अंधविश्वास से क्या क्या नुकसान होते हैं? - andhavishvaas se kya kya nukasaan hote hain?

<<   |   <   |  | &amp;nbsp; &lt;a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.32" title="Next"&gt;&lt;b&gt;&amp;gt;&lt;/b&gt;&lt;i class="fa fa-forward" aria-hidden="true"&gt;&lt;/i&gt;&lt;/a&gt; &amp;nbsp;&amp;nbsp;|&amp;nbsp;&amp;nbsp; &lt;a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.48" title="Last"&gt;&lt;b&gt;&amp;gt;&amp;gt;&lt;/b&gt;&lt;i class="fa fa-fast-forward fa-1x" aria-hidden="true"&gt;&lt;/i&gt; &lt;/a&gt; &lt;/div&gt; &lt;script type="text/javascript"&gt; function onchangePageNum(obj,e) { //alert("/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1."+obj.value); if(isNaN(obj.value)==false) { if(obj.value&gt;0) { //alert("test"); //alert(cLink); location.replace("/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1."+obj.value); } } else { alert("Please enter a Numaric Value greater then 0"); } } <div style="float:right;margin-top:-25px"> </div> </div> <div class="post-content"> <div class="versionPage"> <div>समाज में फैली हुई कुरीतियों और कुपरम्पराओं को देखने पर ज्ञात होता है कि लोग एक दूसरे को देखकर बिना कुछ सोच विचारे अन्धानुकरण करने का प्रयास करते रहते हैं। जबकि उससे लाभ किसी प्रकार का नहीं होता, केवल हानि ही हमारे हाथ लगती है। कभी-कभी तो हानि का पता लग जाने पर भी अभ्यास अथवा स्पर्धा के कारण उसे छोड़ना नहीं चाहते। अन्ध-विश्वास भी एक ऐसी ही कुरीति है।</div><div><br></div><div>अन्ध विश्वास निराधार होते हैं, पर भोले-भाले लोग उसमें फंसते चले जाते हैं। यह स्थिति समाज में तभी उत्पन्न होती है जब व्यक्ति अपने विवेक का सहारा नहीं लेना चाहता। अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये दूसरों के द्वारा बताया गया ऊल जलूल कार्य करने में भी संकोच नहीं होता। चतुर चालाक लोग भ्रमजाल फैलाकर मूढ़ व्यक्तियों को फंसाने का प्रयास करते हैं। लीजिए—कुछ सच्चे उदाहरण आपके सामने हैं जिनके आधार पर अन्ध-विश्वासों की वास्तविकता और अवास्तविकता का सही-सही पता लगाने में आपको सुविधा होगी।</div><div><br></div><div>(1) भटिण्डा जिले के बेहलुआना ग्राम में आप चले जाईये तो आपको सारे घर गारे (सादा मिट्टी) के बने हुए मिलेंगे। जब ईंट, सीमेंट और लोहे जैसी वस्तुएं भवन निर्माण के लिए सुलभ और सस्ती कीमत पर प्राप्त की जा सकती हों तब पक्की या कच्ची ईंट का प्रयोग न करके केवल गारे के मकान बनाना कहां की बुद्धिमत्ता है। फिर गारे के मकान बनाने में समय भी अधिक लगता है और प्रत्येक वर्ष बरसात से पूर्व मरम्मत करवानी भी आवश्यक है। बात बड़ी साधारण सी है। आज से दो सौ वर्ष पूर्व बेहलुआना गांव की नींव डालने वाले ‘बाबू वेहलु’ ने मकान बनवाने के लिए जब पक्की ईंटें मंगवाईं तो असावधानी से एक ईंट से ठोकर खाकर गिर पड़े, जिससे पैर में काफी चोट आई और कई दिन तकलीफ रही। उसी दिन उन्होंने संकल्प किया कि अब वे ईंटों के मकान नहीं बनवायेंगे।</div><div><br></div><div>उस ग्राम के निवासी आज भी दो सौ वर्ष के एक व्यक्ति द्वारा अपने लिये किये संकल्प का अनुकरण कर रहे हैं। बूढ़े वेहलू के संकल्प का पीढ़ी दर पीढ़ी अक्षरशः पालन किया गया है। गांव में कितने ही ऐसे अमीन व्यक्ति हैं जो आलीशान इमारत बनवाकर रह सकते हैं। पर पुरखों के वचन को तोड़ने का कोई साहस नहीं करता।</div><div><br></div><div>यदि उस गांव वालों ने सोचा होता कि दो सौ वर्ष पूर्व एक व्यक्ति को ईंट से ठोकर लग गई तो कौन बड़ी बात हुई, इसमें ईंट का क्या दोष? असावधानी से चलने पर बेहलू हों अथवा आज का कोई व्यक्ति, चोट तो लगेगी ही। बड़े-बड़े भवनों के निर्माण के समय हमने देखा है कि दीवारें और छतें गिर जाती हैं, कभी-कभी तो अनेक मजदूर या अन्य व्यक्ति दब जाते हैं, फिर भी उस निर्माण कार्य को बन्द तो कोई नहीं कर देता। रेल, मोटर, वायुयान आदि की दुर्घटनाओं से भयभीत होकर क्या यात्रियों की संख्या घट गई? कारखानों में मशीनों से आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं, फिर भी उस कारखाने में नई-नई मशीनें लगती रहती हैं तथा नये-नये कारखाने खुलते रहते हैं।</div><div><br></div><div>ईंट पर गुस्सा दिखाने का परिणाम आज पूरा गांव भुगत रहा है। सड़कें, नालियां, पाखाने, पेशाबघर, खरंजे और पंचायत-घर आदि सभी का तो अभाव है। बरसात के दिनों में सिवाय कीचड़ के और भी कुछ मिल सकता है? गन्दे पानी को निकालने के लिए नालियां नहीं होंगी तो घर के आस-पास गन्दा पानी बहता रहेगा और मच्छर मक्खियां भिन-भिनाती रहेंगी। सिंचाई के साधनों के बिना खेती में उपज भी थोड़ी ही होगी। यदि वहां के निवासियों ने थोड़ी सी विवेकशीलता का सहारा लिया होता तो उस गांव की स्थिति भी अन्य गांवों की तरह बदल गई होती और एक आदर्श ग्राम के रूप में उसे जाना जाता। अब कुछ लोगों की समझ में आया तो उन्होंने उस लीक को तोड़ कर बाहर से आने वाले व्यक्तियों के ठहरने हेतु एक धर्मशाला बनवा दी है।</div><div><br></div><div>(2) बिलासपुर से 50 मील की दूरी पर स्थित जांजगीर तहसील के अन्तर्गत बलौदा ग्राम के देवांगन मुहल्ले की एक पुत्रविहीन नारी ने पुत्र प्राप्ति के लिए अपनी जिह्वा काटकर शिव प्रतिमा को समर्पित कर दी। जीभ के बिना उसे अपार कष्ट सहना पड़ा पर पुत्र की भी प्राप्ति नहीं हुई। देश में जनसंख्या की बढ़ती हुई स्थिति को देखकर तो अब कुछ सीखना ही चाहिए। जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। उसके पालन-पोषण के लिए हम साधन भी नहीं जुटा पाते। समाज में ऐसे भी लोग हैं जो सन्तान हीन दम्पत्ति को बुरी दृष्टि से देखते हैं यहां तक कि महिलाओं का तो मुंह देखना तक पाप समझते हैं।</div><div><br></div><div>ऐसे दम्पत्तियों को तो सौभाग्यशाली समझना चाहिए क्योंकि उनके पास अब थोड़े ही उत्तरदायित्व हैं। वे बचे हुए समय में समाज सेवा का कार्य कर सकते हैं। यदि हम अपना दृष्टिकोण बदल दें तो क्या अपने भाई-भतीजों के प्रति सन्तान की तरह स्नेह करके आगे बढ़ाने में मदद नहीं कर सकते हैं।</div><div><br></div><div>(3) गांव गंगाजल खेड़ी (इन्दौर) के एक बलाई ने अपनी लड़की की सास को डांकन समझकर उसकी हत्या कर दी और लाश की गठरी बांधकर एक कुएं में डाल दी। इस दुर्घटना का पता लगते ही पुलिस ने आकर हत्यारे और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। सास के क्रूर स्वभाव से तंग आकर बहू ने अपने घर वालों के खूब कान भर रखे थे। सास और ससुर को अपनी माता तथा पिता के समान स्नेह देने वाली बहुयें उनसे सब कुछ प्राप्त कर लेती हैं। सेवा सहानुभूति, आज्ञापालन और दूसरे की बुराई न करने की विशेषताएं यदि किसी में आजाएं तो वह अपने शत्रु तक को मित्र बना सकता है। सास-बहू का झगड़ा यहां तक बढ़ गया कि सास ने तंग आकर बहू को एक दिन जलते अंगारे चबाने के लिए विवश कर दिया। आग का गुण जलाना है, वह कैसे बदला जा सकता है, बेचारी बहू का मुंह झुलस गया। उसने अपने घर आकर सारी स्थिति बता दी। फिर क्या था? अब तो पिता को उसके डांकन होने का पूरी तरह विश्वास हो गया, उसकी जाति के लोगों ने दो-चार झूठे सच्चे किससे सुनाकर उसे और विश्वास करवा दिया। यदि उस बलाई के मिलने-जुलने वाले चाहते तो दोनों पक्षों को एकत्रित कर मामले को शान्ति से सुलझा सकते थे। बहू को साथ ले जाकर सास से सारी बातों का पता लगाया जा सकता था और इस बात का प्रयत्न किया जा सकता था कि दोनों सुखी और आनन्द से रहें। पर मूढ़ सलाहकार भी उल्टी सीख देकर गांव में फैले अन्ध-विश्वासों को रोकने के स्थान पर बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं।</div><div><br></div><div>(4) गोलकुण्डा (हैदराबाद) के निकट शेखपेठ गांव में एक अधेड़ गर्भवती महिला को तीन आदमियों ने मिलकर इतना पीटा कि वह मर गई। पीटने वालों को यह सन्देह था कि वह जादूगरनी है। कुछ मास पूर्व उस गांव में हुई एक वृद्धा की मृत्यु का कारण उसका जादू-टोना बताया जा रहा था।</div><div><br></div><div>यदि उन हत्यारों ने सोचा होता कि वृद्ध महिला की मृत्यु तो बीमारी के कारण हुई है। उसका कृश शरीर आखिर कब तक चलता, तो उस महिला की हत्या करने के अपराध से बच सकते थे। मौलिक बुद्धि से काम न लेने के कारण तीनों व्यक्तियों का जीवन खराब हुआ और उनके आश्रित बच्चों तथा महिलाओं को कितनी परेशानियों के साथ अपने दिन काटने पड़े।</div><div><br></div><div>(5) अन्ध-विश्वास की घटनाएं केवल ग्रामीण क्षेत्र तक सीमित हों, ऐसा नहीं है। शहरों में भी भोले-भाले व्यक्तियों को नित्य ही किसी न किसी माध्यम से ठगा जाता है। जबलपुर में सड़क छाप ज्योतिषियों के चक्कर में पड़कर रमेशचन्द्र जैन नामक युवक को अपने सारे सामान से हाथ धोना पड़ा। रमेशचन्द्र हनुमान ताल क्षेत्र से कुछ अनमने से सोचते हुए गुजर रहे थे। तभी उनकी मुलाकात सामने आते हुए दो व्यक्तियों से हुई जिन्होंने अपने को ज्योतिषी बताया।</div><div><br></div><div>बिना कुछ पूछे हुए ज्योतिषियों ने कहा—‘आप इस समय बड़ी परेशानी से गुजर रहे हैं।’ इस प्रकार उस युवक का विश्वास अर्जित करने में दोनों व्यक्ति सफल हो गये उस युवक की मानसिक चिन्ताओं से मुक्ति दिलाने की युक्ति सुझाते हुए उन दोनों अजनबियों ने उससे कहा कि वह अपने पास का रुपया पैसा और सामान उनको सौंप दे और एक फलांग बिना पीछे मुड़कर देखे वह पैदल लौटे। आज देश में मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों और ज्योतिषियों की इतनी सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं कि राह चलते लोगों को परेशानियों से बचाने के लिए प्रयत्न करें। फिर मानसिक चिन्ताओं से मुक्त होने के लिए एक फर्लांग तक बिना पीछे मुड़े जाने और पैदल ही लौटने, इस उपाय पर जरा भी ध्यान दिया होता तो वह ठगों के चक्कर में क्यों पड़ता? उसने उन ज्योतिषियों की बात को सही मानकर अपने हाथ की घड़ी, फाउण्टेनपेन और मनीबैग उनको सौंप दिया। जब वह पैदल लौटकर उसी स्थान पर आया तो उसे उन दोनों व्यक्तियों के दर्शन न हुए और न उसका सामान ही वहां था। इस प्रकार लगभग दो सौ रुपये गंवा कर अपनी मानसिक परेशानियों को घटाया नहीं वरन् बढ़ा लिया।</div> </div> <div class="magzinHead"> <div style="text-align:center"> <a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.1" title="First"> <b>&lt;&lt;</b> <i class="fa fa-fast-backward" aria-hidden="true"></i></a> &nbsp;&nbsp;|&nbsp;&nbsp; <a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.30" title="Previous"> <b> &lt; </b><i class="fa fa-backward" aria-hidden="true"></i></a>&nbsp;&nbsp;| <input id="text_value" value="31" name="text_value" type="text" style="width:40px;text-align:center" onchange="onchangePageNum(this,event)" lang="english"> <label id="text_value_label" for="text_value">&nbsp;</label><script type="text/javascript" language="javascript"> try{ text_value=document.getElementById("text_value"); text_value.addInTabIndex(); } catch(err) { console.log(err); } try { text_value.val("31"); } catch(ex) { } | &amp;nbsp; &lt;a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.32" title="Next"&gt;&lt;b&gt;&amp;gt;&lt;/b&gt;&lt;i class="fa fa-forward" aria-hidden="true"&gt;&lt;/i&gt;&lt;/a&gt; &amp;nbsp;&amp;nbsp;|&amp;nbsp;&amp;nbsp; &lt;a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.48" title="Last"&gt;&lt;b&gt;&amp;gt;&amp;gt;&lt;/b&gt;&lt;i class="fa fa-fast-forward fa-1x" aria-hidden="true"&gt;&lt;/i&gt; &lt;/a&gt; &lt;/div&gt; &lt;script type="text/javascript"&gt; function onchangePageNum(obj,e) { //alert("/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1."+obj.value); if(isNaN(obj.value)==false) { if(obj.value&gt;0) { //alert("test"); //alert(cLink); location.replace("/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1."+obj.value); } } else { alert("Please enter a Numaric Value greater then 0"); } } <div style="float:right;margin-top:-25px"> </div> </div> </div> <div class="row"> <div class="col-lg-12 col-md-12 col-sm-12 bottom-pad-small"> <h4 class="title">&nbsp;Versions&nbsp;</h4> <div class="versionTilesDiv"> <ul class="ProductDB NoMargin" style="margin:0px 0px 0px -20px"> <li> <a target="_blank" href="http://literature.awgp.org/book/andhvishwas_ko_ukhad_fenkiye/v1.1"> <img src="http://literature.awgp.org/theams/gayatri/img/book.png" style="margin-bottom:10px"> <br>HINDI <div style="clear:both;text-align:center;padding:10px 10px 0 10px;border-top:1px solid #cccccc"> अंधविश्वास को उखाड़ फेंकिये<br></div> <span style="text-align:center;font-size:12px;color:#9a9a9a">Text Book Version<br> </span> </a> </li> </ul> </div> </div> </div> <br> <script type="text/javascript"> //show_comment(con); // alert (encode_url); // var page=1; // var sl = new API("comment"); // sl.apiAccess(callAPIdomain+"/api/comments/get?source=comment&url="+encode_url+"&format=json&count=5&page="+page,"commentDiv1"); //alert (callAPIdomain+"/api/comments/get?source=comment&url="+encode_url+"&format=json&count=5"); /*function onclickmoreComments(obj,e) { sl.apiAccess(callAPIdomain+"/api/comments/get?source=comment&url="+encode_url+"&format=json&count=50","commentDiv"); } */ //show_comment("commentdiv",page);

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अंधविश्वास से क्या हानियां है?

अंधविश्वास आपको कर्महीन और भाग्यवादी बनाते हैं। हमारे समाज में कुछ ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं जिन्हें अंधविश्वास कहा जाता है। हालांकि कुछ लोगों के लिए यह आस्था का सवाल हो सकता है। हम यह नहीं जानते कि सत्य क्या है, लेकिन इन अंधविश्वासों के कारण भारत की अधिकांश जनता वहमपरस्त बनकर निर्णयहीन, डरी हुई और धर्मभीरू बनी हुई है।

अंधविश्वास का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

अंधविश्वास अधिकतर कमजोर व्यक्तित्व, कमजोर मनोविज्ञान एवं कमजोर मानसिकता के लोगों में देखने को मिलता है। जीवन में असफल रहे लोग अधिकतर अंधविश्वास में विश्वास रखने लगते हैं एवं ऐसा मानते हैं कि इन अंधविश्वासों को मानने एवं इन पर चलने से ही शायद वह सफल हो जाएं।

अंधविश्वास के कौन कौन से कारण है?

अज्ञान । जी बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप अन्धविश्वास का मुख्य कारण अज्ञान ही है । जब ज्ञान में कमी आती है या ज्ञान अज्ञान में बदल जाता है तो विश्वास खत्म हो जाता है और अंधविश्वास की ओर अग्रसर हो चलता है व्यक्ति । जी ज्ञान की कमी के चलते ही विश्वास अन्धविश्वास में बदल जाता है ।

अंधविश्वास कितने प्रकार के होते हैं?

अनुक्रम.
1 अच्छे अंधविश्वास 1.1 नज़र बट्टू 1.2 अनुशठान के उपहार में एक रुपय जोड़ना शुभ है 1.3 नदी में सिक्के फेंकना 1.4 पानी का गिरना 1.5 शुभ यात्रा 1.6 नारियल तोडना.
2 बुरे अंधविश्वास 2.1 सूर्य डूबने के बाद सफाई 2.2 साँप मिथकों 2.3 कांच का टूट्ना 2.4 १३ 2.5 छींकना तथा टोकना 2.6 नाखून काटना 2.7 सूर्यग्रहण ... .
3 सन्दर्भ.