पाठ्य मुक्तक काव्य से क्या आशय हैं उदाहरण सहित लिखिए - paathy muktak kaavy se kya aashay hain udaaharan sahit likhie

हेल्लो दोस्तों नमस्कार ! इस पोस्ट में आपका स्वागत है, आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की मुक्तक काव्य किसे कहते हैं तथा मुक्तक काव्य क्या होता है और मुक्तक काव्य के कितने भेद होते है । यह प्रश्न कई बार एग्जाम में पूछा जा चुका है । इसलिए यह महत्पूर्ण प्रश्न है इसलिए पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े । तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते है और जानते है कि, Muktak kavya kise kahate hai 

Table of Contents

  • मुक्तक काव्य किसे कहते हैं?
    • मुक्तक काव्य के प्रकार
      • मुक्तक काव्य की विशेषताएं
  • FAQ’ s
    • 1. मुक्तक काव्य किसे कहते है ?
    • 2. मुक्तक काव्य की विशेषताएं लिखिए ?
    • 3. मुक्तक काव्य के उदहारण बताइये ?
    • आज आपने सीखा

मुक्तक काव्य किसे कहते हैं?

Muktak kavya kise kahate hai  – वह काव्य रचना जिसमे कथा नहीं होती तथा प्रत्येक छंद पूर्व पद के प्रसंग से मुक्त होता है, मुक्तक काव्य कहलाता है ।

मुक्तक काव्य में एक अनुभूति, एक भाव और एक ही कल्पना का चित्रण होता है । मुक्तक काव्य की भाषा सरल व स्पष्ट होती है । मुक्तक काव्य का वर्ण्य विषय पूर्ण होता है । इसका प्रत्येक छंद स्वतंत्र होता है ।

मुक्तक काव्य का उदाहरण – मुक्तक काव्य का सर्वोत्तम उदाहरण बिहारी की सतसई है । इसके अलावा बिहारी, रहीम, वृन्द, सूर, मीरा के दोहे तथा पद आदि ।

मुक्तक काव्य के प्रकार

मुक्तक काव्य मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है –

  1. पाठ्य मुक्तक
  2. गेय मुक्तक काव्य

पाठ्य मुक्तक – विभिन्न विषयों पर विचार प्रधान रचनाओं का संग्रह पाठ्य-मुक्तक श्रेणी में आता है। इनमें भावों की अपेक्षा विचारों का प्रधान्य होता है।

पाठ्य मुक्तक में विषय की प्रधानता होती है, प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का विशेष चित्रण होता है तथा इसके अलावा पाठ्य मुक्तक में किसी विचार या रीति का भी चित्रण होता है ।

कबीर, तुलसी एवं रहीम के नीति सम्बन्धी दोहे तथा बिहारी एवं मतिराम के शृंगारपरक दोहे पाठ्य-मुक्तक के उदाहरण हैं।

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गेय मुक्तक काव्य – गेय-मुक्तक- इन्हें प्रगीत भी कहा जा सकता है। इनमें भावना एवं रागात्मकता की प्रधानता होती है। इन गेय पदों में संगीत की प्रधानता एवं कोमलकान्त पदावली होती है।

कबीर, सूर, तुलसी, मीरा के गाये पद इसी श्रेणी में आते हैं।आधुनिक युग के कवियों के प्रगीत भी उल्लेखनीय हैं। इनमें निराला, प्रसाद, पंत एवं महादेवी वर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं।

गेय मुक्तक को गीति या प्रगीति काव्य भी कहा जाता है । गेय मुक्तक में भाव प्रवणता, सौन्दर्य बोध, अभिव्यक्ति की संक्षिप्तता, संगीतात्मकता तथा लयात्मकता की प्रधानता होती है ।

मुक्तक काव्य की विशेषताएं

मुक्तक काव्य की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है –

  • मुक्तक काव्य के प्रत्येक छंद का अर्थ स्वयं में पूर्ण होता है । इसके छंदों का पूर्वापर नहीं होता है ।
  • मुक्तक काव्य के छंद किसी क्रम से संचालित नहीं होते है । बिहारी की सतसई मुक्तक काव्य की श्रेष्ठ काव्य कृति है ।
  • मुक्तक काव्य का वर्ण्य विषय पूर्ण होता है ।
  • मुक्तक काव्य की भाषा सरल व स्पष्ट होती है ।
FAQ’ s

1. मुक्तक काव्य किसे कहते है ?

वह काव्य रचना जिसमे कथा नहीं होती तथा प्रत्येक छंद पूर्व पद के प्रसंग से मुक्त होता है, मुक्तक काव्य कहलाता है ।

2. मुक्तक काव्य की विशेषताएं लिखिए ?

मुक्तक काव्य का वर्ण्य विषय पूर्ण होता है तथा मुक्तक काव्य की भाषा सरल व स्पष्ट होती है ।

3. मुक्तक काव्य के उदहारण बताइये ?

मुक्तक काव्य का सर्वोत्तम उदाहरण बिहारी की सतसई है । इसके अलावा बिहारी, रहीम, वृन्द, सूर, मीरा के दोहे तथा पद आदि ।

आज आपने सीखा

आशा है की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की मुक्तक काव्य किसे कहते है ( Muktak kavya kise kahate hai ) और मुक्तक काव्य की विशेषताएं क्या क्या है । अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं हमारी अनुभवी टीम आपकी मदद जरुर करेंगी । धन्यवाद

मुक्तक-काव्य महाकाव्य और खण्डकाव्य से भिन्न प्रकार का होता है। इस काव्य में एक अनुभूति, एक भाव या कल्पना का चित्रण किया जाता है। इसमें महाकाव्य या खण्डकाव्य जैसी धारावाहिता नहीं होती। फिर भी वर्ण्य-विषय अपने में पूर्ण होता है। प्रत्येक छन्द स्वतन्त्र होता है। जैसे कबीर, बिहारी, रहीम के दोहे तथा सूर और मीरा के पद।

मुक्तक काव्य के भेद

मुक्तक-काव्य के दो भेद होते हैं-

  1. पाठ्य-मुक्तक
  2. गेय-मुक्तक

1. पाठ्य मुक्तक

इसमें विषय की प्रधानता रहती है। किसी मुक्तक में किसी प्रसंग को लेकर भावानुभ का चित्रण होता है और किसी मुक्तक में किसी विचार अथवा रीति का वर्णन किया जाता है। कबीर, तुलसी, रहीम के भक्ति एवं नीति के दोहे तथा बिहारी, मतिराम, देव आदि की रचनाएँ इसी कोटि में आती हैं।

2. गेय मुक्तक

इसे गीतिकाव्य या प्रगीति भी कहते हैं। यह अंग्रेजी के लिरिक का समानार्थी है। इसमें भावप्रवणता, आत्माभिव्यक्ति, सौन्दर्यमयी कल्पना, संक्षिप्तता, संगीतात्मकता आदि गुणों की प्रधान होती है।

प्रबंध काव्य- प्रबंध काव्य के छंद एक कथा के धागे में माला की तरह गुँथे होते हैं, अर्थात् जो रचना कथा-सूत्रों या छंदों की तारतम्यता में अच्छी तरह निबध्द हो, उसे प्रबंध काव्य कहते हैं। जैसे- साकेत, रामचरित मानस। प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं- महाकाव्य और खंडकाव्य

महाकाव्य- महाकाव्य में जीवन का अथवा घटना विशेष का सांगोपांग चित्रण होता है। वृहद् काव्य होने के कारण ही इसे महाकाव्य कहा जाता है।

महाकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. महाकाव्य में आठ या उससे अधिक सर्ग होते हैं।
2. महाकाल का नायक धीरोदात्त गुणों से युक्त होता है।
3. इसमें शांत, वीर अथवा श्रंगार रस में से किसी एक की प्रधानता होती है।
4. महाकाव्य में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. इसमें अनेक छंदों का प्रयोग होता है।

टीप- रामचरित मानस में सात सर्ग होने पर भी इसे महाकाव्य के अंतर्गत रखा गया है।

प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. पृथ्वीराज रासो- चंदबरदायी
2. पद्मावत- मलिक मुहम्मद जायसी
3. साकेत- मैथिलीशरण गुप्त
4. रामचरित मानस- तुलसीदास
5. कामायनी- जयशंकर प्रसाद
6. उर्वशी- रामधारी सिंह दिनकर

खंडकाव्य- खंडकाव्य में नायक के जीवन की किसी एक घटना अथवा हृदयस्पर्शी अंश का पूर्णता के साथ अंकन किया जाता है।

खंडकाव्य के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. खंडकाव्य में मानव के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है।
2. इसमें एक ही छंद का प्रयोग होता है।
3. कथावस्तु पौराणिक या ऐतिहासिक विषयों पर आधारित होती है।
4. श्रंगार व करुण रस प्रधान होता है।
5. इसका उद्देश्य महान होता है।

प्रमुख खंडकाव्य एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. पंचवटी- मैथिलीशरण गुप्त
2. जयद्रथ वध- मैथिलीशरण गुप्त
3. सुदामा चरित- नरोत्तम दास
4. मेघदूत- कालिदास
5. हल्दीघाटी का युद्ध
6. पथिक

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. महाकाव्य का आकार विशाल होता है, जबकि खंडकाव्य का आकार सीमित होता है।
2. महाकाव्य में संपूर्ण जीवन का अंकन होता है, जबकि खंडकाव्य में जीवन के किसी एक खंड का अंकन होता है।
3. महाकाव्य में अनेक छंदों का प्रयोग किया जाता है, जबकि खंडकाव्य में एक ही छंद का प्रयोग होता है।
4. महाकाव्य में श्रंगार, वीर एवं शांत रस की प्रधानता होती है, जबकि खंडकाव्य में श्रृंगार एवं करुण रस की प्रधानता होती है।

आख्यानक गीत- महाकाव्य एवं खंडकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी को आख्यानक गीत कहते हैं। इसमें शौर्य, पराक्रम, त्याग, बलिदान, प्रेम, करूणा आदि मानवीय भावों के प्रेरक एवं उद्बोधक घटना चित्र प्रस्तुत किए जाते हैं। नाटकीयता एवं गीतात्मकता इसकी प्रमुख विधाएँ हैं। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है।

हिंदी साहित्य के प्रमुख आख्यानक गीत एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. झाँसी की रानी- सुभद्रा कुमारी चौहान
2. रंग में भंग- मैथिलीशरण गुप्त

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है

मुक्तक काव्य- मुक्तक काव्य ऐसी रचना को कहते हैं जिसमें कथा नहीं होती तथा जिसके छंद अर्थ की दृष्टि से पूर्वापर के प्रसंगों से मुक्त होते हैं। जैसे- मधुशाला, बिहारी सतसई। मुक्तक काव्य में प्रत्येक छंद अपने आप में स्वतंत्र और पूर्ण रहता है। छंदों या गीतों का क्रम बदल देने पर भाव स्पष्ट करने में असुविधा नहीं होती।
सामान्यतः इसके अंतर्गत गीत, कविता, दोहा, पद आदि आते हैं। सूर, मीरा, बिहारी, रहीम जैसे कवियों के गेय पद मुक्तक काव्य के उदाहरण हैं। इस काव्य में किसी एक अनुभूति, भाव या कल्पना का चित्रण होता है। इस काव्य के दो भेद हैं- पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक

पाठ्य मुक्तक- पाठ्य मुक्तक में विभिन्न विषयों में लिखी गई छोटी-छोटी विचार प्रधान कविताएँ आती हैं। इनमें भावों की अपेक्षा विचारों की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, रहीम, बिहारी, मतिराम के नीतिपरक, भक्तिपरक एवं श्रृंगारपरक दोहे इसके उदाहरण हैं।

गेय मुक्तक- इसको प्रगीत भी कहते हैं। इसमें भावना और रागात्मकता एवं संगीतात्मकता की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, सूर, मीरा के गेय पद तथा आधुनिक युग के प्रसाद, निराला, पंत तथा महादेवी वर्मा आदि की कविताएँ इसी श्रेणी की हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची

प्रबंध काव्य एवं मुक्तक काव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. प्रबंध काव्य में छंद एक कथासूत्र में पिरोए हुए होते हैं, जबकि मुक्तक काव्य में छंद एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं।
2. प्रबंध काव्य में किसी एक व्यक्ति के जीवन चरित्र का वर्णन होता है, जबकि मुक्तक काव्य में किसी अनुभूति, कल्पना या भाव का चित्रण होता है।
3. प्रबंध काव्य विस्तृत होता है, जबकि मुक्तक काव्य विस्तृत नहीं होता।
4. प्रबंध काव्य में छंदों के क्रम को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, जबकि मुक्तक काव्य में छंदों के क्रम को परिवर्तित किया जा सकता है।

दृश्य काव्य- जिस रचना का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'दृश्य काव्य' कहते हैं। जैसे जयशंकर प्रसाद लिखित 'स्कंदगुप्त' नाटक। इसके दो भेद हैं- नाटक और एकांकी।

नाटक- इसमें अभिनय तत्व की प्रधानता रहती है। इसमें मानवीय जीवन के क्रियाशील कार्यों का अनुकरण होता है। इसमें कई अंक होते हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार

एकांकी- एकांकी एक अंक वाला दृश्य काव्य है। यह एक ऐसी रचना है जिसमें मानव जीवन के किसी एक पक्ष, एक चरित्र, एक समस्या और एक भाव की अभिव्यक्ति होती है।

श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. श्रव्य काव्य का रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जाता है, जबकि दृश्य काव्य का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जाता है।
2. श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य हो सकता है, किंतु दृश्य काव्य, श्रव्य काबिल नहीं हो सकता।
3. श्रव्य काव्य के अंतर्गत गीत, दोहे, पद आदि आते हैं, जबकि दृश्य काव्य के अंतर्गत नाटक और एकांकी आते हैं।
4. श्रव्य काव्य का उदाहरण- तुलसीदास का रामचरित मानस (महाकाव्य), दृश्य काव्य का उदाहरण- जयशंकर प्रसाद का स्कंदगुप्त नाटक

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. मित्र को पत्र कैसे लिखें?
2. परिचय का पत्र लेखन
3. पिता को पत्र कैसे लिखें?
4. माताजी को पत्र कैसे लिखें? पत्र का प्रारूप
5. प्रधानपाठक को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र

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  • पाठ्य मुक्तक काव्य से क्या आशय हैं उदाहरण सहित लिखिए - paathy muktak kaavy se kya aashay hain udaaharan sahit likhie

    Ankita

    Posted on October 15, 2021 05:10AM

    अति उत्तम

    Reply

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पाठ्य मुक्तक काव्य क्या है उदाहरण सहित लिखिए?

पाठ्य मुक्तक- पाठ्य मुक्तक में विभिन्न विषयों में लिखी गई छोटी-छोटी विचार प्रधान कविताएँ आती हैं। इनमें भावों की अपेक्षा विचारों की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, रहीम, बिहारी, मतिराम के नीतिपरक, भक्तिपरक एवं श्रृंगारपरक दोहे इसके उदाहरण हैं।

पाठ्यपुस्तक कब से क्या आशय है उदाहरण सहित लिखिए?

पाठ्यपुस्तक अथवा पुस्तक अनेक प्रकार के कार्य करती हैं । हैरोलिकर के अनुसारः पाठ्यपुस्तक ज्ञान, अनुभवों, भावनाओं, विचारों तथा प्रवृत्तियों व मूल्यों का संचय का साधन है।

पाठ मुक्तक काव्य से क्या आशा है?

मुक्तक काव्य अपने आप में पूर्ण स्वतंत्र काव्य रचना(छंद/इकाई) होती है। इसकी पूर्णता के लिए ना तो इसके पहले और ना इसके बाद में, किसी संदर्भ या कथा की आवश्यकता होती है । जिस प्रकार एक मोती सौन्दर्य की एक इकाई होता है। उसका सौन्दर्य अपने आप में पूर्ण होता है।