उत्पादकता के कितने प्रकार होते हैं? - utpaadakata ke kitane prakaar hote hain?

विषयसूची

  • 1 उत्पादकता कितने प्रकार के होते हैं?
  • 2 Is Productivity a measure of profitability क्या उत्पादकता लाभ का पैमाना हैं?
  • 3 भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के क्या कारण है?
  • 4 निजी क्षेत्र में श्रम उत्पादकता क्यों अधिक है?
  • 5 उत्पादक से क्या समझते हैं?

उत्पादकता कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO, 1956) के अनुसार श्रम उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारकों को सामान्य कारक, संगठनात्मक कारक, प्राविधिक कारक तथा मानवीय कारकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

उत्पादकता को कैसे बढ़ाया जा सकता है?

5 आधुनिक तरीके जिनसे भारत की कृषि उत्पादकता में सुधार हो सकता हैं

  1. मृदा स्वास्थ्य संवर्धन मृदा स्वास्थ्य को मिट्टी के भौतिक, जैविक और रासायनिक कार्यों की अनुकूलतम स्थिति के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।
  2. सिंचाई जल आपूर्ति बढ़ाना और प्रबंधन
  3. क्रेडिट और बीमा
  4. उन्नत प्रौद्योगिकी
  5. कृषि शिक्षा

Is Productivity a measure of profitability क्या उत्पादकता लाभ का पैमाना हैं?

इसे सुनेंरोकेंइनपुट और आउटपुट के अनुपात को उत्पादकता (productivity in hindi) कहते हैं। उत्पादकता वास्तव में उत्पादन कार्यक्षमता का औसत मापन है। उत्पादकता का मूल उद्देश्य जितना हो सके कम लेना और जितना हो सके अधिकतम देना तथा नैतिक स्तर पर लगातार सुधार करना होता है

उत्पादक कौन होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवे हरे पेड़-पौधे जो प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया से सूर्य के प्रकाश और क्लोरोफिल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ का निर्माण कर सकते हैं, उन्हें उत्पादक कहते हैं

भारत में निम्न कृषि उत्पादकता के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंखेती पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी निम्न उत्पादकता का महत्त्वपूर्ण कारण है। कनीकी कारक: सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्तता का अभाव, उच्च उत्पादकता वाले बीजों की अनुपलब्धता, किसानों के पास मृदा परख तकनीक का अभाव और कीटों, रोगाणुओं और चूहों जैसे अन्य कृंतकों से बचाव की वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी का न होना।

कृषि उत्पादकता के अध्ययन के कितने प्रकार हैं?

1. कृषि उत्पादकता मापन विधियाँ :-

  • कृषि उत्पादन से प्राप्त आय पर आधारित विधि।
  • प्रति श्रम लागत इकाई उत्पादन पर आधारित विधि।
  • कृषि उत्पादन से प्रतिव्यक्ति उपलब्ध अन्न पर आधारित विधि।
  • कृषि लागत पर आधारित विधि।
  • प्रति एकड़ उपज तथा कोटि गुणांक पर आधारित विधि।
  • फसल क्षेत्र तथा प्रति क्षेत्र इकाई उत्पादन पर आधारित विधि।

निजी क्षेत्र में श्रम उत्पादकता क्यों अधिक है?

इसे सुनेंरोकेंजैसे-जैसे एक अर्थव्यवस्था की श्रम उत्पादकता बढ़ती है, वह समान समय में अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन शुरू कर देती है। रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक स्तर पर वित्त वर्ष 2017 के दौरान श्रम उत्पादकता में वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के लगभग दो-तिहाई हेतु ज़िम्मेदार थी

उत्पादन के संगठन में कौन कौन से कारक सम्मिलित होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्पादन के मूलभूत कारक ये तीन हैं- भूमि, श्रम और पूँजी।

उत्पादक से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसाधारण बोलचाल की भाषा मे उत्पादन का अर्थ वस्तु या पदार्थ का निर्माण करना होता है, पर विज्ञान हमे यह बताता है कि मनुष्य न तो किसी वस्तु का निर्माण कर सकता है और न ही उसे नष्ट कर सकता है। इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि वस्तु मे आर्थिक उपयोगिता का सृजन या वृद्धि करना ही उत्पादन है

उत्पादकता (Productivity) उत्पादन के दक्षता की औसत माप है।उत्पादन प्रक्रिया में आउटपुट और इनपुट के अनुपात को उत्पादकता कह सकते हैं।

उत्पादकता का विचार सर्वप्रथम 1766 में प्रकृतिवाद के संस्थापक क्वेसने के लेख में सामने आया। बहुत समय तक इसका अर्थ अस्पष्ट रहा। सम्पूर्ण उत्पादकता वस्तुओं एवं सेवाओं के रूप में उत्पाद तथा सम्पत्ति के उत्पादन और उत्पादन की प्रक्रिया में प्रयोग किये गये साधनों की लागत के मध्य अनुपात का द्योतक है।

उत्पादन के अंतर्गत उन सभी वस्तुओं एवं सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है, जिनके अंतर्गत न केवल औद्योगीकरण एवं कृषि संबंधी उत्पाद पदार्थ सम्मिलित होते हैं, बल्कि चिकित्सकों, शिक्षकों, दुकानों, कार्यालयों, परिवहन संस्थानों तथा अन्य सेवा उद्योगों में रत व्यक्ति भी सम्मिलित होते हैं। लागत से हमारा अभिप्राय उत्पाद में सम्मिलित सभी प्रकार के प्रयासों अर्थात् प्रबंधकों, शिल्पियों एवं श्रमिकों क कार्य से है।

इस प्रकार पूर्ण उत्पादकता की अवधारणा को स्पष्ट करने हेतु निम्न सूत्र को प्रयोग में लाया जा सकता है-

उत्पादकता = समस्त प्रकार का उत्पादन / समस्त प्रकार की लागत

उत्पादकता एवं उत्पादन में अंतर[संपादित करें]

प्रायः ‘उत्पादकता‘ एवं ‘उत्पादन‘ शब्द को पर्यायवाची समझे जाने की भूल की जाती है। वास्तव में इन दोनों शब्दों में पर्याप्त अंतर है। ‘उत्पादकता‘ साधनों का कुल उत्पत्ति से अनुपात है। समस्त साधनों से प्राप्त होने वाला माल एवं सेवाएँ ‘उत्पादन‘ है। इसमें व्यय के पहलू पर ध्यान नहीं दिया जाता है क्योंकि साधनों पर अधिक से अधिक व्यय करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि उत्पादकता में वृद्धि हो गई हो। उदाहरणार्थ यदि एक कारखाने में 1000 व्यक्ति 500 वस्तुयें बनाते हैं तथा दूसर कारखाने में समान दशा में 2000 व्यक्ति केवल 800 वस्तुयें बनाते हैं। निश्चय ही दूसरे कारखाने का उत्पादन प्रथम कारखाने से अधिक है, लेकिन दूसरे कारखाने की उत्पादकता प्रथम कारखाने से कम है।

उत्पादकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक[संपादित करें]

उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारक अत्यंत जटिल तथा अंतर्संबंधित है क्योंकि इन्हें किसी तार्किक एवं क्रमबद्ध क्रम में व्यवस्थित करना कठिन है। यह प्रमाणित करना कठिन है कि उत्पादन में वृद्धि अमुक कारक के परिणाम स्वरूप है अथवा अनेक कारकों के सम्मिलित प्रभाव के कारण है। अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO, 1956) के अनुसार श्रम उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारकों को सामान्य कारक, संगठनात्मक कारक, प्राविधिक कारक तथा मानवीय कारकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • उत्पादकता वृद्धि करने वाली प्रौद्योगिकियाँ

उत्पादकता कितने प्रकार के होते हैं?

प्राथमिक उत्पादकता तथा नेट प्राथमिक उत्पादकता में विभाजित किया जा सकता है। एक पारिस्थितिक तंत्र की सकल प्राथमिक उत्पादकता प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बनिक तत्त्व की उत्पादन दर होती है ।

उत्पादकता से क्या अर्थ है?

उत्पादकता (Productivity) उत्पादन के दक्षता की औसत माप है। उत्पादन प्रक्रिया में आउटपुट और इनपुट के अनुपात को उत्पादकता कह सकते हैं। उत्पादकता का विचार सर्वप्रथम 1766 में प्रकृतिवाद के संस्थापक क्वेसने के लेख में सामने आया। बहुत समय तक इसका अर्थ अस्पष्ट रहा।

उत्पादकता विशेषता क्या है?

उत्पादकता का आशय इस बात से है कि लोग कितनी उत्कृष्टता के साथ संसाधनों को जोड़कर वस्तुएँ या सेवायें उत्पादित करते हैं। देशों के लिये इसका आशय है उपलब्ध संसाधनों जैसे कच्चे माल, श्रम, कौशल, मंहगे उपकरणों, भूमि , बौद्धिक सम्पत्ति, प्रबंधन क्षमता तथा वित्तीय पूंजी से अत्यधिक उत्पादन किस प्रकार किया जाये।

उत्पादन के मुख्य कारक कौन कौन से हैं?

प्रोडक्शन के कारक क्या हैं?.
उत्पादन के प्रमुख कारक 1) भूमि 2) पूंजी या धन 3) उद्यमिता 4) श्रम.
निष्कर्ष.