पढेंगे ,इसके अंतर्गत हम अलंकार की परिभाषा (Alankar ki Paribhasha) , अलंकार के भेद (Alankar ke Prakar) , अलंकार के उदाहरण (Alankar ke Udaharan) अच्छे से जानेंगे । पोस्ट के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न भी दिए गए है । Show
अलंकार – AlankarTable of Contents
अलंकार का अर्थ एवं परिभाषा – Alankar ki Paribhasha⇒ अलंकार शब्द दो शब्दों के योग से मिलकर बना है- ‘अलम्’ एवं ‘कार’ , जिसका अर्थ है- आभूषण या विभूषित करने वाला। काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार(Alankar) कहते हैं। दूसरे शब्दों में जिन उपकरणों या शैलियों से काव्य की सुंदरता बढ़ती है, उसे अलंकार(Alankar) कहते हैं। अलंकारों की विशेषताएँ – Alankar ki Visheshta
अलंकार के प्रकार – Alankar ke Prakar
1. शब्दालंकार – Shabdalankarजहाँ शब्दों के कारण काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ शब्दालंकार होता है। इसके अंतर्गत अनुप्रास,यमक,श्लेष और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार आते हैं। 2. अर्थालंकार – Arthalankarजहाँ अर्थ के कारण काव्य की शोभा में वृध्दि होती है, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके अंतर्गत उपमा,उत्प्रेक्षा,रूपक,अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, अपन्हुति, विरोधाभास आदि अलंकार शामिल हैं। 3. उभयालंकार – Ubhaya alankarजहाँ अर्थ और शब्द दोनों के कारण काव्य की शोभा में वृध्दि हो, उभयालंकार होता है । इसके दो भेद हैं-
शब्दालंकार के प्रकार – Shabdalankar ke Bhed
1.अनुप्रास अलंकार किसे कहते है – Anupras alankar kise kahate hainजहाँ काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अनुप्रास अलंकार के उदाहरण – Anupras alankar ke udaharan”तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।” यहाँ पर ‘त’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है। इसी प्रकार अन्य उदाहरण निम्नांकित हैं- ‘चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।’ यहाँ पर ‘च’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है। बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। यहाँ पर ‘स’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है। रघुपति राघव राजा राम। यहाँ पर ‘र ‘ वर्ण की आवृत्ति चार बार एवं ‘प ‘ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है। 2. यमक अलंकार किसे कहते है – Yamak alankar kise kahate hainजिस काव्य में एक शब्द एक से अधिक बार आए किन्तु उनके अर्थ अलग-अलग हों, वहाँ यमक अलंकार होता है। यमक अलंकार के उदाहरण – Yamak alankar ke udaharanकनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। इस पद में ‘कनक’ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘कनक’ का अर्थ ‘सोना’ तथा दूसरे ‘कनक’ का अर्थ ‘धतूरा’ है। अन्य उदाहरण-माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर। इस पद में ‘मनका ‘ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘मनका ‘ का अर्थ ‘माला की गुरिया ‘ तथा दूसरे ‘मनका ‘ का अर्थ ‘मन’ है। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी इस पद में ‘घोर मंदर ‘ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘घोर मंदर ‘ का अर्थ ‘ऊँचे महल ‘ तथा दूसरे ‘घोर मंदर ‘ का अर्थ ‘कंदराओं से ‘ है। कंद मूल भोग करैं कंदमूल भोग करैं इस पद में ‘कंदमूल ‘ और ‘ बेर’ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘कंदमूल ‘ का अर्थ ‘फलों से’ है तथा दूसरे ‘कंदमूल ‘ का अर्थ ‘जंगलों में पाई जाने वाली जड़ियों से ‘ है। इसी प्रकार पहले ‘ तीन बेर’ से आशय तीन बार से है तथा दूसरे ‘तीन बेर’ से आशय मात्र तीन बेर ( एक प्रकार का फल ) से है । भूखन शिथिल अंग, भूखन शिथिल अंग तो पर वारों उर बसी, सुन राधिके सुजान। देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह । मूरति मधुर मनोहर देखी। सूर -सूर तुलसी शशि। बरछी ने वे छीने हाँ खलन के चिरजीवी जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर। यहां पर वृषभानुजा के दो अर्थ – 1. वृषभानु की पुत्री – राधिका २. वृषभा की अनुजा – गाय ’’सारंग ले सारंग उड्यो, सारंग पुग्यो आय। 3. श्लेष अलंकार किसे कहते है – Shlesh alankar kise kahate hainश्लेष का अर्थ – चिपका हुआ। किसी काव्य में प्रयुक्त होनें वाले किसी एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हों, उसे श्लेष अलंकार कहते हैं। इसके दो भेद हैं- शब्द श्लेष और अर्थ श्लेष। शब्द श्लेष- जहाँ एक शब्द के अनेक अर्थ होता है , वहाँ शब्द श्लेष अलंकार होता है। . श्लेष अलंकार के उदाहरण – Shlesh Alankar ke Udaharanरहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। यहाँ दूसरी पंक्ति में ‘पानी’ शब्द तीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। अर्थ श्लेष- जहाँ एकार्थक शब्द से प्रसंगानुसार एक से अधिक अर्थ होता है, वहाँ अर्थ श्लेष अलंकार होता है। नर की अरु नल-नीर की गति एकै कर जोय इसमें दूसरी पंक्ति में ‘ नीचो ह्वै चले’ और ‘ऊँची होय’ शब्द सामान्यतः एक अर्थ का बोध कराते है, किन्तु नर और नलनीर के प्रसंग में भिन्न अर्थ की प्रतीत कराते हैं। जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय । यहाँ बारे का अर्थ ‘लड़कपन’ और ‘जलाने से है और’ बढे’ का अर्थ ‘बड़ा होने’ और ‘बुझ जाने’ से है ‘‘चरण धरत चिन्ता करत भावत नींद न सोर। 4. प्रश्न अलंकार किसे कहते है – Prshan alankar kise kahate hainजहाँ काव्य में प्रश्न किया जाता है, वहाँ प्रश्न अलंकार होता है। जैसे- जीवन क्या है? निर्झर है। 5.वीप्सा अलंकार या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार किसे कहते है – Vipsa alankar kise kahate hainघबराहट, आश्चर्य, घृणा या रोचकता किसी शब्द को काव्य में दोहराना ही वीप्सा या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। उदाहरण :मधुर-मधुर मेरे दीपक जल। विहग-विहग जुगन- जुगन समझावत हारा , कहा न मानत कोई रे । लहरों के घूँघट से झुक-झुक , दशमी शशि निज तिर्यक मुख , अर्थालंकार के प्रकार – Arthalankar ke bhed
1. उपमा अलंकार किसे कहते है – Upma alankar kise kahate hainकाव्य में जब दो भिन्न वस्तुओं में समान गुण धर्म के कारण तुलना या समानता की जाती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है। उपमा के अंग – Upma alankar ke angउपमा के 4 अंग हैं। i. उपमेय- जिसकी तुलना की जाय या उपमा दी जाय। जैसे- मुख चन्द्रमा के समान सुंदर है। इस उदाहरण में मुख उपमेय है। ii. उपमान- जिससे तुलना की जाय या जिससे उपमा दी जाय। उपर्युक्त उदाहरण में चन्द्रमा उपमान है। iii. साधारण धर्म- उपमेय और उपमान में विद्यमान समान गुण या प्रकृति को साधारण धर्म कहते है। ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘सुंदर ‘ साधारण धर्म है जो उपमेय और उपमान दोनों में मौजूद है। iv. वाचक –समानता बताने वाले शब्द को वाचक शब्द कहते हैं। ऊपर दिए गए उदाहरण में वाचक शब्द ‘समान’ है। (सा , सरिस , सी , इव, समान, जैसे , जैसा, जैसी आदि वाचक शब्द हैं ) उल्लेखनीय- जहाँ उपमा के चारो अंग उपस्थित होते हैं, वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है। जब उपमा के एक या एक से अधिक अंग लुप्त होते हैं, तब लुप्तोपमा अलंकार होता है। उपमा अलंकार के उदाहरण – Upma alankar ke udaharan1. पीपर पात सरिस मन डोला। 2. रूपक अलंकार किसे कहते है – Rupak Alankar kise kahate hainजब उपमेय में उपमान का निषेध रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में जब उपमेय और उपमान में अभिन्नता या अभेद दिखाते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।उदाहरण- रूपक अलंकार के उदाहरण – Rupak alankar ke udaharanचरण-कमल बंदउँ हरिराई। राम कृपा भव-निशा सिरानी बंदउँ गुरुपद पदुम- परागा। चरण सरोज पखारन लागा । ‘‘उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल-पतंग। ‘‘बीती विभावरी जाग री। ‘‘नारि-कुमुदिनी अवध सर रघुवर विरह दिनेश। ‘‘रनित भृंग घंटावली, झरत दान मधुनीर। ‘‘छंद सोरठा सुंदर दोहा। सोई बहुरंग कमल कुल सोहा।। ‘‘बढ़त-बढ़त सम्पत्ति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय। ‘‘जितने कष्ट कंटकों में है, जिनका जीवन सुमन खिला। 3. उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते है –जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। उत्प्रेक्षा के लक्षण– मनहु, मानो, जनु, जानो, ज्यों,जान आदि। उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण – Utpreksha alankar ke udaharan लता भवन ते प्रकट भे,तेहि अवसर दोउ भाइ। दादुर धुनि चहु दिशा सुहाई। मेरे जान पौनों सीरी ठौर कौ पकरि कौनों , मानो तरु भी झूम रहे हैं, मंद पवन के झोकों से । 4. अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते है – Atishyokti alankar kise kahate hainकाव्य में जहाँ किसी बात को बढ़ा चढ़ा के कहा जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण – Atishyokti alankar ke udaharan हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग। आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। देखि सुदामा की दीन दसा, जनु अशोक अंगार दीन्ह मुद्रिका डारि तब। मनो झूम रहे हैं तरु भी मंद पवन के झोकों से। 5. अन्योक्ति अलंकार किसे कहते है – Anyokti alankar kise kahate hainजहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण – Anyokti alankar ke udaharan नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल। इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल। माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 6. अपन्हुति अलंकार किसे कहते है ?अपन्हुति का अर्थ है छिपाना या निषेध करना।काव्य में जहाँ उपमेय को निषेध कर उपमान का आरोप किया जाता है,वहाँ अपन्हुति अलंकार होता है। अपन्हुति अलंकार के उदाहरण- Apanhuti alankar ke udaharanयह चेहरा नहीं गुलाब का ताजा फूल है। नये सरोज, उरोजन थे, मंजुमीन, नहिं नैन। सत्य कहहूँ हौं दीन दयाला। 7. व्यतिरेक अलंकार किसे कहते है –जब काव्य में उपमान की अपेक्षा उपमेय को बहुत बढ़ा चढ़ा कर वर्णन किया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। व्यतिरेक अलंकार के उदाहरण – vyatirek alankar ke udaharan जिनके जस प्रताप के आगे । 8. संदेह अलंकार किसे कहते है – Sandeh alankar kise kahate hainजब उपमेय में उपमान का संशय हो तब संदेह अलंकार होता है। या जहाँ रूप, रंग या गुण की समानता के कारण किसी वस्तु को देखकर यह निश्चित न हो कि वही वस्तु है और यह संदेह अंत तक बना रहता है, वहाँ सन्देह अलंकार होता है। संदेह अलंकार के उदाहरण – Sandeh alankar ke udaharan कहूँ मानवी यदि मैं तुमको तो ऐसा संकोच कहाँ? विरह है या वरदान है। सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है। कहहिं सप्रेम एक-एक पाहीं। 9. विरोधाभास अलंकार किसे कहते है – Virodhabhas alankar kise kahate hainजहाँ बाहर से विरोध दिखाई दे किन्तु वास्तव में विरोध न हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है विरोधाभास अलंकार के उदाहरण – Virodhabhas alankar ke udaharan ना खुदा ही मिला ना बिसाले सनम। जब से है आँख लगी तबसे न आँख लगी। या अनुरागी चित्त की , गति समझे नहिं कोय। सरस्वती के भंडार की बड़ी अपूरब बात । शीतल ज्वाला जलती है, ईंधन होता दृग जल का। यह व्यर्थ साँस चल-चलकर,करती है काम अनिल का।. 10. वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते है –जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण – Vakrokti alankar ke udaharan कौ तुम? हैं घनश्याम हम । मैं सुकमारि नाथ बन जोगू। इसके दो भेद है- (i) श्लेष वक्रोक्ति (ii) काकु वक्रोक्ति 11. भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते है –जहाँ प्रस्तुत को देखकर किसी विशेष साम्यता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाता है, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है। भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण – Bhrantiman alankar ke udaharanचंद के भरम होत मोड़ है कुमुदनी। नाक का मोती अधर की कान्ति से, चाहत चकोर सूर ऒर , दृग छोर करि। बादल काले- काले केशों को देखा निराले। 12. ब्याजस्तुति अलंकार किसे कहते है – Byaj stuti alankar kise kahate hainकाव्य में जहाँ देखने, सुनने में निंदा प्रतीत हो किन्तु वह वास्तव में प्रशंसा हो,वहाँ ब्याजस्तुति अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में – काव्य में जब निंदा के बहाने प्रशंसा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजस्तुति अलंकार होता है । ब्याजस्तुति अलंकार के उदाहरण : Byaj stuti alankar ke udaharanगंगा क्यों टेढ़ी -मेढ़ी चलती हो? स्पष्टीकरण – यहाँ देखने ,सुनने में गंगा की निंदा प्रतीत हो रहा है किन्तु वास्तव में यहाँ गंगा की प्रशंसा की जा रही है , अतः यहाँ ब्याजस्तुति अलंकार है । रसिक शिरोमणि, छलिया ग्वाला , स्पष्टीकरण – यहाँ देखने में कृष्ण की निंदा प्रतीत होता है , किन्तु वास्तव में प्रशंसा की जा रही है । अतः यहाँ व्याजस्तुति अलंकार है । जमुना तुम अविवेकनी, कौन लियो यह ढंग । स्पष्टीकरण – यहाँ देखने में यमुना की निंदा प्रतीत होता है , किन्तु वास्तव में प्रशंसा की जा रही है । अतः यहाँ व्याजस्तुति अलंकार है । 13. ब्याजनिन्दा अलंकार किसे कहते है ?काव्य में जहाँ देखने, सुनने में प्रशंसा प्रतीत हो किन्तु वह वास्तव में निंदा हो,वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में – काव्य में जब प्रशंसा के बहाने निंदा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है । उदाहरण : तुम तो सखा श्यामसुंदर के , सकल जोग के ईश । स्पष्टीकरण – यहाँ देखने ,सुनने में श्रीकृष्ण के सखा उध्दव की प्रशंसा प्रतीत हो रहा है ,किन्तु वास्तव में उनकी निंदा की जा रही है । अतः यहाँ ब्याजनिंदा अलंकार हुआ । समर तेरो भाग्य यह कहा सराहयो जाय । स्पष्टीकरण – यहाँ पर समर (सेमल ) की प्रशंसा करना प्रतीत हो रहा है किन्तु वास्तव में उसकी निंदा की जा रही है । क्योंकि पक्षियों को सेमल से निराशा ही हाथ लगती है । राम साधु तुम साधु सुजाना । 14. विशेषोक्ति अलंकार किसे कहते है – Visheshokti alankar kise kahate hainकाव्य में जहाँ कारण होने पर भी कार्य नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण – Visheshokti alankar ke udaharanन्हाये धोए का भया, जो मन मैल न जाय। नेहु न नैननि कौ कछु, उपजी बड़ी बलाय। मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम । स्पष्टीकरण – उपर्युक्त उदाहरण में कारण होते हुए भी कार्य का न होना बताया जा रहा है । 15. विभावना अलंकार किसे कहते है – Vibhavana alankar kise kahate hainजहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय , वहां विभावना अलंकार होता है । विभावना अलंकार के उदाहरण – Vibhavana alankar ke udaharan बिनु पग चलै सुनै बिनु काना। आनन रहित सकल रस भोगी । स्पष्टीकरण – उपर्युक्त उदाहरण में कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है । बिना पैर के चलना , बिनाकान के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म करना , बिना मुख के सभी रसों का भोग करना और बिना वाणी के वक्ता होना कहा गया है । अतः यहाँ विभावना अलंकार है । निंदक नियरे राखिए , आँगन कुटी छबाय। 16. मानवीकरण अलंकार किसे कहते है – Manvikaran alankar kise kahate hainजब काव्य में प्रकृति को मानव के समान चेतन समझकर उसका वर्णन किया जाता है , तब मानवीकरण अलंकार होता है मानवीकरण अलंकार के उदाहरण – Manvikaran alankar ke udaharan1. है विखेर देती वसुंधरा मोती सबके सोने पर , 2. उषा सुनहले तीर बरसाती 3. केशर -के केश – कली से छूटे । 4. दिवस अवसान का समय 17.समासोक्ति अलंकार किसे कहते है –जहाँ पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहार का समावेश होता है अथवा अप्रस्तुत का स्फुरण होता हे तो वहाँ समासोक्ति अलंकार माना जाता है। समासोक्ति अलंकार उदाहरण – Samasokti alankar ke udaharan1. ‘‘कुमुदिनी हुँ प्रफुल्लित भई, साँझ कलानिधि जोई।’’ यमक अलंकार में किसकी आवृत्ति होती है?2. यमक अलंकार 'जहाँ पर एक ही शब्द की अनेक बार भिन्न अर्थों में आवृत्ति हो वहाँ पर यमक अलंकार होता है। ' अर्थात जब किसी पंक्ति में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो तब यमक अलंकार होता है।
यमक अलंकार की परिभाषा कौन है?जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
यमक अलंकार की क्या पहचान है?यमक अलंकार की परिभाषा - Yamak alankar ki paribhasha
इसकी पहचान एक शब्द के बार बार दोहराए जाने से की जाती है। सरल शब्दों में कहें तो जब एक ही शब्द काव्य में कई बार आये और सभी अर्थ अलग-अलग हो वहां यमक अलंकार होता है। उदाहरण - ऊधौ जोग जोग हम नाहीं । उदाहरण - खग-कुल कुल-कुल से बोल रहा ।
अनुप्रास अलंकार में किसकी आवृत्ति होती है?अनुप्रास अलंकार में किसी एक व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है। आवृत्ति का अर्थ है दुहराना जैसे– 'तरनि-तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाये।” उपर्युक्त उदाहरणों में 'त' वर्ण की लगातार आवृत्ति है, इस कारण से इसमें अनुप्रास अलंकार है।
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