नई दिल्ली: क्या आपको भी गले में बार-बार कफ (Cough) बनने की समस्या परेशान करती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गले में कफ जमा होना एक सामान्य स्थिति होती है, लेकिन लगातार ये प्रॉब्लम हो तो ये किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं. रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर (weak immunity) होने पर भी ये समस्या कुछ लोगों को होती है. आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर में कफ दोष बढ़ता है, तो अधिक कफ या बलगम का निर्माण होता है. Show
क्यों होती है कफ की प्रॉब्लम?अक्सर सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार होने पर गले में कफ जमा होने लगता है. वायरल या फ्लू होने पर गले में कफ बनता है और खांसी के साथ निकलने लगता है. एलर्जिक रिएक्शन की वजह से भी गले में कफ बनने की समस्या होती है. अगर लंबे समय तक कफ बनता रहे तो ये फेफड़ों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं. कफ का निर्माण फेफड़ों और निचले श्वसन तंत्र के द्वारा किया जाता है. शरीर में अधिक कफ बनने पर ये गले में जमा हो जाता है और कफ में बैक्टीरिया, वायरस जमा होने लगते हैं. गले में बलगम बनने के लक्षणगले में कफ बनने पर आपको गले में दर्द होने, खुजली, जी मिचलाने, मुंह से बदबू आने और रात में ज्यादा खांसी आने की समस्या हो सकती है. इन बीमारियों का रामबाण इलाज है उबले चावल का पानी, पीने से मिलेंगे ये 5 कमाल के फायदे कफ की प्रॉब्लम हो तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे-कफ कम करने के लिए गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें. गर्म पानी, काढ़ा और सूप पिएं. इससे कफ की प्रॉब्लम दूर होगी. -कफ की समस्या में नमक के पानी से गरारे करना भी आपके लिए फायदेमंद होगा. इससे गले में खराश और खुजली की समस्या दूर होगी. -अगर आपको कफ की समस्या है तो स्मोकिंग से बचें. इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है. -गले में बार-बार बलगम जमा होना फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं. अगर ये समस्या लगातार बनी रहती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) शेयर करें August 09, 2022 कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है! आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज उसकी प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है. प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ पाया जाता है. इनमें से किसी के भी असंतुलित होने पर स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं. इसलिए, स्वस्थ रहने के लिए इन तीनों का संतुलन में होना जरूरी है. इसमें वात का संबंध हवा, पित्त का संबंध अग्नि और कफ का संबंध पानी से है. अगर सिर्फ कफ दोष की बात की जाए, तो इसके असंतुलित होने पर कैंसर व मोटापा जैसी समस्या हो सकती हैं. ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस समस्या को ठीक किया जा सकता है. आज इस लेख में आप कफ दोष और इसके इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे - (और पढ़ें - वात, पित्त व कफ असंतुलन के लक्षण)
कफ दोष के लक्षण व इलाज के डॉक्टर कफ दोष क्या होता है?कफ दोष ‘पृथ्वी’ और ‘पानी’ दो तत्वों से मिलकर बना है. पानी इस दोष के लिए रेगुलेटरी एलिमेंट के रूप में काम करता है. जब पानी अधिक होता है, तो यह तेजी से चलता है. वहीं, जब पृथ्वी का स्तर अधिक होता है, तो इसका असर धीमा हो जाता है. ऐसे में पृथ्वी और पानी दोनों में संतुलन होना चाहिए. शरीर में कफ बढ़ने पर अस्थमा, कैंसर, डायबिटीज, मतली, मोटापा और सांस संबंधी बीमारियां जन्म ले सकती हैं. अधिक सोने, मीठा खाने और नमकीन खाद्य पदार्थ खाने से कफ बढ़ सकता है. अधिक नींद लेने से कफ बढ़ता है, इससे व्यक्ति को थकान और आलस महसूस हो सकता है. इसके अलावा, ठंडा मौसम और फैटी फूड्स भी कफ बढ़ा सकते हैं. कफ दोष के लक्षणजिन लोगों की कफ प्रकृति होती है, उनमें आमतौर पर ऊर्जा का स्तर अधिक होता है. इनकी त्वचा ऑयली और चिकनी होती है. कफ वाले लोगों का पाचन अच्छा रहता है. इसके अलावा, कफ वाले लोग स्वभाव में अच्छे होते हैं और दूसरों की मदद भी करते हैं. जब शरीर में कफ असंतुलित होता है, तो निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं -
कफ दोष का इलाजकफ दोष खराब जीवनशैली और खान-पान से बढ़ सकता है, लेकिन कुछ उपायों की मदद से कफ दोष का इलाज भी किया जा सकता है. कफ दोष को संतुलित करने का इलाज इस प्रकार हैं - एक्सरसाइज करेंवात, पित्त हो या कफ, तीनों को संतुलित रखने के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी होता है. नियमित रूप से व्यायाम करके कफ को संतुलित किया जा सकता है. कफ दोष बढ़ने पर कार्डियो एक्सरसाइज की जा सकती है. ब्रीदिंग एक्सरसाइज करेंपैदल चलेंरात को खाना खाने के बाद कुछ देर टहलने की आदत जरूर डालनी चाहिए. रात को खाने के बाद हल्की सैर करने से पाचन तेज होता है. गर्म तासीर की चीजें खाएंठंड की वजह से कफ दोष बढ़ जाता है. ऐसे में कफ को संतुलित करने के लिए गर्म तासीर के खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करना चाहिए. इसके लिए आप वेजिटेबल सूप व साग आदि का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा, साबुत अनाज, अंडे, लो फैट पनीर, ज्वार, चना, मसूर, करेला और बैंगन का सेवन भी किया जा सकता है. खाना बनाने के लिए सरसों या तिल का तेल उपयोग में लाया जा सकता है. सुबह जल्दी उठेंकफ प्रधान वाले लोग आमतौर पर अधिक नींद लेते हैं. उनमें अधिक सोने की प्रवृत्ति होती है. ऐसे में कफ को संतुलित रखने के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए. शरीर की मालिश करेंठंड में कफ दोष बढ़ सकता है. ऐसे में शरीर में गर्मी लाने की जरूरत होती है. कफ को संतुलित करने के लिए नीलगिरी और अदरक जैसे तेलों से मालिश की जा सकती है. ऐसे में नहाने से पहले शरीर की मालिश जरूर करनी चाहिए. नहाने के लिए गर्म या गुनगुने पानी का उपयोग कर सकते हैं. (और पढ़ें - कफ की आयुर्वेदिक दवा) सोने का सही पैटर्न रखेंकफ को संतुलन में रखने के लिए हमेशा रात को 10 बजे से पहले सो जाना चाहिए. वहीं, सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए. जल्दी सोने और उठने की आदत से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रह सकता है. रात को डिनर सोने से कम से कम 2 घंटे पहले कर लेना चाहिए. आप 7 बजे तक डिनर कर सकते हैं. दिन के समय सोने से बचना चाहिए. शोधन कर्मकफ दोष को शांत करने के लिए शोधन कर्म किया जा सकता है. इसमें वमन यानी उल्टी करवाई जाती है और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है. सारांशजब शरीर में कफ असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को सांस से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. इनसे बचने के लिए कफ को संतुलन में रखना जरूरी होता है. इसके लिए सही डाइट और लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए. कफ को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए. साथ ही ऐसी आदतें अपनानी चाहिए, जो कफ को संतुलित रखने में मदद करती हैं. (और पढ़ें - कफ की होम्योपैथिक दवा) शहर के आयुर्वेदिक डॉक्टर खोजें
कफ दोष के लक्षण व इलाज के डॉक्टर
सम्बंधित लेखज्यादा कफ बनने से क्या होता है?अगर लंबे समय तक कफ बनता रहे तो ये फेफड़ों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं. कफ का निर्माण फेफड़ों और निचले श्वसन तंत्र के द्वारा किया जाता है. शरीर में अधिक कफ बनने पर ये गले में जमा हो जाता है और कफ में बैक्टीरिया, वायरस जमा होने लगते हैं.
कफ रोग में कौन कौन से रोग आते हैं?कफ रोग. मोटापा होना. थायराइड होना. सर्दी, खांसी-जुकाम. आंखों में मोतियाबिंद होना।. कम सुनाई देना।. आंखों का लाल होना।. डार्क सर्कल होना।. कफ रोग के लक्षण क्या है?कफ बढ़ जाने के लक्षण :. हमेशा सुस्ती रहना, ज्यादा नींद आना. शरीर में भारीपन. मल-मूत्र और पसीने में चिपचिपापन. शरीर में गीलापन महसूस होना. शरीर में लेप लगा हुआ महसूस होना. आंखों और नाक से अधिक गंदगी का स्राव. अंगों में ढीलापन. सांस की तकलीफ और खांसी. कफ कितने प्रकार के होते हैं?हमारे शरीर में त्रिदोष यानी तीन दोष होते हैं- वात, पित्त और कफ। त्रिदोष के आधार पर ही यह तय किया जाता है कि व्यक्ति किस प्रकृति का है। कफ दोष में पृथ्वी और जल का तत्व होता है एवं यह शरीर की कोशिकाओं को एक साथ जोड़े रखने का कार्य करता है। आयुर्वेद के अनुसार, कफ तैलीय, ठंडा, भारी, धीमा, नरम, पतला और स्थिर होता है।
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