Ghar Ki Yaad Class 11 Explanation , Ghar Ki Yaad Class 11 Explanation Hindi Aaroh 1 , घर की याद कविता का भावार्थ कक्षा 11 हिन्दी आरोह 1 , Note –
“घर की याद” कविता के कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी हैं। कवि ने सन 1942 के “भारत छोड़ो आंदोलन” में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जिस कारण उन्हें तीन वर्ष के लिए जेल की यातना झेलनी पड़ी। कवि ने यह कविता अपनी उसी जेल यात्रा के दौरान लिखी। अपने जेल प्रवास के दौरान सावन के महीने में एक रात रिमझिम बारिश को देखकर कवि को अपने घर , अपने माता-पिता व अपने परिजनों की बहुत याद आती है । जिससे कवि का मन दुखी हो जाता हैं। लेकिन वो सावन को अपना संदेशवाहक बनाकर अपने माता पिता को अपनी सकुशल व मस्त होने का झूठा संदेश भेजने की कोशिश करते हैं ताकि उनके माता-पिता अपने प्रिय बेटे को याद कर दुखी ना हो। वो नहीं चाहते हैं कि उनके माता-पिता उनके अकेलेपन व उनके मन की पीड़ा के बारे में जानें । Ghar Ki Yaad Class 11 Explanation काव्यांश 1. आज पानी गिर रहा है , बहुत पानी गिर रहा है , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने घर से दूर जेल की एक कालकोठरी में बंद है। सावन के महीने में खूब बारिश हो रही है जिसे देखकर कवि को अपने घर , परिजनों व उनके साथ बिताए सुखद क्षणों की याद आ रही है। कवि कहते हैं कि आज बरसात हो रही है। और बहुत पानी गिर रहा हैं अर्थात बहुत बारिश हो रही हैं और यह बारिश रात से हो रही हैं। और ऐसे मौसम में मेरे मन व प्राण , दोनों ही अपने घर की यादों से घिर गये हैं। बारिश के इस पानी को देखकर कवि को अपने परिजनों की याद हो आती है। और वो कहते हैं कि मुझे अपनी आंखों के सामने अपना वह घर दिखाई दे रहा हैं जो खुशियों का भंडार था । जहाँ सभी लोग प्रेमपूर्वक रहते थे लेकिन आज मैं अपने उसी घर से दूर हूँ। अर्थात कवि के घर में खुशियों भरा माहौल था जहाँ सभी लोग मिलजुल कर हंसी – खुशी रहते थे। कैद में होने के कारण कवि इस समय अपने घर से दूर हैं। मगर घर की सुखद स्मृतियां कवि को बेचैन कर रही हैं। काव्य सौंदर्य –
काव्यांश 2. घर कि घर में चार भाई , घर कि घर में सब जुड़े है , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने भाई-बहनों व उनके आपसी संबंधों के बारे में वर्णन कर रहे हैं।कवि कहते हैं कि उनके घर में चार भाई व चार बहनें हैं और सभी भाई- बहनें के बीच अथाह प्रेम है। बहिनें शादीशुदा हैं। और आज वो अपने पिता के घर अर्थात अपने मायके आयी होंगी। (यहाँ पर कवि अंदाजा लगा रहे हैं कि उनकी बहन मायके आयी होगी। इसका कारण यह हो सकता है कि सावन के महीने में रक्षाबंधन का त्यौहार आता है और इस दिन विवाहित बहनें अपने भाई को राखी बांधने अपने मायके आती हैं।) लेकिन मायके आकर जब उन्हें मेरे बारे में पता चला होगा तो उन्हें अत्यधिक दुःख पहुंचा होगा। मेरे जेल में होने की वजह से घर के सभी लोग दुखी होंगे और मेरा खुशियों से भरा वह घर अब “परिताप का घर (कष्टों का घर)” बन गया होगा। कवि आगे कहते हैं कि संकट की इस घड़ी में सब एक दूसरे का सहारा बने हुए होंगे। ऐसा प्रेम व भाईचारा बहुत कम ही देखने को मिलता हैं। मेरे चार भाई व चार बहनें हैं और सभी में आपस में बहुत गहरा प्रेम संबंध हैं। मेरे चारों भाई भुजाओं के समान एक दूसरे को सहयोग करने वाले अत्यंत बलिष्ठ व कर्मशील हैं जबकि मेरी बहनें प्रेम का प्रतीक हैं। यानि वो हम पर अपना अथाह स्नेह व ममता लुटाती रहती हैं। अर्थात जिस प्रकार इंसान की भुजाएं उसे हर काम करने में सहयोग करती हैं ठीक उसी प्रकार उनके भाई भी उनके सुख दुःख में उनको सहयोग करते हैं। काव्य सौंदर्य –
काव्यांश 3. और माँ बिन – पढ़ी मेरी , माँ कि जिसकी स्नेह – धारा , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपनी माँ के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि मेरी मां अनपढ़ हैं और मेरे जेल में होने की वजह से वह इस वक्त बहुत दुखी होगी। फिर कवि को अपनी मां की ममता भी याद आने लगती है। वो कहते हैं कि अगर मैं अपनी माँ की गोद में सिर भी रख लूँ , तो भी मेरी सारी परेशानियों स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। और मेरी मां की स्नेह की धारा अर्थात उनकी ममता व प्रेम मुझे इस जेल की कालकोठरी में भी महसूस हो रही हैं। कवि कहते हैं कि मेरी मां को लिखना नहीं आता। इसीलिए उन्होंने मुझे कोई पत्र नहीं भेजा। काव्य सौंदर्य – “स्नेह – धारा” में रूपक अलंकार है। काव्यांश 4. पिताजी जिनको बुढ़ापा , मौत के आगे न हिचकें , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने पिता की शाररिक विशेषताओं के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि भले ही उनके पिता की उम्र हो गई हो मगर अभी भी उनके पिता पर बुढ़ापे का कोई असर नहीं दिखाई देता है । अभी भी वो किसी नौजवान की तरह दौड़ सकते हैं , खिलखिला कर हंस सकते हैं। उन्हें मौत से भय नहीं लगता है और अगर उनके सामने शेर भी आ जाय तो वो उसके सामने बिना डरे खड़े रह सकते है। यानि वो बहुत ही निर्भीक व साहसी व्यक्ति हैं। उनकी वाणी में बादलों की सी गर्जना है और वो इस उम्र में भी इतनी तेजी से काम करते हैं कि आंधी तूफान भी उनको देख शरमा जाय। यानी वो बहुत फुर्तीले (तेजी) हैं। कवि के पिता बहुत ही कर्मठ व ऊर्जावान व्यक्ति हैं जिनमें आज भी नवयुवकों के जैसा जोश व उत्साह भरा है। काव्य सौंदर्य–
काव्यांश 5. आज
गीता पाठ करके , जब कि नीचे आए होंगे , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने पिता की दिनचर्या के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि हर रोज की तरह आज भी उन्होंने गीता पाठ किया होगा और दो सौ साठ दंड किये होंगे। और फिर मुद्गर को पकड़कर खूब हिला – हिलाकर व्यायाम किया होगा। और अंत में मुद्गरों की मूठों (हत्थों) को मिलकर एक जगह रखकर , जब वो घर के ऊपरी हिस्से से नीचे आए होंगे तो , घर में अपने लाडले पुत्र को ना पाकर दुख से उनकी आंखों में आंसू भर आये होंगे। यानि उनके पिता ने अपनी रोज की दिनचर्या , व्यायाम व पूजापाठ आदि निपटाने के बाद जब घर में अन्य बच्चों के साथ कवि को नहीं देखा होगा तो वो भाव विभोर होकर रोने लगे होंगे। कवि आगे कहते हैं कि अभी भी वर्षा हो रही हैं और बरसते हुए पानी को देखकर मुझे घर की याद आ रही है। Ghar Ki Yaad Class 11 Explanation काव्यांश 6. चार भाई चार बहिनें, पिताजी जिनको बुढ़ापा , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने पिता के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि उनके चारों भाई और चारों बहनों , जो अभी घर पर होंगे और शायद इस वक्त वो या तो खेल रहे होंगे या यूं ही खड़े होंगे। कवि आगे कहते हैं कि हालाँकि मेरे पिताजी अभी भी पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। बुढ़ापे का उन पर अभी कोई असर दिखाई नहीं देता हैं। मगर जब खेलते हुए मेरे भाई – बहिनों पर उनकी नजर पड़ी होगी । तो वो अपने पाँचवें बेटे यानी कवि को उनके बीच न पाकर दुखी हुए होंगे और उनका नाम लेकर रो पड़े होंगे। काव्य सौंदर्य –
काव्यांश 7. पाँचवाँ हूँ मैं अभागा , आज उनके स्वर्ण
बेटे , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मैं अपने माता पिता के पांचवा पुत्र हूँ । वैसे तो मेरे पिताजी अपने सभी बेटों को प्रेम करते थे पर मुझे अपने अन्य बेटों की तुलना में श्रेष्ठ मानते थे। इसीलिए वो मुझे बहुत अधिक प्रेम करते थे। अर्थात अगर वो अपने चारों बेटों को सोने के समान मानते थे तो मुझे सुहागा (यानि उन सब में भी सबसे बेहतर) के समान मानते थे। कवि कहते हैं कि मैं आज उनसे दूर इस जेल में कैद हूँ। इसीलिए आज उनके पिता को अपने स्वर्ण बेटे यानी अन्य चारों बेटे भी अच्छे नहीं लग रहे होंगे। क्योंकि उनका सबसे प्यारा बेटा यानि कवि आज उनकी आँखों के सामने नही है। कवि यहाँ पर अपने आप को भाग्यहीन बता रहे हैं क्योंकि वो जेल में हैं। जिस कारण उनके माता पिता को कष्ट पहुंच रहा है। काव्य सौंदर्य –
काव्यांश 8. और माँ ने कहा होगा , वह तुम्हारा मन समझकर , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मां अपने मन के दुःख को छिपा कर पिताजी को समझाते हुए कह रही होंगी कि क्यों दुखी हो रहे हो , क्यों आंसू बहा रहे हो। हमारा बेटा भवानी वहां अच्छे से होगा यानि सकुशल होगा। माँ पिताजी को समझाते हुए आगे कहती होंगी कि वह आपके मन की बात को समझकर और आपके बताये मार्ग पर ही तो चल रहा हैं। वह देशसेवा करते हुए ही तो जेल गया हैं। यह तुम्हारी ही परंपरा हैं जिसका उसने पालन किया है। इसीलिए उसने जो किया वो ठीक हैं। यानि देशभक्ति को रास्ता पिता ने अपने पुत्र को दिखाया। और बेटा आज उसी राह पर चल पड़ा हैं। आज देश हित ही उसके लिए सर्वोपरि है। माता को अपने पुत्र की देशभक्ति पर नाज है। काव्य सौंदर्य –
काव्यांश 9. पाँव जो पीछे हटाता , पिताजी ने कहा होगा , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि मां पिताजी को समझाते हुए कह रही होंगी कि उनके बेटा ने देश हित को सर्वोपरि मानकर अपने कर्तव्य का पालन किया हैं। अगर वह ऐसा नही करता और देश सेवा से पीछे हट जाता तो आज मेरी कोख लज्जित होती। मुझे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता। लेकिन वह अपने देश की आजादी के खातिर जेल गया जिस पर मुझे गर्व है। कवि आगे कहते हैं कि माँ पिताजी को समझाते हुए कह रही होंगी कि आप अपने मन को इतना कच्चा मत करो। अपने मन व भावनाओं पर काबू रखो। अपने आपको मजबूत करो नहीं तो घर के अन्य बच्चे भी आपको रोता देख रो पड़ेंगे। और फिर पिताजी ने अपने आप को संभालते हुए कहा होगा कि अरे नही , मैं कहां रोता हूं और कहाँ मैं अपना धैर्य धीरज खोता हूं । यानि ना तो मैं रो रहा हूँ और ना ही परेशान हूँ। काव्य सौंदर्य –
काव्यांश 10. हे सजीले हरे सावन , मैं मज़े में हूँ सही है , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि सावन को संबोधित करते हुए कहा है कि हे !! सुंदर , आकर्षक व सबको खुशियां प्रदान करने वाले सावन , तुम्हें जितना बरसना हैं तुम बरस लो लेकिन मेरे पिताजी की आंखों को मत बरसने देना। और इस बात का भी ध्यान रखना कि वो अपने पाँचवे पुत्र को याद कर दुखी न हों । कवि सावन से कहते हैं कि तुम जाकर मेरा यह संदेश मेरे पिता को देना कि मैं यहां पर बहुत मजे में हूँ और बहुत खुश भी हूं। बस इतना ही है कि मैं घर पर नहीं हूं। यानि मुझे यहां पर किसी प्रकार का कोई कष्ट नही है। लेकिन इसके बाद कवि स्वयं से कहते हैं कि मैंने उन्हें कह तो दिया कि मैं घर पर नहीं हूं। बस यही एक दुख है परंतु अपने माता – पिता व घर से दूर होकर जीना कितना कठिन है । यह केवल मैं ही जानता हूँ। अपनों से दूर होने के दुख ने मेरे जीवन के सारे सुखों को छीन कर उसे नीरस बना दिया है। काव्य सौंदर्य –
Ghar Ki Yaad Class 11 Explanation काव्यांश 11. किन्तु उनसे यह न कहना , काम करता हूँ कि कहना , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपनी भावनाओं पर संयम रखते हुए कहते हैं कि हे !! सावन तुम उनसे यह सब मत कहना कि मैं दुखी हूं , अकेला हूँ। तुम उन्हें धैर्य बंधाते रहना और कहना कि मैं यहां लिखता हूं , पढ़ता हूं , खूब काम करता हूं और देश सेवा करके अपना नाम रोशन कर रहा हूं। कवि आगे वह कहते कि मेरे माता पिता से कहना कि जेल के सभी लोग मुझे चाहते हैं। और मुझे यहां कोई कष्ट भी नही है। इसीलिए वो दुखी ना हो। काव्य सौंदर्य – “काम करता” , “कि कहना” में अनुप्रास अलंकार है। काव्यांश 12. और कहना मस्त हूँ मैं , कूदता हूँ , खेलता हूँ , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि सावन तुम मेरे माता पिता से जाकर कहना कि मैं यहाँ पर मस्त हूं और सूत कातने में व्यस्त हूं। मैं यहां खूब खाता-पीता हूं। इसीलिए मेरा मेरा वजन 70 सेर ( 63 किलो) हो गया है। कवि कहते हैं कि मैं यहां पर खूब खेलता – कूदता हूँ। हर विपरीत परिस्थति का सामना आराम से करता हूं और मस्त रहता हूं। यानि मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ हूँ। कवि सावन से कहते हैं कि उनको यह बिलकुल भी नही बताना कि मैं यहां पर दुखी हूँ , निराश हूं , उदास हूँ नही तो वो दुखी हो जायेंगे। काव्य सौंदर्य – “डटकर ठेलना” , “अस्त होना” मुहावरों का प्रयोग किया गया है। काव्यांश 13. हाय रे , ऐसा न कहना , कह न देना मौन हूँ मैं , भावार्थ – उपरोक्त पंक्तियों में कवि सावन से कहते हैं कि मेरी मन स्थिति व मेरे दुखों के बारे में तुम मेरे माता – पिता को गलती से भी मत बताना। तुम उनको यह मत बताना कि मैं रात भर जागता हूँ यानि मैं रात को सो नहीं पाता। आदमियों को देखकर घबरा जाता हूं। मैं मौन रहने लगा हूँ यानि अब मुझे किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता है। और मुझे खुद नहीं पता कि मैं कौन हूं। हे !! मेरे सजीले सावन , तुम मेरे पिताजी के आगे कुछ भी ऐसा उल्टा – सीधा मत बोल देना जिससे उनको शक हो जाय कि कही उनका बेटा किसी दुख या तकलीफ में तो नही हैं। काव्यांश 14. हे सजीले हरे सावन , भावार्थ – और अंत में कवि सावन को संबोधित करते हुए कहा है कि हे !! सुंदर , आकर्षक व खुशियां प्रदान करने वाले सावन तुम्हें जितना बरसना हैं , तुम बरसो लेकिन अपने पाँचवे पुत्र को याद कर मेरे माता – पिता की आंखों को मत बरसने देना। Ghar Ki Yaad Class 11 Explanation , “घर की याद” कविता के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें । YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) Note – Class 8th , 9th , 10th , 11th , 12th के हिन्दी विषय के सभी Chapters से संबंधित videos हमारे YouTube channel (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) पर भी उपलब्ध हैं। कृपया एक बार अवश्य हमारे YouTube channel पर visit करें । सहयोग के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यबाद। You are most welcome to share your comments . If you like this post . Then please share it . Thanks for visiting. यह भी पढ़ें…… कक्षा 11 हिन्दी वितान भाग 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर का सारांश भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर के प्रश्न उत्तर भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर के MCQS राजस्थान की रजत बूंदें का सारांश राजस्थान की रजत बूंदें पाठ के प्रश्न उत्तर राजस्थान की रजत बूंदें पाठ के MCQS आलो आँधारि पाठ का सारांश आलो आँधारि पाठ प्रश्न उत्तर आलो आँधारि पाठ के MCQS कक्षा 11 हिन्दी आरोह भाग 1 काव्यखण्ड कबीर के पद का भावार्थ कबीर के पद के प्रश्न उत्तर कबीर के पद के MCQ मीरा के पद का भावार्थ मीरा के पदों के प्रश्न उत्तर मीरा के पद के MCQ पथिक का भावार्थ पथिक पाठ के प्रश्न उत्तर पथिक के MCQ वे आँखें कविता का भावार्थ वे आँखें कविता के प्रश्न उत्तर वे आँखें कविता के MCQ घर की याद कविता का भावार्थ घर की याद कविता के प्रश्न उत्तर घर की याद कविता के MCQ ग़ज़ल का भावार्थ ग़ज़ल के प्रश्न उत्तर ग़ज़ल के MCQ आओ मिलकर बचाएँ का भावार्थ आओ मिलकर बचाएँ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 हिन्दी आरोह भाग 1 गद्द्य खंड नमक का दारोगा कक्षा 11 का सारांश नमक का दरोग के प्रश्न उत्तर नमक का दरोग के MCQS मियाँ नसीरुद्दीन का सारांश मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के प्रश्न उत्तर मियाँ नसीरुद्दीन पाठ के MCQS अपू के साथ ढाई साल पाठ का सारांश अपू के साथ ढाई साल के प्रश्न उत्तर अपू के साथ ढाई साल के MCQ विदाई संभाषण पाठ का सारांश विदाई संभाषण पाठ के प्रश्न उत्तर विदाई संभाषण पाठ के MCQS गलता लोहा पाठ का सारांश गलता लोहा के प्रश्न उत्तर गलता लोहा के MCQS स्पीति में बारिश का सारांश स्पीति में बारिश के प्रश्न उत्तर स्पीति में बारिश के MCQS जामुन का पेड़ का सारांश जामुन का पेड़ के प्रश्न उत्तर जामुन का पेड़ के MCQS भारत माता का सारांश भारत माता के प्रश्न उत्तर भारत माता के MCQS सोने पर सुहागा पांचवा पुत्र कौन था?कवि जेल- प्रवास के दौरान अपने घर की याद करके भाव-विह्वल हो उठता है। व्याख्या-कवि घर में अपने पिता की भावुक स्थिति की कल्पना करते हुए कहता है कि यद्यपि घर में चार बेटे और हैं, पर वे अपने पाँचवें बेटे (भवानी प्रसाद) को याद करके अवश्य दुखी होते होंगे। मैं पाँचवी बेटा ही अभागा हूँ जो उनसे दूर हूँ।
घर की याद कविता के अनुसार पिता कवि को सोने पर सुहागा क्यों कहते हैं?पिता अपने चार बेटों को सोने के समान तथा पाँचवें को सुहागा मानते हैं। पिता अपने चार बेटों को सोने के समान मानते थे तथा पाँचवें को सुहागा। आज उनका पाँचवाँ बेटा जो उन्हें सबसे प्यारा लगता है, जेल में उनसे दूर बैठा है। अत: उसके बिना चारों बेटे उन्हें हीन लग रहे होंगे।
उम्र बड़ी होने पर भी पिताजी को बुढ़ापा क्यों नहीं छू पाया था?कवि भवानी प्रसाद मिश्र 'पिता' कविता में कहते हैं कि वस्तुत: पिताजी बड़ी उस के हैं फिर भी बुढ़ापा उनके पास तक नहीं आ पाया है, क्योंकि वे अभी भी व्यायाम करते हैं, दौड़ लगाते हैं, खिलखिलाकर हँसते हैं, खूब काम करते हैं और निर्भय रहते हैं।
घर की याद कविता के कवि का क्या नाम है?घर की याद / भवानीप्रसाद मिश्र - कविता कोश
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