Skinner के अनुसार सीखना क्या है? - skinnair ke anusaar seekhana kya hai?

स्किनर का क्रिया प्रसूत सिद्धान्त– बी0एफ0 स्किनर ने अधिगम के क्षेत्र में अनेक प्रयोग करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि अभिप्रेरण से उत्पन्न क्रियाशीलन ही सीखने के लिए उत्तरदायी है। उन्होने 2 प्रकार की क्रियाओं पर प्रकाश डाला- क्रिया प्रसूत व उद्दीपन प्रसूत। जो क्रियाएं उद्दीपन के द्वारा होती है वे उद्दीपन आधारित होती है। क्रिया प्रसूत का सम्बन्ध किसी ज्ञात उद्दीपन से न होकर उत्तेजना से होता है।

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स्किनर ने अपना प्रयोग चूहों पर किया। इससे लीवर वाला वाक्स (स्किनर बाक्स) बनवाया। लीवर पर चूहे का पैर पड़ते ही खट की आवाज होती थी। इस ध्वनि को सुन चूहा आगे बढ़ता और उसे प्याले में भोजन मिला। यह भोजन चूहे के लिए प्रबलन का कार्य करता। चूहा भूखा होने पर प्रणोदित होता और लीवर को दबाता।

इन प्रयोगों में जब प्राणी स्वयं कोई वांछित व्यवहार करता है, तो व्यवहार के परिणाम स्वरूप उसे पुरस्कार प्राप्त होता है। अन्य व्यवहारों के करने पर उसे सफलता प्राप्त नही होती । वह पुरस्कृत व्यवहार आसानी से सीख लेता है।

निष्कर्ष यह है, कि यदि क्रिया के बाद कोई बल प्रदान करने वाला उद्दीपन मिलता है, तो उस क्रिया की शक्ति में वृद्धि होती है। स्किनर के मत में प्रत्येक पुनर्बलन अनुक्रिया को करने के लिए प्रेरित करता है।

स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत|Operant conditioning theory of skinner in hindi :क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के प्रवर्तक हावर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफ़ेसर बीएफ स्किनर थे।यह हावर्ड विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे।इन्होंने अधिगम की प्रक्रिया को समझने के लिए अनेक पशु पक्षियों पर अपना प्रयोग किया।परंतु चूहे और कबूतर पर किया गया प्रयोग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।आज Hindivaani इन्हीं प्रयोगों के बारे में आपसे विस्तृत चर्चा करेगा।

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अनुक्रम

    • स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत|Operant conditioning theory of skinner in hindi
  • स्किनर का प्रयोग
      • ¶ यदि आप अपने जीवन मे सफल होना चाहते है। तो ये प्रेणादायक किताब जरूर पढ़ें – top 21 motivational book in hindi
  • क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के उपनाम| क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का दूसरा नाम
  • क्रिया प्रसूत अनुबंधन का अर्थ
    • प्रतिवादित व्यवहार (Respondent behavior)
  • क्रियाप्रसूत व्यवहार ( Operant behavior)
  • क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का शिक्षण में उपयोग
  • स्किनर के सिद्धांत की आलोचना
  • स्किनर के सिद्धांत का शैक्षिक महत्व 
  • स्किनर का क्रियाप्रसूत सिद्धांत से संबंधित प्रश्न  – 
    • स्किनर का क्रियाप्रसूत सिद्धांत का दूसरा नाम क्या है ? 
    • स्किनर का सिद्धान्त किस पर आधरित हैं ? 
    • क्रियाप्रसुत अनुबन्धन क्या है ? 

स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत|Operant conditioning theory of skinner in hindi

Skinner के अनुसार सीखना क्या है? - skinnair ke anusaar seekhana kya hai?

स्किनर का प्रयोग

स्किनर ने अधिगम से संबंधित प्रयोग के लिए एक समस्यात्मक बॉक्स बनाया। उन्होंने इसका नाम स्किनर बॉक्स रखा। स्किनर ने इस बॉक्स में जालीदार फर्श ,प्रकाश, ध्वनि व्यवस्था, लीवर तथा भोजन तश्तरी आदि रखी। स्किनर बॉक्स लीवर दबने पर प्रकाश या ध्वनि के साथ भोजन तश्तरी सामने आ जाती थी। प्रयोग के लिए स्किनर ने भूखे चूहों के इस बॉक्स में बंद कर दिया।

भूख के कारण कुछ देर तक चूहा इधर-उधर उछल रहा था।और जैसे ही वह उछलता है तो उसे लीवर दब जाता है।और घंटी की आवाज़ के साथ भोजन तश्तरी सामने आ जाती है।और चूहा भोजन खा लेता है।इस प्रकार कुछ प्रयासों के बाद चूहा लीवर दबाकर के,भोजन प्राप्त आसानी से प्राप्त कर लेता है।

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क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत के उपनाम| क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का दूसरा नाम

  1. R-S थ्योरी
  2. नैमित्तिक अनुबंधन का सिद्धांत
  3. कार्यात्मक प्रतिबद्धता का सिद्धांत
  4. सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
  5. अभिक्रमित अनुदेशन का सिद्धांत

क्रिया प्रसूत अनुबंधन का अर्थ

उपर्युक्त उपयोगों के द्वारा स्किनर ने यह निष्कर्ष निकाला कि व्यवहार की पुनरावृत्ति व परिमार्जन उसके परिणामों के द्वारा निर्देशित होता है।व्यक्ति व्यवहार को संचालित करता है। जबकि अपने व्यवहार को बनाए रखना उसके परिणाम पर निर्भर करता है।स्किनर ने इस प्रकार के व्यवहार को क्रिया प्रसूत व्यवहार तथा इस प्रकार के व्यवहार को सीखने की प्रक्रिया क्रिया प्रसूत अनुबंधन कहा है।

इस प्रकार इस प्रयोग से समझा जा सकता है।कि चूहे को लीवर दबाने पर भोजन की प्राप्ति नहीं होती।तो वह लीवर दबाने की क्रिया को नहीं सीख पाता।भोजन के रूप में जो पुनर्बलन था उसे प्रेरित कर रहा था।और जिसकी वजह से वह भोजन की प्राप्ति कर सका। स्किनर ने दो प्रकार के व्यवहार बताये है।

1 प्रतिवादित व्यवहार (Respondent behavior)

2.क्रियाप्रसूत व्यवहार ( Operant behavior)

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प्रतिवादित व्यवहार (Respondent behavior)

इस प्रकार का व्यवहार को उद्दीपकों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रहते हैं। तथा इनकी प्रकृति अनैच्छिक होती है।जैसे – प्रकाश पड़ने पर ब्लॉक का झपकना ।

क्रियाप्रसूत व्यवहार ( Operant behavior)

इस प्रकार के व्यवहार उद्दीपकों से नियंत्रित ना होकर परिणामों पर नियंत्रित होते हैं।तथा इनकी प्रकृति जो स्वैच्छिक होती है। जैसे- हाथ पैर को चलाना, भोजन करना।

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क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का शिक्षण में उपयोग

(1)यह सिद्धांत बताता है। कि बालक में भी अच्छे व्यवहार को उत्पन्न करना है। तो उसे में पुनर्बलन देने की आवश्यकता पर जोर देना चाहिए।

(2)यह सिद्धांत बालकों की आवश्यकता पर जोर देने को कहता है।

(3)यह सिद्धांत शिक्षण में अभिप्रेरणा के महत्व को स्पष्ट करता है।

(4)गणित में पहाड़े तथा भाषा में वर्तनी ,विलोम शब्द व मुहावरे आदि याद कराते सिद्धांत का प्रयोग किया जा सकता है।

(5)बालकों से वांछित व्यवहार उतपन्न कराने से इस सिद्धांत का प्रयोग किया जा सकता है।

स्किनर के सिद्धांत की आलोचना

यद्यपि अधिकांश मनोवैज्ञानिक ने इस सिद्धांत की प्रशंसा की है । परंतु कुछ शिक्षण शास्त्रियों ने स्किनर के सिद्धांत की आलोचना भी की है। उन्होंने यह माना है कि यह सिद्धांत एक नियंत्रित परिस्थितियों में किया गया है।और नियंत्रित परिस्थितियों में किए गए इस सिद्धांत के प्रयोग को हम प्राकृतिक परिस्थितियों में कैसे लागू कर सकते हैं।

और उनका यह भी कहना है।कि इस प्रकार के प्रयोग में पशु या अन्य जीव थे। उन पर आधारित नियम सीखने की सामाजिक परिस्थितियों में कैसे उपयोगी हो सकते हैं।इसी प्रकार कार्यात्मक पुनर्बलन प्रणाली मानव की स्वेच्छा, उत्सुकता और क्रियात्मकता पर ध्यान देने में असफल रही है। प्रयोजनमूलक शिक्षण में एक कमी यह है कि विद्यालय की पूर्ण पाठ्यक्रम के प्रोग्राम उपलब्ध नहीं है।

स्किनर के सिद्धांत का शैक्षिक महत्व 

स्किनर के सिद्धांत का शैक्षिक महत्व निम्नलिखित हैं।

1.इस सिद्धांत के द्वारा शिक्षण के दौरान छात्रों को पुनर्बलन के आधार पर अधिगम के अच्छे अवसर प्रदान किए जा सकते हैं।

2.विद्यार्थी या मनुष्य का व्यवहार इतना जटिल होता है। कि उसे वांछित या सही दिशा में तुरंत नहीं बदला जा सकता।

3.यह छात्रों में अंधविश्वासों को दूर करके अधिगम की वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाने पर जोर देता है। 

4.इसके द्वारा स्थाई एवं सुदृढ अधिगम किया जाता है।

5.यह सिद्धांत सफलता को बहुत महत्व देता है।

स्किनर का क्रियाप्रसूत सिद्धांत से संबंधित प्रश्न  – 

स्किनर का क्रियाप्रसूत सिद्धांत का दूसरा नाम क्या है ? 

स्किनर का क्रियाप्रसूत सिद्धांत को सक्रिय अनुबन्धन का सिद्धांत भी कहते है।

स्किनर का सिद्धान्त किस पर आधरित हैं ? 

स्किनर का सिद्धांत उद्दीपन अनुक्रिया व सम्बन्धवाद पर आधारित हैं।

क्रियाप्रसुत अनुबन्धन क्या है ? 

स्किनर के अनुसार क्रिया प्रसूत अनुकूलन एक अधिगम प्रक्रिया हैं। जिसके द्वारा अधिगम अनुक्रिया को अधिक संभाव्य एवं अधिक दूत बनाया जाता हैं।

स्किनर के अनुसार सीखने का क्या अर्थ है?

स्किनर के अनुसार - ''सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है।'' जे॰पी॰ गिलर्फड के अनुसार - ''व्यवहार के कारण, व्यवहारमें परिवर्तन ही सीखना है।'' कालविन के अनुसार - ''पहले से निर्मित व्यवहार में अनुभवों द्वारा हुए परिवर्तन को अधिगम कहते हैं।''

स्किनर ने सीखने के कितने नियम बताये है?

यह उद्दीपन अनुक्रिया पर आधारित एक नवीन सिद्धांत है इसमें अनुक्रिया पुनर्बलन से संबंधित होती है ना कि उद्दीपन के साथ। इस स्किनर का यह सिद्धांत कार्यात्मक सिद्धांत है जो थर्डनडाइक के अंतर्गत चयन और संयोजन नियम पर आधारित है।

स्किनर के अनुसार भाषा कैसे सीखी जाती है?

स्किनर के अनुसार, बच्चा अपने माता-पिता या अपने आसपास के व्यक्तियों की नकल करके भाषा सीखता है। बच्चे अपनी प्रतिक्रियाओं को दोहराव, सुधार और वयस्कों द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य प्रतिक्रियाओं से मजबूत करते हैं, इस प्रकार भाषा अभ्यास-आधारित है।

सिकनर के अनुसार सीखना क्या है?

स्किनर के अनुसार - " सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामजंस्य की प्रक्रिया है "। कॉलविन के अनुसार - अनुभव के द्वारा हमारे तैयार व्यवहार में रूपांतरण की प्रक्रिया ही सीखना है । वुडवर्ड के अनुसार - " नवीन ज्ञान और नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की क्रिया अधिगम की प्रक्रिया है "।