मक्का मदीना में हिंदू क्यों नहीं जा सकते हैं? - makka madeena mein hindoo kyon nahin ja sakate hain?

डेस्क : मक्का मदीना को लेकर कई बातें लोगों के दिमाग में चल रही होती है। मक्का मुस्लिम समुदाय के लिए स्वर्ग जैसा माना जाता है। आपने कई बार मुस्लिम समुदाय के लोगों को मक्का मदीना जाते हुए देखा होगा। यदि किसी एक गांव से एक व्यक्ति मक्का जाता है तो उसे पूरा गांव व पंचायत एयरपोर्ट तक छोड़ने चले जाते हैं।

मुस्लिम समुदाय के हर व्यक्ति के मन में एक बार मक्का जाने का ख्याल जरूर आता है। लोग मक्का जाना सपनों में देखा करते हैं। ऐसे में कई बार आपके मन में यह ख्याल भी आया होगा कि मक्का मदीना केवल मुस्लिम ही क्यों जाते हैं। यहां हिंदू को जाना क्यों वर्जित है। तो आइए मक्का और आपके मन में उठ रहे सभी ख्यालों के बारे में जानते हैं।

जानिए मक्का के बारे में : सऊदी अरब में मक्का और मदीना स्थित है। ये दोनों शहर पूरे विश्व भर के मुसलमानों के लिए सबसे पाक स्थान माना जाता है। यहां आने वाले अपने आप को सबसे बड़े भाग्यशाली मानते हैं। इस स्थान पर केवल मुसलमान जा सकते हैं। मक्का मदीना में हर साल हज करने लाखो मुसलमान दुनिया के कोने-कोने से पहुंचते हैं। इस स्थान पर मुसलमान के अलावा कोई दूसरे धर्म के लोग नहीं जा सकते हैं। बता दें कि मक्का मदीना में पैगंबर मोहम्मद की कब्र बनी है। मक्का मदीना को लेकर कई सारी बातें उठते रहते हैं। इसमें शिव जी के होने से लेकर कई हैरान करने वाली बात शामिल है।

हिंदू का जाना क्यों है माना : अब एक बात गौर करने वाली है कि इस स्थान पर हिंदुओं को जाना मना है। बता दें कि मक्का मदीना में केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमान को छोड़ कर किसी भी धर्म के लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इस धर्म के लोगों का कहना है कि अल्लाह से प्यार करने वाले ही मक्का मदीना जाने के लायक है। अब यह सोचने वाली बात है कि कोई कैसे पहले से ही अनुमान लगा लेगा कि कौन अल्लाह से प्यार करता है और कौन नहीं। लेकिन इस स्थान पर मुसलमान समुदाय को छोड़कर किसी अन्य धर्म के लोगों का जाना वर्जित है। किसी अन्य धर्म के लोग मक्का मदीना में प्रवेश ही नहीं कर सकते हैं। वहां सुरक्षा के कड़े से कड़े इंतजाम किए गए होते हैं।

मक्का मदीना को लेकर कई ऐसे अफवाह और सच्चाई है, जो लोगों के बीच समय-समय पर चक्कर लगा लिया करती है। लोग इसमें उलझे रहते हैं, लेकिन यही एक ऐसा धर्म विशेष तीर्थ स्थल है जहां ईद गीत भी किसी अन्य धर्म के लोग नहीं भटक सकते हैं। बाकी किसी भी धर्म के तीर्थ स्थल को देखें तो आसपास के एरिया में आपको कई धर्म के लोग मिल जाएंगे। लेकिन मक्का मदीना में मुसलमान समुदाय के अलावा किसी अन्य धर्म के लोगों का मिलना मुश्किल है।

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  हेलो दोस्तो आप सब केसे है आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले की ।हिंदू क्यों नहीं जा सकते? मक्का? मदीना में 

मक्का मदीना में हिंदू क्यों नहीं जा सकते हैं? - makka madeena mein hindoo kyon nahin ja sakate hain?

makka madina mein hindu kyon nahi ja sakte! मक्का मदीना में हिंदू क्यों नहीं जा सकते हैं

मक्का मदीना में हिन्दू क्यों नहीं जा सकते हैं?क्या मक्का-मदीना में शिवलिंग की पूजा की जाती है?makka madina me hindu kyu nahi ja sakta

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हिंदू क्यों नहीं जा सकते? मक्का? मदीना में  सताबदी के  स्पीड से फेलती है कि न्यूज़ आजकल सोशल मीडिया पर बहुत ही ज्यादा वायरल हो रही है जिसके मुताबिक ही कहा जाता है कि मक्का मदीना में शंकर भगवान को कैद करके रखा गया है और लोगों का यह सवाल है 

कि अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों हूं। यहां पर मुसलमानों की इतनी ज्यादा भीड़ उमड़ती है, लेकिन एक भी हिंदू देखने को नहीं मिलता। आखिर सच्चाई क्या है? मक्का मदीना की क्यों यहां किसी भी हिंदू को देख कर उसे बाहर से ही रवाना कर दिया जाता है।

 दोस्तों आज हम आपको मक्का मदीना और शंकर भगवान के बीच के कनेक्शन के बारे में तो बताएंगे ही  और यह भी बताएंगे कि क्या यह बात सच है या फिर के पीछे कोई और राज छिपा है पर इसे जानने से पहले हमारे चैनल loveislifes को  सब्सक्राइब करना ना भूले 

आप काफी लंबे समय से इस न्यूज़ को सुनते आ रहे होंगे कि मुस्लिम जिसका बाकू अपनी सबसे पवित्र जगह मानते हैं। उसके अंदर शिवलिंग मौजूद है

 और तो और जो मुस्लिम जिस जगह पर शैतान को पत्थर मारते हैं, वह जगह कोई और नहीं बल्कि शिवजी है जिसे सऊदी अरब के लोगों ने कैद करके रखा है और इन्हें लगता है 

कि अगर कोई हिंदू वहां जाकर इन पर पानी डालेगा तो आजाद हो जायेंगे । यही वजह है कि मक्का मदीना में हिंदुओं को नहीं जाने दिया जाता। अब इस दावे में कितनी सचाई है  हम आपको बताएंगे। ही 

और उससे पहले आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर  मक्का मदीना मुस्लिमों के लिए इतना ज्यादा खास क्यों है। सऊदी अरब एक पूरा इस्लामिक देश है जहां पर यास्लाम धर्म को मान्यता दी जाती हैं। 

यहां पर पेट्रोलियम बहुत ही ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसलिए यह दुनिया भर के विकसित देशों में से एक है। सऊदी अरब की राजधानी रियाद है और यहां की करेंसी रियाल है। लेकिन यहां की राजधानी से भी ज्यादा प्रसिद्ध यहां की दो सहर है।

 एक है मक्का और दूसरा है मदीना  यह दोनों ही शहर केवल सऊदी अरब में रहने वाले मुस्लिमों के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में रहने वाले मुसलमानों के लिए बहुत ज्यादा वहम है की। सबसे बड़ी। वजह यह है कि यहां पर हर साल लाखों की संख्या में मुस्लिम आते हैं कि मुसलमानों के लिए तीर्थ स्थल की तरह है। 

हिंदू में यह मान्यता है कि चार धाम की यात्रा कर ले। 

इंसान के सारे पापों सारे दुख दर्द मिट जाते हैं। ठीक उसी तरह इस्लाम धर्म में ऐसा माना जाता है कि मक्का मदीना जैसी बाग  जगह की दर्शन करने के बाद इंसान खुदा के नेक बंधुओं में शामिल हो जाता है। इसीलिए हर मुस्लिम की ख्वाहिश होती है कि वह मरने से पहले एक बार हज की yatra जरूर कर ले 

 इस जगह की महत्वता कितनी है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मुस्लिम चाहे दुनिया के किसी भी कोने में नमाज क्यों ना पड़े हमेशा काबा की ओर मुंह करके ही नमाज पढ़ते हैं जैसे कि भारत में रहने वाले मुस्लिम पश्चिम की ओर मुंह करके नमाज पढ़ते हैं क्योंकि हमारे देश से मका पश्चिम में उपस्थित है और मुस्लिम यह भी मानते हैं कि पश्चिम की ओर मुंह करके झूठ बोलना गुनाह है

। दोस्तों जब लोग हज की यात्रा करने के लिए जाते। 

तो काबा के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इसे  दवाब  कहा जाता है और यह हज का सबसे खास हिस्सा होता है। साथ ही वो मदीना की जियारत करने जाते हैं। मदीना वह जगह है जहां पर पैगंबर मोहम्मद की कब्र बनी हुई है। 

दोस्तों मक्का मदीना के बारे में तो आप लोगों ने काफी कुछ जान लिया, लेकिन उन तस्वीरों का सच जानना भी आपके लिए बहुत जरूरी है जो आजकल सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा वायरल हो रही हैं। यहां तक कि कई सालों से लोग इस चीज पर विश्वास कर रहे हैं। पर हम आपको बता दें कि इंटरनेट पर वायरल हो रही 

है। बातें सिवाय अन्य। विश्वास के शिवाय और कुछ भी नही है 

। अगर आप सच्चे हिंदू है। तो यह  बात मानते हैं कि शिवजी की तीसरी आंख जब  खुलती है तो पारलेह आ जाती है तो भला आप इस बात पर किस तरह यकीन कर सकते हैं कि कोई शिवजी को कैद करके रखिएगा और वैसे भी अगर आप किसी और धर्म के भी क्यों ना हो लेकिन एक ईश्वर के  घर पर दूसरी ईश्वर  को कैद करने वाली बात सरासर गलत है। 

ऊपर से कहा जाता है कि मक्का मदीना में साधारण मनुष्यों ने शिवजी को कैद किया है। मतलब यह तो वही बात हो गई कि लोगों ने कह दिया कि वह चांद को जमीन पर ले आएंगे और आप ने मान लिया कि हां उसने ऐसा कहा है तो वह जरूर ले आएगा। अरे कुछ अपना भी तो दिमाग लगाएं। भला कोई स्वयं सबका विनाश करने वाले शंकर भगवान को कैसे कैद करके रख सकता है? 

अब कई लोग इस बात को तो नहीं मानते कि वहां पर शिव जी को कैद करके रखा गया, लेकिन यह जरूर मानते हैं कि मक्का मदीना में शिवलिंग है तो हम इस पर भी पुष्टि कर ऐसा कुछ भी नहीं है। असल में मुसलमान जो भाजी यात्रा के लिए जाते हैं तो मक्का के पास स्थित एक इमारत में शैतान को पत्थर मारने की रस्म के साथ ही हज की यात्रा पूरी मानी जाती है। 

हालांकि शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरे 3 दिन की होती है, लेकिन ईद उल आधा यानी कि बकरा ईद के पर्व पर इस रस्म की शुरुआत होने के कारण सभी हज यात्री इस मौके पर ही शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरी करने की हसरत रखते हैं। हज की यात्रा पर आए लोग तीसरे दिन यहां मौजूद इन तीन बड़े खंभों को चेतन समझकर इनके ऊपर पत्थर मारते हैं और इस रस्म को करने की। साथी हज की यात्रा पूरी हो जाती है। अब कई सारे हिंदुओं का यह कहना है 

कि यही खंबे शिवलिंग है। इनकी नीचे शिवलिंग स्थापित की गई है। तो दोस्तो ऐसा  बिल्कुल नहीं है बल्कि उसका सच कुछ और ही है जब अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की कुर्बानी में उनकी सबसे पसंदीदा चीज मांगी तो हजरत इब्राहिम के लिए उनकी  एक लोती औलाद से ज्यादा पसंदीदा और क्या चीज हो सकती थी क्योंकि इनकी औलाद काफी बुढ़ापे में पैदा हुई थी और हजरत इब्राहीम उनसे प्यार भी बहुत करते थे।

 लेकिन अब अल्लाह का हुकुम था  तो मानना तो पड़ेगा। इसीलिए हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। दोस्तों हज़रत अब्राहिम जब अपने बेटे को लेकर कुर्बानी देने जा रहे थे, तभी रास्ते में एक शैतान मिला, जिसने हजरत इब्राहिम से कहा कि वो इस उमर में। अपने बेटे की कुर्बानी क्यों दे रहे हैं, आप तो उनका बेटा होना भी बहुत ही मुश्किल है। ऊपर से यह बेटा इतने सालों के बाद बुढ़ापे में पैदा हुआ है जो बुढ़ापे का सहारा बनेगा।

 अल्लाह के कहने पर हजरत इब्राहिम कैसे अपने जिगर के टुकड़े को कुर्बान कर सकते हैं। अभी शैतान की सारी बातें सुनकर हजरत इब्राहिम  सोच में पड गाए फीर इनका कुर्बानी देने का इरादा भी डगमगाने लगा। लेकिन फिर इनको खयाल आया कि नहीं, यह गलत है। अल्लाह फरमाइश सबसे पहले है और तब हजरत इब्राहिम कुर्बानी देने के लिए चले गए। हज़रत  इब्राहिम को लगा की कुर्बानी देते समय कहीं वह भावनाओं में ना बह जाएं 

 यही वजह है कि कुर्बानी देते वक्त उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी, लेकिन भला खुदा केसे किसी के साथ बुरा कर सकता था। यो तो बस हजरत इब्राहिम की परीक्षा ले रहा था, जिसमें हजरत इब्राहिम पूरी तरह से पास हो गए। इसीलिए खुदा ने हजरत इब्राहिम के बेटी की जगह है। कुर्बानी देने के लिए एक बकरे को खड़ा कर दिया और तभी से बकरा ईद के दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा चली आ रही है। 

यही वजह है कि हज  यात्री जब जानवर की कुर्बानी दे देते हैं तो यह उस शैतान को पत्थर मारने पहुंच जाते हैं, जिसमें हजरत इब्राहिम को भड़काने की कोशिश की थी और पत्थर मारने की रस्म के साथ ही खुदा से यह वादा भी करते हैं कि कोई भी शैतान उन्हें कभी बहका नहीं पाएगा। फिर चाहे वह शैतान बाहर की दुनिया में हो या फिर उनके मन में हो। वह हमेशा सच्चे दिल से खुदा की इबादत करेंगे। ऐसे में दोस्तों यह कोई शिवलिंग नहीं है बल्कि 

सेतान  का प्रतीक है जिस पर पत्थरों की बरसात कर के लोग अपने अंदर के शैतान को मारने की कोशिश करते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि अगर ऐसा कुछ नहीं है तो वहां पर हिंदुओं को क्यों नहीं जाने दिया जाता। दोस्त यहां पर सबसे पहली बात तो यह है कि सिर्फ हिंदुओं को ही नहीं बल्कि किसी भी मुस्लिम धर्म फिर चाहे वह हिंदू हो सिख हो, इसाई हो, बौद्ध हो या कोई भी हो।

 अगर वह मुसलमान नहीं है तो उसे काबा के अंदर नहीं जानें दीया जायेगा क्युकी । ऐसा माना जाता है कि अगर कोई मुसलमान नहीं है तो जाहिर सी बात है। वह सच्चे दिल से अल्लाह पर विश्वास भी नहीं करता है और जो सच्चे दिल से अल्लाह पर विश्वास नहीं करता उसे काबा के अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं है। यहां सिर्फ उन्हीं लोगों को अंदर आने दिया जाता है जो बिल्कुल। पवित्र मन से अल्लाह को अपना मानते हैं। 

अब दोस्तो  आपसे इस तरीके से समझिए कि जैसे आपका घर है और कोई आपकी इज्जत ना करे तो क्या आप उसे अपने घर में आने की अनुमति देंगे? नहीं ना आप चाहेंगे कि जो कोई भी आपके घर में आए। वह कम से कम आप का सम्मान तो करें और ठीक है। ऐसा ही यहां के लोग भेजो कोई भी काबा में प्रवेश करें।

अल्लाह को सच्चे दिल से माने उसके लिए सबसे पहले अल्लाह होना चाहिए। बाकी सारी चीजें बाद में हमें उम्मीद है कि आपको मक्का मदीना से जुड़ी हर एक बात अच्छे से पता चल गई होगी। अब आपके बारे में क्या कहना है। कमेंट करके हमें जरूर बताएं और इसी तरह की इंटरेस्ट  पोस्ट को को देखते रहने के लिए हमारे चैनल loveislifes को जब को लाइक शेयर सब्सक्राइब करना ना भूले देखने के लिए शुक्रिया।

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मक्का मदीना में हिंदुओं को अनुमति क्यों नहीं?

सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि मक्का में कोई गैर-मुसलमान जा ही नहीं सकता क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां केवल इस्लाम धर्म को मानने वाले ही जा सकते हैं। मक्का जाने के रास्ते में आपको जगह-जगह ऐसे बोर्ड देखने को मिलेंगे जिस पर लिखा हुआ है कि मक्का में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है।

क्यों गैर मुस्लिम मक्का नहीं जा सकते?

बता दें कि मक्का-मदीना में कोई भी गैर मुस्लिम प्रवेश नहीं कर सकता. क्योंकि यहां प्रवेश करने के लिए एक बुनियादी शर्त है और वो ये है कि जो शख्स पूरे मन से अल्लाह का सच्चे मन से मानता हो जो इस इस्लाम धर्म को मानता हो और यहां पर प्रवेश करने से पहले उसे इस्लाम धर्म को स्वीकर करना पड़ेगा.

क्या मक्का में गैर मुस्लिम जा सकता है?

मक्का में क्यों नहीं जा सकते गैर मुस्लिम इस्लाम में मक्का सबसे प्रमुख शहर है। लेकिन इस शहर में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है। गैर-मुस्लिम मक्का शहर के रास्ते से यात्रा भी नहीं कर सकते हैं। अगर कोई गैर-मुस्लिम मक्का में प्रवेश करने का प्रयास करता है तो उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

मक्का में शैतान कौन है?

ईदु-उल- जुहा के पर्व पर शैतान को पत्‍थर मारने की रस्‍म काफी चुनौतीपूर्ण होती है। यहां पर मक्का के पास स्थित रमीजमारात में यह रस्‍म तीन द‍िन तक न‍िभाई जाती है। हज जाने वाले यात्री रमीजमारात में तीन बड़े खंबों पर पत्‍थर मारते हैं। ये खंबे ही शैतान माने जाते हैं।