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महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना को विधिपूर्वक किया जाता है। पूजा आराधना करने का उपयुक्त समय तथा शुभ मुहूर्त में ही करना उचित रहता है। (mahashivratri Vrat ke niyam) जैसे ही पूजा आराधना पूर्ण होती है। तब भक्तगण व्रत का संकल्प लेते हैं। यदि व्रत करना ही है तो पूरे विधि विधान के साथ करने चाहिए। व्रत पारण करने अर्थात व्रत खोलने का भी उचित समय और शुभ मुहूर्त में ही व्रत पारण करना उचित रहता है। शिवरात्रि व्रत का महत्व शिवरात्रि व्रत के नियम हम इस लेख में जानने वाले हैं। आइए जानते हैं, महाशिवरात्रि व्रत का महत्व क्या है? महाशिवरात्रि व्रत धारण करने के नियम क्या है? महाशिवरात्रि व्रत क्यों रखा जाता है? महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाना चाहिए? महाशिवरात्रि व्रत कथा? महाशिवरात्रि व्रत कब है? महाशिवरात्रि व्रत कब खोला जाता है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस शिवलेख में जानने वाले हैं। इसलिए अंत तक इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ें। महाशिवरात्रि व्रत क्यों रखा जाता है | Mahashivratri vrat Kyon rakha jata hainहिंदू धार्मिक ग्रंथों एवं मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक हिंदू अपने आराध्य को प्रसन्न करने हेतु व्रत धारण करते हैं। कठिन व्रत का पालन करते हैं। मान्यताएं अपने विश्वास से जुड़ती है और विश्वास सीधा परम पिता परमेश्वर से संपर्क करता है। जब भी हम अपने आस्था को प्रकट करने हेतु अपने प्रभु में विश्वास दिखाते हैं। तो हमें एक ऊर्जा मिलती है और उसी ऊर्जा से हमें जीवन यापन करने में सुविधा रहती है। शिवरात्रि के दिन शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करते हैं। पंचामृत से अभिषेक करते हैं। फुल, पुष्प, बेलपत्र आदि चढ़ाकर भगवान शिव की प्रतिमा शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाते हैं। विधि विधान के साथ पूजा अर्चना संपन्न करने पर शिवभक्त शिवरात्रि व्रत का संकल्प लेते हैं। ऐसा करने से शिव भक्तों को एक ऊर्जा शक्ति का एहसास होता है। अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति भक्ति का परिचय देते हैं। मान्यताओं के अनुसार जो लड़का या लड़की अभी तक शादीशुदा नहीं है। वह भगवान शिव का व्रत धारण करते हैं। तो उन्हें विवाह संबंधी हो रही परेशानियां दूर होती है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के समय भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था। जानिए शिव रात्रि का महत्व, पूजा, व्रत विधि एवं शुभ मुहूर्त | शिव मन्त्र एवं शिव चालीसा पढ़ें महाशिवरात्रि व्रत कब है | When is Mahashivratri fastingइस वर्ष महाशिवरात्रि व्रत 1 मार्च 2022 मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन वसंत ऋतु के फाल्गुनी मास की चतुर्दशी होगी। इस दिन शिव गण तथा शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करेंगे। शिव को प्रसन्न करने वाली गतिविधियां करेंगे जिस में शिव जागरण, शिव पूजा, शिव आराधना, शिव भजन, महाशिवरात्रि व्रत, दान पुण्य, आदि करते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत रखने के नियम | Mahashivratri Vrat ke niyamजो भी शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करते हैं। उन्हें चाहिए कि वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु कठोर व्रत धारण करें। व्रत के नियमों का विधि विधान के साथ पालन करें। विधि विधान के साथ ही व्रत का समापन अथार्त पारण करें। महाशिवरात्रि के दिन जो भी स्त्री, पुरुष, कन्या, बालक महाशिवरात्रि का व्रत धारण करते हैं। उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि व्रत धारण करने के कुछ नियम है, जैसे:-
जाने शिव रात्रि मानाने के पीछे वैज्ञानिक, आध्यात्मिक महत्व शिवरात्रि व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए:- व्रत धारण करने के हेतु शिव भक्तों को चाहिए कि वह व्रत को सात्विक तरीके से करें। कोई भी ऐसी चीज नहीं खाए जो व्रत के दौरान नहीं खानी चाहिए जैसे:- अन्न से बनी हुई चीजें, नमक से बनी हुई चीजें, खट्टी चीज, कोल्ड ड्रिंक, मिठाई आदि नहीं खानी चाहिए।
महाशिवरात्रि कोट्स इन हिंदी शिवरात्रि व्रत कब खोला जाता है | शिवरात्रि व्रत कैसे खोला जाता हैंmahashivratri Vrat ke niyam:- जब जातक भगवान शिव को आराध्य मानते हैं। शिवरात्रि के दिन कठोर व्रत का पालन करते हैं। तो उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इसी के साथ विवाह संबंधी अड़चनें दूर होती है। शिवरात्रि व्रत खोलने के कुछ नियम निर्धारित हैं जैसे:- महाशिवरात्रि व्रत पारण शुभ मुहूर्त | महाशिवरात्रि व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त
Mahashivratri Vrat ke Niyam | व्रत पारण करने के कुछ नियम है:-
महाशिवरात्रि व्रत कथा | Mahashivratri Vrat Storyमहाशिवरात्रि व्रत कथा की अगर हम बात करें। तो मनाने के पीछे बहुत सेमर एवं मतभेद हैं। परंतु हम आस्तिक व्यक्ति हैं। हमें चाहिए कि भगवान शिव की आराधना पूजा पाठ करने में हमें किसी प्रकार के बहस में नहीं पड़ना चाहिए। जो भगवान शिव की महत्ता को लेकर जिस भी ग्रंथ में शिवरात्रि का महत्व बताया गया है। उसे फॉलो कर लेना चाहिए। भगवान शिव त्रिभुवन पतियों में एक अदम्य साहस सकती हैं। जो स्वयं प्रकाशमान है। पढ़ें महाशिवरात्रि कोट्स, शायरी, स्टेटस, शिव मंत्र और शिव चालीसा शिव पुराण में लिखी इस व्रत कथा को ध्यानपूर्वक पढ़ेएक चित्रभानु नाम का शिकारी था। वह अपने परिवार को पाने के लिए जंगल में शिकार किया करता था। कुछ दिनों तक उसे स्वीकार नहीं मिलने की वजह से वह कर्जे में डूबता चला गया और साहूकार से कर्जा ले लिया। साहूकार का कर्जा नहीं चुकाने की वजह से साहूकार ने उसे कैद कर लिया। कुछ दिनों बाद उसे छोड़ दिया। अब वह पूरे दिन जंगल में भटकता रहा भटकते भटकते एक पेड़ पर जा बैठा। जहां पर नीचे शिवलिंग बना हुआ था और वह वृक्ष था बिल पत्रका। जैसे:- वह शिकार का इंतजार कर रहा था। तभी चित्रभानु को एक हिरनी आती दिखाई दी। उसने जैसे ही उसे मारने की तैयारी की तब हिरनी चित्रभानु से कहती है। कि मैं अपने बच्चों को जन्म देने वाली हूं। मैं आपसे वादा करती हूं बच्चे के जन्म के बाद आपके पास आ जाऊंगी। आप मेरा शिकार कर दीजिएगा। चित्रभानु ने उनकी बात मान ली और उसे जाने दिया। कुछ देर बाद दूसरी हिरनी उधर से गुजर रही थी। तब चित्रभानु ने उसका शिकार करने की तैयारी की। दूसरी हिरणी बोलती है कि मैं अभी रितु काल से बाहर आई हूं। मुझे मेरी पति की तलाश है। मैं पति से मिलकर आपके पास जरूर आ जाऊंगी। कृपया मुझे छोड़ दीजिए। भानु ने उस हिरणी को जाने दिया। कुछ देर बाद तीसरी हिरनी उधर से गुजरती है। तब चित्रभानु ने उसे मारने के लिए अपने शस्त्र को तैयार कर ही रहा था कि हिरणी बोलती है, कि मैंने अभी अपने दो बच्चों को जन्म दिया है। वह अनाथ हो जाएंगे। मैं पहले उन्हें अपने पिता के हवाले कर आती हूं और आपके पास आ जाऊंगी। चित्रभानु का मन पिघल चुका था। उसने तीसरे को भी जाने दिया। कुछ देर बाद एक हिरण उधर से गुजर रहा था। चित्रभानु ने सोचा कि हिरण को तो मुझे मारना ही पड़ेगा। वरना मैं आज पूरे दिन ही भूखा रहूंगा। जब तक हिरण उसके पास आता तब तक 4 पहर बीत चुके थे। हिरण को मारने के लिए चित्रभानु ने जैसे ही तैयारी की तो हिरण कहता है। यदि तुमने पहले तीनों को मार दिया है तो मुझे भी मार दो और यदि तुमने उन तीनों को नहीं मारा है तो मुझे छोड़ दो। मैं तुमसे वादा करता हूं कि मैं पूरे परिवार के साथ तुम्हारे सम्मुख प्रस्तुत हो जाऊंगा। चित्रभानु ने संपूर्ण कथा हिरण को सुना दी हिरण ने वादा किया कि मैं आपके पास जल्द ही अपने पूरे परिवार को लेकर आता हूं। मुझे जाने की आज्ञा दें चित्रभानु का मन था पूरे दिन भूखा रहा और बेलपत्र के वृक्ष पर बैठने की वजह से बिल पत्र के पत्ते नीचे शिवलिंग पर गिर रहे थे। शिवलिंग पर बार-बार पत्ते गिरने से चित्रभानु का हृदय परिवर्तन होता रहा। कुछ देर बाद ही रन पूरे परिवार के साथ चित्रभानु के पास आ गया कहा कि अब आप मेरे पूरे परिवार का शिकार कर। सकते हैं हमने वादे के अनुसार आपके समक्ष प्रस्तुत हैं चित्रभानु का हृदय परिवर्तन हो चुका था उसने फिर हिरण के पूरे परिवार को जीवनदान दे दिया और चित्रभानु भगवान शिव की शरण में चला गया और उसे सी ब्लॉक में स्थान मिला अर्थात चित्रभानु एक उपकार के बदले अपने पूरे जीवन को मोक्ष के मार्ग पर ले गया शिवरात्रि के दिन बाल धोने चाहिए क्या?आमतौर पर किसी भी पूजा या व्रत के दौरान महिलाओं के लिए बाल धोना अनिवार्य होता है. लेकिन अगर आप सोमवार के व्रत कर रही हैं तो इस दिन बाल ना धोएं. बल्कि व्रत से एक दिन पहले ही बाल धो लें. भगवान शिव की पूजा करते समय सुहागिन महिलाओं को शिव की 7 परिक्रमा करनी चाहिए.
शिवरात्रि पर क्या करें क्या न करें?शिवरात्रि के दिन भूलकर भी गुरु, माता-पिता, पत्नी या पूर्वजों का अपमान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गुरु की पत्नी के साथ संबंध बनाना, शराब पीना और दान की हुई चीजें या धन वापस लेना भी महापाप माना गया है। इसलिए ऐसा करने से बचें। अन्यथा शिवजी कभी भी माफ नहीं करते।
महाशिवरात्रि की रात क्या करें?शिवरात्रि पर रात्रि जागरण का बहुत महत्व है अत: पूरी रात शिव जी की स्तुति करते हुए बिताएं। ना ही खुद सोए और अपने परिवारजनों तथा दोस्तों को भी सोने ना दें। 13. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भांग, धतूरा, दूध, चंदन, भस्म, जायफल, फल, मिठाई, मीठा पान, इत्र जैसी कई चीजों को अर्पित करते हैं।
शिवरात्रि में शाम को क्या खाना चाहिए?फलाहार में संतरा, खीरा, पपीता, सेब आदि फल ले सकते हैं। महाशिवरात्रि के व्रत में भी सात्विक भोजन खाना चाहिए। अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो तो बिना नमक के भी यह व्रत किया जा सकता है। वरना सेंधा नमक का सेवन किया जा सकता है।
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