हेल्लो दोस्तों नमस्कार ! इस पोस्ट में आपका स्वागत है, आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की मुक्तक काव्य किसे कहते हैं तथा मुक्तक काव्य क्या होता है और मुक्तक काव्य के कितने भेद होते है । यह प्रश्न कई बार एग्जाम में पूछा जा चुका है । इसलिए यह महत्पूर्ण प्रश्न है इसलिए पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े । तो चलिए अब यह पोस्ट शुरू करते है और जानते है कि, Muktak kavya kise kahate hai Show
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Muktak kavya kise kahate hai – वह काव्य रचना जिसमे कथा नहीं होती तथा प्रत्येक छंद पूर्व पद के प्रसंग से मुक्त होता है, मुक्तक काव्य कहलाता है । मुक्तक काव्य में एक अनुभूति, एक भाव और एक ही कल्पना का चित्रण होता है । मुक्तक काव्य की भाषा सरल व स्पष्ट होती है । मुक्तक काव्य का वर्ण्य विषय पूर्ण होता है । इसका प्रत्येक छंद स्वतंत्र होता है । मुक्तक काव्य का उदाहरण – मुक्तक काव्य का सर्वोत्तम उदाहरण बिहारी की सतसई है । इसके अलावा बिहारी, रहीम, वृन्द, सूर, मीरा के दोहे तथा पद आदि । मुक्तक काव्य के प्रकारमुक्तक काव्य मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है –
पाठ्य मुक्तक – विभिन्न विषयों पर विचार प्रधान रचनाओं का संग्रह पाठ्य-मुक्तक श्रेणी में आता है। इनमें भावों की अपेक्षा विचारों का प्रधान्य होता है। पाठ्य मुक्तक में विषय की प्रधानता होती है, प्रसंगानुसार भावानुभूति व कल्पना का विशेष चित्रण होता है तथा इसके अलावा पाठ्य मुक्तक में किसी विचार या रीति का भी चित्रण होता है । कबीर, तुलसी एवं रहीम के नीति सम्बन्धी दोहे तथा बिहारी एवं मतिराम के शृंगारपरक दोहे पाठ्य-मुक्तक के उदाहरण हैं। ये भी पढ़े – काव्य किसे कहते है ? खंडकाव्य, महाकाव्य परिभाषा | Poetry in Hindi पुरुषवाचक सर्वनाम के कितने भेद होते हैं | purushvachak sarvanam ke bhed Vachya Kitne Prakar Ke Hote Hain | वाच्य कितने प्रकार के होते हैं गेय मुक्तक काव्य – गेय-मुक्तक- इन्हें प्रगीत भी कहा जा सकता है। इनमें भावना एवं रागात्मकता की प्रधानता होती है। इन गेय पदों में संगीत की प्रधानता एवं कोमलकान्त पदावली होती है। कबीर, सूर, तुलसी, मीरा के गाये पद इसी श्रेणी में आते हैं।आधुनिक युग के कवियों के प्रगीत भी उल्लेखनीय हैं। इनमें निराला, प्रसाद, पंत एवं महादेवी वर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं। गेय मुक्तक को गीति या प्रगीति काव्य भी कहा जाता है । गेय मुक्तक में भाव प्रवणता, सौन्दर्य बोध, अभिव्यक्ति की संक्षिप्तता, संगीतात्मकता तथा लयात्मकता की प्रधानता होती है । मुक्तक काव्य की विशेषताएंमुक्तक काव्य की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है –
1. मुक्तक काव्य किसे कहते है ?वह काव्य रचना जिसमे कथा नहीं होती तथा प्रत्येक छंद पूर्व पद के प्रसंग से मुक्त होता है, मुक्तक काव्य कहलाता है । 2. मुक्तक काव्य की विशेषताएं लिखिए ?मुक्तक काव्य का वर्ण्य विषय पूर्ण होता है तथा मुक्तक काव्य की भाषा सरल व स्पष्ट होती है । 3. मुक्तक काव्य के उदहारण बताइये ?मुक्तक काव्य का सर्वोत्तम उदाहरण बिहारी की सतसई है । इसके अलावा बिहारी, रहीम, वृन्द, सूर, मीरा के दोहे तथा पद आदि । आज आपने सीखाआशा है की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अब आप जान गए होंगे की मुक्तक काव्य किसे कहते है ( Muktak kavya kise kahate hai ) और मुक्तक काव्य की विशेषताएं क्या क्या है । अगर आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई समस्या हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं हमारी अनुभवी टीम आपकी मदद जरुर करेंगी । धन्यवाद मुक्तक-काव्य महाकाव्य और खण्डकाव्य से भिन्न प्रकार का होता है। इस काव्य में एक अनुभूति, एक भाव या कल्पना का चित्रण किया जाता है। इसमें महाकाव्य या खण्डकाव्य जैसी धारावाहिता नहीं होती। फिर भी वर्ण्य-विषय अपने में पूर्ण होता है। प्रत्येक छन्द स्वतन्त्र होता है। जैसे कबीर, बिहारी, रहीम के दोहे तथा सूर और मीरा के पद। मुक्तक काव्य के भेदमुक्तक-काव्य के दो भेद होते हैं-
1. पाठ्य मुक्तकइसमें विषय की प्रधानता रहती है। किसी मुक्तक में किसी प्रसंग को लेकर भावानुभ का चित्रण होता है और किसी मुक्तक में किसी विचार अथवा रीति का वर्णन किया जाता है। कबीर, तुलसी, रहीम के भक्ति एवं नीति के दोहे तथा बिहारी, मतिराम, देव आदि की रचनाएँ इसी कोटि में आती हैं। 2. गेय मुक्तकइसे गीतिकाव्य या प्रगीति भी कहते हैं। यह अंग्रेजी के लिरिक का समानार्थी है। इसमें भावप्रवणता, आत्माभिव्यक्ति, सौन्दर्यमयी कल्पना, संक्षिप्तता, संगीतात्मकता आदि गुणों की प्रधान होती है। प्रबंध काव्य- प्रबंध काव्य के छंद एक कथा के धागे में माला की तरह गुँथे होते हैं, अर्थात् जो रचना कथा-सूत्रों या छंदों की तारतम्यता में अच्छी तरह निबध्द हो, उसे प्रबंध काव्य कहते हैं। जैसे- साकेत, रामचरित मानस। प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं- महाकाव्य और खंडकाव्य महाकाव्य- महाकाव्य में जीवन का अथवा घटना विशेष का सांगोपांग चित्रण होता है। वृहद् काव्य होने के कारण ही इसे महाकाव्य कहा जाता है। महाकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- टीप- रामचरित मानस में सात सर्ग होने पर भी इसे महाकाव्य के अंतर्गत रखा गया है। प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं- खंडकाव्य- खंडकाव्य में नायक के जीवन की किसी एक घटना अथवा हृदयस्पर्शी अंश का पूर्णता के साथ अंकन किया जाता है। खंडकाव्य के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं- प्रमुख खंडकाव्य एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं- हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर निम्नलिखित है- आख्यानक गीत- महाकाव्य एवं खंडकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी को आख्यानक गीत कहते हैं। इसमें शौर्य, पराक्रम, त्याग, बलिदान, प्रेम, करूणा आदि मानवीय भावों के प्रेरक एवं उद्बोधक घटना चित्र प्रस्तुत किए जाते हैं। नाटकीयता एवं गीतात्मकता इसकी प्रमुख विधाएँ हैं। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है। हिंदी साहित्य के प्रमुख आख्यानक गीत एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं- हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। मुक्तक काव्य- मुक्तक काव्य ऐसी रचना को कहते हैं जिसमें कथा नहीं होती तथा जिसके छंद अर्थ की दृष्टि से पूर्वापर के प्रसंगों से मुक्त होते हैं। जैसे- मधुशाला, बिहारी सतसई। मुक्तक काव्य में प्रत्येक छंद अपने आप में स्वतंत्र और पूर्ण रहता है। छंदों या गीतों का क्रम बदल देने पर भाव स्पष्ट करने में असुविधा नहीं होती। पाठ्य मुक्तक- पाठ्य मुक्तक में विभिन्न विषयों में लिखी गई छोटी-छोटी विचार प्रधान कविताएँ आती हैं। इनमें भावों की अपेक्षा विचारों की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, रहीम, बिहारी, मतिराम के नीतिपरक, भक्तिपरक एवं श्रृंगारपरक दोहे इसके उदाहरण हैं। गेय मुक्तक- इसको प्रगीत भी कहते हैं। इसमें भावना और रागात्मकता एवं संगीतात्मकता की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, सूर, मीरा के गेय पद तथा आधुनिक युग के प्रसाद, निराला, पंत तथा महादेवी वर्मा आदि की कविताएँ इसी श्रेणी की हैं। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। प्रबंध काव्य एवं मुक्तक काव्य में अंतर निम्नलिखित है- दृश्य काव्य- जिस रचना का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'दृश्य काव्य' कहते हैं। जैसे जयशंकर प्रसाद लिखित 'स्कंदगुप्त' नाटक। इसके दो भेद हैं- नाटक और एकांकी। नाटक- इसमें अभिनय तत्व की प्रधानता रहती है। इसमें मानवीय जीवन के क्रियाशील कार्यों का अनुकरण होता है। इसमें कई अंक होते हैं। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। एकांकी- एकांकी एक अंक वाला दृश्य काव्य है। यह एक ऐसी रचना है जिसमें मानव जीवन के किसी एक पक्ष, एक चरित्र, एक समस्या और एक भाव की अभिव्यक्ति होती है। श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य में अंतर निम्नलिखित है- इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। आशा है, हिन्दी साहित्य में काव्य के प्रकारों की यह जानकारी आपको महत्वपूर्ण एवं परीक्षापयोगी लगेगी। I hope the above information will be useful and important. Watch related information below
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