पितृपक्ष में पूजा कैसे करनी चाहिए? - pitrpaksh mein pooja kaise karanee chaahie?

पितृपक्ष में पूजा कैसे करनी चाहिए? - pitrpaksh mein pooja kaise karanee chaahie?

Puja in pitru paksha : पितर पक्ष के महीने में घर में प्याज लहसुन वाला खाना नहीं बनाना चाहिए.

Pitru paksh puja vidhi : पितरों को तर्पण (pitru puja) करने का महीना चल रहा है. लोग 10 तारीख से अपने पूर्वजों को पानी देना शुरू कर दिए हैं. कुछ लोगों को पितर पक्ष (pitru paksha) के महीने में पूजा कैसे करते हैं सही तरीका नहीं पता होता है. ऐसे में आपको समझना जरूरी है कि पितर पक्ष में पूर्वजों (how to pleased purvaj) को खुश करने का तरीका क्या होता है. तो चलिए जानते हैं. 

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पितर पक्ष में पूजा करने का सही तरीका

- पितर पक्ष के समय में आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और पितरों को पानी देना चाहिए. इस दौरान दान पूण्य ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए. किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करना अच्छा माना जाता है. 

- पितर पक्ष के समय में आपको किसी तरह के गलत कार्य नहीं करने चाहिए. इससे पूर्वज नराज होते हैं. झूठ बोलने से भी बचना चाहिए. इसके अलावा आपको मांस मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए. 

- पितर पक्ष के महीने में घर में प्याज लहसुन वाला खाना नहीं बनाना चाहिए. इससे भी पितृ दोष होता है. वहीं, इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम या शुरूआत नहीं करनी चाहिए. 

- इस दौरान कुत्ते बिल्ली को भोजन कराना शुभ माना जाता है. इसके अलावा गाय को रोटी खिलाना भी अच्छा होता है. पितर पक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराना भी अच्छा माना जाता है. वहीं, कौए को भोजन कराने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 11 Sep 2022 07:33 AM IST

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 (शनिवार) से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 (रविवार) तक रहेंगे। भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहते हैं। ब्रह्मपुराण की मानें तो मनुष्य को सर्वप्रथम  अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से भारतीय समाज में बड़ों का सम्मान और मरणोपरांत पूजा की जाती है। जिसे हम श्राद्ध कहते हैं। वैसे तो श्राद्ध मृत्यु तिथि पर किया जाता है लेकिन यदि तिथि याद नहीं तो अश्विन अमावस्या की पूजा की जा सकती है जिसे सर्व प्रभु अमावस्या भी कहा जाता है। श्राद्ध के दिन हम तर्पण करके अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन और दक्षिणा अर्पित करते हैं। पद्मपुराण एवं अन्य कई स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जो पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरी विधि से श्राद्ध करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। साथ ही हर तरह की रुकावटें दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में घर में श्राद्ध करके आप पितरों को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं। 

घर पर श्राद्ध करने का तरीका 

  • श्राद्ध तिथि पर प्रातः उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूरे घर की साफ सफाई करें। इसके बाद घर को गंगाजल से स्वच्छ करें। 
  • पूजा के लिए तांबे के बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी का मिश्रण बनाएं। जल के इस मिश्रण को अंजुली बनाकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें। 
  • श्राद्ध में सफेद फूलों का उपयोग करना चाहिए। श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री में गंगाजल, शहद, दूध, सफेद वस्त्र, तिल मुख्य है।

  • श्राद्ध हमेशा अभिजित मुहूर्त में करें। 
  • श्राद्ध के दौरान पितरों के लिए किए गए हवन की अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें। ब्राह्मण भोज से पूर्व गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी यानी पंचबलि के लिए भोजन पत्ते पर निकालें। 
  • दक्षिण दिशा में मुंह रखकर कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं। 

  • महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को निमंत्रण दें और उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। भोजन कराने से पहले ब्राह्मण देव के चरण धोएं। चरण धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए। 
  • भोजन के उपरांत अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा और दान करें। दान सामग्री के अंतर्गत गाय, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक आदि दान कर सकते हैं। 
  • दान करने के बाद निमंत्रित ब्राह्मण की चार बार प्रदक्षिणा कर आशीर्वाद लें। ब्राह्मण को चाहिए कि स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें तथा गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।

पितृ दोष दूर करने के उपाय 

  • पितृ दोष दूर करने के लिए पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-श्राद्ध और पिंडदान करें। 
  • दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाकर रोज उनको प्रणाम करने से पितृ दोष से राहत मिलती है। 
  • पितृ दोष के छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ जल अर्पित करें। 
  • अमावस्या के दिन पीपल में जल से साथ-साथ ही फूल, अक्षत, दूध और काले तिल भी चढ़ाएं।  

रोज पितरों की पूजा कैसे करें?

दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें

क्या पितृ पक्ष में भगवान की पूजा करनी चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार पितर पक्ष में प्रतिदिन की तरह ही पूजा करनी चाहिए। हालांकि इस दौरान पितर हमारे पूजनीय अवश्य हैं लेकिन ईश्वर से उच्च नहीं है। इसीलिए इस दौरान हमें देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए

पितृ दोष की पूजा कितने दिन की होती है?

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष (पितृ = पिता) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं।

पितरों को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

पितृ दोष कैसे खत्म किया जाए ? ( पितृ पक्ष शांति के लिए रोजाना दोपहर के समय पीपल के पेड़ की पूजा करें. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल में गंगाजल में काले तिल, दूध, अक्षत और फूल अर्पित करें. पितृ दोष शांति के लिए ये उपाय बहुत कारगर है. पितृ पक्ष में रोजाना घर में शाम के समय दक्षिण दिशा में तेल का दीपक लगाएं.