पंक्तियों में से कौन सा यमक अलंकार का उदाहरण है? - panktiyon mein se kaun sa yamak alankaar ka udaaharan hai?

विषय-सूचि

  • यमक अलंकार की परिभाषा
  • यमक अलंकार के उदाहरण :
    • यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण :

इस लेख में हमनें अलंकार के भेद यमक अलंकार के बारे में चर्चा की है।

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यमक अलंकार की परिभाषा

जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है।

प्रयोग किए गए शब्द का अर्थ हर बार अलग होता है। शब्द की दो बार आवृति होना वाक्य का यमक अलंकार के अंतर्गत आने के लिए आवश्यक है।  जैसे :

यमक अलंकार के उदाहरण :

  • कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।।

इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दुसरे कनक का अर्थ ‘धतूरा’ है। अतः ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।

  • माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर। 

ऊपर दिए गए पद्य में ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है। पहली बार ‘मनका’ का आशय माला के मोती से है और दूसरी बार ‘मनका’ से आशय है मन की भावनाओ से।

अतः ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।

  • कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी

जैसा की आप देख सकते हैं की ऊपर दिए गए वाक्य में ‘बेनी’ शब्द दो बार आया है। दोनों बार इस शब्द का अर्थ अलग है।

पहली बार ‘बेनी’ शब्द कवि की तरफ संकेत कर रहा है। दूसरी बार ‘बेनी’ शब्द चोटी के बारे में बता रहा है। अतः उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार है।

  • काली घटा का घमंड घटा। 

ऊपर दिए गए वाक्य में आप देख सकते हैं की ‘घटा’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार ‘घटा’ शब्द का प्रयोग बादलों के काले रंग की और संकेत कर रहा है।

दूसरी बार ‘घटा’ शब्द बादलों के कम होने का वर्णन कर रहा है। अतः ‘घटा’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।

  • तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती है। 

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं ‘बेर’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार तीन ‘बेर’ दिन में तीन बार खाने की तरफ संकेत कर रहा है तथा दूसरी बार तीन ‘बेर’ का मतलब है तीन फल।

अतः ‘बेर’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।

  • ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
    ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां ऊँचे घोर मंदर शब्दों की दो बार आवृति की जा रही है। यहाँ दो बार आवृति होने पर दोनों बार अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहा है। हम जानते हैं की जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची। फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां दिया शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति हो रही है। पहली बार ये शब्द हमें दिए को बुझा देने की क्रिया का बोध करा रहा है। दूसरी बार यह शब्द दिया संज्ञा का बोध करा रहा है।

यहाँ दो बार आवृति होने पर दोनों बार अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहा है। हम जानते हैं की जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
    कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, यहां मन का शब्द  की एक से अधिक बार आवृति हो रही है।

पहली बार ये शब्द हमें हमारे मन के बारे में बता रहे हैं और दूसरी बार इस शब्द की आवृति से हमें माला के दाने का बोध हो रहा है।

हम जानते हैं की जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।

ऊपर दिए गए वाक्य में तारे शब्द की दो बार आवृति हुई है।

जहां पहली बार तारे शब्द का मतलब उदारता से है वहीँ दूसरी बार तारे शब्द का मतलब आसमान में तारों की बड़ी संख्या से है।

कवि इस काव्यांश में कहना चाह रहे हैं की तुम इतने उदार हो जितने आसमान में तारे भी नहीं हैं।

हम जानते हैं की जब एक काव्य में किसी शब्द की आवृति होती है तो वहां संभवतः ही यमक अलंकार होता है। अतः यह काव्यांश भी यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।

यमक अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण :

  • केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास।
  • बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
  • तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान। तू मोहन के उर बसी ह्वे उरबसी सामान।
  • भर गया जी हनीफ़ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी सी कर।
    यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर।।

यमक अलंकार के बारे में यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

अन्य अलंकार

  1. अनुप्रास अलंकार
  2. उपमा अलंकार
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार
  4. रूपक अलंकार
  5. अतिशयोक्ति अलंकार
  6. मानवीकरण अलंकार
  7. श्लेष अलंकार
  8. यमक और श्लेष अलंकार में अंतर

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यमक अलंकार का उदाहरण कौन सा है?

सरल शब्दों में कहें तो जब एक ही शब्द काव्य में कई बार आये और सभी अर्थ अलग-अलग हो वहां यमक अलंकार होता है। उदाहरण - ऊधौ जोग जोग हम नाहीं । उदाहरण - खग-कुल कुल-कुल से बोल रहा । प्रस्तुत पंक्ति में 'कुल' शब्द दो बार आया है।

यमक अलंकार की पहचान कैसे होती है?

Qus-4 यमक अलंकार जब कोई शब्द एक से अधिक बार प्रयोग होता है तथा हर बार उस शब्द के अर्थ में अंतर हो तो उसे यमक अलंकार कहते हैं। उदाहरण-कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बौरता नर या पा बौराय।।

निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा अलंकार है कै वह टूटी सी छानी हती कहँ कंचन के अब धाम सुहावत?

Answer. Answer: प्रस्तुत पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।

यमक कौन से अलंकार का भेद है?

यमक अलंकार के दो भेद हैं ( Yamak alankar ke bhed ) – इस उदाहरण में ' जगती ' शब्द की आवृत्ति बिना तोड़े – मरोड़े भिन्न – भिन्न अर्थों में हुआ है। १ जागती २ जगत ( संसार ) के रूप में हुई है। अतः यह अभंग पद यमक अलंकार का उदाहरण है।