कम्युनिकेशन (Communication) शब्द लैटिन भाषा के कम्युनिस (Communis) से बना है जिसका अर्थ है to impart, make common । मन के विचारों व भावों का आदान-प्रदान करना अथवा विचारों को सर्वसामान्य बनाकर दूसरों के साथ बाँटना ही संचार है ।संचार शब्द, अंग्रेजी भाषा के शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है । जिसका विकास Commune शब्द से हुआ है । जिसका अर्थ है अदान-प्रदान करना अर्थात बाँटना
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संचार वह प्रक्रिया है, जिसमें लोग भावों की सहभागिता करते हैं। एक व्यक्ति (संचारकर्ता) द्वारा दूसरों (प्रापक) के व्यवहार में बदलाव के लिए उद्दीपक प्रसारित करने की प्रक्रिया संचार है। संचार की श्रेणियांअन्त:व्यैक्तिक संचारमनुष्य द्वारा अपने आप से बात करने यानी कि दिमाग में कुछ सोचने विचारने की प्रक्रिया को अन्त:व्यैक्तिक संचार कहा जाता है। सोच, विचार प्रक्रिया, भावनात्मक प्रतिक्रिया, दृष्टिकोण, मूल्य और विश्वास, स्व अवधारणा, अर्थों की रचना व उनकी व्याख्या इसी संचार के अन्तर्गत आते हैं। अन्त:व्यैक्तिक संचारदो या दो से अधिक लोगों के बीच होने वाले संचारीय आदान-प्रदान की प्रक्रिया अन्त:व्यैक्तिक संचार कहलाती है। इस प्रकार के संचार में संदेश प्रसारित करने के लिए एक से अधिक स्रोतों का भी प्रयोग किया जा सकता है। जैसे हम शाब्दिक संचार करते वक्त शारीरिक भाव भंगिमाओं से भी कुछ संदेश प्रेषित कर रहे होते हैं। समूह संचारसांचे दृष्टिकोण, उद्देश्य या हितों वाले कुछ लोगों का समूह आपस में जो संचार करता है वह समूह संचार की श्रेणी में आता है। इस संचार के प्रतिभागी सांझे मूल्य या व्यवहार के मानक प्रदर्शित करते हैं। जन माध्यमआमतौर पर जनमाध्यमों को परिभाषित करते हुए कहा जाता है कि
“किसी संदेश का व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन व प्रसार करने वाले संगठन जनमाध्यम हैं।” 1939 में हैरबर्ट ब्लूमर ने मानव एक़ित्रकरण की चार श्रेणियां निर्धारित की थीं। उनके अनुसार एक जगह एकत्रित होने वाले लोगों को समूह, जन समूह, भीडò और मास कहा जाता है। किसी भाषण, लेख, संकेत या व्यवहार के माध्यम से विचार, सूचना, संदेश इत्यादि का आदान-प्रदान ही संचार है। यह सूचना या विचारों को प्रभावशाली तरीके से दूसरों तक पहुंचाने के लिए सही शब्दों व संकेतों के चयन की तकनीक व कला है। संचार के तत्वहम पहले ही बात कर चुके हैं कि संचार एक प्रक्रिया है और किसी भी प्रक्रिया के पूरे होने में कुछ तत्व सहायक भूमिका निभाते हैं। यहां हम संचार की प्रक्रिया के तत्वों की बात करेंगे। संचार की प्रक्रिया का सबसे पहला तत्व है स्रोत। इसको प्रेषक व संचारकर्ता भी कहा जाता है। लेकिन संचार की प्रक्रिया का अध्ययन करने पर हमें पता चलता है कि प्रेषक सिर्फ संदेश भेजता ही नहीं, बल्कि वह संदेश ग्रहण भी करता है। संचार की प्रक्रिया का दूसरा तत्व प्रापक है। वह संदेश प्राप्त करता है और उसमें निहीत अर्थ को समझने के लिए उसका विसंकेतीकरण करता है। यहां गौर करने लायक बात यह है कि प्रापक सिर्फ संदेश ग्रहण ही नहीं करता, अपितु वह संदेश भेजता भी है। संचार की चक्रीय प्रकृति के कारण स्रोत व प्रापक के बीच भूमिकाओं की
अदला-बदली चलती रहती है। भूमिकाओं की इस अदला-बदली के चलते हम लंबे समय तक स्रोत व प्रापक शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते। संचार के इन दो तत्वों को दर्शाने के लिए हम प्रतिभागी शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। संचार में भाग लेने वाले स्रोत व प्रापक को प्रतिभागी कहने के पीछे कारण यह है कि संचार काफी प्रतिभागी, लोकतांत्रिक व समायोजक प्रकृति का होता है।
संचार के इन चार स्तरों या संदर्भों को आमतौर पर संचार के प्रारूप कहा जाता है। यह चारों स्तर प्रतिभागियों की संख्या, प्रतिभागियों के बीच अपनेपन का भाव, बढती जटिलता और प्रतिपुष्टि की प्रकृति इत्यादि के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न हैं। संचार की प्रक्रियाएक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सूचना प्रवाहित करने और उसे समझने की प्रक्रिया संचार है। संचार की प्रक्रिया में 6 आधारभूत तत्व समाहित रहते हैं। यह तत्व हैं- प्रेषक (संकेतक), संदेश, माध्यम, प्रापक (विसंकेतक), शोर व प्रतिपुष्टि। यह तत्व संचार को प्रभावी बनाने में किस प्रकार सहायक हैं और आप इनको किस प्रकार प्रयोग कर सकते हैं इनकी जानकारी होने पर कोई भी व्यक्ति अपना संचार कौशल विकसित कर सकता है। संचार के कार्यडेविड बर्लो के अनुसार संचार का मुख्य उद्देश्य मानव को अपनी आधारभूत आवश्यकताओं व दैनंदिन जरूरतों की पूर्ति के काबिल बनाना है।
इसमें आदेश देने, प्रार्थना करने व दूसरों की प्रार्थनाओं पर गौर करने की योग्यताएं शामिल हैं।
अन्तर्वैयक्तिक संचार में सूचनाओं की सहभागिता, कुछ जानकारी देकर या अपने जोरदार पक्ष को रखकर प्रापक को प्रभावित करना मूल उद्देश्य होता है। यदि एक व्यक्ति अपने मत इत्यादि के प्रति किसी को जीतने में कामयाब हो गया है तो संचार को सफल माना जाएगा। संचार से आप क्या समझते हैं संचार के विभिन्न घटकों की व्याख्या कीजिए?Communication(संचार) क्या है? “जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में कुछ सार्थक चिह्नों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम से विचारों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे संचार कहते हैं।”
संचार के घटक क्या है?चाहे संचार की कोई भी प्रकृति हो , प्रत्येक संचार व्यवस्था के तीन आवश्यक तत्व होते है-प्रेषित्र, माध्यम/चैनल तथा अभिग्राही। किसी संचार व्यवस्था में प्रेषित्र किसी एक स्थान पर अवस्थित होता है।
संचार प्रक्रिया क्या है संचार के घटकों को उदाहरण सहित समझाइए?यह प्रक्रिया जटिल और वैज्ञानिक है । उत्तर 1.4 उत्तर 1- संचार प्रक्रिया का अर्थ है एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक अर्थपूर्ण संदेश का संप्रेषण | हमारे अनुभवों, विचारों, संदेश, दृष्टिकोण, मत, सूचना, ज्ञान आदि का परस्पर मौखिक, लिखित या सांकेतिक आदान-प्रदान संचार के अन्तर्गत आ जाता है ।
संचार से आप क्या समझते हैं इसके प्रकारों की व्याख्या कीजिए?संचार की प्रक्रिया
पत्र पढ़ना, टेलीफोन पर बातचीत करना, रेडियो सुनना, भाषण देना और सुनना, संवाद करना सभी संचार है। इस प्रकार हम देखते हैं कि संदेश पहुँचाना और सूचना प्राप्त करना ही संचार है। सूचनाओं के आदान-प्रदान व संचार की आवश्यकता को काफी समय तक समय और स्थान की सीमाएं बांध नहीं पाई।
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