वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 4 – Hindi Vasant Class 8 Chapter 4 Solutionsदीवानों की हस्ती- भगवती चरण वर्मा (Deewano Ki Hasti- Bhagvati Charan Varma) Show भगवती चरण वर्मा का जीवन परिचय (Bhagvati Charan Varma Ka Jeevan Parichay) : हिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध लेखक श्री भगवती चरण वर्मा का जन्म सन् 1903 में, उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर में हुआ। इन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से बीए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। शुरुआत में इन्होंने कविता लेखन पर ध्यान दिया, मगर बाद में उपन्यास लेखन में इनकी रुचि बढ़ गयी। इन्होंने फिल्मों में भी काम किया, लेकिन पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। भगवती चरण वर्मा जी ने काफी समय तक आकाशवाणी रेडियो के लिए भी काम किया। बाद में, इन्हें राज्यसभा सदस्य की मानद उपाधि भी दी गयी। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘महाकाल’, ‘कर्ण’, ‘मधुकण’, ‘प्रेम-संगीत’ आदि शामिल हैं। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने अद्भुत योगदान हेतु इन्हें सन् 1961 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। श्री भगवती चरण वर्मा जी ने 5 अक्टूबर 1981 को दिल्ली में अपनी देह त्याग दी। indi Vasant Class 8 Solutions All Chapters दीवानों की हस्ती – Deewano Ki Hastiहम दीवानों की क्या हस्ती, आए बन कर उल्लास अभी, किस ओर चले? यह मत पूछो, दो बात कही, दो बात सुनी। हम भिखमंगों की दुनिया में, अब
अपना और पराया क्या? दीवानों की हस्ती कविता का सारांश- Deewano Ki Hasti Summary : दीवानों की हस्ती कविता में कवि भगवती प्रसाद वर्मा जी ने एक मस्तमौला और बेफिक्र व्यक्ति का स्वभाव दर्शाया है। कवि के अनुसार, ऐसे दीवाने और बेफिक्र व्यक्ति जहां भी जाते हैं, वहाँ केवल ख़ुशियाँ ही फैलाते हैं। उनका हर रूप मन को प्रसन्न कर देता है, फिर चाहे किसी की आँखों में आँसू ही क्यों ना हों। कवि कभी भी एक जगह पर ज्यादा समय तक नहीं टिकते हैं। वे तो संसार को कुछ मीठी-प्यारी यादें और एहसास देकर, अपने सफर पर निकल पड़ते हैं। कवि लोग सांसारिक बंधनों में बंधे नहीं होते, इसीलिए वो दुख और सुख, दोनों को एक समान रूप से स्वीकारते हैं। यही उनके हमेशा ख़ुश रहने की प्रमुख वजह है। कवि के अनुसार, उनके लिए संसार में कोई भी पराया नहीं होता है। वो अपने जीवन के रास्ते पर चलकर ख़ुश रहते हैं और सदा अपने चुने रास्तों पर ही चलना चाहते हैं। दीवानों की हस्ती अर्थ सहित – Deewano Ki Hasti Class 8 Summaryहम दीवानों की क्या हस्ती, आए बन कर उल्लास अभी, इस प्रकार कवि कह रहे हैं कि एक जगह टिककर रहना उनका स्वभाव नहीं है, उन्हें घूमते रहना पसंद है। इसीलिए वो अक्सर अलग-अलग जगह आते-जाते रहते हैं। किस ओर चले? यह मत पूछो, दो बात कही, दो बात सुनी। इस तरह, कवि अपने मार्ग पर चलते हुए, लोगों का दुख-सुख बाँटते हैं और उन्हें एक समान ढंग से ग्रहण करके आगे बढ़ जाते हैं। हम भिखमंगों की दुनिया में, उन्होंने जीवन में काफी बार असफलता और हार का स्वाद भी चखा है, लेकिन इसका बोझ उन्होंने कभी किसी दूसरे व्यक्ति पर नहीं डाला। इस तरह कवि ने स्वार्थी दुनिया को भरपूर प्यार दिया और अपनी नाकामयाबी का भार हमेशा स्वयं ही उठाया है। अब अपना और पराया क्या? दीवानों की हस्ती कविता के प्रश्न-उत्तर (ncert solutions for class 8 hindi chapter 4)प्र॰1 कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बन कर बह जाना’ क्यों कहा है? प्र॰2 भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटाने वाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है? प्र॰3 कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सब से अच्छी लगी? Tags: दीवाने अपने साथ क्या लेकर जाते हैं?हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले, मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बनकर उल्लास अभी, आँसू बनकर बह चले अभी, सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहाँ चले? हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले, हम एक निसानी - सी उर पर, ले असफलता का भार चले ।
कवि अपने हृदय पर किसका भार लेकर जा रहे हैं?कवि के लिए यह उसकी असफलता है। इसलिए वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है। अत: कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा।
दीवाने किसका भार लेकर चले जाते हैं?यह जो मौज मस्ती का आलम है यह साथ चला- जहाँ कवि गया वहाँ पर उन्होंने अपनी मस्ती से, अपनी प्रसन्नता से, सब में खुशियाँ बाँटी। कवि कहते हैं कि हम अपनी मस्त-मौला आदत के अनुसार जहाँ भी गए, प्रसन्नता से धूल उड़ाते चले, मौज मजा करते चले।
दीवानों की हस्ती से हमें क्या शिक्षा मिलती है?Answer: मित्र इस कविता के माध्यम से कवि ये संदेश देते हैं कि हमें ऐसा जीवन जीना चाहिए, जिसमें सबका हित और सुख सम्मिलित हो। इस कविता का मूल अर्थ है, जीवन को हमेशा खुलकर तथा मस्ती में जीना चाहिए। इसके अलावा हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।
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