Answer: रिपोर्ताज लेखक किसी घटना का सूक्ष्म एवं मनोवैज्ञानिक वर्णन करता है । इसकी शैली चित्रात्मक एवं विवरणात्मक होती है। Show
विशेषताएँ- (1) रिपोर्ताज हिन्दी की ही नहीं, पाश्चात्य साहित्य की भी नवीनतम विधा है। (2) इसका जन्म साहित्य और पत्रकारिता के संयोग से हुआ है। (3) रिपोर्ताज घटना का आँखों देखा हाल होता है। (4) इसमें कुछ घटनाओं के सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विवेचन तथा विश्लेषण होता है। RBSE Solutions for Class 12 Hindi संवाद सेतु वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ता is part of RBSE Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi संवाद सेतु वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ता. Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ताRBSE Class 12 Hindi वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ता पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8. RBSE Class 12 Hindi वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ता अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. प्रश्न 2. (अ) कठिन गद्य शैली की अपेक्षा सरल, सुबोध शैली का प्रयोग होना चाहिए। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. स्वतंत्रता पूर्व युग में यात्रा वृत्त लेखन में राहुल सांकृत्यायन का योगदान अप्रतिम रहा । ‘तिब्बत में सवा वर्ष’, ‘मेरी यूरोप यात्रा’ और ‘मेरी तिब्बत यात्रा’ आदि इनके चिर-परिचित यात्रावृत्त हैं। स्वातंत्र्योत्तर भारत में अज्ञेय ने इस विधा के विकास में अपना योगदान दिया। ‘अरे यायावर रहेगा याद’ और ‘एक बूंद सहसा उछली’ इनके द्वारा रचित प्रमुख यात्रावृत्त हैं। निर्मल वर्मा का ‘चीड़ों पर चाँदनी’ और मोहन राकेश का आखिरी चट्टान तेक’ यात्रावृत्ते भी इस विकास यात्रा में उल्लेखनीय हैं। प्रश्न 8.
व्यक्तिगत डायरी – इस प्रकार की डायरी का संबंध व्यक्ति विशेष से होता है। इसमें लेखक के निजी जीवन में घटित घटनाओं, उसकी निजी अनुभूतियों और निजी विचारों को लिखा जाता है। इस प्रकार की डायरी गोपनीय होती है। वास्तविक डायरी – व्यक्तिगत डायरी अपने आप में यथार्थ लिए हुए होती है। अत: यह वास्तविकता के अत्यन्त नजदीक होती है। इस प्रकार की डायरी को वास्तविक श्रेणी की डायरी भी कहा जा सकता है। काल्पनिक डायरी – काल्पनिक डायरी में कल्पना के तत्त्व को स्थान दिया जाता है। यह वास्तविक श्रेणी की डायरी से भिन्न यथार्थता के साथ-साथ कल्पना को भी समाविष्ट करती हुई पाठक के लिए अधिक रुचिकर बन जाती है। साहित्यिक डायरी – साहित्यिक डायरी विशेषत: पाठक के लिए लिखी जाती है। अत: इस प्रकार की डायरी में रचना शैली, ललित कल्पना, मनोविश्लेषण, तर्क, कविता, आत्माख्यान आदि प्रवृत्तियों का समन्वय रहता है। प्रश्न 9. We hope the RBSE Solutions for Class 12 Hindi संवाद सेतु वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ता will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi संवाद सेतु वार्ता, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत, डायरी लेखन, सन्दर्भ ग्रन्थ की महत्ता, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. रिपोर्ताज लेखन में क्या आवश्यक है?घटना प्रधान होने के साथ ही रिपोर्ताज को कथातत्त्व से भी युक्त होना चाहिये। रिपोर्ताज लेखक को पत्रकार तथा कलाकार दोनों की भूमिका निभानी पडती है। रिपोर्ताज लेखक के लिये यह भी आवश्यक है कि वह जनसाधारण के जीवन की सच्ची और सही जानकारी रखे। तभी रिपोर्ताज लेखक प्रभावोत्पादक ढंग से जनजीवन का इतिहास लिख सकता है।
रिपोर्ताज की विशेषता क्या है?(1) रिपोर्ताज हिन्दी की ही नहीं, पाश्चात्य साहित्य की भी नवीनतम विधा है। (2) इसका जन्म साहित्य और पत्रकारिता के संयोग से हुआ है। (3) रिपोर्ताज घटना का आँखों देखा हाल होता है। (4) इसमें कुछ घटनाओं के सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर मनोवैज्ञानिक विवेचन तथा विश्लेषण होता है।
रिपोर्ताज के लेखक कौन हैं?द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ही यूरोप के रचनाकारों ने युद्ध के मोर्चे से साहित्यिक रिपोर्ट तैयार की। इन्हीं रिपोर्टों को ही बाद में रिपोर्ताज कहा गया। 'रिपोर्ताज' के जनक के रूप में रूसी साहित्यकार इलिया एहरेनवर्ग को स्वीकार किया जाता है।
रिपोर्ताज का स्वरूप क्या है?रिपोर्ताज का स्वरूप कलापूर्ण होता है। लेखक यथार्थ विषय को कल्पना के माध्यम से साहित्यिक परिवेश में प्रस्तुत करता है। रिपोर्ताज में तथ्यों के साथ भाव प्रवणता होती है। आँखों देखी और कानों सुनी घटनाओं पर भी रिपोर्ताज लिखा जा सकता है।
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