आज हमलोग बालकों में होने वाले समाजीकरण की प्रक्रिया के बारे में अध्ययन करेंगे तथा यह जानेंगे समाजीकरण(Socialisation)क्या है? तथा समाजीकरण के सिद्धांत कौन-कौन से हैं, एवं बालकों में समाजीकरण की प्रक्रिया किस प्रकार से होती है। For CTET, D.El.Ed & B.Ed समाजीकरण (Socialisation) क्या है? Show
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा समाज के बिना किसी मनुष्य के सर्वांगीण विकास होना असंभव है। समाजीकरण की प्रक्रिया कौशल क्षमता प्राप्त करना, अनुकरण करना इत्यादि के साथ-साथ इसके माध्यम से व्यक्ति जीवन से संबंधित विभिन्न प्रकार की व्यवहार को भी सीखता है। जैसे- परोपकार करना, आत्मनिर्भर होना, सभ्य सुशील बनना, इत्यादि। समाजीकरण के माध्यम से व्यक्ति अपने संस्कार, मानवीय मूल्यों, नैतिकता इत्यादि को भी सीखता है। समाजीकरण की प्रक्रिया परिवार, समाज तथा समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आप CTET या TET EXAMS की तैयारी कर रहें हैं तो RKRSTUDY.NET पर TET का बेहतरीन NOTES उपलब्ध है।NOTES का Link नीचे दिया गया है :-
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार समाजीकरण की परिभाषाजॉनसन के अनुसार – “समाजीकरण एक प्रकार का सीखना है जो सीखने वाले को सामाजिक कार्य करने योग्य बनाता है” । हार्टल और हार्टल के अनुसार – “यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने आप को समुदाय के आदर्शी के अनुकूल बनाता है”। स्वीर्वट एंव गिलन के अनुसार – “समजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग अपनी संस्कृति के विश्वासो,अभिवृतियों, मूल्यो और प्रथाओं को ग्रहण करते हैं”। किंबल यंग के अनुसार यंग – “समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक संस्कृतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है एवं समाज के विभिन्न समूहों का सदस्य बनता है। तथा जिसके द्वारा समाज के मूल्य एवं मान्यताओं को स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है। रॉस के अनुसार – समाजीकरण सहयोग करने वाले व्यक्तियों में “हम” भावना का विकास करता है और उन्हें एक साथ कार्य करने की इच्छा तथा क्षमता का विकास करता है। समाजीकरण (Socialisation) क्या है?समाजीकरण की विशेषताएं:-
समाजीकरण के उद्देश्य :-
समाजीकरण के प्रकार :-1. प्राथमिक समाजीकरणप्राथमिक सामाजिकरण में मुख्य अभिकर्ता के रूप में परिवार तथा बालकों की मित्रों की भूमिका होती है। समाजीकरण की इस अवस्था में बालक अपने जीवन की शुरुआत करता है। बालक समाज के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान सिखाता है। शिक्षा, संस्कृति, मूल्य तथा अभिवृत्ति का विकास सामाजिकरण की इसी चरण में होता है। 2.द्वितीय या गौण सामाजिकरणसमाजीकरण की इस अवस्था में बालक सामुदायिक तरीके से सीखने के व्यवहार को अपनाता है ।इस प्रकार से समाजीकरण का माहौल विद्यालयों, खेल के मैदानों एवं पड़ोसियों के संदर्भ में देखने को मिलता है, जो बालक को व्यवहारिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समाजीकरण (Socialisation) क्या है? CTET, D.El.Ed & B.Edसमाजीकरण की अवस्थाएं:-अध्ययन के दृष्टिकोण से सामाजिकरण को अवस्थाओं में विभाजित किया गया है – 1.शैशवावस्था
2. प्रारंभिक बाल्यावस्था
3. उत्तर बाल्यावस्था
4. किशोरावस्था
समाजीकरण (Socialisation) क्या है? CTET, D.El.Ed & B.Edसमाजीकरण को प्रभावित करने वाले कारक1. पालन- पोषणबालक के समाजीकरण में पालन पोषण का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रारंभिक जीवन बालोंको को जिस प्रकार का वातावरण मिलता है, जिस प्रकार का माहौल मिलता है उसी के अनुसार बालक में भावनाएं तथा अनुभूतियां विकसित हो जाती है। एक बालक समाज विरोधी आचरण उसी समय करता है, जब वह स्वयं को समाज के साथ व्यवस्थापित नहीं कर पाता। 2. सहानुभूतिसहानुभूति का भी बालक के समाजीकरण में गहरा प्रभाव पड़ता है। इसका कारण यह है कि सहानुभूति के द्वारा बालक में अपनत्व की भावना विकसित होती है। जिसके परिणाम स्वरूप व एक दूसरे में भेदभाव करना सीख जाता है। वह उस व्यक्ति को अधिक प्यार करने लगता है जिसका व्यवहार उसके प्रति सहानुभूतिपूर्ण होता है। 3. सामाजिक शिक्षणसामाजिक शिक्षण का आरंभ परिवार से होता है, जहां पर बालक माता पिता, भाई-बहन तथा अन्य सदस्यों से खान-पान तथा रहन-सहन आदि से शिक्षा ग्रहण करता है। समाजीकरण (Socialisation) क्या है? CTET, D.El.Ed & B.Ed4. पुरस्कार एवं दंडजब बालक समाज के आदर्शों तथा मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करता है, तो लोग उसकी प्रशंसा करते हैं तथा लोग में उस कार्य के लिए पुरस्कार की देते हैं। वहीं दूसरी तरफ जब बालक कोई असामाजिक व्यवहार करता है, तो दंड दिया जाता है जिससे भयभीत होकर वह दोबारा ऐसा व्यवहार नहीं करता है। 5. वंशानुक्रम बालक ने वंशानुक्रम से प्राप्त कुछ अनुवांशिक गुण होते हैं। जैसे- मूलभाव, संवेग, सहज क्रिया तथा क्षमताए इत्यादि। इसके अतिरिक्त उनके अनुकरण एवं सहानुभूति जैसे गुणों में भी वंशानुक्रम की प्रमुख भूमिका होती है। यह सभी तत्व बालक के समाजीकरण के लिए उत्तरदाई होते हैं। 6. परिवारबालक के समाजीकरण उसके परिवार से ही आरंभ होता है। बालक अपने परिवार के लिए लोगों के संपर्क में रहता है, तो उनसे सीखता है ।परिवार के लोगों के रहन-सहन, बात- विचार, इत्यादि का अनुकरण करने लगता है। इस प्रकार से परिवार बालक की समाजीकरण में अहम भूमिका निभाता है। प्रतिभाशाली बालक किसे कहते हैं :- Click Here बालक के समाजीकरण से आप क्या समझते हैं?समाजीकरण, सामाजिक शिक्षण की प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया में नवजात शिशु पालन-पोषण के क्रम में अपने सामाजिक वातावरण (परिवार, समुदाय, विद्यालय आदि) के व्यवहारों को नियंत्रित करता हैं तथा वांछित एवं अवांछित व्यवहार प्रतिमानों में अंतर करना सीखते हैं।
समाजीकरण का अर्थ क्या होता है?सामाजीकरण (Socialization) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मनुष्य समाज के विभिन्न व्यवहार, रीति-रिवाज़, गतिविधियाँ इत्यादि सीखता है। जैविक अस्तित्व से सामाजिक अस्तित्व में मनुष्य का रूपांतरण भी सामाजीकरण के माध्यम से ही होता है। सामाजीकरण के माध्यम से ही वह संस्कृति को आत्मसात् करता है।
बच्चे के समाजीकरण में मुख्य महत्वपूर्ण कारक क्या है?परिवार: परिवार को आमतौर पर समाजीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। शिशुओं के रूप में, हम जीवित रहने के लिए पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं। हमारे माता-पिता, या जो माता-पिता की भूमिका निभाते हैं, वे हमें कार्य करने और खुद की देखभाल करने के लिए जिम्मेदार हैं।
समाजीकरण की क्या विशेषता है?-समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है, समाज के विभिन्न समूहों का सदस्य बनता है। इसी प्रक्रिया के माध्यम से उसे समाज के मूल्यों एवं मानकों को स्वीकारने की प्रेरणा मिलती है।
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