पहाड़ों में बर्फ क्यों गिरती है? - pahaadon mein barph kyon giratee hai?

शनिदेव आज का प्रश्न है कारण बताइए कि पहाड़ों पर बर्फ गिरते समय नहीं बल्कि बाद में अधिक ठंड पड़ती है तो बताना चाहता हूं कि जब बर्फ गिरती है ना तो बर्फ गिरते समय क्या होता है जो बर्फ गिर रही है मान लो मैं लिख देता हूं कि बर्फ गिर रही है बर्फ है ठीक है जो बर्फ है वह गिरती है जब बर्फ गिरती है तो यह क्या करती है वातावरण से बताने से क्या होता है गिरने के लिए ना अधिक ऊष्मा की कह अधिक ऊष्मा हो या करती अवशोषण कर लेती है अधिक ऊष्मा का अवशोषण कर लेती है अधिक ऊष्मा गति अवशोषण कर लेती है तो अवशोषण करने के बाद क्या होता है जिसे बर्फ गिर गई बर्फ गिर रही है तो गिरने से पहले करते अधिक ऊष्मा का केकड़ी की बर्फ वातावरण से इसका

अनुसरण कर लेती है जो जैसे इस अकाउंट में होगी तो जब बर्फ गिर जाएगी इमारत गिरी बर्फ गिरी खत्म हो जाएगी तो उसके बाद क्या होता है इस को संतुलित करने के लिए मतलब पूछना को संतुलित करने के लिए संतुलित करने के लिए क्या करता है क्या होता है जो बाद मुझे ठंडे-ठंडे जो होती है वह क्या होती है अधिक हो जाती है तब का जूता वह तर्क है कि जब बर्फ गिरती है तो यह बताओ और से अधिक ऊष्मा गति और इसको संतुलित बनाए रखने के लिए बाद में क्या होती है ठंड जो है तापमान है वह कहते अधिक गिर जाता है ठीक है ओके

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अभिव्यक्ति हिन्दी, 1 जुलाई 2007

जब बादल का तापमान हिमांक से नीचे पहुँच जाता है तब वहाँ नन्हें-नन्हें हिमकण बनने लगते हैं। जब ये कण बादल से नीचे की ओर गिरते हैं तो वे एक दूसरे से टकराते हैं और एक दूसरे में जुड़ जाते हैं। इस प्रकार इनका आकार बड़ा होने लगता हैं। जितने ज़्यादा हिमकण आपस में जुड़ते हैं हिमकण का आकार उतना ही बड़ा होता जाता हैं। पृथ्वी पर वे छोटे छोटे रुई के फाहों के रूप में झरने लगते हैं। इन्हें हिमपर्त कहते हैं।

पहाड़ों में बर्फ क्यों गिरती है? - pahaadon mein barph kyon giratee hai?
ये हिमपर्त षटकोणीय होते हैं और कोई भी दो हिमपर्त आकार में एक से नहीं होते। काले चित्र में हिमपर्त के कुछ आकार दिखाए गए हैं। हिमकण प्रकाश को प्रतिबिम्बित करते हैं, इसलिए ये सफ़ेद दिखाई देते हैं। अगर हवा का तापमान हिमांक से नीचे न हो तो ये हिमकण गिरते समय पिघल जाते हैं। केवल सर्दी होने से बर्फ नहीं गिरती है। इसके लिए हवा में पानी के कण होना ज़रूरी है।

पहाड़ों में बर्फ क्यों गिरती है? - pahaadon mein barph kyon giratee hai?
गिरी हुई बर्फ कहीं बहुत हल्की तो कहीं बहुत गहरी भी हो सकती है। क्यों कि बर्फ़ हवा से उड़ती हुई इधर-उधर जाती है और एक जगह पर इकट्ठा हो जाती है।

गिरती हुई बर्फ़ हमेशा नर्म नहीं होती। कभी कभी यह छोटे-छोटे पत्थरों के रूप में भी गिरती है। इन पत्थरों को ओले कहते हैं। इनमें बर्फ़ की कई सतहें होती हैं। अभी तक सबसे बड़ा ओला 1.2 किलो का पाया गया है।

उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ़ के पहाड़ हैं। इन पहाड़ों से बर्फ़ के बड़े बड़े टुकड़े अलग होकर तैरते हुए आगे बढ़ते हैं। इन टुकड़ों को हिमशिला कहते हैं। बर्फ़ पानी पर इसलिए तैरती है क्यों कि वह पानी से हल्की होती है।

पहाड़ों में बर्फ क्यों गिरती है? - pahaadon mein barph kyon giratee hai?

Snowfall And Hailstones: आपने देखा होगा कि पहाड़ी इलाकों में जब बर्फ गिरती है तो वो बर्फबारी के रुप में गिरती है, लेकिन मैदानी इलाकों में बर्फ ओलों के रुप में गिरते हैं. तो जानते हैं इसके पीछे क्या विज्ञान है...

पहाड़ों में बर्फ क्यों गिरती है? - pahaadon mein barph kyon giratee hai?

हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से भारी बर्फबारी की आशंका जताई जा रही है. (सांकेतिक फोटो)

सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही हिमाचल, जम्मू-कश्मीर के इलाकों में बर्फबारी (Snowfall) होने की खबरें आना भी शुरू हो जाती हैं. हर तरफ बर्फ की चादर बिछ जाती है. अगर आप पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं रहते हैं तो आपको ये मनोरम दृश्य देखने का मन भी होता होगा. हो सकता है कि आप शायद बर्फबारी या स्नोफॉल देखने पहाड़ों (Snowfall On Mountains) पर गए भी हो. वहीं, लोगों को इच्छा होती है कि उनके शहर में भी भारी बर्फबारी होनी चाहिए, मगर ऐसा होता नहीं है. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि आपके शहर में बर्फ तो गिरती है, लेकिन वो बर्फबारी के रुप में नहीं, बल्कि ओलावृष्टि (Hailstrom) के रुप में गिरती है.

अब सवाल ये है कि बर्फ गिरती तो दोनों जगह है, लेकिन पहाड़ों वाली बर्फ अलग क्यों होती है और मैदानी इलाकों में बर्फबारी क्यों नहीं होती है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर पहाड़ों पर ही बर्फ क्यों गिरती है और मैदानी इलाके स्नोफॉल से वंचित क्यों रहते हैं. तो आज जानते हैं बर्फबारी होने का पूरा विज्ञान, जिसके बाद आप समझ पाएंगे कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली में बर्फबारी क्यों नहीं होती है.

पहाड़ी इलाकों में ही बर्फबारी क्यों होती है, इसकी वजह जानने से पहले आपको बताते हैं कि बर्फबारी और ओलावृष्टि में क्या अंतर होता है. हम आपको कुछ पॉइंट्स के जरिए अंतर समझाने की कोशिश करते हैं.

– ये तो आप जानते हैं कि भाष्प के जरिए पानी ऊपर जाता है और फिर बादल बनते हैं. कई बार कम तापमान यानी ज्यादा ठंड होने की वजह से बादल में जमा पानी बर्फ बन जाता है और यहां से ही बर्फबारी और ओलावृष्टि की शुरुआत होती है. ओलावृष्टि में बर्फ गोलों के रूप में जमीन पर गिरती है और इन गोलों की साइज कम ज्यादा हो सकती है. लेकिन, जब भी ओलों के रूप में बर्फ गिरती है तो तूफान के साथ ही गिरती है और यह स्पीड से जमीन पर गिरती है यानी इसका तापमान से कोई लेना देना नहीं है. इसलिए, ओलों का आकार तूफान की तीव्रता पर निर्भर करता है.

वहीं, जब बर्फबारी होती है तो ये बर्फ के क्रिस्टल होते हैं, जबकि ओलावृष्टि बर्फ के गोले होते हैं. जब पानी की बूंदे दबती है तो तेज हवाओं के कारण ठंडी हो जाती है और इससे ओले बनते हैं. जल वाष्प के क्रिस्टलीकृत होने पर हिमखंड बनते हैं. बर्फबारी आमतौर पर निंबोस्ट्रैटस बादलों में बनते हैं और क्यूम्यलोनिम्बस बादलों में ओलावृष्टि होती है. आंधी या तूफान के दौरान ओलावृष्टि होती है जबकि तापमान गिरने पर बर्फबारी होती है.

– बर्फबारी होने वाले बादलों को निंबोस्ट्रैटस बादल कहते हैं और ये बादल पानी से भरे होंगे और अगर ये ठंडे होंगे तो पानी की जगह इन बादलों से बर्फ गिरेगी. ये बादल पहाड़ों पर ही होते हैं. साथ ही समुद्री तल से ज्यादा ऊंचाई होने की वजह से और काफी कम तापमान होने की वजह से यह बर्फबारी के रूप में बर्फ गिरती है. बता दें कि बर्फबारी भी कई तरह की होती है, जिसमें डेन्ड्राइट, कॉलम, हेक्सागोनल स्नोफ्लेक्स आदि शामिल है.

– वहीं, ओले बनने का विज्ञान ये है कि आकाश में पानी की बूंदों को एक साथ धकेलने वाली तेज हवाओं से हैलस्टोन बनते हैं. ये फ्रीज हो जाते हैं और बर्फ के गोले बनाते हैं. जब जमीन पर पानी की एक जमी हुई बूंद बनती है तो आमतौर पर एक हाइलस्टोन बनना शुरू हो जाता है. तेज हवा इसे ले जाती है और ठंडा पानी बूंदों को जम जाता है और इसकी सतह पर चिपक जाता है. इससे एक बड़े हाइलस्टोन का निर्माण शुरू होता. जब यह बहुत भारी हो जाता है, तो ओले जमीन पर गिर जाते हैं.

– मैदानी इलाकों में निंबोस्ट्रैटस बादल का निर्माण नहीं होता है और यहां जो ओलों के रूप में बर्फ गिरती है, वो तूफान की वजह से होती है. यह ज्यादा ठंड की वजह से बादल से गिरने वाली बर्फ नहीं होती है. इसी वजह से यहां बर्फबारी नहीं होती है और तूफान की दशा में ओले गिरते हैं.

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पहाड़ों पर बर्फ क्यों जम जाती है?

वातावरण में मौजूद ओजोन की गर्म परतों के बीच से जब बर्फ के कण गुजरते हैं तो यह बर्फ पिघल जाती है और बारिश के पानी में बदल जाती है, जबकि ऊंचे पहाड़ों में तापमान पहले से ही शून्य डिग्री से काफी कम होता है, इसलिए वहां पर बर्फबारी होती है।

पहाड़ों पर ठंड क्यों होती है?

पहाड़ों पर रात और भी ठंडी होती है, क्योंकि जहां ज्यादा ऊंचाई होगी, वहां उतनी ही अधिक ठंड भी होगी। पहाड़ों की ऊंचाई पर हवा का घनत्व निर्भर करता है। जितनी अधिक ऊंचाई होगी, हवा का घनत्व कम होगा। यही कारण है कि पहाड़ गर्मी में भी ठंडे होते हैं।

बर्फ की पहाड़ी को क्या कहते हैं?

पहाड़ की ऊंचाई से बर्फ पिघलने के पिंड को ग्लेशियर कहा जाता है। हिमनदियों में गति होती है, इसकी खोज सर्वप्रथम ह्याजी नामक विद्वान ने किया था।

पहाड़ों पर जमी बर्फ जल का क्या रूप है?

पहाड़ों पर जमी बर्फ जल का ठोस रूप है। नदियों, तालाबों, झरनों, समुद्रों आदि में बहता पानी जल का द्रव रूप है। वायुमण डल में उपस्थित जलवाष्प जल का गैसीय रूप है। प्रश्न 2.