प्रणाम का शाब्दिक अर्थ क्या है? - pranaam ka shaabdik arth kya hai?

नमस्ते या नमस्कार मुख्यतः हिन्दुओं और भारतीयों द्वारा एक दूसरे से मिलने पर अभिवादन और विनम्रता प्रदर्शित करने हेतु प्रयुक्त शब्द है। इस भाव का अर्थ है कि सभी मनुष्यों के हृदय में एक दैवीय चेतना और प्रकाश है जो अनाहत चक्र (हृदय चक्र) में स्थित है। यह शब्द संस्कृत के नमस् शब्द से निकला है। इस भावमुद्रा का अर्थ है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। दैनन्दिन जीवन में नमस्ते शब्द का प्रयोग किसी से मिलने हैं या विदा लेते समय शुभकामनाएं प्रदर्शित करने या अभिवादन करने हेतु किया जाता है। नमस्ते के अतिरिक्त नमस्कार और प्रणाम शब्द का प्रयोग करते हैं।

शब्द की उत्पत्ति[संपादित करें]

प्रणाम का शाब्दिक अर्थ क्या है? - pranaam ka shaabdik arth kya hai?

नमस्ते की मुद्रा में एक साधु।

संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से इसकी उत्पत्ति इस प्रकार है- नमस्ते= नमह+ते। अर्थात् तुम्हारे लिए प्रणाम। संस्कृत में प्रणाम या आदर के लिए 'नमः' अव्यय प्रयुक्त होता है, जैसे- "सूर्याय नमह" (सूर्य के लिए प्रणाम है)। इसी प्रकार यहाँ- "तुम्हारे लिए प्रणाम है", के लिए युष्मद् (तुम) की चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। वैसे "तुम्हारे लिए" के लिए संस्कृत का सामान्य प्रयोग "तुभ्यं" है, परन्तु उसी का वैकल्पिक, संक्षिप्त रूप "ते" भी बहुत प्रयुक्त होता है[1], यहाँ वही प्रयुक्त हुआ है। अतः नमस्ते का शाब्दिक अर्थ है- तुम्हारे लिए प्रणाम। इसे "तुमको प्रणाम" या "तुम्हें प्रणाम" भी कहा जा सकता है। परन्तु इसका संस्कृत रूप हमेशा "तुम्हारे लिए नमह" ही रहता है, क्योंकि नमह अव्यय के साथ हमेशा चतुर्थी विभक्ति आती है, ऐसा नियम है।[2]

नमस्कार करने की विधि या मुद्रा[संपादित करें]

प्रणाम का शाब्दिक अर्थ क्या है? - pranaam ka shaabdik arth kya hai?

नमस्ते करने के लिए, दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है। इसके अलावा

  • पहले अपने मन को एक गहरी सांस के साथ शांत करें।
  • सांस छोड़ते या सांस छोड़ते हुए हथेलियों को चेस्ट के सामने लाएं।
  • हथेलियों को थोड़ा दबाएं। आपकी उंगलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए और अंगूठे को छाती से स्पर्श करना चाहिए।
  • कमर से थोड़ा झुकें और उसी समय गर्दन को थोड़ा झुकाएँ।
  • और फिर "NAMASTE" कहें। नमस्ते को ना-मा-स्टे के रूप में उच्चारण करें।
  • सिर झुकाकर और हाथों को हृदय के पास लाकर भी नमस्ते किया जा सकता है। दूसरी विधि गहरे आदर[3] का सूचक है।

भारत और पश्चिम में नमस्ते[संपादित करें]

नमस्ते शब्द अब विश्वव्यापी हो गया है। विश्व के अधिकांश स्थानों पर इसका अर्थ और तात्पर्य समझा जाता है और प्रयोग भी करते हैं। फैशन के तौर पर भी कई जगह नमस्ते बोलने का रिवाज है। यद्यपि पश्चिम में "नमस्ते" भावमुद्रा के संयोजन में बोला जाता है, लेकिन भारत में ये माना जाता है कि भावमुद्रा का अर्थ नमस्ते ही है और इसलिए, इस शब्द का बोलना इतना आवश्यक नहीं माना जाता है।

नमस्ते का भावार्थ[संपादित करें]

हाथों को हृदय चक्र पर लाकर दैवीय प्रेम का बहाव होता है। सिर को झुकाने और आँखें बंद करने का अर्थ है अपने आप को हृदय में विराजमान प्रभु को अपने आप को सौंप देना। गहरे ध्यान में डूबने के लिए भी स्वयं को नमस्ते किया जा सकता है; जब यह किसी और के साथ किया जाए तो यह एक सुंदर और तीव्र ध्यान होता है। एक शिक्षक और विद्यार्थी जब एक दूसरे को नमस्ते कहते हैं तो दो व्यक्ति ऊर्जात्मक रूप से वे समय और स्थान से रहित एक जुड़ाव बिन्दु पर एक दूसरे के निकट आते हैं और अहं की भावना से मुक्त होते हैं। यदि यह हृदय की गहरी भावना से मन को समर्पित करके किया जाए तो दो आत्माओं के मध्य एक आत्मीय संबंध बनता है। आदर्श रूप से, नमस्ते कक्षा के आरंभ और समाप्ति पर किया जाना चाहिए। आमतौर पर यह कक्षा की समाप्ति पर किया जाता है क्तोंकि तब मन कम सक्रिय होता है और कमरे की ऊर्जा अधिक शांत होती है। शिक्षक नमस्ते कहकर अपने छात्रों और अपने शिक्षकों का अभिवादन करता है और अपने छात्रों का स्वागत करता है कि वे भी उतने ही ज्ञानवान बनें और सत्य का प्रवाह हो।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 मई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 सितंबर 2009.
  2. नमहस्वस्तिस्वाहास्वधालंवषट्योगाच्च। (पाणिनि, II.3.16)
  3. Angeles, Location: Los; CA; USA. "Namaste Namaskar Mudra - Meaning, How to do, 6 Benefits". मूल से 28 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-11-19.

प्रणाम के क्या फायदे हैं?

प्राणायाम का अभ्यास तनाव, अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। प्राणायाम से अवसाद का इलाज भी किया जा सकता है। प्राणायाम के अभ्यास से स्थिर मन और दृढ़ इच्छा-शक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा नियमित रूप से प्राणायाम करने से लंबी आयु प्राप्त होती है।

नमस्ते और प्रणाम में क्या अंतर है?

नमस्ते हाथ जोड़कर झुक कर किया जाता है जबकि प्रणाम झुक कर सामने वाले के पैरों को हाथ से छूकर किया जाता है । नमः + ते=नमस्ते(विनम्रतापूर्वक झुककर प्रणाम ) । प्र +नम् (घञ् )=प्रणाम(प्रणिपात सहित प्रणाम)।

प्रणाम का उत्तर क्या दें?

क्या फोन पर "प्रणाम" का उत्तर "प्रणाम" से ही देना चलेगा या आप कुछ सर्वोत्तम उत्तर भी प्रयोग करते हैं? मेरे प्रणाम का उत्तर मेरी सासूमाँ बहुत ही अच्छे तरीके से देती हैं । " जीती रह तेरी बेटी जीती रहे भाई भतीजे जीते रहें जोड़ी पार उतारे भगवान सुख दे गोड्डे बने रहें।"

Pranam शब्द का अर्थ क्या है?

प्रणाम का सीधा संबंध प्रणत शब्द से है, जिसका अर्थ होता है विनीत होना, नम्र होना और किसी के सामने सिर झुकाना। प्राचीन काल से प्रणाम की परंपरा रही है। जब कोई व्यक्ति अपने से बड़ों के पास जाता है, तो वह प्रणाम करता है।