गेहूँ चोकर ( Wheat bran ) Show Last Updated : Nov 30,2022 Viewed 51366 times गेहूँ चोकर क्या है?अधिकतर अनाज, जैसे गेहूँ और ओटस् की एपरी परत कड़क होती है। इन्हें परीष्कृत करते समय, यह परत बहुउपयोगी सामग्री बन जाती है, जिसे चोकर कहते हैं। इसी तरह, गेहूँ को जब गेहूँ के आटे में पारीष्कृत किया जाता है, चोकर बनता है। यह चोकर पौष्टिक्ता से भरपुर होता है और इसमें बहुत से पोषण तत्व होते हैं।चुनने का सुझाव गेहूँ चोकर रसोई में उपयोग गेहूँ चोकर संग्रह करने के तरीके गेहूँ चोकर स्वास्थ्य विषयक चोकर गेहूं के अंदरूनी सुनहरे छिलके को कहते हैं। ये छिलका तैया गेहूं को पिसवाने पर आटे के साथ मिला हुआ आता है, व छानने पर अलग किया जा सकता है। इसमें आहारीय रेशा और आहारीय जस्ता उपस्थित होता है। परिचय[संपादित करें]आजकल लोग स्वाद के मजे के लोभ में आहार के पोषक तत्वों के बारे में विचार नहीं करते और जो पोषण हमें सहज ही प्राप्त हो जाता है उससे वंचित रह जाते हैं ऐसा ही एक पोषण तत्व है चोकर जिसे आटे को छान कर अलग करके कचरे में फेक दिया जाता है, जो व्यक्ति इस बात का इच्छुक हो कि उसके शरीर में किसी प्रकार का मल अवरोध न हो उसे अपने आहार में चोकर को विशेष महत्त्व देना चाहिए, क्योंकि भोजन के बचे हुए अंश को बाहर निकालने में चोकर सहायक सिद्ध होता है और आंतो में मल को अवरुद्ध नहीं होने देता ! अप्राकृतिक आहार और अनियमित दिनचर्या के कारण आंतों में मल रुक जाता है ! मल के इस अवरोध को कब्ज होना कहते है ! कब्ज के कारण आंतों में रुके हुए मल से सड़ांध उत्पन्न होती है जिससे गैस बनती है, वातजन्य विकार पैदा होते है जैसे पेट में मरोड़ होना, दस्त होने पर पेट साफ न होना और पेट भारी रहना, मल के साथ चिकना पदार्थ (आंव) निकलना आदि अनेक व्याधिया पैदा होती है क्योंकि अकेला कब्ज होना के प्रकार कि व्याधियो को जन्म देने का कारण सिद्ध होता। अनेक रोगों कि जड़, इस कब्ज को दूर करने में 'चोकर का प्रयोग' विशेष सहायक सिद्ध होता है। चोकर के उचित प्रयोग से, आंतों में फंसे मल को आगे बढ़ने और बाहर निकलने कि प्रक्रिया में मदद मिलती है और शौच खुल कर होता है। चोकर क्या है?[संपादित करें]गेंहूँ के छिलके को चोकर कहते है। इसमे सब्जियों के फुजला (फोक) से भी अधिक रोग प्रतिरोधक शक्ति होती है, साथ ही लोह, कैल्शियम और विटामिन 'बी' पर्याप्त मात्र में पाए जाते है जो क्रमश: रक्त बढ़ने, हड्डियों को मजबूत करने और भूख बढ़ने में सहायक सिद्ध होते है। पुराने समय में अनाज घर में ही पिसा जाता था, हाथ कि चक्की से हाथ से पिसे गए अनाज में चोकर ज्यादा रहता था लेकिन आजकल बिजली की चक्की से पिसे अनाज का आटा उपयोग में लिया जाता है, जो बहुत बारीक़ पिसा जाता है, उसमे चोकर नाम मात्र होता है उसको भी बारीक़ छाननी से निकाल फेंक दिया जाता है, बहुत महीन बारीक़ आटे का प्रयोग करने से कब्ज का होना सामान्य बात है जब तक चोकर रहित आटे का उपयोग किया जाता रहेगा तब तक कब्ज से छुटकारा मिलना मुश्किल है। आटे में चोकर आवश्यक ! यदि घर में संभव न हो तो बाहर कि चक्की में मोटा आटा पिसवाना चाहिए और उसे छाने बिना ही उपयोग में लेना चाहिए ! आटा गूँथ कर रखे इसके एक घंटे के बाद रोटी बनाये, इससे चोकर के कण फुल जाते है और रोटी रसीली, स्वादिष्ट बनती है, फूलने पर चोकर पानी सोख कर नरम हो जाता है और पेट में जाकर खलबली मचा देता है, इससे पेट खुल कर साफ लगता है, अगर आटा चानना जरुरी हो तो चन ले और कचरा होने पर उसे अलग करके वापस चोकर को फिर से आटे में मिला दे, चोकर के उपयोग[संपादित करें]आजकल किसी भाग्यवान व्यक्ति को ही कब्ज कि बीमारी न होगी वर्ना हर स्त्री पुरुष को अपच और कब्ज के रोगों ने घेरा है, इसे लोग दवाओ का सेवन कर कब्ज को दूर करते रहते है और उसके आदि हो जाते है कि अगर दावा का सेवन न करे तो पेट साफ नहीं होगा, न जाने बाजार से विदेशी कोलेस्ट्रोल, फोलेस्त्रोल युक्त आटा, पिल्सबरी आटा, लेकिन चोकर युक्त आटा सब बाजारू आटे का "पिता" है, कब्ज को जड़ से समाप्त करने के लिए निम्नलिखित विधियों के अनुसार चोकर का सेवन करे ! साथ में योगाभ्यास का नित अभ्यास करें ! चोकर के लड्डू[संपादित करें]चोकर को तवे पर सेंक ले और इसे ठंडा करके इसमे किशमिश, मुनक्का, खजूर का दुदा या गुड मिला कर इमाम दस्ते में दल कर अच्छी तरह कूट पिस लें चोकर का हलवा एक गिलास उबलते पानी में उचित मात्र में गुड मसल कर दल दें और घोले। जब गुड घुल जाये तब इसमे साफ किया हुआ और सिका हुआ चोकर ५० ग्राम दल कर १० मिनिट तक उबले इसके बाद इसमे दो चम्मच मक्खन या घी डाल कर उतार ले, चाहे तो किशमिस या चिरोंजी डाल दे। हलवा तैयार है यह स्वादिष्ट सुपाच्य और पौष्टिक है। सन्दर्भ[संपादित करें]गेहूं से चोकर कैसे बनता है?चोकर गेहूं के अंदरूनी सुनहरे छिलके को कहते हैं। ये छिलका तैया गेहूं को पिसवाने पर आटे के साथ मिला हुआ आता है, व छानने पर अलग किया जा सकता है। इसमें आहारीय रेशा और आहारीय जस्ता उपस्थित होता है।
गेहूं का आटा चोकर क्या है?गेहूं के अंदरूनी सुनहरे छिलके को चोकर कहते हैं। ये छिलका तैयार गेहूं को पिसवाने पर आटे के साथ मिला हुआ आता है व छानने पर अलग किया जा सकता है। गेंहू के इस सुनहरे छिलके में सब्जियां के मुकाबले आवश्यक फैटी एसिड, खनिज, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ फाइबर की भी उच्च मात्रा होती है।
गेहूं का चोकर किसकी परत में पाया जाता है?इस प्रकार गेहूँ का चोकर बीज-कोष की परत में पाया जाता है।
गेहूं का चोकर खाने के क्या फायदे हैं?गेंहूं का चोकर खाने के फायदे. फाइबर से होता है भरपूर :. कब्ज से दिलाता है छुटकारा :. आपको लंबे समय तक भर पेट रखता है :. प्रोटीन का भंडार है ये :. कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में सहायक :. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक :. मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत :. |