जोड़ों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा - jodon ke dard kee aayurvedik dava

हड्डियों के कमजोर होने का कारण- हड्डियों के कमजोर होने के कई कारण हो सकते है. जैसे कि हार्मोन में बदलाव, मेटोबॉलिज्म का धीमा हो जाना, डिलीवरी या फिर मेनोपॉज के बाद हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है. इसकी वजह से घुटने का दर्द, जोड़ों में दर्द, सूजन, और जकड़न जैसी समस्याएं होने लगती हैं. ये सारी चीजें हड्डियों को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं.

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शारीरिक असुविधा जहां दो या दो से अधिक हड्डियां एक संयुक्त बनाने के लिए मिलती हैं, हल्के से लेकर अक्षम होने तक। इसके कारण हो सकते हैं जो अंतर्निहित बीमारियों के कारण नहीं हैं। उदाहरणों में भारी शारीरिक गतिविधि, उपयोग की कमी, मोच और उपभेदों जैसे अति प्रयोग शामिल हैं। यह दर्द निवारक सिरप भीड़, सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। यह विदर का इलाज करने के लिए एक प्रभावी उपाय है क्योंकि यह खराब रक्त परिसंचरण में सुधार करके क्षेत्र को टोन करता है। यह नूराजॉइंट सिरप दर्द से तुरंत राहत देता है।

अजवाइन में एंटी-इंफ्लमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसकी वजह से इसे गठिया के दर्द के घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एनेस्थेटिक गुण भी होते हैं, जो सर्दियों के दौरान अत्यधिक दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

दशमूल (Dashmool)

दशमूल खुद एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी नहीं है, बल्कि दस औषधीय जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। जिसका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसमें बेरहटी, शालपर्णी जैसी हर्ब्स शामिल की जाती हैं। दशमूल वात रोग में प्रभावी है। इसके एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और शामक गुण जोड़ों के दर्द को ठीक करने में मदद करते हैं। यह तेल और पाउडर के रूप में उपलब्ध है।

शल्लकी

शल्लकी जड़ी-बूटी जोड़ों को मजबूत रखने और उन्हें किसी भी दर्द से राहत देने के लिए जानी जाती है। यह न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि सूजन को कम करने में भी मददगार है। ऑस्टियोअर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में दर्द और अकड़न को कम करने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में इसे वात दोष के असंतुलन के कारण हुई बीमारियों के इलाज के लिए जाना जाता है।

शतावरी (Shatavari)

शतावरी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसमें चिकनाई प्रदान करने वाले गुण होते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि इसका इस्तेमाल शरीर में सूजन पैदा करने वाले रसायनों (जैसे कि TNF- अल्फा और IL-1B) को खत्म करने में किया जाता है।

अश्वगंधा

अश्‍वगंधा मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने में उपयोगी है। अर्थराइटिस की वजह से होने वाली सूजन के उपचार में भी यह मददगार है। जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

और पढ़ें: अपेंडिक्स का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?

जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : थेरेपी

जोड़ों में दर्द के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के रूप में थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे-

निदान परिवार्जन

इस आयुर्वेदिक कर्म में रोग के कारण को दूर किया जाता है। इससे बीमारी को बढ़ने, उससे बचाव और दोबारा होने से रोका जा सकता है। जोड़ों में दर्द के इलाज के लिए अनशन (व्रत), अल्‍पशन (कम मात्रा में खाना), रुक्षन्‍नपान सेवन (सूखे खाद्य पदार्थों का सेवन), प्रमितशन (सीमित आहार लेना) और लंघन (व्रत) जैसी कई आयुर्वेदिक क्रियाएं शामिल है। इनका इस्तेमाल व्यक्ति की प्रकृति और दोष पर निर्भर करता है।

स्‍वेदन

शरीर में जमी अमा यानी टॉक्सिन्स को बाहर निकालने के लिए यह आयुर्वेदिक क्रिया महत्वपूर्ण है, जिसमें पसीने के जरिए विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। अर्थ्राल्जिया के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में प्रभावित हिस्‍से को गर्म करके अमा को पिघलाया जाता है, जिससे टॉक्सिन्स बाहर निकल सकें।

अभ्‍यंग

अभ्‍यंग आयुर्वेदिक कर्म में कई हर्ब्स से बने तेल की मालिश प्रभावित हिस्से पर की जाती है। इससे जिस हिस्से में जॉइंट पेन होता है, उस अंग में दर्द से राहत मिलती है।

इसके अलावा जोड़ों में दर्द के आयुर्वेदिक इलाज के लिए विरेचन, लेप, अग्नि कर्म, बस्ती जैसी प्रक्रियाओं को भी अपनाया जाता है।

और पढ़ें: पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानें कौन सी जड़ी-बूटी होगी असरदार

जोड़ो में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : दवा

दशमूलारिष्‍ट

ऑस्टियोअर्थराइटिस के रोगी को जोड़ों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा के रूप में दशमूलारिष्‍ट लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इसका उपयोग वात की वजह से जन्मे फिस्‍टुला, अस्‍थमा और खांसी के इलाज के लिए भी किया जाता है।

मुक्ताशुक्ति भस्म

कैल्‍शियम की कमी के कारण होने वाले जोड़ों में दर्द को कंट्रोल करने में यह आयुर्वेदिक दवा उपयोगी है। यह जोड़ों में दर्द की आयुर्वेदिक दवा खराब हुए पित्त और वात दोष को बैलेंस करती है।

योगराज गुग्‍गुल

पिप्‍पलीमूल, गोक्षुरा, त्‍वाक (दालचीनी), शतावरी, गुडूची, गुग्‍गुल आदि जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार की गई यह दवा वात रोगों विशेषकर रुमेटाइड अर्थराइटिस को मैनेज करने में प्रभावी है। वात और रक्‍त धातु में असंतुलन की वजह से गाउट होने से जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। जोड़ों में दर्द की यह आयुर्वेदिक दवा इसमें भी उपयोगी होती है।

ऊपर बताई गई आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही किया जाना चाहिए।

जोड़ों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : योगासन

वीरभद्रासन, धनुरासन (बो पोज), सेतु बंधासन (ब्रिज पोज), त्रिकोणासन (त्रिकोण मुद्रा), मकर अधो मुख सवासना, उष्ट्रासन आदि योगासन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। इनसे ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस से पीड़ित लोगों में होने वाले जॉइंट पेन में आराम पहुंचता है।

ये घरेलू उपाय भी करते हैं मदद

हल्दी

हल्दी में कर्क्युमिन तत्व होता है, जो कि शरीर में इंफ्लमेशन का कारण बनने वाले तत्वों को ब्लॉक करने और कार्टिलेज डैमेज को कम करने में मदद करता है। इससे आपके जोड़ों का दर्द कम होता है और आपको राहत मिलती है। 2016 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, कर्क्युमिन ऑस्टियोअर्थराइटिस के विकास में देरी पैदा करता है। लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

अदरक

हल्दी के अलावा अदरक भी ऐसा घरेलू उपाय है, जिसकी मदद से जोड़ों के दर्द से राहत प्राप्त की जा सकती है। अदरक अपने एंटी-सेप्टिक गुणों के कारण कई समस्याओं के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। जिससे जोड़ों में सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिलती है। इसका उपयोग करने से शरीर में ब्लड सर्क्युलेशन भी तेज होता है, जिससे दर्द कम होता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप अदरक वाली चाय पी सकते हैं या फिर अदरक का पेस्ट या एसेंशियल ऑयल अपने घुटनों पर लगा सकते हैं।

जोड़ों के दर्द के लिए सबसे अच्छी दवाई कौन सी है?

जोड़ों के दर्द में राहत पाने के लिए आप अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, अदरक वाली चाय पीने से भी आपको लाभ मिल सकता है। इसके अलावा आप अदरक को गर्म पानी में शहद और नींबू के साथ मिलाकर पी सकते हैं। अदरक में पाया जाने वाला एंटी इंफ्लेमेटरी कंपाउंड सूजन को कम करने में मदद करता है।

घुटने के दर्द के लिए आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?

आयुर्वेद एक्सपर्ट्स के अनुसार, शतावरी, अश्वगंधा, अशोक, ब्राह्मी और हल्दी, शुद्ध गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियां स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं और इनका सेवन हर दिन किया जाना चाहिए.

घुटनों के दर्द के लिए कौन सी गोली खाई जाती है?

डी पेन 50mg टैबलेट एसआर एक दर्द निवारक दवा है. इसका इस्तेमाल रूमेटॉइड आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस और अधिक मस्कुलोस्केलेटल चोटों जैसी स्थितियों में दर्द, सूजन, कठोरता और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है.

जोड़ों के दर्द के लिए आयुर्वेदिक तेल कैसे बनाएं?

250 एमएल सरसों का तेल रख लें। अब इसमें लहसुन की 10-12 कलियां कूटकर डालें।.
रात को सोने से पहले इस तेल से जोड़ों की मालिश करनी चाहिए।.
इस तेल से जोड़ों पर कम से कम 5-7 मिनट तक मालिश करें।.
इसे हल्का गर्म करके इस्तेमाल करें, जल्द आराम मिलेगा।.
एक हफ्ते में आपको दर्द से आराम मिलना शुरू हो जाएगा।.