मैं रामायण नहीं पढ़ सका वाक्य में कौनसा वाच्य है? - main raamaayan nahin padh saka vaaky mein kaunasa vaachy hai?

वाच्य का शाब्दिक अर्थ है :- " बोलने का विषय "| अतः क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि क्रिया का मुख्य विषय 'कर्ता' है 'कर्म' है अथवा 'भाव' है उसे वाच्य कहते हैं;

उदाहरण :-

'नेताजी' सुंदर लग रहे थे ( इस वाक्य में नेताजी कर्ता को दर्शाते हैं| )

इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आए हैं।

वाच्य के तीन प्रकार हैं -

  • कर्तृवाच्य (Active Voice)
  • कर्मवाच्य (Passive Voice)
  • भाववाच्य (Impersonal Voice)

क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में, क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो और सकर्मक और अकर्मक दोनों क्रियाए हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।

उदाहरणरमेश केला खाता है।दिनेश पुस्तक नहीं पढता है।

उक्त वाक्यों में कर्ता प्रधान है तथा उन्हीं के लिए 'खाता है' तथा 'पढ़ता है' क्रियाओं का विधान हुआ है, इसलिए यहाँ कर्तृवाच्य है। कर्तृवाच्य में कर्ता विभक्ति रहित होता ही है और यदि विभक्ति हो तो वहां केवल ' ने ' विभक्ति का ही प्रयोग होता है। जैसे - रमेश ने केला खाया।

क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो। सरल शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, जिसमें केवल सकर्मक क्रिया के वाक्य होते है।उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

उदाहरणकवियों द्वारा कविताएँ लिखी गई।पतंग उड रही है।गाडी चल रही है

उक्त वाक्यों में कर्म प्रधान हैं तथा उन्हीं के लिए 'लिखी गई', 'दी गई' तथा 'पढ़ी गई' क्रियाओं का विधान हुआ है, अतः यहाँ कर्मवाच्य है।

यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपान्तररित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँगरेजी की तरह हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता; जैसे- 'मैं दूध पीता हूँ' के स्थान पर 'मुझसे दूध पीया जाता है' लिखना गलत होगा। हाँ, निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है- मुझसे पत्र लिखा नहीं जाता; उससे पढ़ा नहीं जाता। कर्म वाच्य की पहचान- कर्म वाच्य वाले वाक्यों में "के द्वारा/द्वारा/सर्वनाम शब्द में 'से'जुड़ा हुआ हो और इनके बाद कर्म आता हो तो उसे कर्म वाच्य का वाक्य कहते हैं|

क्रिया के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो। दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।

उदाहरणमोहन से टहला भी नहीं जाता।मुझसे उठा नहीं जाता।मुझसे सोया नही जाता।

उक्त वाक्यों में कर्ता या कर्म प्रधान न होकर भाव मुख्य हैं, अतः इनकी क्रियाएँ भाववाच्य का उदाहरण हैं।

टिप्पणी- यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती हैं।

क्रिया के उस रूपान्तरण को वाच्य कहा जाता है जिसके द्वारा यह पता चलता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म अथवा भाव में से किसकी प्रधानता है अर्थात् किस के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन तथा लिंग निर्धारित हुए हैं। वाच्य के प्रकार-वाच्य के प्रकार अथवा भेद तीन होते हैं-

(1) कर्तृवाच्य,
(2) कर्मवाच्य,
(3) भाववाच्य ।

कर्तृवाच्य
कर्तृवाच्य का अर्थ होता है, क्रिया का कर्ता के अनुसार रूप बदलना। कर्तृवाच्य वाक्य में क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार होता है। जैसे
(क) पुरुष टहलता है। स्त्री टहलती है।
(ख) पुरुष टहलते हैं। स्त्रियाँ टहलती हैं।
(ग) पाठ पढ़ा जाता है। पाठ पढ़े जाते हैं।
(घ) कहानी सुनी गई। कहानियाँ सुनी गईं।
(ङ) तू आया। तुम सब आए।

उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता के लिंग, वचन, तथा पुरुष का क्रियाओं पर प्रभाव पड़ा है। कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अधीन होती है, उसका स्वरूप कर्ता से भिन्न नहीं हो सकता, जैसे

(क) लड़के खेला।
(ख) हरिण भागी।।
ये वाक्य अशुद्ध हैं क्योंकि क्रियाएँ कर्ता के लिंग का अनुकरण नहीं कर रही हैं।

कर्तृवाच्य के अन्य उदाहरण
(क) प्रवेश और सुनयना विद्यालय गए।
(ख) बाघ ने हरिण को दबोच लिया।
(ग) अनेक व्यक्ति यहाँ आ रहे हैं।
(घ) पहाड़ियाँ दूर-दूर तक फैली हुई हैं।
(ङ) सभी गाड़ियाँ देर से आ रही हैं।
(च) बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
(छ) स्त्रियाँ गाएँगी, पुरुष नाचेंगे और बच्चे हँसेंगे।
(ज) सावन आएगा तो बादल बरसेंगे।

मैं रामायण नहीं पढ़ सका वाक्य में कौनसा वाच्य है? - main raamaayan nahin padh saka vaaky mein kaunasa vaachy hai?
मैं रामायण नहीं पढ़ सका वाक्य में कौनसा वाच्य है? - main raamaayan nahin padh saka vaaky mein kaunasa vaachy hai?

कर्मवाच्य

कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अनुसार रूप बदलती है। क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुरूप होते हैं। जैसे
(क) लड़के ने फल खाया।
(ख) लड़की ने खीर खायी।
(ग) विद्वान ने उपदेश दिया।
(घ) माँ ने कहानियाँ सुनाईं।
(ङ) उसका दुख देखा नहीं जाता।
(च) मुझसे दवा पी नहीं जाती।

उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार हैं। कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अधीन रहती है, वह कर्म से भिन्न रूप ग्रहण नहीं कर सकती, जैसे
(क) प्रकाश ने पुस्तक पढ़ा।
(ख) भेड़िये ने बकरियाँ मार डाले।
(ग) मुझ से पत्र लिखी नहीं गई।
(घ) सुरूपा से पतीली छुआ नहीं गया।

कर्मवाच्य के अन्य उदाहरण –

(क) इंग्लैण्ड ने पाँच मेच खेले ।
(ख) मनुष्य ने सभ्यता का विकास किया।
(ग) कृष्ण ने उपदेश दिया।
(घ) बालिकाओं ने समूह-नृत्य किया।
(ङ). शिवानी द्वारा पत्र लिखा जाता है।
(च) छात्रों द्वारा अध्ययन किया जाता है।
(छ) दयानन्द जी ने अंध-विश्वास मिटाए।
(ज) प्रधानमंत्री द्वारा विकास किया जाएगा।

विशेष –
(1) कर्मवाच्य में ‘को’ तथा ‘से’ का प्रयोग।
(क) युवाओं को आगे बढ़ना है।
(ख) लड़की से पाठ पढ़ा नहीं जाता।
इस वाक्यों में ‘को’ तथा ‘से’ विभक्तियों का प्रयोग कर्म कारक तथा करण कारक की भाँति नहीं हुआ है। इन वाक्यों में ‘को’ तथा ‘से’ कर्ता कारक की विभक्तियों की भाँति प्रयुक्त हुए हैं।
कर्ता के साथ ‘को’ विभक्ति का प्रयोग तब होता है जब आवश्यकता या अनिवार्यता दिखाई जाती है। कर्ता के साथ ‘से’ विभक्ति तब प्रयुक्त होती है जब क्रिया से कर्ता की असमर्थता बताई जाती है।

भाववाच्य
जब क्रिया कर्ता या कर्म के अनुसार न होकर अपने भाव रूप अथवा मूल रूप में आती है, तो उसे भाववाच्य कहा जाता है। भाववाच्य की क्रियाएँ सदा ‘एकवचन पुंल्लिंग’ रहती हैं। वे कर्ता या कर्म के अनुसार रूप नहीं बदलती।

कुछ उदाहरण
(क) वृद्ध व्यक्ति से चला नहीं जाता।
(ख) उर्मिला से नाचा नहीं जाता।
(ग) नदी स्वच्छ की गई।
(घ) फिल्म को देखा जाना चाहिए।
(ङ) उसे झुकना पड़ा।
(च) आखिर पकड़ा ही गया चोर।
(छ) अहंकारी को झुकना होगा।

विशेष- (i) भाववाच्य के प्रयोग के विविध प्रकार

(1) अशक्ति या लाचारी का भाव व्यक्त करने के लिए जिसमें ‘नहीं’ का प्रयोग आवश्यक है। ऐसा प्रयोग नकारात्मक (नहीं युक्त) वाक्यों में ही होता है, जैसे(क) बच्चे से हँसा नहीं जाता।
(ख) छात्राओं से गाया नहीं जाता।

(2) इसी प्रकार नहीं बनता’ का भी प्रयोग होता है, जैसे
(क) मुझसे कहते नहीं बनता।
(ख) रवि से लिखते नहीं बनता।

(3) सहायक क्रिया जाना’ का प्रयोग
(क) उद्यान लगाया गया।
(ख) पहाड़ काटे गए।

(4) बाध्यता का कर्तव्य बोध के लिए प्रयोग
(क) तुम सब को जाना है।
(ख) मुझे पढ़ना पड़ रहा था।
(ग) जितना हो व्यायाम करना चाहिए।

मैं रामायण नहीं पढ़ सका वाक्य में कौनसा वाच्य है? - main raamaayan nahin padh saka vaaky mein kaunasa vaachy hai?
मैं रामायण नहीं पढ़ सका वाक्य में कौनसा वाच्य है? - main raamaayan nahin padh saka vaaky mein kaunasa vaachy hai?

वाच्य परिवर्तन

कुछ विद्वानों का मत रहा है कि हिन्दी में वाच्य परिवर्तन प्रायः नहीं होता। पं. किशोरीदास बाजपेयी भी ऐसा ही मानते हैं। आज हिन्दी में वाच्य-परिवर्तन का जो रूप है वह अँग्रेजी के अनुकरण पर है। कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन ‘एक्टिव वाइस’ को ‘पैसिव वाइस’ में बदलने के आधार पर प्रचलित है।
वाच्य परिवर्तन का अर्थ है-एक वाच्य की क्रिया को दूसरे वाच्य की क्रिया में परिवर्तित किया जाना।

कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में परिवर्तित करना-निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से देखिए
(क) प्रवीणा पुस्तक पढ़ती है।
(ख) प्रवीणों द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
(क) ग्वाला दूध दुह रहा है।
(ख) ग्वाले द्वारा दूध दुहा जा रहा है।

उपर्युक्त वाक्यों में (क) वाक्य कर्तृवाच्य में है तथा (ख) वाक्य कर्मवाच्य है। अतः कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाते समय

मैं रामायण नहीं पढ़ सका वाक्य में कौन सा वाच्य है?

सही उत्तर कर्तृ वाच्य है। 'मैं रामायण नहीं पढ़ सका। ' वाक्य में कर्तृ वाच्य है।

उसे पढ़ा नहीं जाता में कौन सा वाच्य है?

सही उत्तर 'भाववाच्य' है

मुझसे चला नहीं जाता वाक्य में कौन सा वाच्य है?

मुझसे अब नहीं चला जाएगा I'' यह वाक्य 'भाववाच्य का उदाहरण है। प्रस्तुत वाक्य में न चलने के भाव को बताया जा रहा है। क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।

राम ने पुस्तक पढ़ी में कौन सा वाच्य है?

वाच्य क्रिया का वह रूप है, जिससे यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता प्रधान है, कर्म प्रधान है अथवा भाव प्रधान है। ... Key Points..