एक पशु का स्वस्थ रहना पशुपालक की आय के लिए बहुत जरूरी है। पशु की जरा भी हालत बिगड़ती है तो इसका सीधा असर पशुपालक की आय पर भी पड़ने लगता है। ऐसी ही एक समस्या है जो अक्सर भैंस और गाय आदि को परेशान करती रहती है। हम बात कर रहे हैं गाय को लगने वाली बीमारी दस्त के बारे में। सुनने में बेहद समान लगने वाला यह रोग, गाय को शारीरिक रूप से कमजोर बना देता है। इसके अलावा दस्त लगने की
वजह से गाय की दूध देने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए आज हम अपने इस लेख में आपको गाय के दस्त की देसी और अंग्रेजी दवा के बारे में बताएंगे। अगर आपकी गाय को अक्सर दस्त की समस्या रहती है, तो आप भी अपनी गाय को दस्त की दवा दे सकते हैं। यूं तो दस्त लगना एक आम समस्या है जो पशुओं और इंसानों को हो जाती है। कई बार तो दस्त लगने की वजह का पता भी नहीं चल पाता। हालांकि दस्त लगने के कुछ सामान्य कारण भी हैं, जिन्हें जानकर दस्त
की समस्या का उपचार किया जा सकता है। इसलिए चलिए जानते हैं दस्त लगने के क्या कारण हो सकते हैं। गाय या किसी भी पशु को दस्त लगे हैं या नहीं इसका बहुत आसानी से पता लगाया जा सकता है। गाय ने कितनी बार गोबर किया है और वह गोबर कैसा है उसे देखकर गाय के दस्त का पता लगाया जा सकता है। गाय को दस्त लगने की सूरत में आपको जो लक्षण देखने को मिल रहे हैं। वह कुछ इस प्रकार हैं। किसान और पशुपालक आमतौर पर पशु को लगे दस्त की समस्या पर ध्यान नहीं देते। लेकिन ऐसा करना पशु की जान भी ले सकता है। ऐसे में अगर गाय को दस्त लगे हो उसे दवा देना बेहद जरूरी है। गाय के दस्त की अंग्रेजी और देसी दवा दोनो ही दी जा सकती है। लेकिन यह गाय की स्थिति पर निर्भर करता है। आइए जानते हैं किस स्थिति में गाय को
देसी और अंग्रेजी दवा दी जाती है। गाय के दस्त बंद करने की देसी दवागाय को दस्त की देसी दवा तब दी जाती है, जब उसकी स्थिति सामान्य हो। यानी दस्त में खून आदि न आ रहा हो। इस स्थिति में गाय को देसी दवा के तौर पर ठंडी चीजें और आसानी से पचने वाली चीजें दी जानी चाहिए जैसे दही, छाछ, सरसों का खल, सरसों का तेल आदि। इसके अलावा ध्यान रहे कि गाय को जब दस्त लगे हो तो उन्हें किसी भी सूरत में उन्हें बिनौला और अन्य अनाज नहीं देने चाहिए। गाय के दस्त की अंग्रेजी दवागाय को दस्त की अंग्रेजी दवा आप तभी दें जब गाय की स्थिति अधिक गंभीर हो। वह भी डॉक्टर के परामर्श पर ही गाय को अंग्रेजी दवा दे। अगर गाय के दस्त से खून गिर रहा है या गाय अधिक गोबर कर रही है तो इस सूरत में उन्हें आप रिहाइड्रेशन फ्लूइड और अन्य खनिज पदार्थ दे सकते हैं। ध्यान रहे कि गाय को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। इसके अलावा गाय की समय – समय पर जांच कराते रहें। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारी दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। आप यही और पशुपालन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां हमारी Animall App के जरिए भी डाउनलोड कर सकते हैं। एनिमॉल ऐप के जरिए न केवल आप जानकारियां पढ़ सकते हैं। बल्कि पशु बेच और खरीद भी सकते हैं। इसके अलावा ऐप पर चल रहे अलग ऑफर की जानकारी भी आपको ऐप के जरिए मिल सकती है। इसके साथ ही पशु चिकित्सक से भी ऐप के जरिए संपर्क किया जा सकता है। हमारी एनिमॉल ऐप को डाउनलोड करने के लिए दिए गए हुए विकल्प का चुनाव करें। / / पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने के लक्षण पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने के लक्षणलेखक - Surendra Kumar Chaudhari | 21/5/2022 कई बार हरी घास के साथ मिट्टी खाने के कारण या शुद्ध चारा एवं पानी न मिलने के कारण पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने लगते हैं। जिससे न केवल पशुओं का स्वास्थ्य खराब हो जाता है, बल्कि दूध उत्पादन में भी कमी आजाती है। कुछ लक्षणों से पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने की समस्या का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इनमें गोबर में काला खून एवं कीड़े नजर आना, पशुओं के शरीर में खून की कमी होना, पशुओं का सुस्त एवं कमजोर होना भी शामिल है। यह भी पढ़ें :
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पशुओं में खून बहने को रोकने के लिए कौन सी दवा उपयोगी है?१. फिटकरी- यह रंगहीन सफेद या हल्का गुलाबी स्वाद में मीठापन लिए कसैला सा बड़े-बड़े रवे का पदार्थ है। यह पानी में पूर्णता घुलनशील, स्तंभक व एंटीसेप्टिक होता है। यह ऊतकों को संकुचित करती है इसलिए पशुओं के घाव से खून का बहना रोकने के लिए प्रयोग की जाती है।
लैट्रिन में खून आने पर क्या करें?आपके लिए छाछ, शिकंजी आदि का सेवन लाभदायक हो सकता है।
गाय का पेट खराब होने पर क्या करें?टिंपोल 100 ग्राम को 250 से 500 ग्राम मैगसल्फ प्रति गाय या भैंस को गुनगुने पानी में मिलाकर पिला देना लाभकारी है। कोल एल 500 मिलीलीटर देना चाहिए आराम न होने पर दूसरी खुराक 8 घंटे के अंतराल पर देना चाहिए तथा आराम ना होने पर पशु चिकित्सक से सलाह लेनी आवश्यक है।
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