10 नवंबर को कौन सा त्यौहार है? - 10 navambar ko kaun sa tyauhaar hai?

मार्गशीर्ष मास (Margshirsha Maas 2022) के कृष्णपक्ष की द्वितीया (Dwaitiya) तिथि पर किसी काम को करने के लिए कौन सा समय शुभ और कौन सा समय अशुभ रहेगा, जानने के लिए जरूर देखें 10 नवंबर 2022, गुरुवार का पंचांग (Thursday Panchang).

Aaj ka Panchang 10 November 2022: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को शुभ दिन, शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त आदि को देखकर किया जाता है. इन सभी चीजों के बारे में पता लगाने के लिए पंचांग(Panchang)की आवश्यकता पड़ती है. जिसके माध्यम से आप आने वाले दिनों के शुभ एवं अशुभ समय के साथ सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, चन्द्रास्त, ग्रह, नक्षत्र आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हें. आइए पंचांग के पांच अंगों – तिथि, नक्षत्र, वार, योग एवं करण के साथ राहुकाल, दिशाशूल(Dishashool), भद्रा(Bhadra), पंचक(Panchank), प्रमुख पर्व आदि की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं.

कब लगेगा राहुकाल

हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करते समय शुभ-अशुभ समय देखने की परंपरा है, जिसे जानने के लिए पंचांग की मदद ली जाती है। पंचांग के अनुसार जिस राहुकाल को किसी भी कार्य में अड़चन डालने वाला माना गया है, वो आज 10 ​नवंबर 2022, गुरुवार के दिन दोपहर 01:26 से 02:47 बजे तक रहेगा। ऐसे में राहुकाल के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने से बचें।

किधर रहेगा दिशाशूल

पंचांग के अनुसार गुरुवार के दिन किसी भी कार्य को करते समय न सिर्फ राहुकाल को बल्कि दिशाशूल का भी ख्याल रखना चाहिए। पंचांग के अनुसार प्रत्येक दिन किसी न किसी दिशा में दिशा शूल रहता है। पंचांग के अनुसार आज गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा में दिशाशूल रहेगा ऐसे में आज इस ओर से जाने से बचें। यदि दक्षिण दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो दिशाशूल के दोष से बचने के लिए घर से निकलते समय दही खाकर निकलें।

10 नवंबर 2022 का पंचांग

(देश की राजधानी दिल्ली के समय पर आधारित)

विक्रम संवत – 2079, राक्षस

शक सम्वत – 1944, शुभकृत्

दिन (Day) गुरुवार
अयन (Ayana) दक्षिणायन
ऋतु (Ritu) शरद
मास (Month) मार्गशीर्ष मास
पक्ष (Paksha) कृष्ण पक्ष
तिथि (Tithi) द्वितीया सायंकाल 06:32 बजे तक तदुपरांत तृतीया
नक्षत्र (Nakshatra) रोहिणी
योग (Yoga) परिघ रात्रि 09:13 बजे तक तदुपरांत शिव
करण (Karana) गर 06:32 बजे तक तदुपरांत वणिज
सूर्योदय (Sunrise) प्रात:काल 06:40 बजे
सूर्यास्त (Sunset) सायंकाल 05:30 बजे
चंद्रमा (Moon) वृष राशि में
राहु काल (Rahu Kaal Ka Samay) दोपहर 01:26 से 02:47 बजे तक
यमगण्ड (Yamganada) प्रात:काल 06:40 से 08:01 बजे तक
गुलिक (Gulik) प्रात:काल 09:22 से 10:44 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurt) प्रात:काल 11:43 से दोपहर 12:27 बजे तक
दिशाशूल (Disha Shool) दक्षिण दिशा में
भद्रा (Bhadra)
पंचक (Pnachak)

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(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Tue, 10 Nov 2020 06:56 AM IST

10 नवंबर को कौन सा त्यौहार है? - 10 navambar ko kaun sa tyauhaar hai?

10 नवंबर 2020 का दैनिक पंचांग

10 नवंबर 2020 का दैनिक पंचांग

हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय एवं काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण हैं। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू मास एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

तिथि

दशमी 

 27:19 तक
नक्षत्र  मघा  07:51 तक
करण  

वणिजा  
विष्टि 

 16:24 तक
 27:19 तक

पक्ष

कृष्ण

 
वार मंगलवार  
योग  इंद्र  22:30 तक
सूर्योदय 06:43  
सूर्यास्त 17:25  
चंद्रमा सिंह राशि में   
राहुकाल      दोपहर 14:44 − 16:05
विक्रमी संवत्   2077  
शक सम्वत 1941  
मास कार्तिक  
शुभ मुहूर्त अभिजीत 11:42 − 12:25

पंचांग के पांच अंग  तिथि
हिन्दू काल गणना के अनुसार 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्थदशी, अमावस्या/पूर्णिमा।

नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम - अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।

वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।

योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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20 नवंबर . रविवार - उत्पन्ना एकादशी व्रत सबका। 21 नवंबर . सोमवार - सोमवार प्रदोष व्रत।