फरसे को दिखाते हुए परशुराम ने लक्ष्मण से क्या कहा था? - pharase ko dikhaate hue parashuraam ne lakshman se kya kaha tha?

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (कविता ) का प्रश्नोत्तर और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा-10 | Ncert Solution Hindi

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राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (कविता ) का प्रश्नोत्तर और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा-10 पाठ-2 | Ncert Solution Hindi के इस ब्लॉग में विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा प्रश्नोत्तर मॉड्यूल तैयार किया गया है की इस पाठ से जुड़ी सभी प्रकार के परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण सवालों का उत्तर यहाँ पर विद्यार्थियों को सरल भाषा में पढ़ने को मिलेगा साथ में आप  पाठ का भावार्थ आशय और अभ्यास प्रश्न के उत्तर भी देख सकते है ।

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (कविता ) का प्रश्नोत्तर और अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा-10

(1.) कवि और कविता का नाम लिखें ।
उत्तर-कवि का नाम- तुलसीदास, कविता का नाम- राम-परशुराम-लक्ष्मण संवाद।

(2.) श्रीराम ने परशुराम को क्या उत्तर दिया ?
उत्तर-श्रीराम ने परशुराम को यह उत्तर दिया कि शिव-धनुष को तोड़ने वाला आपका (परशुराम का) ही कोई दास होगा।

(3.) परशुराम की इस उत्तर पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-परशुराम ने शिव-धनुष को तोड़ने वाले को अपना दास (सेवक) मानने से इंकार कर दिया। उनके अनुसार सेवक वह होता है जो सेवा करे। यह काम तो शत्रु का है। शत्रुता करने वाले से तो लड़ाई ही की जाती है। जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है।

(4.) लक्ष्मण ने किस शैली में परशुराम को क्या उत्तर दिया ?
उत्तर-लक्ष्मण ने मुसकुराते हुए व्यंग्यात्मक शैली में यह उत्तर दिया कि बचपन में हमने ऐसी कई धनुहियाँ तोड़ी हैं अर्थात् हमारे लिए यह एक सामान्य सी बात है, तब आपने कभी क्रोध नहीं किया। फिर इस धनुष पर आपकी इतनी ममता क्यों है?

(5.) परशुराम ने लक्ष्मण से क्या कहा ?
उत्तर-परशुराम ने लक्ष्मण से कहा कि वह मृत्यु के वश में है अतः वह सोच समझकर नहीं बोल रहा। भगवान शिव का धनुष क्या एक मामूली धनुष है जिसे बिना प्रयास के तोड़ा जा सकता है। यदि धनुष तोड़ने वाला व्यक्ति उनके सामने नहींआयेगा तो वे सभी राजाओं की हत्या कर देंगे।

(6.) इस अंश के आधार पर परशुराम के स्वभाव पर टिप्पणी करें ?
उत्तर-राम लक्ष्मण परशुराम पाठ के इस अंश को पढ़कर पता चलता है कि परशुराम महाक्रोधी थे। वह अपनी वीरता  की डींग हाँकने में बहुत तेज थे। वह गरजने वाले बादल के समान बड़बोले थे। उन्हें बस थोड़ी-सी उत्तेजना से ही आग-बबूला किया जा सकता था। वे हल्की-सी बात पर भड़क उठते थे और अपनी वीरता के किस्से सुनाने लगते थे। स्वयं को सहस्रबाहु का संहारक कहकर अकड़ना और बात-बात पर सामने वाले को मार डालने की धमकी देना उनके स्वभाव के अंग बन चुके थे।

(7.) परशुराम ने सभा के बीचो बीच आकर सभा को क्या धमकी दी ?
उत्तर- परशुराम ने सभा के बीचोंबीच आकर सबको धमकी दी कि जिसने भी उनके गुरु शव का धनुष तोड़ा है, वह सभा से अलग होकर उनके सामने आ जाए। वरना वे सभी राजाओं का वध कर डालेंगे।

(8.) परशुराम ने श्रीराम से क्या कहा ?
उत्तर-परशुराम ने रामजी से कहा कि जिस व्यक्ति ने भगवान शिव का धनुष तोड़ा है। वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु है।

(9.) परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन कौन से तर्क दिए ?
उत्तर-लक्ष्मण ने कहा- ‘सभी धनुष एक समान है फिर पुराने धनुष के टूटने पर क्या लाभ-हानि ? यह तो छूते ही टूट गया अतः राम का क्या दोष ?

(10.) प्रस्तुत पद्यांश के आधार पर लिखे की परशुराम ने अपनी विषय में सभा में क्या-क्या कहा ?
उत्तर-राम लक्ष्मण परशुराम के इस छंद में परशुराम कहते है की मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ। क्षत्रिय कुल के शत्र के रूप में विश्व भर में विख्यात हूँ। अपनी भुजा बल पर इस धरती को राजाओं से रहित कर मैंने उसे ब्राह्मणों को दान में दिया है। यह फरसा बड़ा भयानक है।

(11.) परशुराम ने लक्ष्मण को धमकाते हुए क्या कहा ?
उत्तर-अपने फरसे की ओर देखकर बोले- अरे दुष्ट! क्या तूने मेरे स्वभाव के बारे में नहीं सुना ? मैं तुझे बालक जानकर नहीं मार रहा। अरे मूर्ख! तू मुझे निरा मुनि ही समझता है।

(12.) लक्ष्मण ने हँसकर क्या कहा ?
उत्तर-लक्ष्मण ने हँसकर यह कहा कि हे देव! हमारे लिए तो सभी धनुष एक समान हैं। हम धनुष तोड़ते समय किसी प्रकार की लाभ-हानि नहीं देखते। श्रीराम ने तो इसे नए के भ्रम में देखा और यह तो छूते ही टूट गया। आप व्यर्थ ही क्रोध कर रहे हैं।

(13.) लक्ष्मण ने परशुराम से क्या कहा ?
उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि धनुष पुराना था। वह रामजी के स्पर्श करते ही टूट गया। इसमें रामजी का कोई दोष नहीं है।

(14.) परशुराम की गर्वोक्ति का लक्ष्मण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-परशुराम की गर्वोक्ति को लक्ष्मण ने हँस कर उड़ा दिया। उन्होंने उनकी गर्वोक्ति पर चुटकी लेते हुए कहा- आप स्वयं को महान योद्धा मानते हो और मुझे बार-बार फरसा दिखाते हो। संभवतः आप पहाड़ को फूंक मारकर उड़ा देना चाहते हो अर्थात् हम तो पहाड़ हैं और आपकी गीदड़भभकी से उड़ने वाले नहीं हैं। हम भी कोई कुम्हड़बतिया नहीं हैं जो तर्जनी उँगली देखते ही मुरझा जाएँ अर्थात् हम आपसे डरने वाले नहीं हैं। लक्ष्मण ने डटकर प्रतिवाद किया।

(15.) लक्ष्मण ने अपने कुल की किस परंपरा का उल्लेख किया ?
उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम के सम्मुख अपने कुल की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके कुल में देवता, ब्राह्मण, ईश्वर भक्त और गाय पर वे अपनी शूरवीरता नहीं दिखाते।

(16.) लक्ष्मण ने ऐसा क्या कह दिया कि मुनि परशुराम का क्रोध बहुत बढ़ गया ?
उत्तर-लक्ष्मण ने व्यंग्यपूर्ण वाणी में परशुराम को यह कह दिया कि आपको यह धनुष-बाण और फरसा रखने की कोई आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि आपके वचन ही इतने कटु हैं कि वे करोड़ों वज्रों के समान वार करते हैं।

(17.) लक्ष्मण का आक्षेप सुनकर परशुराम पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-लक्ष्मण का आक्षेप सुनकर परशुराम (भृगुवंशमणि) क्रोध से भर उठे और अपनी बात गंभीर वाणी में कहने लगे।

(18.) लक्ष्मण ने परशुराम को मृदु वाणी में क्यों संबोधित किया ?
उत्तर-लक्ष्मण परशुराम के बड़बोलेपन को हँसी-खेल में उड़ा देना चाहते थे। वे उनकी बातों का उत्तर बातों से देकर लज्जित करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने कोमल शब्दों में व्यंग्य-वाणी का सहारा लिया।

(19.) ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा किसे कहा गया है ?
उत्तर-यह वचन लक्ष्मण ने परशुराम को कहा।

(20.) लक्ष्मण ने परशुराम की वाणी के किस उन पर व्यंग किया है ?
उत्तर-लक्ष्मण ने परशुराम की वाणी को कठोरता, क्रूरता और निर्ममता पर व्यंग्य कहा है। वे बहुत कठोर वचन कहते थे।

(21.) परशुराम किसको संबोधित कर क्या कह रहे हैं ?
उत्तर-परशुराम मुनि विश्वामित्र को संबोधित कर कह रहे हैं कि यह बालक (लक्ष्मण) अत्यंत दुष्ट है, काल के वश में है तथा अपने कुल का नाश कराने वाला है। – सूर्यवंश में यह कलंक है। यह उदंड, मूर्ख और निडर है। यह अभी क्षण भर में मारा जाएगा। यदि आप इसे बचाना चाहते हो तो इसे हमारे बल, प्रताप और क्रोध से अवगत करा दीजिए।

(22.) परशुराम की बातें सुनकर लक्ष्मण ने व्यंग में क्या कहा ?
उत्तर-राम लक्ष्मण परशुराम के इस भाग में परशुराम की गर्वपूर्ण बातें सुनकर लक्ष्मण ने व्यंग्य में कहा कि हे मुनि! आपके रहते हुए भला आपके सुयश का बखान और कौन कर सकता है। आपने अपने मुख से इसका बखान अनेक प्रकार से कर लिया है। यदि अभी भी कुछ कहना शेष रह गया है तो वह भी कहं डालिए। अपना क्रोध रोककर कष्ट मत सहिए। आप वीरव्रती हैं अतः आपको गाली देना शोभा नहीं देता।

(23.) लक्ष्मण ने शूरवीर की क्या पहचान बताई ?
उत्तर-लक्ष्मण ने शूरवीर की पहचान बताते हुए कहा कि शूरवीर समर भूमि में अपना कारनामा करके दिखाते हैं। वे अपनी बड़ाई स्वयं नहीं करते। शत्रु को युद्ध में उपस्थित पाकर कायर ही अपना बड़ाई करते हैं। व्यंग्य- आप कार्य के समान व्यवहार कर रहे हैं।

(24.) इस काव्यांश के आधार पर परशुराम के स्वभाव पर क्या प्रकाश पड़ता है ?
उत्तर-इस काव्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि परशुराम अत्यंत क्रोधी हैं। वे गर्वोक्ति करने में बढ़-चढ़ रहे हैं।

(25.) परशुराम ने विश्वमित्र को क्या शिकायत की और क्यों ?
उत्तर-परशुराम ने विश्वामित्र को लक्ष्मण की उइंडता के बारे में शिकायत की। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण मूर्ख है, कुलनाशक है, अपने कुल का कलंक है। वह अज्ञानी, निरंकुश और उदंड है। क्योंकि वास्तव में परशुराम लक्ष्मण से उलझना नहीं चाहता। इसलिए वह विश्वामित्र से शिकायत करके उसकी उइंडता को रोकना चाहता है।

( 26.) परशुराम ने किसे बधजोगू कहा और क्यों ?
उत्तर-परशुराम ने लक्ष्मण को वध के योग्य कहा है। क्योंकि लक्ष्मण ने परशुराम के बड़बोलेपन और खोखली धमकियों की मजाक उड़ाई थी। इस अपमान के कारण | परशुराम उत्तेजित हो उठे।

(27.) परशुराम को उत्तेजित देखकर विश्वामित्र ने क्या कहा ?
उत्तर-परशुराम को उत्तेजित देखकर विश्वामित्र ने उन्हें शांत किया। विश्वामित्र ने ने कहा- मुनि जी! आप तो साधु हैं। साधुजन बच्चों के गुण-दोष पर ध्यान नहीं  देते। अतः आप लक्ष्मण को बच्चा मानकर क्षमा कर दें।

(28.) लक्ष्मण ने परशुराम को क्या कहा और क्यों कहा?
उत्तर-राम लक्ष्मण परशुराम के इस प्रश्न में परशुराम लक्ष्मण को बार-बार मार डालने की धमकी दे रहे थे। वे कुछ करने के बजाय बड़ी-बड़ी बातें बोले जा रहे थे। उनकी इन्हीं खोखली बातों का मजाक उड़ाने के लिए लक्ष्मण ने कहा- परशुराम जी! आप तो मानो मृत्यु को हाँक कर मेरे ऊपर डाले दे रहे हो।

(29.) अयमय खाँड़ न ऊखमय का तात्पर्य स्पष्ट करें ?
उत्तर-इसका तात्पर्य है- तुम्हारे सामने गन्ने के रस से बनी खाँड़ नहीं है, बल्कि लोहे  से बना खाँडा है। अर्थात् जिस लक्ष्मण को तुम सामान्य राजकुमार समझ रहे हो, | वह प्रबल पराक्रमी वीर है। इसके साथ टक्कर लेना अपनी मुँह की खाना है।

(30.) परशुराम की गर्वपूर्ण बातें सुनकर लक्ष्मण ने व्यंग में क्या कहा ?
उत्तर-परशुराम की बातें सुनकर लक्ष्मण ने व्यंग्य में यह कहा कि हे मुनि! सारा संसार आपके शील-व्यवहार से परिचित है। तुमने माता के ऋण से तो छुटकारा पा लिया। हाँ अब गुरु का ऋण आप पर अवश्य है। उस ऋण को आप हमारे मत्थे मढ़ रहे हो। काफी दिन बीत गए हैं अतः ब्याज भी बढ़ गया होगा। आप किसी हिसाब-किताब करने वाले को बुला लीजिए, मैं सारा चुकता कर दूंगा।

(31.) लक्ष्मण की व्यंगपूर्ण वचन सुनकर परशुराम पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-लक्ष्मण के व्यंग्यपूर्ण वचन सुनकर परशुराम क्रोध मुद्रा में आ गए और हाथ में फरसा सँभाल लिया। यह देखकर सारी सभा में हाहाकार मच गया क्योंकि किसी अनर्थ की संभावना उत्पन्न हो रही थी।

(32.) लक्ष्मण ने परशुराम की व्यवहार पर क्या प्रतिक्रिया प्रकट की ?
उत्तर-लक्ष्मण ने करारा उत्तर देते हुए कहा- आप मुझे फरसा दिखा रहे हैं और मैं आपको ब्राह्मण समझकर बचा रहा हूँ। आपका पाला कभी शूरवीरों से पड़ा ही नहीं। आप तो अपने घर के ही वीर हैं अर्थात् अपने घर में ही शेर हैं, बाहर आकर देखिए।

(33.) लक्ष्मण के उत्तर पर सभा में तथा राम पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-लक्ष्मण के उत्तर पर सभा कह उठी- यह अनुचित है, अनुचित है। राम ने बात की बढ़ती देखकर संकेत से लक्ष्मण को चुप हो जाने के लिए कहा।

(34.) परशुराम के गुरु कौन थे ? वह गुरु ऋण किस प्रकार उतरना चाहते थे ?
उत्तर- परशुराम के गुरु भगवान शिव थे। वे शिव-धनुष तोड़ने वाले का वध करके गुरु-ऋण से उऋण होना चाहते थे।

(35.) लक्ष्मण किस ऋण और ब्याज की बात कर रहे हैं?
उत्तर-लक्ष्मण परशुराम के गुरु-ऋण और उसके ब्याज की बात कर रहे हैं। उनके अनुसार, परशुराम अपने गुरु शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं इसके लिए वह उनके धनुष को तोड़ने वाले का वध करना चाहते हैं। यह काम होने में बहुत देर हो चुकी है, इसलिए वह लक्ष्मण को मारकर शीघ्र ही उसका ब्याज चुकाना चाहते हैं। jac board 

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फरसे को दिखाते हुए परशुराम ने लक्ष्मण से क्या कहा?

परशुराम ने लक्ष्मण को धमकाते हुए क्या कहा ? उत्तर-अपने फरसे की ओर देखकर बोले- अरे दुष्ट! क्या तूने मेरे स्वभाव के बारे में नहीं सुना ? मैं तुझे बालक जानकर नहीं मार रहा।

परशुराम बार बार लक्ष्मण को क्या दिखा रहे हैं?

(ख) परशुराम बार-बार तर्जनी उँगली दिखाकर लक्ष्मण को डराने का प्रयास कर रहे थे। यह देख लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि मैं सीताफल की नवजात बतिया (फल) के समान निर्बल नहीं हूँ जो आपकी तर्जनी के इशारे से डर जाऊँगा।