मुखिया का सैलरी का न्यूज़ अपडेट, पटना – अब बिहार के सभी ग्राम पंचायत और कचहरी प्रतिनिधियों को जल्द मासिक भत्ता मिलने जा रहा है. जनप्रतिनिधियों के डायरेक्ट उनके बैंक अकाउंट में भेजने का प्रावधान भी हो रहा
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2021-22 में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरी के नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को मासिक भत्ता देने के लिए बिहार सरकार ने 79 करोड़ 10 लाख रुपए स्वीकृत कर दी है. दुनिया का सबसे बड़ा, वित्तीय विसंगति, बिहार
यूं तो बिहार में MLA एवं MLC को ₹ 40000 तक सैलरी एवं 50 हजार से ₹ 70 हजार तक अन्य भक्ता के रूप में मिलता है. लेकिन बिहार के ग्राम पंचायत के पदों पर आसीन मुखिया, सरपंच, समिति, वार्ड सदस्य एवं पंच की सैलरी बहुत ही कम है. क्या आप बिहार मुखिया सैलरी 2022 के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो आप एक बेहतरीन लेख तक पहुंच चुके हैं.
जानिए बिहार के ग्राम पंचायत में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को, किसको-कितना मानदेय मिलता है
पद पर रहते हुए मौत होने पर कितना पैसा मिलता है? पंचायती राज के किसी भी पद के प्रतिनिधियों के पदासीन रहते हुए मौत होने पर परिजनों को मुआवजा के तौर पर पांच लाख रुपया मिलता है. क्या पंचायत के चुने हुए सम्मानित जनप्रतिनिधियों को सम्मानजनक सैलरी मिलना चाहिए?समाज में हर किसी को सम्मान से जीने का हक देता है. अगर पंचायत जनप्रतिनिधियों को पर्याप्त कमाई नहीं होगी तो ऐसे में वह दूसरों को क्या सम्मान दिला पाएगा. अनेक संगठन एवं कई पंचायत प्रतिनिधि ने हमें बताया कि हम लोगों की सैलरी/ मनोदय एवं भक्ता बहुत कम है. हमारी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए अपने वेबसाइट पर इस पर एक आर्टिकल लिखिए. मैं बिहार सरकार से आग्रह करता हूं कि पंचायत जनप्रतिनिधियों के सैलरी / मनोदय एवं भक्ता बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाएं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का चुके हैं कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है. गांव की आत्मा पंचायत भवन में बसती है. इसलिए पंचायत के प्रतिनिधियों को भी उचित मनोदय मिलना ही चाहिए. पंचायत के जनप्रतिनिधि भी कम से कम 12 घंटों तक अपने जनता के लिए सेवा देते हैं. उचित सेवा के बदले उचित महोद मिलना ही चाहिए. बिहार में मुखिया की सैलरी: ₹83:30, न्यूनतम मजदूरी ₹318: कम देने पर सजाबिहार के मजदूर भाइयों के लिए एक सुखद समाचार है कि उनके न्यूनतम मजदूरी में मामूली वृद्धि की गई है. जो निम्नलिखित है.
न्यूनतम मजदूरी न देने वालों पर सख्त सजा एवं जुर्माना का प्रावधान हैअगर कोई व्यक्ति, किसी भी मजदूर से काम कराने के बाद, मजदूर की न्यूनतम मजदूरी दर नहीं दी तो व्यक्ति (मालिक) एक साल की सजा और तीन हजार तक का जुर्माना दोनों देना होगा। कोई भी आम मजदूर इसकी शिकायत, सक्षम न्यायालय में या प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के माध्यम से मजदूर न्यूनतम मजदूरी के लिए दावापत्र दायर कर सकते हैं। यदि कोई मजदूर उप-आयुक्त या श्रम न्यायालय में व्यावसायिक श्रम के लिए भुगतान का दावा नहीं करना चाहते हैं, तो मजदूर कृषि कार्य से संबंधित मजदूरी के लिए सहायक श्रम आयुक्त, उप कलेक्टर या श्रम अधीक्षक को दावा कर सकते हैं। यदि न्यूनतम मजदूरी मिलना मुश्किल हो तो वे प्रखंड के श्रम प्रवर्तन अधिकारी, जिले के श्रम अधीक्षक, सहायक श्रम आयुक्त या उप श्रम आयुक्त से कोई भी मजदूर संपर्क कर सकते हैं. यही नहीं कोई भी कामगार, कर्मचारी विभाग के योजना भवन, तृतीय तल, ब्लॉक बी बेली, पटना द्वारा अवरुद्ध श्रम आयुक्त के प्रशासनिक निदेशक से भी संपर्क कर सकते हैं। बिहार में मुखिया की सैलरी: ₹83:30 है, पर सरकार पर जुर्माना क्यों नहींदरअसल बात यह है कि, बिहार में मुखिया को प्रतिदिन ₹83:30 मजदूरी मिलता है, जो कि न्यूनतम मजदूरी से भी बहुत कम है. बिहार सरकार ने 1 अप्रैल 2022 से नई न्यूनतम मजदूरी दर व्यवस्था लागू की है. जिसके तहत न्यूनतम मजदूरी ₹318 तय किया और कम देने पर सजा देने का प्रावधान भी किया है. अगर ₹318 को 30 दिनों के अनुसार जोड़ा जाए तो यह ₹9,540 होता है. बिहार सरकार ने मुखिया की प्रति महीना ₹2,500 तय किया है. इस प्रकार अन्य जनप्रतिनिधियों के भी बहुत कम सैलरी हैं. वार्ड सदस्य एवं पंच सदस्यों की सैलरी ₹16:66 पैसा प्रतिदिनयह दुनिया का सबसे अनोखा रिकॉर्ड है. एक लोकतांत्रिक देश में, चयनित वार्ड सदस्य एवं सदस्यों को प्रतिदिन सैलरी (मनोदय) के रूप में, बिहार सरकार ₹16:66 देती है. क्या कोई बता सकता है कि वार्ड सदस्य एवं पंच सदस्यों घर में चूल्हा नहीं जलता है. क्या सरकार को यह लगता है कि यह सारे जनप्रतिनिधि घुस कमा करके ही अपने जीवन व परिवार का लाल पोषण करें. यह व्यवस्था कहीं ना कहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों को घुस खाने पर मजबूर किया है. जबकि इस बार पंचायत चुनाव में ज्यादातर युवाओं को जीत मिली है. ऐसे में उम्मीद था कि यह युवा जो पहली बार राजनीति में आए हैं. वह पूरी ईमानदारी से काम करेंगे. लेकिन सरकार ने अभी तक इन लोगों का सैलरी नहीं बढ़ाया है. जबकि हाल ही में न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की गई थी. उसी समय उचित था कि, पंचायत के जनप्रतिनिधियों के भी सैलरी बढ़ा देना चाहिए था. भारतीय संविधान का आर्टिकल संख्या-14, हमें समानता का अधिकार देता है. इस प्रकार भारत का चाहे कोई कर्मचारी हो या फिर मजदूर हो या फिर गांव का कोई जनप्रतिनिधि हो, हर किसी को समानता अधिकार मिलें. भारतीय महान संविधान ने समानता का अधिकार रक्षक सुप्रीम कोर्ट को बनाया है. बिहार के ग्राम पंचायतों नेता कितना कमा लेते हैं?अगर बिहार सरकार के द्वारा सैलरी के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा सैलरी पंचायत में मुखिया एवं सरपंच का होता है जो 25 सौ रुपया है. जबकि दूसरे स्थान पर पंचायत समिति होते हैं. अगर देखा जाए तो सही तरीके से ग्राम पंचायतों के नेता बहुत कम रुपया कमा पाते हैं. यह बात छूपी नहीं है कि एक वार्ड सदस्य भी अपने चुनाव में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं.
Conclusion Pointsमुखिया, सरपंच, समिति, वार्ड सदस्य एवं पंच सदस्य की सैलरी/ मनोदय 2500, 2500, 1000, 500 एवं 500 रुपया प्रति महीना मिलता है. क्या आप के हिसाब से सैलरी बढ़ना चाहिए? कमेंट में जरूर लिखिए. कमेंट में अपना नाम एवं पंचायत के बारे में लिखिए ताकि आपके नाम को कोई गूगल पर सर्च करें तो आपका सही रिपोर्ट मिलें. वेबसाइट को मौका देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. पंचायत समिति के सदस्यों का चुनाव कैसे होता है?इस समिति का चुनाव पाँच वर्षों से होता है और इसके अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव, चुने हुये सदस्य मिलकर करते हैं। इसके अलावा अन्य सभी पंचायत समितियों पर्यवेक्षण के लिए एक सरपंच समिति भी होती है। मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र सदस्य। विधायक मंडल में क्षेत्राधिकार रखते हैं।
ग्राम पंचायत का मुखिया कौन है?सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
जिले का मुखिया कौन होता है?जिला कलेक्टर के रूप में
उपायुक्त जिले में राजस्व प्रशासन का उच्चतम अधिकारी है।
ग्राम सभा के सदस्य कौन हो सकता है?प्रश्न 7: ग्राम सभा के सदस्य कौन हैं? उत्तर: गांव में पंचायत की मतदाता सूची में पंजीकृत सभी मतदाता ग्राम सभा के सदस्य हैं।
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