आज के लेख में रूपक अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण ( Rupak alankar definition, types and examples in Hindi ) सहित आप अध्ययन करेंगे तथा अलंकार के इस भेद को बारीकी से समझेंगे। Show
यह लेख किसी भी परीक्षा के लिए कारगर है इसके अध्ययन से आप अपने परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर सकेंगे। रूपक अलंकार को हमने सरल बनाने के लिए विशेष उदाहरणों का प्रयोग किया है। लेख आरम्भ करने से पूर्व महत्वपूर्ण जानकारी अलंकार काव्य के सौंदर्य में वृद्धि करते हैं साथ ही चमत्कार उत्पन्न करने की क्षमता भी रखते हैं। अलंकार दो प्रकार के माने गए हैं १ शब्दालंकार तथा २ अर्थालंकार। शब्दालंकार के तीन भेद हैं , वही अर्थालंकार के लगभग 10 प्रमुख भेद हैं। रूपक अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। रूपक अलंकार की परिभाषाजहां गुणों की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय को उपमान का ही रूप मान लिया जाता हो अर्थात उपमान का उपमेय में आरोप कर अभेद स्थापित किया गया हो , वहां रूपक अलंकार होता है। इसमें उपमेय तथा उपमान में अत्यंत असमानता के कारण एक सा रूप प्रतीत होता है, वहां रूपक अलंकार सिद्ध होता है। जैसे – इसका मुख चंद्र है। यहां ‘मुख’ और ‘चंद्र’ एक ही है अर्थात अभेद है अतः यहां रूपक अलंकार माना जाएगा। अन्य अलंकार की जानकारी भी प्राप्त करें अनुप्रास अलंकार यमक अलंकार श्लेष अलंकार उपमा अलंकार अलंकार की परिभाषा, भेद, और उदाहरण रूपक अलंकार के उदाहरणउदहारणसमानतामैया में तो चंद्र खिलौना लैंहोचंद्र उपमेय में खिलौना उपमान का अभेद आरोप किया गया है।आए महंत-वसन्त।यहां वसन्त उपमेय में महंत उपमान की समानता के कारण रूपक हैवन शारदी चन्द्रिका-चादर ओढ़े ,चन्द्रिका का चादर होनाउदित उदय गिरी-मंच पर रघुवीर बाल पतंग ,बिकसे संत-सरोज सब हरषे लोचन-भृंग।गिरी,मंच ,बाल,पतंग,संत ,सरोज,लोचन,भृंग। यहां सनगोपांग रूपक अलंकार है।प्रीति-नदी में पांव न बोरयोप्रीति ,नदीचरण कमल बंदौ हरिराई।उपमेय चरण में कमल उपमान की समानता के कारणचढ़कर मेरे जीवन-रथ परजीवन,रथनीलम मरकत के संपुट दोनीलम ,मरकतदुख है जीवन-तरु मूल।उपमेय जीवन में तरु उपमान की अत्यंत समानता के कारण यहाँ रूपक है।बीती विभावरी जाग री,अंबर पनघट में डुबो रही ,तारा घट उषा नागरी।तारों के पनघट से पानी भरने के कारण यह रूपक है।गोपी पद-पंकज पावन रजपद , पंकजअपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब है।मन के मैदाननीरज नयन नेह जल बाढे।नीरज ,नयनकुसुमति कानन हेरि कमल मुखि।कमल ,मुखिसब प्राणियों के मत्त मनोमयुर अहा नाच रहा।मन ,मयूरमदन महिप जू को बालक बसंत ताहि।बालक,बसंत
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निष्कर्ष –उपर्युक्त अध्ययन से हमने रूपक अलंकार को समझने का प्रयास किया तथा उसके परिभाषा उदाहरण भेद आदि को बारीकी से भी समझा। इस अलंकार के अंतर्गत अत्यंत समानता एक सा रूप प्रतीत होने के कारण रूपक अलंकार मान लिया जाता है। रूपक अलंकार (Rupak alankar): हिंदी विज़न में आपका स्वागत है। आज हम आपको रूपक अलंकार के बारे में बताने वाले हैं। दरअसल अलंकारों को दो भागों में विभाजित किया गया है - शब्दालंकार और अर्थालंकार। इसमें रूपक अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। आज की इस पोस्ट में हम आपको रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण के बारे में बताएंगे जो सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगा।तो चलिए, बिना किसी देरी के शुरू करते हैं रूपक अलंकार की परिभाषा - ( rupak alankar ki paribhasha)परिभाषा :- "जब उपमेय में उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। इसमें उपमेय को उपमान के समान बताया जाता है।" सरल शब्दों में कहें तो जब किसी भी वस्तु (उपमेय) को किसी दूसरी वस्तु (उपमान) के समान बताया जाता है और उनमें कोई अंतर नही राह जाता वहाँ रूपक अलंकार होता है। उदाहरण -1चरण सरोज पखारन लागा । उपर्युक्त पंक्ति में चरण (पैर) को सरोज (कमल) के समान बताया गया है अर्थात यहाँ पर रूपक अलंकार है। उदाहरण - 2चंद्र-मुख की ही बनी रहति चकोरिका है। उपर्युक्त पंक्ति में चंद्रमा और मुख को एक जैसा बताया जा रहा है । अतः यहाँ रूपक अलंकार है। रूपक अलंकार के उदाहरण ( rupak alankar ke udaharan)उदाहरण - 3चंद्र-मुख की ही बनी रहति चकोरिका है। उदाहरण - 4चरण सरोज पखारन लागा । उदाहरण - 5देबि पूजि पद कमल तुम्हारे । सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ।। उदाहरण - 6प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा। उदाहरण - 7पायो जी मैंने, राम रतन धन पायो । उदाहरण - 8गुर पद कमल प्रनामु करि बैठे आयसु पाइ । बिप्र महाजन सचिव सब जुरे सभासद आइ ॥ उदाहरण - 9चरन कमल रज कहुँ सबु कहई । मानुष करनि मूरि कछु अहई ।। उदाहरण - 10चंद्र बदन मृग लोचन भवानी। यह भी पढ़ें :- अनुप्रास अलंकार, परिभाषा भेद व उदाहरण यह भी पढ़ें :- उत्प्रेक्षा अलंकार, परिभाषा भेद व उदाहरण रूपक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरणउदाहरण - 11राम कृपा भव निसा सिरानी। उदाहरण - 12चरण कमल बंदौ हरिराई। उदाहरण - 13प्रभात यौवन है वक्ष-सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा । उदाहरण - 14पी तुम्हारी मुख बास तरंग उदाहरण - 15रावन सिर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख धारी।। यह भी पढ़ें - वसंत ऋतु पर निबंध हिंदी यह भी पढ़ें - शरद ऋतु (पतझड़) पर निबंध यह भी पढ़ें - वृक्षारोपण पर निबंध हिंदी निष्कर्षहां तो दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारी आज की यह पोस्ट "Rupak alankar" पसंद आई होगी। आज की इस पोस्ट में हमने जाना कि 'रूपक अलंकार की परिभाषा' और रूपक अलंकार के उदाहरण दोस्तों हमने इस पोस्ट में यही प्रयास किया है की आपको इससे जुड़ी सभी जानकारी सरल भाषा मे बता सकें। फिर भी अगर आपके मन मे कोई सवाल हो तो हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं। रूपक अलंकार क्या है उदाहरण?रूपक अलंकार के उदाहरण
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो। स्पष्टीकरण– उदाहरण में राम रतन को ही धन बता दिया गया है। 'राम रतन' – उपमेय पर 'धन' – उपमान का आरोप है एवं दोनों में अभिन्नता है।
रूपक अलंकार कौन से होते हैं?रूपक अलंकार की परिभाषा
जब गुण की अत्यंत समानता की वजह से उपमेय को ही उपमान बता दिया जाता है. यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है. वहीं दूसरे शब्दों में समझा जाए तो जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है.
रूपक अलंकार की पहचान कैसे करें?रूपक अलंकार की पहचान. किसी रूप की बनाई हुई प्रतिकृति या मूर्ति।. किसी प्रकार का चिह्न या लक्षण।. प्रकार। भेद।. प्राचीन काल का एक प्रकार का प्राचीन परिमाण।. चाँदी।. रुपया नाम का सिक्का जो चाँदी का होता है।. चाँदी का बना हुआ गहना।. ऐसा काव्य या और कोई साहित्यिक रचना, जिसका अभिनय होता हो, या हो सकता हो।. उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण क्या है?उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण
ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण। इस उदाहरण में कनक का अर्थ धतुरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई भिक्षु सोना ले जा रहा हो। इसमें 'ज्यों' शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक–उपमेय में स्वर्ण–उपमान के होने कि कल्पना हो रही है।
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