नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देख कर दीर्घ निश्वास क्यों लिया? - navaab saahab ne khidakee ke baahar dekh kar deergh nishvaas kyon liya?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:नबाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँकों की ओर देखा। खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लिया। खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए। फाँक को सूँघा। स्वाद के आनंद में पलकें मुँद गईं। मुँह में भर आए पानी का घूँट गले से उतर गया। तब नवाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया। नबाब साहब खीरे की फाँकों को नाक के पास ले जाकर, वासना से रसास्वादन कर खिड़की के बार फेंकते गए। नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ विश्वास क्यों लिया?

Solution

Show

नवाब साहब खिड़की के बाहर देखकर लंबी सांस इसलिए ले रहे हैं क्योंकि वे खीरा खाना चाहकर भी खा नहीं पा रहे और इसी खिड़की के रास्ते से उन्होंने खीरे की कटी हुई फाँकें बाहर फेंकनी हैं।

विषयसूची

  • 1 नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया?
  • 2 नबाब साहब का कौन सा अनुमान गलत सिद्ध हुआ?
  • 3 नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देख क र दीर्घ निःश्वास क्यों लिया?
  • 4 लेखक ने नवाब साहब को खीरा खाने के लिए पूछने पर क्या उत्तर दिया?
  • 5 नवाब साहब ने खीरे के गुण अवगुण के बारे में कौन सी बात नहीँ कही?

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई। अत: इसी इरादे से उसने खीरे को फेंक दिया।

नबाब साहब का कौन सा अनुमान गलत सिद्ध हुआ?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिल्कुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास को टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। ….

लेखक िे ििाब सािब से खीरा ि खािे का कारण क्या बताया?

इसे सुनेंरोकें✔ (ग) इच्छा नही है। ✎… ‘लखनवी अंदाज’ पाठ में लेखक ने नवाब साहब से खीरा ना खाने का यह कारण बताया कि उसे इच्छा नहीं है। जब नवाब साहब ने लेखक से कहा कि ‘वल्लाह शौक कीजिए, लखनऊ का बालम खीरा है। ‘ तब लेखक ने अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए नवाब साहब को उत्तर दिया, ‘शुक्रिया!

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को कैसे देखा?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फांकों की ओर देखा । खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लिया । खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए । फाँक को सूंघा ।

नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देख क र दीर्घ निःश्वास क्यों लिया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ विश्वास क्यों लिया? नवाब साहब खिड़की के बाहर देखकर लंबी सांस इसलिए ले रहे हैं क्योंकि वे खीरा खाना चाहकर भी खा नहीं पा रहे और इसी खिड़की के रास्ते से उन्होंने खीरे की कटी हुई फाँकें बाहर फेंकनी हैं।

लेखक ने नवाब साहब को खीरा खाने के लिए पूछने पर क्या उत्तर दिया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- नवाब साहब ने लेखक से जब पहली बार खीरा खाने के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया। नवाब साहब जब दोबारा खीरा खाने के लिए पूछते हैं तो लेखक के मुँह में पानी आ जाता है लेकिन वह अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए खीरा खाने से मना कर देता है।

नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के लिए पूछने पर लेखक ने क्या जवाब दिया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का जिसे देखकर लेखक ललचाया पर उसने खीरे खाने का प्रस्ताव अस्वीकृत क्यों कर दिया? नवाब साहब ने करीने से सजी खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़ककर लेखक से खाने के लिए आग्रह किया तो लेखक ने साफ़ मना कर दिया। जबकि लेखक खीरे खाना चाहता था।

लेखक द्वारा खीरा खाने से इंकार करने पर नवाब साहब ने अपनी झेंप कैसे मिटाई?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को अपने डिब्बे में देखकर नवाब को अपनी रईसी याद आने लगी। इसीलिए उन्होंने खीरे को मात्र सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया।

नवाब साहब ने खीरे के गुण अवगुण के बारे में कौन सी बात नहीँ कही?

इसे सुनेंरोकेंउनका यह स्वभाव उनके दिखावटी स्वभाव को प्रकट करता है। नवाब साहब ने लेखक के सामने खीरा काटा और फिर सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। शायद वह अपनी झूठी आन-बान के एक के सामने खीरा खाने से शर्मा रहे हों। वह खीरे को एक साधारण वस्तु समझते थे और खीरे जैसी आम वस्तु को खाकर वह अपनी श्रेष्ठता को कम नहीं करना चाहते।

Solution : नवाब साहब ने खीरे की कटी फाँकों पर नमब-मिर्च बुरक कर उन्हें प्यासी नजरों से देखा। वे उसके स्वाद और गंध की कल्पना में .वाह. कह उठे। फिर उसे होठों तक ले गए। उन्होंने एक-एक फांक को सुंघा। स्वाद के कारण उनकी पलकें मुंद गई। मुंह में पानी भी आया। वे उस पानी को गटक गए। खीरे को खिड़की के बाहर फेंक दिया।

Solution : (क) नवाब साहब ने खीरे की कटी फाँकों पर नमक-मिर्च बुरक कर उन्हें प्यासी नजरों से देखा। वे उसके स्वाद और गंध की कल्पना में .वाह. कह उठे। फिर उसे होठों तक ले गए। उन्होंने एक-एक फाँक को सूंघा । स्वाद के कारण उनकी पलकें मुंद गईं । मुँह में पानी भर आया। वे उस पानी को गटक गए। खीरे को खिड़की के बारह फेंक दिया। <br> (ख) नवाब साहब अपनी नवाबी शान, खानदानी तहजीब, लखनवी नफासत दिखाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने आम आदमियों की तरह खीरा खाया नहीं, बल्कि उसकी गंध और स्वाद से ही पेट भर लिया। इसी से वे औरों से ऊँचे सिद्ध हो सकते थे। <br> (ग) नवाब साहब इस बात पर गर्व अनुभव कर रहे थे कि वे खीरे की गंध और स्वाद-कल्पना से ही संतुष्ट हो जाते हैं। अतः वे आम इनसान नहीं हैं। वे कचर-कचर खाने वालों से ऊँचे हैं। उनकी जीवन-शैली बहुत ऊँची है। <br> (घ) नवाब साहब की गुलाबी आँखें लेखक को अपने खानदानी शौक और रईसी जीवन-शैली का अहसास करा रही थीं। वे बताना चाह रही थीं कि उनकी बात ही कुछ और है। वे सामान्य किस्म के आदमी नहीं हैं।

नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निःश्वास क्यों ली?

नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ विश्वास क्यों लिया? नवाब साहब खिड़की के बाहर देखकर लंबी सांस इसलिए ले रहे हैं क्योंकि वे खीरा खाना चाहकर भी खा नहीं पा रहे और इसी खिड़की के रास्ते से उन्होंने खीरे की कटी हुई फाँकें बाहर फेंकनी हैं।

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को खिड़की के बाहर क्यों फेक दिया था?

उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को अपने डिब्बे में देखकर नवाब को अपनी रईसी याद आने लगी। इसीलिए उन्होंने खीरे को मात्र सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दियानवाब साहब के ऐसा करने से ऐसा लगता है कि वे दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं।

नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की और गर्व से क्यों देखा?

खीरे की फाँकें एक-एककर उठाकर सँधने के बाद नवाब साहब खिड़की से बाहर फेंकते गए। उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं। अपनी नवाबी का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने खीरा खाने के बजाय फेंक दिया था।

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को कैसे देखा?

नवाब साहब ने खीरे की फाँक का क्या किया? नवाब साहब ने खीरे की कटी हुई तथा नमक-मिर्च लगी हुई खीरे की फाँकों में से एक फाँक उठाई और अपने होंठों तक ले आए। इसके बाद उन्होंने उस फाँक को सूंघा। उन्हें इससे इतना आनंद आया कि उनकी पलकें बंद हो गईं।