस पर असहमति जताई तो वो प्रस्ताव निरस्त हो जायेगा Jitendra Patel on 21-04-2020 जब भारत ऊनो का स्थायी सदस्य बन जाएगा, तब भारत को यह शक्ति प्राप्त होगी। इसके पास यह शक्ति है कि यदि कोई प्रस्ताव आया है, यदि कोई स्थायी सदस्य इससे असहमत होता है, तो वह प्रस्ताव रद्द कर दिया जाएगा। My chanel on 18-04-2020 vitto pawer इण्डिया के प्रेसिडेन्ट के पास है Last Updated on December 16, 2022 by वीटो पावर क्या है? और इसका प्रयोग पहली बार कब हुआ? के इस लेख के माध्यम से हम आज वीटो पावर से जुड़े सभी पहलुओं पे विस्तार से चर्चा करेंगे। जैसे की वीटो पावर का इतिहास, पहली बार वीटो का प्रयोग, पहली बार वीटो का प्रयोग इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। हमारे विश्व में आज तक दो विश्व युद्ध हो चुके है, जिसके कारण लाखों की संख्या में लोग मारे गए। इस घटनाओं को दुबारा न दोहराया जाये इस लिए कई देशों ने मिलकर वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। जब इस संघ की स्थापना की गई थी इसके मेंबर्स की संख्या 51 थी, किन्तु आज इसकी संख्या 51 से बढ़कर 193 मेंबर्स हो गए। वीटो के बारे में सम्पूर्ण जानकरी निम्न प्रकार से है :-
वीटो पावर क्या है?वीटो शब्द लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “मैं निषेध करता हूँ”, किसी देश के अधिकारी को एकतरफा रूप से किसी कानून को रोक लेने का यह एक अधिकारी है। सयुंक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization-UNO) की संयुक्त राष्ट्र परिषद (UNSC) के स्थायी मेंबर देशों को प्राप्त अधिकार ही वीटो पावर (Veto Power) कहलाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी मेंबर है जैसे, चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका आदि देशों के पास वीटो पावर है। अगर संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा पास किये जाने वाले किसी फैसले पर अगर कोई मेंबर देश असहमति पस्ताव दे उस फैसले को रद्द कर दिया जाता है। जैसे कि चीन ने 10 साल में चौथी बार वीटो पावर का प्रयोग करके मसूद अजहर के विरुद्ध प्रस्ताव को ख़ारिज करवा दिया। संयुक्त राष्ट्रीय संघ में किसी भी मुद्दे पर तीन बार वीटो पड़ने के बाद उस मुद्दे को ख़ारिज कर दिया जाता है। वीटो पावर का इतिहास:-फरवरी, 1945 में क्रीमिया, यूक्रेन के शहर याल्टा में एक समारोह हुआ था। इस समारोह को याल्टा सम्मेलन या क्रीमिया सम्मेलन भी कहा जाता है। इस समारोह में सोवियत संघ के प्रधानमंत्री Joseph Vissarionovich Stalin ने वीटो पावर के प्रयोग प्रस्ताव रखा था। याल्टा समारोह का आयोजन युद्ध के बाद की योजना बनाने के लिया किया गया। इस समारोह में इंग्लैंड के प्रधानमंत्री Sir Winston Leonard Spencer Churchill, सोवियत संघ के प्रधानमंत्री Joseph Vissarionovich Stalin, अमेरिका के राष्ट्रपति Franklin D. Roosevelt ने भाग लिया था। 1920 में लीग ऑफ़ नेशन की स्थापना के बाद वीटो की स्थापना की गई यानि लीग ऑफ़ नेशन के बाद वीटो पावर आस्तित्व में आया। उस समय लीग ऑफ़ नेशन के सभी स्थायी और अस्थायी मेंबर्स के पास वीटो पावर थी। पहली बार वीटो का प्रयोग :-16 फरवरी, 1946 को सोवियत समाजवादी गणराज्य ने पहली बार वीटो पावर का प्रयोग किया था। लेबनान और सीरिया में से विदेशी सैनिकों की वापसी को लेकर यूएसएसआर ने वीटो पावर का प्रयोग किया था। तब से लेकर अब तक वीटो का 291 बार प्रयोग किया जा चूका है। वीटो स्थापना के शुरआत के सालों में सोवियत रूस ने सबसे ज्यादा वीटो पावर का प्रयोग किया था। सोवियत रूस ने अब तक 141 बार वीटो पावर का प्रयोग किया है। यही अमेरिका ने आज तक 83 बार वीटो पावर का प्रयोग किया है। अमेरिका ने 17 मार्च, 1970 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की औद्योगिक, राजनितिक, आर्थिक और सैन्य वृद्धि को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर देने की पेशकश की गयी किन्तु भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वीटो पावर की सदस्यता को स्वीकार करने से मना कर दिया। उन्होंने यह भी कहा की वह वीटो पावर की सदस्यता चीन को न दे। निष्कर्ष :-हमारे इस आर्टिकल के जरिये हम आपको वीटो पावर क्या है? और इसका प्रयोग पहली बार कब हुआ? वीटो पावर का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है। एक वीटो कई तरह के परिवर्तनॉ को रोकने का, न कि उन्हें अपनाने का, संभवत: असीमित अधिकार देता है। सीधे तौर पर वीटो अपने धारक(यानि कि देश) को जो प्रभाव समर्पित करता है वह इस तरह सीधे तौर पर धारक की रूढ़िवादिता के आनुपातिक होता है। धारक जितना अधिक यथास्थिति के समर्थन में वीटो का प्रयोग करता है, वीटो उतना ही अधिक उपयोगी होता है। हमारा लक्ष्य आपको सरल से सरल भाषा में आपको जानकारी प्राप्त करवाना होता है। अगर आपको हमारे इस आर्टिकल वीटो पावर क्या है ?और इसका प्रयोग पहली बार कब हुआ ? के विषय में किसी भी प्रकार का कोई प्रश्न अगर आपके बन में हो तो आप हमे कमैंट्स के जरिये आप आपने प्रश्न बता सकते है। भारतीय राष्ट्रपति के कितने वीटो पावर?वीटो शक्तियाँ
विधायिका की किसी कार्यवाही को विधि बनने से रोकने की शक्ति वीटो शक्ति कहलाती है संविधान राष्ट्रपति को तीन प्रकार के वीटो देता है।
राष्ट्रपति की वीटो शक्तियां कौन कौन सी है?वीटो - एक विशेष शक्ति
भारत के राष्ट्रपति को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत तीन प्रकार के वीटो पावर या वीटो शक्ति प्राप्त है - पूर्ण वीटो पावर (Absolute Veto), निलंबन वीटो पावर (Suspensive Veto) और पॉकेट वीटो पावर (Pocket Veto).
क्या भारत के पास वीटो पावर है?अगर भारत परमानेंट मेंबर बन जाता है, तो भारत को वीटो पावर (Veto Power) मिल जाएगी. अभी तक UNSC में वीटो पावर सिर्फ पांच देशों के पास हैं. वीटो पावर परमानेंट मेंबर्स को UNSC के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने का अधिकार देता है.
5 देशों के पास वीटो पावर क्यों है?जब भी यूएन में कोई प्रस्ताव पेश किया जाता है तो इसे पास करने के लिए इन देशों का वोट काफी ज्यादा अहम हो जाता है. इन पांच देशों में चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इनमें से हर देश कई बार अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है. 'वीटो' लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है- निषेध करना या स्वीकृति न देना.
|