हड़प्पा के लोग किसकी पूजा करते थे? Show
21-Jun-2020 1:25 PM
हड़प्पा सभ्यता एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। हाल ही में इस तथ्य के सामने आने के बाद कि यह अब तक माने जाने वाले समय से भी पुरानी है, इस तरफ लोगों की उत्सुकता एक बार फिर बढ़ गई है। नए तथ्य के अनुसार यह सभ्यता 5500 साल नहीं बल्कि करीब 8 हजार साल पुरानी है। लगभग सभी सभ्यताओं में ईश्वर या देवता की अवधारणा देखने को मिलती है। हड़प्पा सभ्यता में भी ऐसा ही था, जिसमें शामिल कई देवता और मान्यताएं आज मौजूदा हिंदू धर्म का भी अभिन्न हिस्सा हैं। हड़प्पा सभ्यता के लोग जिनकी पूजा-आराधना करते थे, वे हैं- पशुपति- हड़प्पा सभ्यता में पशुपति को प्रमुख देवता माना जाता था। उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार इन्हें जंगलों और पशुओं के देवता के तौर पर पूजा जाता था। पशुपति को योगी की मुद्रा में दिखाया गया है। जिनके सिर पर सींग का मुकुट है और उनके चारों तरफ गैंडा, बाघ और बैल बैठे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की परिकल्पना पशुपति से ही प्रेरित है। मातृदेवी- इस सभ्यता के लोग मातृदेवी की भी पूजा करते थे। खोदाई के दौरान बड़ी संख्या में इनकी मूर्तियां मिली हैं। इन्हें संभवत: उर्वरता और समृद्धि की देवी माना जाता था। वृषभ (बैल)- हड़प्पा सभ्यता के लोग जिनकी आराधना करते थे, उनमें कई जानवर भी शामिल हैं। बैल उनमें से ही एक है। यहां की कई मुहरों पर एक कूबड़ वाला बैल अंकित है। ऐसा माना जाता है कि ये लोग बैल बहुत शुभ मानते थे। नाग- न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई दूसरे हिस्सों में भी सांपों और नागों को हमेशा से रहस्यमयी माना जाता रहा है। इस सभ्यता में भी इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि लोग नागों की पूजा करते थे। पीपल- इस सभ्यता में पेड़ों और वनस्पतियों की आराधना का भी विधान था। पीपल के पेड़ को इसमें काफी पवित्र माना गया है। कई बार इसका चित्रांकन देवाताओं के साथ किया गया है। ताबीज- वास्तुगत प्रमाणों के आधार पर कहा जाता है कि हड़प्पा सभ्यता विकसित और नगरीय थी। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि यह अंधविश्वास और जादू-टोने जैसे विचारों से भी अछूती थी। यहां मिले ताबीजों से पता चलता है कि ये उन पर भी विश्वास करते थे। हालांकि ये सभी केवल प्रमुख चरित्र हैं जिनकी आराधना की जाती थी, संभव है इनकी संख्या और अधिक हो। दिलचस्प बात ये है कि पूजा-विधान के संबन्ध में इतने साक्ष्य मिलने के बाद भी आज तक कहीं भी किसी मंदिर या पूजा स्थल का कोई प्रमाण नहीं मिला है। सिन्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से इस सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। अत: विद्वानों ने इसे सिन्धु घाटी की सभ्यता का नाम दिया, क्योंकि यह क्षेत्र सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में आते हैं, पर बाद में रोपड़, लोथल, कालीबंगा, वनमाली, रंगापुर आदि क्षेत्रों में भी इस सभ्यता के अवशेष मिले जो सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र से बाहर थे। अत: कई इतिहासकार इस सभ्यता का प्रमुख केन्द्र हड़प्पा होने के कारण इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता नाम देना अधिक उचित मानते हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक सर जॉन मार्शल ने 1924 में सिन्धु सभ्यता के बारे में तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे। By: RF competition Copy Share (470) हड़प्पा (सिन्धु) सभ्यता के लोगों का धर्म, देवी-देवता एवं पूजा-पाठAug 24, 2022 05:08AM 484 हड़प्पाई लोगों का धार्मिक दृष्टिकोणहड़प्पा सभ्यता (सिन्धु सभ्यता) के लोगों के धार्मिक दृष्टिकोण का आधार इहलौकिक और व्यावहारिक था। ये लोग ईश्वर की पूजा मानव, वृक्ष एवं पशु तीनों रूपों में करते थे। ये लोग मूर्ति पूजा करते थे। भारतवर्ष में मूर्ति पूजा का आरम्भ सिन्धु सभ्यता के काल से हुआ है। इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। देवी और देवताओं की पूजासिन्धु सभ्यता के लोग निम्नलिखित देवियों एवं देवताओं की पूजा करते थे– इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। हड़प्पाई लोगों के अन्ध विश्वाससिन्धु सभ्यता के लोग भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र आदि में विश्वास करते थे। इस सभ्यता के कई स्थलों से ताबीज प्राप्त हुए हैं। इस आधार पर, हड़प्पाई लोगों का जादू-टोने पर विश्वास होने का अनुमान लगाया गया है। सिन्धु सभ्यता के स्थल चन्हूदड़ो से कुछ मुहरें प्राप्त हुई हैं। इन मुहरों पर बलि प्रथा के दृश्य अंकित हैं। इससे इस सभ्यता में बलि प्रथा के होने का अनुमान लगाया गया है। इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। दाह संस्कार के तरीकेसिन्धु सभ्यता के लोग पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। मृत्यु के पश्चात् दाह संस्कार के तीन तरीके प्रचलित थे। ये
तरीके निम्नलिखित हैं– इतिहास के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें। I hope the above information will be useful and important. सिंधु सभ्यता के प्रमुख देवी देवता कौन थे?मातृदेवी, पशुपतिनाथ, सूर्य,जल, पृथ्वी देवी ,लिंग, वृक्ष और प्रकृति देवी की पूजा करते थे।
सिंधु घाटी के लोग किसकी पूजा करते?Solution : मोहनजोदड़ो में पशुपति मुहर की खोज के आधार पर, इतिहासकारों और पुरातत्त्वविदों का मानना है कि सिन्धु घाटी के लोग भगवान शिव की उपासना करते थे। शिव चौपाया पशु (पशुपति) के स्वामी हैं।
सिंधु सभ्यता में पवित्र जानवर क्या था?सिंधु वासी सांड को पवित्र मानते थे।
हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम क्या है?सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है।
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