Rajasthan EkiKaran Samay Sabse Chhoti Riyaasat Kaunsi Thi ?A. अलवर Show
सम्बन्धित प्रश्नराजस्थान के एकीकरण Comments प्रकाश on 30-11-2020 शाहपुरा Sahpura ko kab samil kiya gya on 09-10-2019 Sahpura ko kab samil kiya gya Sahpura ko kab samil kiya gya on 09-10-2019 G k Sahpura ko kab samil kiya gya on 09-10-2019 Gk आप यहाँ पर एकीकरण gk, रियासत question answers, general knowledge, एकीकरण सामान्य ज्ञान, रियासत questions in hindi, notes in hindi, pdf in
hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं। जोधपुर। राजस्थान यानि राजाओं का स्थान। तीस मार्च को राजस्थान अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे राज्य राजस्थान का गठन देश की स्वतंत्रता के पश्चात अहम उपलब्धि मानी जाती है। अलग-अलग विचारधारा और अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखने को आमादा 22 छोटी-बड़ी देसी रियासतों को मिलाकर एकतंत्र को त्याग लोकतंत्र की मुख्यधारा में शामिल कर राजस्थान का गठन किया गया। आठ साल तक चले प्रयास और सात विभिन्न चरणों के पश्चात राजस्थान का वर्तमान स्वरूप उभर कर सामने आ पाया। ऐसे
बना राजस्थान... सात चरण में ऐसे पूरी हुई गठन की
प्रक्रिया 3 जून 1947 को भारत विभाजन की घोषणा की गई थी तब भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के 8वें अनुच्छेद में देशी रियासतों को आत्म निर्णय का अधिकार दिया गया था की वे भारत संघ या पाकिस्तान जिसमे चाहे उसमे विलय कर सकते है या स्वयं को स्वतंत्र भी घोषित कर सकते है।
राजस्थान का एकीकरणराजस्थान एकीकरण की प्रक्रिया सन् 1948 से आरंभ होकर सन् 1956 तक सात चरणों में सम्पन्न हुई। तत्कालीन राजपूताना की 19 रियासतों एवं
तीन चीफशिप (ठिकानों) वाले क्षेत्रों को 7 चरणों में एकीकृत कर 30 मार्च 1949 को राजस्थान का गठन किया गया। राजस्थान राज्य भौगोलिक आधार पर नौ क्षेत्रों में विभाजित है। जिनमें अजेयमेरु (अजमेर), हाड़ौती, ढूंढाड़, गोड़वाड़ (गोरवार), शेखावाटी, मेवाड़, मारवाड़, वागड़ और मेवात हैं। प्रथम चरण: 18 मार्च 1948मत्स्य संघ की स्थापनासर्वप्रथम अलवर, भरतपुर, धौलपुर तथा करौली रियासतों के एकीकरण से 18 मार्च 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना हुई, जिसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री नरहरि विष्णु गाडगिल (N.V. गाडगिल) ने किया। राजधानी अलवर तथा राजप्रमुख धौलपुर महाराजा श्री उदयभानसिंह बनाये गये। मत्स्य संघ का क्षेत्रफल करीब तीस हजार किमी. था। जनसंख्या लगभग 19 लाख और सालाना-आय एक करोड़ 83 लाख रुपये थी। जब मत्स्य संघ बनाया गया तभी विलय-पत्र में लिख दिया गया कि बाद में इस संघ का राजस्थान में विलय कर दिया जाएगा।
द्वितीय चरण: 25 मार्च 1948राजस्थान संघ/ पूर्व राजस्थान का निर्माणद्वितीय चरण में 25 मार्च 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड, टोंक, किशनगढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाडा एवं शाहपुरा रियासतों को मिलाकर पूर्व राजस्थान का निर्माण किया गया। कोटा को इसकी राजधानी तथा महाराव श्री भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया। इसका उद्घाटन तत्कालीन केन्द्रीय खनिज एवं विद्युत मंत्री श्री नरहरि विष्णु गाडगिल ने किया। बूंदी के महाराव बहादुर सिंह ने उदयपुर रियासत को मनाया और राजस्थान संघ में विलय के लिए राजी कर लिया। इसके पीछे मंशा यह थी कि बड़ी रियासत होने के कारण उदयपुर के महाराणा को राजप्रमुख बनाया जाएगा और बूंदी के महाराव बहादुर सिंह अपने छोटे भाई महाराव भीमसिंह के अधीन रहने की मजबूरी से बच जाएंगे और इतिहास के पन्नों में यह दर्ज होने से बच जाएगा कि छोटे भाई के राज में बड़े भाई ने काम किया। शाहपुरा और किशनगढ़ ने अजमेर- मेरवाड़ा में विलय का विरोध किया था तथा इन रियासतों को तोपों की सलामी का अधिकार नहीं था। विलयपत्र पर हस्ताक्षर के समय बांसवाड़ा महारावल चंद्रवीर सिंह ने कहा की “में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ”
तृतीय चरण: 18 अप्रेल 1948संयुक्त राजस्थानराजस्थान के तीसरे चरण में पूर्व राजस्थान के साथ उदयपुर रियासत को मिलाकर 18 अप्रेल 1948 को नया नाम संयुक्त राजस्थान रखा गया, जिसकी राजधानी उदयपुर तथा मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को राजप्रमुख कोटा के महाराव भीमसिंह को उपराजप्रमुख बनाया गया। माणिक्य लाल वर्मा के नेतृत्व में बने इसके मंत्रिमंडल का गठन हुआ। इसका उद्घाटन 18 अप्रेल 1948 को उदयपुर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया।यह निर्णय लिया गया की विधानसभा का एक अधिवेशन प्रतिवर्ष कोटा में होगा। तथा कोटा के विकास हेतु विशेष प्रयास किये जायेंगे। मेवाड़ महाराणा भूपालसिंह को 20 लाख की प्रिवीपर्स प्रदान किया गया।एकीकरण के समय एकमात्र अपाहिज व्यक्ति उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह थे।
चतुर्थ चरण: 30 मार्च 1949वृहत् राजस्थानराजस्थान की एकीकरण प्रक्रिया के चौथे चरण में 14 जनवरी 1949 को उदयपुर में सरदार वल्लभभाई पटेल ने जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, लावा और जैसलमेर रियासतों को वृहद राजस्थान में सैद्धांतिक रूप से सम्मिलित होने की घोषणा की। बीकानेर रियासत ने सर्वप्रथम भारत में विलय किया। इस निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए 30 मार्च 1949 को जयपुर में आयोजित एक समारोह में वृहत राजस्थान का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया उन्होंने सिटी पैलेस (जयपुर) का भी उद्घाटन किया। इसकी राजधानी जयपुर तथा उदयपुर के महाराणा भूपालसिंह को महाराज प्रमुख, जयपुर के महाराजा मानसिंह को राजप्रमुख तथा कोटा के महाराव भीमसिंह को उपराज प्रमुख बनाया गया। 30 मार्च को वृहत राजस्थान के अस्तित्व में आने के बाद सैद्धांतिक रूप से इस दिन को राजस्थान दिवस घोषित किया गया।
राजस्थान एकीकरण के चौथे चरण में राजस्थान में 5 विभाग स्थापित किये गए जो निम्न है :
इस चरण में रियासतों को निम्न प्रकार प्रिवीपर्स दिया गया :
चतुर्थ चरण से जुड़े कुछ बिंदु :
पंचम चरण: 15 मई 1949संयुक्त वृहद राजस्थानशंकरराव देव समिति की सिफारिश पर 15 मई 1949 को मत्स्य संघ का वृहद राजस्थान में विलय कर देने से संयुक्त विशाल राजस्थान का निर्माण हुआ। नीमराना को भी इसमें शामिल कर लिया गया। आर. के. सिहवा, प्रभुदयाल इस समिति के सदस्य थे। भरतपुर व धौलपुर के विरोध को देखते हुए जनता का विचार जानने के उद्देश्य से वल्लभभाई पटेल ने इस समिति का गठन किया था।
षष्टम चरण: 26 जनवरी 1950वर्तमान राजस्थानराजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया चल रही थी, तब सिरोही रियासत के शासक नाबालिग थे। इस कारण सिरोही रियासत का कामकाज दोबागढ की महारानी की अध्यक्षता में एजेंसी कौंसिल देख रही थी जिसका गठन भारत की सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया था। सिरोही रियासत के एक हिस्से आबू-देलवाडा को लेकर विवाद के कारण आबू देलवाडा सहित 89 गाँवों को बंबई प्रान्त(सौराष्ट्र, गुजरात, महाराष्ट्र) में मिला दिया गया। इसमें गोकुल लाल असावा का गाँव हाथळ भी शामिल था। इसके अतिरिक्त शेष रियासत 26 जनवरी 1950 को संयुक्त विशाल राजस्थान में विलय हो जाने पर इसका नाम ‘राजस्थान’ कर दिया गया। 26 जनवरी, 1950 को राजस्थान को ‘B’ या ‘ख’ श्रेणी का राज्य बनाया गया।
राजस्थान के मनोनीत मुख्यमंत्री
नोट :
सप्तम चरण : 1 नवम्बर 1956राजस्थान पुनर्गठनराज्य पुनर्गठन आयोग 1955 (सदस्य – फजल अली, हृदयनाथ कुंजरु, के. एम्. पणिक्कर)की सिफारिशों के आधार पर 1 नवम्बर 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू हो जाने से अजमेर-मेरवाड़ा, आबू तहसील को राजस्थान में मिलाया गया। इस चरण में कुछ भाग इधर-उधर कर भौगोलिक और सामाजिक त्रुटि भी सुधारी गई। इसके तहत मध्यप्रदेश में शामिल हो चुके सुनेल टप्पा क्षेत्र को राजस्थान के झालावाड़ जिले में मिलाया गया और झालावाड़ जिले का सिरनौज को मध्यप्रदेश को दे दिया गया। राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया । इस अधिनियम के द्वारा अ, ब एवं स राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया तथा राजप्रमुख और महाराज प्रमुख पद का अंत हुआ व राज्यपाल पद का सृजन हुआ(7वां संविधान संशोधन)| अजमेर को 26वां जिला 1 नवम्बर 1956 में बनाया गया।
एकीकरण से जुड़े मुख्य बिंदु :
राजस्थान के शासकों द्वारा संघ बनाने के प्रयास
राजस्थान का एकीकरण सारणी
क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत कौन सी है?तथ्य भारत के एकीकरण के समय कुल 562 रियासत थी। क्षेत्रफल में सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद थी व क्षेत्रफल में सबसे छोटी रियासत बिलवारी(मध्यप्रदेश) थी।
राजस्थान की सबसे छोटी रियासत कौन सी है?क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर और सबसे छोटी शाहपुरा थी राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी।
राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत कौन सी है?राजस्थान संघ में विलय हुई रियासतों में कोटा बड़ी रियासत थी, इस कारण इसके तत्कालीन महाराजा महाराव भीमसिंह को राजप्रमुख बनाया गया।
राजस्थान की सबसे नवीनतम रियासत कौन सी है?राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड ( उदयपुर ) थी । इस रियासत की स्थापना 565 ई. में गुहिल द्वारा की गई । राजस्थान की सबसे नवीनतम रियासत झालावाड थी ।
|