लाख से कौन-कौन सी चीज़े बनाई जाती है तथा लाख कौन-कौन से देशों में इस्तेमाल होता है?... Show चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। लाख से अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती है जैसे चूड़ियां आंकड़े विभिन्न प्रकार के सजावटी डिब्बे डिबिया सजावटी पेन गले के हार झुमकी व अन्य कई प्रकार के गहने इनके साथ साथ लाख का प्रयोग कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां बनाने में भी होता है रंग तथा वार्निश बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है और चीन में चमड़ा रखने के लिए बड़े पैमाने पर लाख का प्रयोग होता है और भारत में राजस्थान में सबसे बड़ा लाख उद्योग है और जहां बड़ी मात्रा में इसका वैसे बनी बनी वस्तुओं का जो है उत्पादन किया जाता है और लाख का प्रयोग भारत बांग्लादेश नेपाल पाकिस्तान में अनुवाद श्रीलंका जैसी कंट्रीज में किया जाता है Romanized Version 1 जवाब Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए Solutionलाख से बनी वस्तुओं का निर्माण भारत के राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि में होता हैलाख से सुंदर-सुंदर खिलौने, घर की सजावटी वस्तुएँ, आभूषण, मूर्तियाँ, चूड़ियाँ, डाकखाने में मुहर तथा पैकिंग सील बनाई जाती हैं।
पलाश के पेड़ों की शाखाओं में पर ऐसे बनता है लाख।
बिलासपुर. जंगलों पर निर्भर बैगा, गोंड़ जैसे जनजातीय समुदायों के लिए लाख की खेती अब महज आजीविका चलाने का जरिया नहीं बल्कि उनकी जिंदगी में समृद्धि का सूचक है। यही वजह है कि किसान ‘लाख लगाबो, लाखों कमाबो’ का नारा बुलंद कर रहे हैं। लाख उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा राज्य है, जिसने वर्ष 2008-9 में 7200 टन के साथ रिकाॅर्ड कायम किया। यह देश के लाख उत्पादन का 42 फीसदी है। जंगल से जुड़े क्षेत्र के किसानों में लाख की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। वजह है प्राकृतिक रूप से बहुतायत में पाए जाने वाले पलाश के पेड़। आम के आम और गुठलियों के दाम। किसान अपनी जमीन पर पारंपरिक धान और नगदी फसल करने के साथ साल में दो मर्तबा लाख उत्पादन कर रहे हैं। वन विभाग किसानों को बीज से लेकर लाख उत्पादन के उपकरण तक मुफ्त दे रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ रायपुर, भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान रांची और वन उत्पादकता परिषद् रांची ग्रामीणों को लाख की खेती व प्रसंस्करण के लिए ट्रेनिंग दिलाते हैं। ग्रामीणों व किसानों के लिए जिला और वृत्त स्तर पर फेसिलिटेटर सेंटर खोले गए हैं। कीड़ों का रक्षा कवच ही होता है लाख एक पेड़ से सालाना 500 रुपए का लाख मिलता है बीहन लाख से शिशु कीट के निकलने के बाद बाकी लाख लगी डंडियों को फूंकी कहा जाता है, जिसे छील कर निकाला जाता है। इसका फसल चक्र जून, जुलाई और अक्टूबर नवंबर है। साल में दो मर्तबा उत्पादन लेकर किसान अपनी सुविधा अनुसार केंद्र या सीधे व्यापारियों को बेच सकते हैं। कंचनपुर में लाख प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया जा चुका है, जहां सफाई से सीड लाख प्राप्त होती है। छिली लाख की तुलना में सीड लाख की कीमत अधिक कीमत मिलती है। इसकी भंडारण के समय में एक वर्ष की बढ़ोतरी की जा सकता है। जीतराम को बनाया करोड़पति कोटा से 10 किमी दूर बिल्लीबन में जीतराम के खेतों में पलाश के 500 पेड़ हैं। पिछले साल उसने डेढ़ लाख का लाख बेचा था। बकौल, जीतराम इसकी बदौलत आज वह 14 एकड़ का मालिक है। सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगा रखा है। तीनों बेटियों के ब्याह की जिम्मेदारी निभा चुका है। वह खुद कम पढ़ा-लिखा है, परंतु बेटा किरण कुमार सीआरपीएफ बटालियन तो जयकरण बीएड कर टीचर बन गया है। तीसरा हिरण कुमार डीसीए कर रहा है। घर के लिए जुटाईं सुविधाएं बिल्लीबन का संतोष कुमार तंवर लाख की खेती करता है और दीगर किसानों को भी उसने इससे जोड़ रखा है। वह लघु वनोपज सहकारी समिति का प्रबंधक है। गांव में पक्का मकान है। सुविधा और मनोरंजन के लिए उसके यहां टीवी, फ्रिज, कूलर, बाइक मौजूद हैं। तंवर के मुुताबिक उसके खेतों में पलाश के 1000 पेड़ हैं। लाख उत्पादन के साथ वह खेती भी करता है। उसने बताया कि उसकी पत्नी सीतादेवी ग्राम पंचायत सरपंच है। जिले में तीन प्रोजेक्ट, सैकड़ों हुए मालामाल जिले में लाख उत्पादन के तीन प्रोजेक्ट चल रहे हैं। छतौना समिति के दर्जनभर समूहों में 238 हितग्राही किसान लाख की खेती कर रहे हैं। वहीं 20 समूहों वाली सेमरिया-शिवतराई की समिति के अंतर्गत 269 तो खैरा गांव की समिति में 13 समूहों के अंतर्गत 229 किसान लाख की खेती से कमाई कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों की जिंदगी में आर्थिक, सामाजिक बदलाव आया है। लाख की खेती रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कांकेर, सरगुजा और जगदलपुर वन वृत्त के 30 वन मंडलों के 91 परिक्षेत्रों में होती है। इससे हजारों किसान
जुड़े हुए हैं।'' आगे की स्लाइड्स में देखें संबंधित फोटो... लाख से कौन कौन सा सामान बनाया जाता है?लाख का इस्तेमाल मुख्यत: श्रृंगार की वस्तुओं, सील, चपड़ा, विद्युत कुचालक, वार्निश, फलों व दवा पर कोटिंग, पॉलिश व सजावट की वस्तुएं तैयार करने में किया जाता है।
लाख की चूड़ियों के अलावा और क्या क्या चीजें बनती है?लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त गोलियाप, मूर्तियों तथा अन्य सजावटी सामान बनता है।
लाख की वस्तुओं का निर्माण मुख्य क्या होता है?लाख की वस्तुओं का सबसे अधिक निर्माण राजस्थान में होता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश व गुजरात में भी लाख पाई जाती है। इसलिए वहाँ भी लाख का सामान बनाया जाता है। लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त कई प्रकार के अभूषण, खिलौने व सजाने का सामान बनाया जाता है।
लाख की क्या विशेषता है?लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृत का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है।
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