पत्नी तलाक न दे तो क्या करे? - patnee talaak na de to kya kare?

अगर जीवन साथी तलाक देने के लिए तैयार नहीं है, तो इसको कंटेस्टेड तलाक कहा जाता है। कंटेस्टेड तलाक दाखिल करने के लिए तलाक की याचिका तैयार की जाती है और अदालत में पेश की जाती है। कंटेस्टेड तलाक केवल कुछ आधार पर ही मिलता है, जो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत उल्लेख है। कुछ आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर की जा सकती है जो की हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1) के अंतर्गत आते हैं: कोई भी सम्पन्न शादी, चाहे इस अधिनियम के प्रारंभ होने से पहले या बाद, या तो पति या पत्नी द्वारा प्रस्तुत एक याचिका पर, तलाक की डिक्री द्वारा भंग किया जा सकता है अगर दूसरी पार्टी: (i) शादी संपन्न होने के बाद, अपनी जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वैच्छिक संभोग किया हो; या - शादी संपन्न होने के बाद, याचिकाकर्ता के साथ क्रूरता की गयी हो; या - कम से कम दो साल तक याचिकाकरता की प्रस्तुति पूर्ववर्ती की एक निरंतर अवधि के लिए याचिकाकर्ता को त्यागा गया हो; या (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); (ii) किसी अन्य धर्म के रूपांतरण द्वारा हिंदू नहीं रहने दिया गया है तो; या (iii) असाध्य अस्वस्थ दिमाग हो, या इस तरह के एक मानसिक विकार से पीड़ित हो और इस हद तक कि याचिकाकर्ता यथोचित प्रतिवादी के साथ जीने की उम्मीद नहीं की जा सकती है या लगातार रुक-रुक कर पीड़ित किया गया है। (iv) कुष्ठ रोग के एक उग्र और असाध्य रूप से पीड़ित कर दिया गया है; या (v) एक संक्रामक रूप में यौन रोग से पीड़ित किया गया है; या (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); (vi) किसी भी धार्मिक आदेश के लिए दुनिया को त्याग दिया है; या (vii) अगर एक व्यक्ति को सात साल की एक निरंतर अवधि तक जिन्दा देखा या सुना नहीं जाता, तो व्यक्ति को मृत माना जाता है

Show

हक की बात: पति या फिर पत्नी, कोई एक भी मांगेगा तो क्या मिल जाएगा तलाक?

Divorce Dilemma : सुप्रीम कोर्ट एक बड़े प्रश्न का उत्तर तलाशने जा रहा है जिसके तहत ऐसे कई मामलों का निपटारा हो सकता है जिनमें अलग रह रहे पति-पत्नी के तलाक नहीं हो पा रहे हैं। पति या पत्नी में कोई एक तलाक की शर्तें मानने को तैयार नहीं हो और दोनों के दोबारा साथ रहने की गुंजाइश भी खत्म हो गई हो तो फिर तलाक की मांग मंजूर की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार कर रहा है।

पत्नी तलाक न दे तो क्या करे? - patnee talaak na de to kya kare?
फंसे हुए तलाक के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला लेने वाला है।

हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट फंसे हुए तलाक के मामले में बड़ा फैसला करने वाला है
  • क्या ऐसे केस में आर्टिकल 142 का उपयोग किया जा सकता है?
  • देश की शीर्ष अदालत इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर विचार कर रहा है

नई दिल्ली: वैवाहिक जीवन में खटास है। पति-पत्नी साथ नहीं रह रहे हैं। दोनों के बीच कोई संबंध नहीं। और फिर से तालमेल की कोई गुंजाइश नहीं। फिर भी तलाक नहीं दे रहे। ऐसे में देश की सर्वोच्च अदालत के सामने बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। सवाल यह कि क्या ऐसे मामलों में तलाक की अनुमति दी जा सकती है जिनमें एक पक्ष तो तलाक के लिए तैयार है, लेकिन दूसरा नहीं? यूं तो कानून कहता है कि तलाक पति-पत्नी दोनों की रजामंदी से ही हो सकता है। लेकिन जब एक पक्ष अड़ा हो और दूसरा पक्ष दोबारा साथ रहने का मन भी बनाना नहीं चाहे तब बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में सुप्रीम को्रट के पास संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली सर्वव्यापी शक्तियों के इस्तेमाल का विकल्प होता है।

फंसे हुए तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने बड़ा प्रश्न

शीर्ष अदालत ने एक ऐसे ही मामले में तलाक की अनुमति देने या नहीं देने की संभावनाओं पर विचार करने को राजी हो गया है। उसने मंगलवार को कहा कि जब दोनों पक्ष, एकसाथ तलाक के लिए तैयार नहीं हों तो युगल को तलाक की अनुमति दी जाए कि नहीं, इस पर विचार किया किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब अलग हुए जोड़े, दोबारा मिल नहीं सकते तो फिर तलाक का विकल्प ही सही है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि आर्टिकल 142 तो किसी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को ही सर्वव्यापी शक्तियां देता है, लेकिन यह देखना फायदेमंद होगा कि क्या इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश या प्रक्रिया तय की जा सकती है।

आर्टिकल 142 से मिली शक्तियों का उपयोग हो सकता है?

एमिकस क्यूरी वी गिरी ने सुप्रीम कोर्ट को याद दिलाया कि शीर्ष अदालत ने 29 जून, 2016 के अपने फैसले में मामले को दो सवालों के साथ पांच जजों की पीठ को रेफर कर दिया था। पहला सवाल था कि अगर पति-पत्नी दोनों तलाक के लिए रजामंद हों तो फैमिली कोर्ट की प्रक्रिया के अनुसार हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B के तहत तय समय-सीमा के लिए इंतजार करने के बजाय उन्हें सीधे तलाक लेने की अनुमति देने के लिए आर्टिकल 142 की शक्तियों के उपयोग करने का क्या पैमाना हो सकता है? दूसरा सवाल यह था कि क्या 142 के तहत प्राप्त शक्तियों का तलाक के मामलों में बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए या फिर हरेक केस की मेरिट देखकर तय किया जाना चाहिए कि किस केस में इस्तेमाल हो, किसमें नहीं?

सुप्रीम कोर्ट बोला- अब विचार करना जरूरी

गिरी ने कहा कि तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने 22 अप्रैल, 2022 को इन प्रश्नों में दो और सवाल जोड़े थे। उन्होंने अपनी लिखित राय में इस बात पर विचार करने का भी सुझाव दिया था कि क्या आर्टिकल 142 का उपयोग सिर्फ हिंदू मैरेज एक्ट के प्रावधानों के तहत तलाक की प्रक्रियाओं तक ही सीमित रखना चाहिए। जस्टिस कौल के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा, 'हमारी समझ से एक और सवाल यह होना चाहिए कि जब अदालत की राय में वैवाहिक जोड़े के दोबारा साथ आने की गुंजाइश खत्म हो जाने की स्थिति में अगर एक पक्ष तलाक की शर्तों से सहमत नहीं होता है तब क्या आर्टिकल 142 की तहत प्रदत्त शक्तियां इस्तेमाल की जा सकती हैं या नहीं।'

28 सितंबर को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में सीनियर एडवोकेट वी गिरी, इंदिरा जयसिंह, दुष्यंत दवे और मीनाक्षी अरोड़ा को एमीकस क्यूरी नियुक्त किया था। ध्यान रहे कि एमिकस क्यूरी दरअसल कोर्ट के सहायक होते हैं। अदालत को जब जरूरत होती है तो वह विभिन्न मुद्दों पर अमिकस क्यूरी की मदद मांगती है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई को लिए 28 सितंबर की तारीख तय की है।

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें

पत्नी तलाक न दे तो क्या करना चाहिए?

शीर्ष अदालत ने एक ऐसे ही मामले में तलाक की अनुमति देने या नहीं देने की संभावनाओं पर विचार करने को राजी हो गया है। उसने मंगलवार को कहा कि जब दोनों पक्ष, एकसाथ तलाक के लिए तैयार नहीं हों तो युगल को तलाक की अनुमति दी जाए कि नहीं, इस पर विचार किया किया जाएगा।

क्या पति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है?

जो कहता है- तलाक के डिक्री द्वारा विवाह के विघटन के लिए एक याचिका दोनों पक्षों द्वारा एक साथ विवाह के लिए जिला न्यायालय में प्रस्तुत की जा सकती है, इस आधार पर कि वे एक साल या उससे अधिक अवधि के लिए अलग से रह रहे हैं, कि वे एक साथ रहने में सक्षम नहीं हैं और उन्होंने पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है कि विवाह को भंग ...

पत्नी के क्या अधिकार है?

पत्नी के अधिकार क्या-क्या हैं?.
स्त्रीधन का अधिकार ... .
पति के घर में रहने का अधिकार ... .
जीवनस्तर के रख-रखाव का अधिकार ... .
पति से रिश्ते का अधिकार ... .
गरिमा के साथ जीने का अधिकार ... .
सरनेम यथावत रखने का अधिकार ... .
शादी कंज्युमेट न होने पर उसे निरस्त करने का अधिकार ... .
पति की रिहायशी संपत्ति में अधिकार.

तलाक होने का मुख्य कारण क्या है?

तलाक का सबसे मुख्य कारण होता है आपसी अविश्वास !! पति पत्नी के बीच अविश्वास होते ही हजारों अन्य कारण अपने आप पैदा होने लग जाते है और फिर सभी अपनी अपनी भूमिकाएं निभाने लगते है.