खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? Show
खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? वन और पर्यावरण का गहरा संबंध है। वन प्रकृति की अमूल्य संपदा है। वन जीवनदायक है। वन वर्षा लाने का कारण बनकर पर्यावरण की रक्षा करते हैं। वनों की कृपा से भूमि का कटाव रुकता है, सूखा कम पड़ता है तथा रेगिस्तान का फैलाव रुकता है। मानव सभ्यता-संस्कृति की रक्षा, जीवों की रक्षा, तरह-तरह की वनस्पतियों और औषधियों आदि की रक्षा के लिए वन संरक्षण आवश्यक हैं। पर्यावरण को ठीक रखने के लिए वनों के कटाव रोकना होगा। 1. हमें वन संरक्षण क्यों करना चाहिए? 2. वनों से क्या-क्या लाभ होते हैं? 3. वन किसकी अमूल्य संपदा है? 4. वन पर्यावरण की रक्षा कैसे करते हैं वन/वन संरक्षण पर निबंध – वन प्राणियों के लिए कितने आवश्यक हैं, ये सभी को पता है। कहा भी गया है कि वन ही जीवन है। इतना समझने के बावजूद भी दिन-प्रतिदिन वनों की अंधाधुंध कटाई होती है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस लेख में हम इसी गंभीर समस्या पर निबंध ले कर आए हैं। आशा करते हैं कि यह निबंध जितना आपकी परीक्षाओं में सहायक होगा, उतना ही आपको वनों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी प्रेरक सिद्ध होगा।
संकेत बिंदु – (Content)
प्रस्तावना वन शब्द की उत्पत्तिवन शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द से हुई है जिसका मतलब है कि बड़े पैमाने पर पेड़ों और पौधों का प्रभुत्व होना। इसे अंग्रेजी के एक ऐसे शब्द के रूप में पेश किया गया था जो कि जंगली भूमि को संदर्भित करता है जिसको लोगों ने शिकार के लिए खोजा था। इस भूमि पर पेड़ों द्वारा कब्जा हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता। कुछ लोगों ने दावा किया कि जंगल शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द ‘फोरेस्टा’ से लिया गया था जिसका अर्थ था खुली लकड़ी। मध्यकालीन लैटिन में यह शब्द विशेष रूप से राजा के शाही शिकार के लिए प्रयुक्त मैदानों को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। वनों के प्रकारदुनिया भर के वनों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वनों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिससे आपको इन वनों के बारे में मूल जानकारी प्राप्त हो सके। ये वन पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक हिस्सा बनाते हैं – वनों का महत्त्वकहा जाता है कि प्रकृति और मानव-सृष्टि के सन्तुलन का मूल आधार वन ही हैं। वन पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जंगलों को संरक्षित करने और अधिक पेड़ों का विकास करने की आवश्यकता पर अक्सर जोर दिया जाता है। ऐसा करने के कुछ प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं – सार्वकालिक उपयोगितायह स्पष्ट है कि आरम्भ से लेकर आज तक तो वनों की आवश्यकता-उपयोगिता बनी ही रही है, आगे भी बनी रहेगी, किन्तु मानव शिक्षित, ज्ञानी होते हुए भी लगातार वनों को काट कर प्रकृति का, धरती का, सारी मानवता का सन्तुलन बिगाड़ कर सभी कुछ तहस-नहस करके रख देना चाहता है। अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में मग्न होकर, हम यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वनों का निरन्तर कटाव जारी रखकर हम वनों को उचित संरक्षण एवं संवर्द्धन न देकर प्रकृति और मानवता का तथा अपनी ही आने वाली पीढ़ियों का कितना बड़ा अहित कर रहे हैं। वनों से मानव को लाभप्राचीन काल से ही वनों की उपयोगिता के बारे में सभी जानते हैं। वनों से मिलने वाले लाभों से भी सभी वाकिफ़ हैं। वनों के कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं। प्रत्यक्ष लाभ तो सभी को सामने दिखाई देते हैं परन्तु अप्रत्यक्ष लाभ के बारे में किसी-किसी को ज्ञान होता है। वनों की कटाई की समस्यावनों की कटाई की समस्या किसी एक की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण प्राणी जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा प्राणी जगत समाप्त हो जायगा। भारत में वनों की स्थितिभारत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कनाडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और सूडान के साथ दुनिया के शीर्ष दस वन-समृद्ध देशों में से एक है। भारत के साथ ये देश दुनिया के कुल वन क्षेत्र का लगभग 67% हिस्सा है। अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र उन राज्यों में से हैं जिनके पास भारत में सबसे बड़ी वन क्षेत्र भूमि है। वन संरक्षण आवश्यकहमारे शास्त्रों में पेड़ लगाने को बड़ा पुण्य कार्य बताया गया है। एक पेड़ लगाना एक यज्ञ करने के बराबर है। वनों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभों को देखकर उनका संरक्षण करना हमारा कर्त्तव्य है। इस शताब्दी में वनों के विनाश के कारण होने वाले खतरो को भी विज्ञान समझ गया है, इसलिए आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रत्येक सरकार को वनों के संरक्षण की सलाह दी है। इसलिए संसार की प्रत्येक सरकारो ने अपने यहाँ वन संरक्षण की नीति बनाई है। अत्यावश्यक कार्यो के लिए हमें वनों का उपभोग करना चाहिए। उपसंहारवन मानव जाति के लिए एक वरदान है। वन प्रकृति का एक सुंदर सृजन हैं। भारत को विशेष रूप से कुछ सुंदर जंगलों का आशीष मिला है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचाना जाना चाहिए और सरकार को वनों की कटाई के मुद्दे पर नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए। पेड़ लगाने के बराबर संसार में कोई पुण्य कार्य नहीं है, क्योंकि पेड़ से अनेकों जीवो का उद्धार होता है, दुश्मन को भी वह उतना ही लाभ पहुँचाते है। वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। हालांकि दुर्भाग्य से मनुष्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काट रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़ों और जंगलों को बचाने की आवश्यकता को और अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस प्रकार मानव जाति के अस्तित्व के लिए वन महत्वपूर्ण हैं। ताजा हवा से लेकर लकड़ी तक जिसका इस्तेमाल हम सोने के लिए बिस्तर के रूप में करते हैं – यह सब कुछ जंगलों से प्राप्त होता है। इसलिए मानव को रोगों से, प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ों की सख्या बढ़ानी चाहिए। हमारी सरकार को भी वनों की सुरक्षा करनी चाहिए और उनकी वृद्धि के लिए नए पेड़ लगाने चाहिए। जीव जगत की वृद्धि के साथ पेड़ों की भी वृद्धि होनी चाहिए। वन संपदा का महत्व क्या है?वन सम्पदा हमारी भारतीय सभ्यता और प्राचीन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। वन सम्पदा वातावरण में उपलब्ध धुआँ, धूलकण, कार्बन, सीसा, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड एवं मानव जीवन को प्रदूषित करने वाली गैसों को घटाकर जीवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
जंगल बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?Solution : (1) वृक्षों को काटना बंद होना चाहिए। <br> (2) केवल वे ही वृक्ष काटे जाएं तो सूख जाएं या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी लग जाए और उनके स्थान पर नये वृक्ष लगाये जाने चाहिएं। <br> (3) वृक्षों की प्रति वर्ष गिनती की जानी चाहिए और वृक्षारोपण के लक्ष्य को पूर्ण करना चाहिए। <br> (4) बन-महोत्सव मनाया जाना चाहिए।
भारत में वन संरक्षण के लिए क्या उपाय किए गए?Solution : वनों के संरक्षण के लिए निम्नांकित प्रयास किए जा रहे हैं <br> (i) वनों की कटाई पर रोक लगाना, <br> (ii) वन रोपण, <br> (iii) वनों में क्षतिपूरक वृक्षारोपण, <br> (iv) सामाजिक वानिकी, <br> (v) कृषि वानिकी, <br> (vi) अतिचारण पर रोक लगाना, <br> (vii) कृषि के विस्तार के लिए वृक्षों की कटाई पर रोक लगाना, <br> (viii) ...
वनों की रक्षा करने से क्या होगा?वन बने रहें, तभी धरती पर उचित मात्रा में वर्षा होगी, नदियों की धारा प्रवाहित रहेगी, पहाड़ों और धरती का क्षरण नहीं होगा। सूखा या बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती रहेगी। आवश्यक प्राण-वायु और प्राण-रक्षक औषधियाँ-वनस्पतियाँ आदि निरन्तर प्राप्त होती रहेंगी।
|