कौन सी कंपनी भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बन गई है? - kaun see kampanee bhaarat kee sabase badee doorasanchaar kampanee ban gaee hai?

संकेत तो यह हैं कि कीमतों के इस जबर्दस्त युद्ध में कुछ कंपनियां ही मार्केट में बनी रह पाएंगी। कमजोर कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए बिकना होगा या दूसरी कंपनियों के साथ विलय करना होगा, या फिर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को खरीदना होगा। भारती एयरटेल के सुनील भारती मित्तल ने हाल में एक इंटरव्यू में कहा कि उद्योग में अब हर ऑपरेटर इसकी संभावना तलाश रहा है कि किसी दूसरी कंपनी के साथ विलय हो सकता है या नहीं। फिलहाल दूरसंचार क्षेत्र की दूसरी और तीसरी बड़ी कंपनी क्रमश: वोडाफोन और आइडिया के विलय की अटकलें जोरों पर हैं। हालांकि इन कंपनियों की ओर से ऐसे किसी कदम की पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन रिसर्च और कन्सल्टेंसी फर्म सीएलएसए ने अपनी एक रिपोर्ट में ऐसे किसी विलय के संभावित फायदे-नुकसान के बारे में जिक्र किया है। वोडाफोन दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। वहीं, आइडिया बिड़ला समूह की कंपनी है जो देश के सबसे बड़े उद्योग घरानों में से एक है। जब कारोबार में बने रहने के लिए ताकतवर कंपनियां विलय करना चाह रही हों तो कमजोर कंपनियों के लिए तो कोई ऐसा अवसर नहीं बचता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि 5.3 करोड़ ग्राहक संख्या वाली नॉर्वे की टेलीकॉम कंपनी टेलीनॉर भी भारतीय कारोबार को बेचने या विलय की संभावना तलाश रही है।

मित्तल का मानना है कि सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनल और एमटीएनएल को छोड़कर 2017 में सिर्फ चार कंपनियां कारोबार में टिकी रह सकती हैं। फिलहाल मार्केट में 10 कंपनियां हैं, इनमें तीन (रिलायंस कम्युनिकेशंस, एयरसेल और सिस्तेमा) विलय पर सहमति जता चुकी हैं। शेष बची सात कंपनियों में भारती एयरटेल (26.2 करोड़ ग्राहक अक्टूबर 2016 तक), वोडाफोन (20.1 करोड़ ग्राहक), आइडिया (18.5 करोड़ ग्राहक), आरकॉम (एयरसेल और सिस्तेमा समेत 18.4 करोड़ ग्राहक), बीएसएनल/ एमटीएनएल संयुक्त (98 लाख ग्राहक), टाटा टेली सर्विसेज (55 लाख ग्राहक), टेलिनॉर (53 लाख ग्राहक) और रिलायंस जियो (संभवत: अब 10 करोड़ करोड़ ग्राहक, अक्टूबर में 3.5 करोड़ थे) शामिल हैं।

मित्तल के मुताबिक यदि इनमें से सिर्फ चार कंपनियां कारोबार में एक साल और टिक गईं तो कम से कम तीन कंपनियों को मार्केट से बाहर होना होगा। कमजोर कंपनियों में टाटा टेली सर्विसेज और टेलिनाॅर हैं। यदि हम यह मान लें कि वोडाफोन और आइडिया विलय पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही हैं तो दोनों एक होकर 38.6 करोड़ ग्राहकों के साथ देश की सबसे बड़ी कंपनी बन सकती हैं। वह भी ऐसी कंपनी जो आकार में एयरटेल से काफी बड़ी होगी। इस परिदृश्य में देखें तो अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम, एयरसेल और सिस्तेमा एक होकर भी मार्केट में टिक पाएंगी इसे लेकर संदेह खड़ा हो जाता है। इसके दो कारण हैं : पहला, बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी जियो के आने से आरकॉम की ग्राहक संख्या घटी है। दूसरा, एयरसेल सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार के मुकदमे का सामना कर रही है। इस मामले में शीर्ष कोर्ट लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दे चुका है। वैसे भी तर्कपूर्ण दृष्टि से देखें तो दो रिलायंस कंपनियों का एक मार्केट में बने रहने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में संभव है आरकॉम और जियो के बीच किसी किसी तरह के विलय या ‘वर्चुअल मर्जर’ पर विचार हो सकता है। टेलीकॉम उद्योग में कंपनियों के बीच खरीद-बिक्री और विलय के बड़े प्रभाव होंगे। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

पहला,यदिवोडाफोन और आइडिया के बीच विलय होता है और उद्योग में निजी क्षेत्र की कंपनियों की संख्या घटकर चार या तीन रह जाती है तो कॉल-डाटा की दरें गिरना थम जाएगा। इनमें इजाफा भी देखने को मिल सकता है। कंपनियां आपस में सांठगांठ (कार्टेल) कर सकती हैं क्योंकि कोई भी उद्योग हमेशा नुकसान नहीं सह सकता। रिलायंस जियो के शुरुआती “फ्री ऑफर’ से छिड़ी प्राइस वॉर संभवत: मार्च 2017 तक थम जाएगी। लेकिन इसके तत्काल बाद कुछ कंपनियां अपनी दरें बढ़ाएंगी क्योंकि उद्योग में खरीद-बिक्री-विलय का रुझान जोर पकड़ने से उन्हें ग्राहक संख्या घटने का डर रहेगा। दूसरा,विलयके बाद कंपनियां स्पेक्ट्रम का संयुक्त रूप से ज्यादा प्रभावी इस्तेमाल करने में समर्थ होंगी। इसका एक मतलब यह भी है कि सरकार भविष्य में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी में बड़ी मात्रा में रेवेन्यू मिलने की उम्मीद नहीं कर सकती, क्योंकि ऐसी स्थिति मे कुछ ही कंपनियां स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए नीलामी में बोली लगाएंगी और उनकी यह बोली ज्यादा ऊंची कीमत पर नहीं होगी। तीसरा,ऐसेबैंक जिन्होंने दूरसंचार कंपनियों को बड़ा कर्ज दिया है वे खुश होंगे क्योंकि माली हालत सुधरने से कंपनियां समय पर कर्ज की किस्त अदा कर सकेंगी। चौथा,यदिसरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों - बीएसएनएल और एमटीएनएल का निजीकरण नहीं करती है तो इनका घाटा तेजी से बढ़ने लगेगा।विलय या अधिग्रहण टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए अच्छा होगा। अभी बहुत सारी कंपनियां हैं जो बेहद कम मार्जिन पर बिजनेस कर रही हैं। प्रति यूजर औसत रेवेन्यू (आरपू) 123 रुपए है जो बहुत कम है।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (National Payments Corporation of India – NPCI) और रिलायंस जियो ने घोषणा की है कि यूपीआई ऑटोपे (UPI AUTOPAY) अब जियो के साथ टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए पेश किया गया है। यूपीआई ऑटोपे के साथ जियो के एकीकरण ने इसे NPCI द्वारा लॉन्च की गई अनूठी ई-जनादेश सुविधा के साथ लाइव होने वाला दूरसंचार उद्योग का पहला खिलाड़ी बना दिया है।

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एनपीसीआई द्वारा शुरू किए गए यूपीआई ऑटोपे का उपयोग करते हुए, ग्राहक अब मोबाइल बिल, बिजली बिल, ईएमआई भुगतान, मनोरंजन/ओटीटी सदस्यता, बीमा, म्यूचुअल फंड जैसे आवर्ती भुगतानों के लिए किसी भी यूपीआई एप्लिकेशन का उपयोग करके आवर्ती ई-जनादेश को सक्षम कर सकते हैं।

भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी कौन सी है?

रिलायंस जियो नवंबर 2019 में देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बन गई है. ग्राहकों की संख्या के लिहाज से रिलायंस जियो नवंबर 2019 में देश कीसबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी बन गई है. भारत की सर्वाधिक काम आने वाली टेलीकॉम कंपनी कौन सी है? भारत में सर्वाधिक काम आने वाली कंपनी है जिओ।

विश्व की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी कौन सी है?

वोडाफोन दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है।

भारत में प्रमुख दूरसंचार कंपनियां कौन सी है?

भारती एयरटेल, जियो, वोडाफोन, आइडिया, बीएसएनएल (BSNL) प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाता है।

भारत की पहली टेलीकॉम कंपनी कौन सी है?

भारती एयरटेल टेलीकॉम कंपनी 5 जी सेवा का सफलतापूर्वक प्रदर्शन करने वाली भारत की पहली कंपनी बन गई है.