जल प्रदूषण से क्या बीमारी होती है? - jal pradooshan se kya beemaaree hotee hai?

जलजनित रोग विश्व की जनसंख्या के लिए, विशेष रूप से विकासशील देशों में एक प्रमुख चुनौती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ का अनुमान है कि विकासशील देशों में ये सभी बीमारियों के 80% और सभी मौतों में से एक तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं। अकेले भारत में हर रोज 3000 से अधिक लोग दूषित पानी से होने वाली बिमारियों के कारण मर जाते हैं। एक अलग रिपोर्ट में, डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि सभी जलजनित बीमारियों के 88% का कारण खराब स्वच्छता, साफ-सफाई और एक असुरक्षित पानी की आपूर्ति है

कारण

जलजनित बीमारियों के दो मुख्य कारण हैं:

  • प्रदूषण जैसे औद्योगिक प्रदूषण या कृषि रसायनों के अधिक उपयोग के कारण रसायन, नाइट्रेट या पानी की आपूर्ति में भारी धातुओं का खतरनाक स्तर।
  • गंदगी और संक्रमण - बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी जीवों अदृश्य रूप से पानी को दूषित करते हैं और बीमारी का कारण बनते हैं। अधिकतर यह संक्रमण पशु और मानव अपशिष्ट के संपर्क में आने वाले पानी के माध्यम से होता है। केवल मल के एक ग्राम मिएँ 100 अरब रोगाणु तक शामिल हो सकते हैं।

लक्षण

जलजनित बीमारियों कई और विविध हैं, जैसे कि दस्त और हैजा और पोलियो और दिमागी बुखार। ये अविश्वसनीय रूप से उन लोगों के लिए गंभीर, जीवन बदलने वाले और यहाँ तक कि जीवन के लिए खतरा भी हो सकते हैं जो इनसे संक्रमित हैं, लेकिन जलजनित रोगों और बीमारियों से खुद को बचाने के लिए कुछ कदम उपलब्ध हैं, जिनका आप पालन कर सकते हैं।

  • दस्त और आंत्रशोथ
  • पेट में दर्द और ऐंठन
  • आंत्र ज्वर (टाइफाइड)
  • पेचिश
  • हैज़ा
  • मस्तिष्कावरण शोथ
  • गिनी-कृमि रोग
  • हेपेटाइटिस
  • पोलियो

रोकथाम के सुझाव

  • सुनिश्चित करें कि पानी दिखने में साफ़ और किसी भी प्रकार की गाद या रेत से मुक्त है। पानी को किसी भी दृश्यगत गंदगी को दूर करने के लिए फ़िल्टर किया जा सकता है।
  • हमेशा स्वच्छ और सुरक्षित पानी पीएं। या तो साफ पीने योग्य पानी या ऐसा साफ पानी का उपयोग करें जिसे किसी भी उपस्थित हानिकारक बैक्टीरिया को मारने के लिए पानी को साफ़ करने वाले यंत्रों के उपयोग कर सुरक्षित किया गया हो। अनुपचारित पानी नहीं ना पीएं।
  • सुनिश्चित करें किसी भी प्रकार से संग्रहित किया गया पानी बाद में उपयोग के लिए साफ़ और रोगाणु मुक्त है।
  • यदि पानी नहाने के लिए भंडारित किया गया है, तो हानिकारक जीवाणुओं को मारने के लिए नहाने वाले पानी में निर्देशित अनुसार कुछ डेटॉल एंटीसेप्टिक तरल डालें।
  • शौचालय का उपयोग करने के बाद, भोजन तैयार करने से पहले और खाने से पहले हाथ को अच्छी तरह से साबुन से धोने जैसे उत्कृष्ट हाथ की साफ़-सफाई का अभ्यास करें।
  • सुनिस्चित करें सारा भोजन धोया, साफ किया गया है और हानिकारक बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक कीटाणुओं को मारने के लिए अच्छी तरह से पकाया गया है।
  • टीके से निवारणीय रोगों से खुद को बचाने के लिए प्रतिरक्षित हो जाएं।

मिथक और सत्य

जलजनित बीमारियां केवल विकासशील देशों में होती हैं?

जलजनित बीमारियां कहीं भी हो सकती हैं, लेकिन ये स्वच्छ, सुरक्षित पानी, जल निकासी और स्वच्छता प्रदान करने में बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक प्रचलित हो सकती हैं।

जलजनित बीमारियां केवल कमजोर समुदायों पर असर डालती हैं?

यह एक मिथक है, जलजनित बीमारी किसी पर भी प्रभाव डाल सकती है, हालांकि प्रभाव इसके कारण होने वाली बीमारी पर निर्भर करता है, यह युवाओं, बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर स्थिति में रहने वाले लोगों पर अधिक गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां Disease caused by Water Pollution in Hindi , आप लोगों ने यह बात तो सुनी होगी कि दूषित पानी पीने से बहुत सारी बीमारियां होती हैं। दूषित पानी पीने से डायरिया, कब्ज, अपच, पीलिया, लिवर में संक्रमण,मलेरिया, उल्टी दस्त जैसी बहुत सी बीमारियां होती हैं।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां Disease caused by Water Pollution in Hindi

कुछ प्रमुख बीमारियों और उसके उपचार के बारे में इस लेख में हम आपको बताएंगे –

उल्टी- दस्त (पेचिश) Diarrhea and dysentery

यह बीमारी दूषित पानी पीने से होती है। मानसून के समय यह अधिक फैलती है। यह रोग विब्रिओ कॉलेरी नामक बैक्टीरिया से फैलता है। इस बीमारी में मल पानी जैसा पतला होता है। बार बार टॉयलेट जाना पड़ता है। इससे मरीज परेशान हो जाता है। उल्टी दस्त जैसी समस्याएं शरीर को डिहाइड्रेट कर देती हैं। शरीर से सारा पानी बाहर निकल जाता।

यदि पानी शुद्ध ना हो तो उसे उबालकर पीना चाहिए जिससे उसके अंदर के सभी बैक्टीरिया समाप्त हो जाएं। उल्टी दस्त से बचने के लिए साफ सफाई पर अधिक ध्यान देना चाहिए। बर्तनों को अच्छे से साफ करना चाहिए।

बाजार में खुली और कटी हुई खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करना चाहिए। इस बीमारी में मरीज के शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए ORS का घोल देना चाहिए और डॉक्टर से तुरंत दवा लेनी चाहिए। पानी में नींबू, चीनी नमक मिलाकर पीना चाहिए।

टाइफाइड Typhoid

यह बीमारी बैक्टीरिया युक्त जल पीने से और दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से होती है। इस बीमारी में बुखार आता है, शरीर में दर्द होता है और भूख कम लगती है। इस रोग में बुखार 104 डिग्री तक हो सकता है।

इससे बचने के लिए टाइफाइड का टीका लगाया जाता है। यह रोग हो जाने पर मरीज को पेय पदार्थों जैसे पानी, जूस, दूध का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए। बुखार से बचने के लिए ठंडे पानी की पट्टियां माथे पर लगानी चाहिए। हाथों पर भी ठंडे पानी की पट्टियां रखें रखनी चाहिए।

इंसेफेलाइटिस (जापानी बुखार) Encephalitis

यह बीमारी दूषित पानी में जन्मे मच्छरों के कारण होती है। इसे जापानी बुखार, मस्तिष्क ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में यह बीमारी अपने पैर तेजी से पसार रही हैं। इस रोग में तेज बुखार, भूख कम लगना, कमजोरी, उल्टी होना, गर्दन में जकड़न, तबीयत सुस्त होना, अति संवेदनशील होना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इस रोग में दिमाग में सूजन भी हो जाती है।

यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए तुरंत डॉक्टर से उपचार लेना चाहिए। गंदे पानी के संपर्क से बचना चाहिए। घर के आस-पास यदि कहीं गंदा पानी जमा हुआ है तो उसे मिटटी से ढक देना चाहिए। यह बीमारी मुख्यतः मच्छर के काटने से होती है।

इसलिए मच्छरों को मारने के लिए दबाव का छिड़काव करना चाहिए। घर में ऑल आउट, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती लगानी चाहिए। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। बच्चों को पूरे कपड़े पहचान बनाना चाहिए जिससे मच्छरों न काट सके। इसके अलावा इन्सेफेलाइटिस का टीका लगवाना चाहिए।

मलेरिया Malaria

यह रोग मादा एनोफि‍लेज मच्छर के काटने से होता है। चक्कर आना, बुखार, जुकाम, सांस फूलना, सर्दी लगना, बेहोशी इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। इस रोग में बुखार होने पर मरीज को बहुत ठंड का अनुभव होता है। शरीर का तापमान 105 डिग्री फारेन्हाईट तक चला जाता है। यह रोग होने पर तुरंत डॉक्टर से दवाई लेनी चाहिए।

मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से बचना जरूरी है। घर में मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती, काला हिट जैसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। खिड़कियों पर जाली लगा देनी चाहिए जिससे मच्छर अंदर ना आ सके। सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए। शरीर पर सिंट्रोनेला तेल वाली क्रीम लगानी चाहिए। घर में कूड़ा करकट नहीं जमा होने देना चाहिए।

बरसात के मौसम में इस तरह के कूड़ा करकट में पानी भर जाता है और मच्छर पैदा हो जाते हैं। कूलर के पानी को समय-समय पर साफ करना चाहिए जिससे उसमें मच्छर ना पैदा हो। मलेरिया होने पर तुलसी के पत्तों को चबाने से लाभ होता है। रक्त की जांच कराने से इस रोग का पता चल जाता है। इस रोग में हल्का भोजन करना चाहिए।

पथरी की बीमारी Stone in Organs

दूषित पानी पीने से गुर्दा, पित्त की थैली में पथरी की समस्या हो जाती है। पानी में छोटे-छोटे पत्थर, रेट के कण शरीर के भीतर जाकर जमा होते रहते हैं और पथरी का निर्माण करते हैं। कई बार तो पथरी का ऑपरेशन करवाना पड़ जाता है। इस बीमारी से बचने के लिए साफ फिल्टर। छना हुआ पानी पीना चाहिए।

पीलिया Jaundice

यह रोग दूषित पानी पीने से फैलता है। इसमें मरीज को कमजोरी, भूख ना लगना, मितली आना, बुखार, सिर दर्द, कब्ज, अत्यधिक थकावट, आंख जीव त्वचा और मूत्र का रंग पीला होना जैसे लक्षण पाए जाते हैं। इस रोग से बचने के लिए भोजन बनाने, भोजन करने के पूर्व हाथों को अच्छी तरह होना चाहिए।

शौच जाने के बाद हाथों को अच्छी तरह साफ करना चाहिए। भोजन पर किसी तरह की मक्खियाँ व दूसरे कीट ना बैठे। इस रोग में पानी उबालकर पीना चाहिए। ताजा पका हुआ भोजन ही करना चाहिए। आसपास दूषित जल को जमा ना होने दें।

बाजार में कटे हुए फलों का सेवन नहीं करना चाहिए जिस पर मक्खियां बैठी हो। अनजान व्यक्ति से यौन संबंध बनाने पर भी पीलिया फैलता है। यह रोग होने पर डॉक्टर से तुरंत दवा लेनी चाहिए

जल प्रदूषण से कौन सा रोग होता है?

परिणाम: हैजा और टाइफाइड बुखार जैसी खतरनाक बीमारियां। अन्य जलजनित रोगों में दस्त, पेचिश, पोलियो और मेनिन्जाइटिस शामिल है। धुलाई के लिए अशुद्ध पानी से त्वचा और संक्रामक नेत्र रोग जैसे ट्रेकोमा हो सकता है। ट्रेकोमा से दृश्य हानि या अंधापन हो सकता है।

जल प्रदूषण से क्या क्या खतरा है?

जल प्रदूषण के प्रभाव जल प्रदूषण से व्यक्ति ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं मछली भी प्रभावित होते हैं । प्रदूषित जल पीने, पुनःसृजन कृषि तथा उद्योगों आदि के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं । यह झीलों एवं नदियों की सुन्दरता को कम करता है । संदूषित जल, जलीय जीवन को समाप्त करता है तथा इसकी प्रजनन - शक्ति को क्षीण करता है ।

जल प्रदूषण से क्या हानिकारक है?

जल प्रदूषण के प्रभाव प्रदूषित जल पीने से मानव में हैजा, पेचिस, क्षय, उदर सम्बन्धी आदि रोग उपन्न होते हैं। दूषित जल के साथ ही फीताकृमि, गोलाकृमि आदि मानव शरीर में पहुँचते हैं जिससे व्यक्ति रोगग्रस्त होता है