Show बीमा पॉलिसी को कराना चाहते हैं बंद, तो जान लें कुछ जरूरी बातेंअगर आप अनिवार्य अवधि के बाद प्रीमियम का भुगतान करना बंद कर अपनी नियमित पॉलिसी को पेड-अप में परिवर्तित करते हैं तो आपका बीमा समाप्त नहीं होगा नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। किसी भी परिवार में जीवन बीमा उसके मुख्य कमाने वाले के निधन के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को दूर करता है। जीवन बीमा में मौजूदा वार्षिक आय का 10 गुना तक कवर मिल सकता है। कई बार लोगों को किसी मुद्दे के कारण मौजूदा जीवन बीमा योजना को बंद करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है, ऐसी स्थिति में आपको इन बातों को ध्यान रखना चाहिए। टर्म इंश्योरेंस प्लान में आप प्रीमियम का भुगतान करना बंद कर देते हैं तो पॉलिसी बंद हो जाती है। वहीं कई योजनाओं में बीमा और निवेश दोनों एक साथ होता है। अगर बीमाधारक की मृत्यु पॉलिसी पूरी होने से पहले हो जाती है तो नॉमिनी को बीमा राशि मिल जाती है। अगर बीमाधारक पॉलिसी पूरी होने तक जीवित रहता है तो परिपक्वता लाभ मिलता है। अगर आप पॉलिसी के पूरे होने से पहले ही छोड़ते हैं तो प्रीमियम के रूप में दिए गए धन में कटौती होती है। पॉलिसी बंद करने की नीति: आप अपनी बीमा पॉलिसी को दो तरह से बंद कर सकते हैं। अगर अनिवार्य अवधि के बाद प्रीमियम का भुगतान नहीं करेंगे तो पॉलिसी पेड-अप पॉलिसी में परिवर्तित हो जाएगी। या फिर पॉलिसी को सरेंडर करें और इंश्योरर से सरेंडर वैल्यू प्राप्त करें। इन दोनों स्थिति में आपको अनिवार्य अवधि के अंत तक प्रीमियम का भुगतान करना होगा और यह पॉलिसी के नियमों और शर्तों के हिसाब से 2 से 3 साल का हो सकता है। अगर आप अनिवार्य अवधि से पहले पॉलिसी को बंद करते हैं तो आपको अधिक नुकसान होगा। पेड-अप पॉलिसी में बदलना: अगर आप अनिवार्य अवधि के बाद प्रीमियम का भुगतान करना बंद कर अपनी नियमित पॉलिसी को पेड-अप में परिवर्तित करते हैं तो आपका बीमा समाप्त नहीं होगा। आप कम राशि के कवर के साथ बीमाकृत रहेंगे। अगर आप पॉलिसी के कार्यकाल तक जीवित रहते हैं तो आपको परिपक्वता लाभ मिलेंगे। अगर आपका निधन पॉलिसी के कार्यकाल के दौरान होता है तो नॉमिनी को भुगतान किए गए प्रीमियम के अनुसार राशि प्रात होगी। उदाहरण के लिए, अगर आप 20 वर्षों के लिए 50 हजार प्रीमियम देकर के 10 लाख की पॉलिसी लेते हैं और 5 साल प्रीमियम का भुगतान कर इसे बंद कर देते हैं तो बीमा राशि घटकर 2.5 लाख हो जाएगी, क्योंकि पॉलिसी पेड-अप पॉलिसी में बदल चुकी है। पॉलिसी सरेंडर करने का विकल्प: पॉलिसी सरेंडर करना एक अन्य विकल्प है। आप बीमाकर्ता से पॉलिसी को बंद करने और सरेंडर वैल्यू प्राप्त करने के लिए पूछ सकते हैं। बीमाकर्ता पॉलिसी पूरी होने से पहले पॉलिसी के सरेंडर के लिए जुर्माना लेता है, जो कि काफी अधिक भी हो सकता है। अगर आप पॉलिसी को उसके तीसरे वर्ष में सरेंडर करते हैं तो आपको भुगतान किए गए पूरे प्रीमियम का लगभग 30 फीसद ही मिलेगा। वहीं अगर आप चौथे और 7वें वर्ष के बीच सरेंडर करते हैं तो भुगतान किए गए प्रीमियम का लगभग 50 फीसद मिलेगा। अगर आप पॉलिसी को पूरी होने की अवधि के करीब सरेंडर करते हैं तो अधिक धन मिलेगा। 7वें साल के बाद बीमाकर्ता अपने हिसाब से राशि देते हैं। अलग-अलग कंपनियों की नीतियां अलग-अलग होंगी। एंडॉमेंट प्लान लेने से पहले सरेंडर वैल्यू के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। मान लो कि आप प्रति वर्ष में 50 हजार का प्रीमियम देते हैं और आप तीसरे वर्ष में पॉलिसी को सरेंडर करते हैं तो आपको केवल 45 हजार ही मिलेंगे, क्योंकि आपने कुल 1.5 लाख का भुगतान किया है। वहीं अगर आप छठे वर्ष में सरेंडर करते हैं तो आपको कुल प्रीमियम का 50 फीसद यानि कि 1.5 लाख रुपये मिलेंगे, क्योंकि आपने कुल प्रीमियम 3 लाख का भुगतान किया है। इसलिए बेहतर यही होगा कि पॉलिसी को पेड-अप में परिवर्तित किया जाए, क्योंकि पॉलिसी सरेंडर करने से आपको बहुत नुकसान होगा। बीमा पॉलिसी को बंद करने से पहले इन बातों को ध्यान में जरूर रखें। Edited By: Praveen Dwivedi हमने पता लगाने की कोशिश की है कि जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने से विभिन्न चरणों में क्या फायदे और क्या नुकसान होते हैं. I.पारंपरिक
एनडावमेंट प्लान -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : मैच्योरिटी तक पॉलिसी चलाती हैं. इसे भी पढ़ें : विदेशी बाजार में निवेश के क्या हैं फायदे? -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : तीन प्रीमियम का भुगतान करने के बाद पॉलिसी लैप्स हो जाने देती हैं. -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं
: तीन वार्षिक प्रीमियम का भुगतान करने के बाद पॉलिसी को पेड-अप में बदलवाती हैं. -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : तीन प्रीमियम का भुगतान करने के बाद पॉलिसी को सरेंडर कर देती हैं. -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : 10 प्रीमियम का भुगतान करने के बाद पॉलिसी सरेंडर करती हैं. इसे भी पढ़ें : निवेश के लिए कैसा है एचडीएफसी टैक्ससेवर फंड? कैसे पेड-अप वैल्यू को कैलकुलेट करते हैं : [वर्षों की संख्या जिसके लिए प्रीमियम का भुगतान किया गया था / पॉलिसी की अवधि x बीमा राशि] + [बोनस / 1,000 x बीमित राशि] सरेंडर वैल्यू को कैसे कैलकुलेट करते हैं : [सरेंडर वैल्यू फैक्टर x पेड-अप वैल्यू] / 100 II.यूनिट-लिंक्ड
इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : पॉलिसी को चालू रखती हैं. -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : पांच साल की लॉक-इन अवधि समाप्त
होने से पहले तीसरे वर्ष में पॉलिसी सरेंडर कर देती हैं. इसे भी पढ़ें : छोटी बचत स्कीमों की ब्याज दरें बढ़ीं, क्या अब आपको निवेश करना चाहिए? -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : पांच साल में पॉलिसी सरेंडर करती हैं. -जब पॉलिसीधारक ऐसा करती हैं : 10वें वर्ष में पॉलिसी सरेंडर करती हैं. III.टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी -जब पॉलिसीधारक ऐसा करता है : पॉलिसी की मूल अवधि तक पॉलिसी को चलाता है. -जब पॉलिसीधारक ऐसा करता है : प्रीमियम भुगतान की अवधि के अंत से पहले प्रीमियम का भुगतान रोक देता है. हिन्दी में शेयर बाजार और पर्सनल फाइनेंस पर नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. पेज लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें क्या मैं 2 साल बाद अपनी एलआईसी पॉलिसी सरेंडर कर सकता हूं?एलआईसी पॉलिसी को बीच में बंद करने को पॉलिसी सरेंडर करना कहते हैं. आप एलआईसी की पॉलिसी को कम से कम 3 साल बाद ही सरेंडर कर सकते हैं. अगर 3 साल के पहले आप करते हैं तो आपको कोई पैसा नहीं मिलेगा.
अगर मैं 1 साल के बाद एलआईसी प्रीमियम का भुगतान करना बंद कर दूं तो क्या होगा?अगर आप नियम के तहत एलआईसी पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो आपको सरेंडर वैल्यू मिलती है. दरअसल, पॉलिसी बंद करने पर उसकी वैल्यू के बराबर पैसा वापस मिलता है, उसे सरेंडर वैल्यू कहते हैं. एलआईसी की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार अगर आपने पूरे तीन साल एलआईसी का प्रीमियम भरा है तो आपको सरेंडर वैल्यू मिलेगी.
एलआईसी सरेंडर करने पर कितना नुकसान होता है?इसके साथ ही अगर आपने बहुत जल्दी पॉलिसी बंद कर दी तो आपको प्रीमियम का भी नुकसान उठाना पड़ता है. इसके साथ ही बीच में पॉलिसी बंद करने पर आपको मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि से बहुत पैसे मिलते हैं. इस राशि को सरेंडर वैल्यू मिलता है.
एलआईसी पॉलिसी का सरेंडर वैल्यू कैसे निकाले?गारंटीकृत समर्पण मूल्य
गारंटीड सरेंडर वैल्यू के तहत, यदि कोई बीमाकर्ता पॉलिसी की परिपक्वता से पहले पॉलिसी को समाप्त करना चाहता है, तो उसे एक विशिष्ट राशि के साथ भुगतान किया जाता है जिसे गारंटीड सरेंडर वैल्यू कहा जाता है। एलआईसी ब्रोशर के अनुसार: गारंटीकृत समर्पण मूल्य = 30% X भुगतान किया गया कुल प्रीमियम।
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