लोक प्रशासन: अर्थ, दृष्टिकोण तथा महत्त्वपरिचयवर्तमान समय में लोक प्रशासन एक महत्त्वपूर्ण विषय बन गया है। लोक प्रशासन का एक विशिष्ट शैक्षिक क्षेत्र है। जो सरकारी कार्यकलापों, निहित तंत्र तथा प्रक्रियाओं से संबंध रखता है। उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण ने प्रशासन की संरचना एवं महत्त्व को विशेष रूप से प्रभावित किया है। Show
प्रशासन किसी क्षेत्र में विशिष्ट शासन या विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियों का प्रबंध करने हेतु महत्त्वपूर्ण होता है। प्रशासन के तहत कार्य पूरा करने के लिए योजना बनाना, निर्णय लेना, लक्ष्यों तथा उद्देश्यों का निर्माण करना, संगठनों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण करना, कर्मचारियों को निर्देश देना, जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए विधायिका तथा निजी एवं सार्वजनिक संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करना इत्यादि शामिल है। वर्तमान समय में प्रशासन का अर्थ ‘सरकार’ से लिया जाता है, लेकिन इसका वास्तविक अर्थ निर्देश देना, पथ प्रशस्त करना, आदेश तथा आज्ञा देना है। प्रशासन शब्द लैटिन भाषा के शब्द Administer से बना है। यह दो शब्दों एड(Ad) तथा मिनिस्टर (Ministiare) से बना है। जिसका सीधा साधा अर्थ है- सेवा करना। इसको अंग्रेजी में एडमिनिस्ट्रेशन (Administration) कहा जाता है। इस रूप में इसका अर्थ है ‘लोगों की सेवा करना तथा कार्यों का प्रबंध करना’। जब प्रशासन शब्द के साथ लोक शब्द को जोड़ा जाता है, तब इसका अर्थ होता है कि यह सरकारी तथा सार्वजनिक प्रशासन से संबंधित है। ‘लोक प्रशासन प्रशासन का वह भाग है जो स्थानीय, प्रांतीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर सरकार के कार्यों का प्रबंध करता है’। इसी कारण लोक प्रशासन का विषय बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण बनता जा रहा है। लोक प्रशासन को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन को किसी एक परिभाषा में बांध पाना संभव नहीं है। विद्वानों द्वारा प्रस्तुत की गई परिभाषा को हम निम्न प्रकार से देख सकते हैं:
उपरोक्त परिभाषाओं से यह कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन सरकार के प्रशासकीय विभागों और संगठनों के विभिन्न कार्यों से संबंधित है। इसमें उन समस्त कार्यों का समावेश किया जाता है, जो उन कार्यों को पूरा करने तथा लोक नीतियों को व्यवहारिक रूप प्रदान करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। अतः इसका अर्थ यह हुआ कि व्यवस्थापिका जनता की इच्छा को कानून का रूप प्रदान करती है और वही कानून जब व्यवस्थित ढंग से कार्य रूप में बदलता है तो वही प्रक्रिया लोक प्रशासन है। लोक प्रशासन के अध्ययन के दृष्टिकोणलोक प्रशासन का अध्ययन किस दृष्टिकोण से किया जाए इस पर विद्वानों में काफी मतभेद है। जिसके कारणवश इसके अध्ययन के संबंध में अलग-अलग दृष्टिकोण तथा उपागम उद्भव हुए। लोक प्रशासन के अध्ययन के इन दृष्टिकोणों को दो भागों -परंपरागत दृष्टिकोण तथा आधुनिक दृष्टिकोण में बांटा गया है। जिनको निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है। परंपरागत दृष्टिकोण
आधुनिक दृष्टिकोण
परंपरागत दृष्टिकोण
लोक प्रशासन का कार्य हमारे सामाजिक और भौतिक पर्यावरण के अविवेकपूर्ण तथ्यों पर सीमाएं लगाकर उन्हें नियंत्रित करना होता है। दार्शनिक दृष्टिकोण की आलोचना की जा सकती है कि इसमें केवल लोक प्रशासन के आदर्श स्वरूप का चित्रण किया गया है, अर्थात् प्रशासन कैसा होना चाहिए…? लेकिन इसमें वास्तविक स्थिति का ज्ञान नहीं होता है।
इस दृष्टिकोण को यांत्रिक दृष्टिकोण भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्रशासन को एक यंत्रवत इकाई मानता है। यह संगठनों के व्यवस्थित विश्लेषण पर आधारित सबसे पुराने निरूपणों में से एक है। इसलिए इसे परंपरागत दृष्टिकोण की संज्ञा दी गई है। हेनरी फयोल, लूथर गुलिक, एल.एफ.उर्विक, एम.पी. फॉलेट, ए.सी.रेले, जे.डी.मुने आदि विद्वान इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हेनरी फयोल ने अपनी पुस्तक ‘जनरल एंड इंडस्ट्रियल एडमिनिस्ट्रेशन’ में प्रशासन के पांच कार्यों; नियोजन, संगठन, आदेश, समन्वय एवं नियंत्रण का उल्लेख किया है। इस संदर्भ में व्यापक विश्लेषण गुलिक और उर्विक द्वारा 1937 में संपादित ‘पेपर्स ऑन दी साइंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन’ में किया गया। गुलिक ने प्रशासन के कर्त्तव्यों को ‘पोस्टकॉर्ब’ शब्द में संग्रहित किया। आधुनिक दृष्टिकोणलोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक दृष्टिकोण के अंतर्गत निम्नलिखित दृष्टिकोणों का अध्ययन किया जाता है।
लोक प्रशासन का महत्त्वलोक प्रशासन सभ्य समाज की सर्वोच्च प्राथमिक आवश्यकता है। लोक प्रशासन केवल सभ्य समाज का संरक्षक ही नहीं बल्कि यह सामाजिक विकास, सामाजिक न्याय और सुधार संशोधनों का प्रमुख साधन भी है। यह व्यक्ति के जन्म के पूर्व से लेकर मृत्यु के बाद तक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं अर्पित करता है। यह आधुनिक सभ्यता का हृदय (Heart of Modern Civilization) है। लोक प्रशासन पुलिस राज्य (Laissez Faire State) से निकलकर न सिर्फ कल्याणकारी राज्य (Welfare State)और प्रशासकीय राज्य (Administrative State) के पड़ाव पर पहुंच चुका है। अपितु नागरिकों के जीवन को समस्या रहित बनाने के लिए प्रयत्नशील है। लोक प्रशासन न केवल लोकतांत्रिक राज्यों में अपितु पूंजीवादी, साम्यवादी, विकसित, विकासशील, और अविकसित यहां तक की तानाशाही व्यवस्थाओं में भी अति महत्त्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि इन सभी राज्यों की सरकारें अपनी नीतियों और योजनाओं का संचालन स्थाई सरकार (लोक प्रशासन) के द्वारा ही करती है। लोक प्रशासन के महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है।
राज्य के कार्य अथवा जन सेवाओं को सुलभ बनाने के कारणवश ही ऐसे प्रशासनिक सिध्दांत, नियम तथा प्रक्रियाएं विकसित हो गई, जो आज राज्य के लिए काफी महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रही है। राज्य के कार्यों की पूर्ति के लिए कारगर हथियार होने के कारण ही प्रशासन तथा राज्य समानार्थी हो गए हैं।
निष्कर्षअंततः यह कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन सरकार के प्रशासकीय विभागों तथा संगठनों के विविध कार्यों से संबंधित है। इसमें उन समस्त कार्यों का समावेश किया जाता है जो उन कार्यों को पूरा करने तथा लोक नीतियों को व्यवहारिक रूप प्रदान करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। वर्तमान युग में लोक प्रशासन की क्रियाओं का क्षेत्र अत्यंत व्यापक हो गया है और समाजवादी व जन कल्याणकारी विचारधारा की प्रगति के साथ-साथ वह निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। लोक प्रशासन के अंतर्गत केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सभी स्तरों की सरकारों के संगठन एवं कार्य प्रणाली का अध्ययन किया जाता है। यदि लोक प्रशासन के दृष्टिकोण की बात की जाए तो यह देखा जा सकता है कि एक विषय के रूप में जैसे-जैसे लोक प्रशासन आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे आवश्यकतानुसार इसके बहुत सारे दृष्टिकोण उद्भव हुए हैं, जो कि अलग-अलग तरीकों से लोक प्रशासन को समझने की कोशिश करते हैं। यह तथ्य याद रखने योग्य है कि लोक प्रशासन के अध्ययन के सभी दृष्टिकोण एक-दूसरे से अलग तथा विपरीत नहीं है, बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। अध्ययन के संदर्भ में प्रत्येक दृष्टिकोण की अपनी उपयोगिता है। परंतु यह भी सत्य है कि कुछ क्षेत्रों में एक दृष्टिकोण दूसरे की तुलना में अधिक उपयोगी है। सर्वश्रेष्ठ अध्ययन के लिए विभिन्न विषय संबंधी दृष्टिकोणों का कुशल उपयोग शिक्षार्थी की क्षमता पर निर्भर करता है। संदर्भ सूची
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लोक प्रशासन में लोक का आशय क्या है?लोक प्रशासन (अंग्रेज़ी: Public administration) मोटे तौर पर शासकीय नीति (government policy) के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उनका अध्ययन है। प्रशासन का वह भाग जो सामान्य जनता के लाभ के लिये होता है, लोकप्रशासन कहलाता है। लोकप्रशासन का संबंध सामान्य नीतियों अथवा सार्वजनिक नीतियों से होता है।
लोक प्रशासन का क्या महत्व है?लोक प्रशासन का महत्व सिर्फ इसलिए ही नही है कि यह एक लोक कल्याणकारी राज्य की सफलता का मुख्य आधार है, बल्कि लोक प्रशासन का महत्व उसकी सर्वव्यापकता तथा सर्वमौलिकता के कारण भी हैं। लोक समस्याओं के समाधान हेतु विश्वसनीय सिद्धान्तों और तकनीकों का विकास लोक प्रशासन द्वारा होता है। लोक प्रशासन सभ्य समाज की पहली आवश्यकता है।
लोक प्रबंधन का क्या अर्थ है?इस प्रकार, लोक प्रबंधन के नवीन आयाम अर्थव्यवस्था एवं समाज में राज्य की भूमिका को कम करने तथा एक उद्यमशील सरकार की स्थापना करना चाहता है। किसी कार्य को संपूर्ण एवं व्यवस्थित ढंग से करना प्रबंध कहलाता है। जब इसके लिये उचित साधन तथा सरल एवं आधुनिक तरीके के प्रयोग से संपन्न कराया जाता है तो यही प्रबंधन कहलाता है।
लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं लोक प्रशासन की प्रकृति एवं महत्व पर प्रकाश डालिए?इस विचार के समर्थकों के मतानुसार, लोक प्रशासन लोकनीति को लागू करने और उस की पूर्ति के लिए प्रयोग की गई गतिविधियों का योग है। इस प्रकार निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सम्पादित की जाने वाली क्रियाओं का योग ही प्रशासन है, चाहे वे क्रियाएं, प्रबन्धकीय अथवा तकनीकी ही क्यों न हो।
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