वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की मात्रा द्राविभूत होकर जब बूंदों के रूप में धरातल पर गिरती है, तो उसे वर्षा कहा जाता है। हमारे भारत देश में जून से लेकर सितंबर माह तक वर्षा होती है। Show
वर्षा से लाभ-वर्षा से कई तरह के लाभ होते हैं, जैसे-
वर्षा से हानि-जिस तरह एक सीके के दो पहलू होते है ठीक उसी तरह वर्षा में भी लाभ व हानि दो पहलू होते हैं|
वर्षा के प्रकार-वर्षा तीन प्रकार की होती है-
1. संवहनीय वर्षा— जब वायु गर्म हो जाती है तो वह संवाहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है और ऊपर उठकर फैल जाती है जिससे इसका तापमान गिर जाता है और ऊंचाई अनुसार प्रति 1000 फीट पर 3.3 फैरानहाइट तापमान कम हो जाता है जिसके कारण आपेक्षिक आद्रता बढ़ जाती है जिससे वह संतृप्त होती है और संघनन प्रारंभ हो जाता है संघनन के बाद दौड़-धूप वर्षा बादल बनते हैं और मूसलाधार वर्षा होती है इस प्रकार की वर्षा भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में नियंत्रित रूप से प्रतिदिन होती है। 2. पर्वतीय वर्षा— उष्ण और आद्रता वनों के मार्ग में जब कोई पर्वत पठार ऊंची पहाड़ियां आ जाती है, तो पवन को ऊपर चढ़ना पड़ता है। ऊपर उठने से ठंडी हो जाती है और वर्षा कर देती है मानसूनी प्रदेशों में तथा पछुआ हवाओं की पेटी में इस प्रकार की वर्षा अधिक होती है| वायु की दिशा वाले सामने पर्वतीय भाग में अधिक वर्षा होती है तथा विपरीत भाग में कम वर्षा होती है इसे वृतीछाया प्रदेश कहते हैं। इस कमी का कारण यह है कि हवाएं पर्वत से टकराकर सामने वाले भाग में अधिक वर्षा कर देती है। क्योंकि जब वह पर्वत के दूसरी ओर नीचे उतरती है तब तक उनकी वर्षा करने की क्षमता घट जाती है। तथा उतरते समय दबाव के कारण वे गर्म होने लगती है और गर्म हवाएं वर्षा नहीं करती हैं। 3. चक्रवातीय वर्षा— चक्रवात के आंतरिक भाग में जब भिन्नता वाली पवने आपस में मिलती हैं तो ठंडी हवाएं गर्म हवाओं को ऊपर की ओर धकेलती है। ऊपर उठने पर पवन ठंडी हो जाती है और वर्षा कर देती है| बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai), हम इंसान आज तक पृथ्वी और भ्रमण के कई रहस्य को समझाते सुलझाते आए हैं और आगे बहुत से रहस्य सुलझाने बाकी है। इनमें कुछ प्रक्रिया ऐसी है लेकिन वास्तविक में वह ब्रह्मांड की सबसे कठिन और जटिल प्रक्रिया में से एक है जिनके बिना शायद जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पृथ्वी पर बारिश कैसे होती है, बादल से बरसात कैसे होती है, रात में बारिश क्यों होती है, बारिश कहां से होती है, आसमान से बारिश कैसे होती है, बारिश कौन करवाता है, बारिश कब होती है, बारिश कौन से महीने में होती है। बारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)?Barish Kyu Hoti Haiबारिश क्यों होती है ( Barish Kyu Hoti Hai)ऐसे ही कुछ रहस्य में से एक प्रक्रिया बारिश है। बारिश मनुष्य जीव जंतु पेड़ पौधे हमारे वातावरण के लिए बहुत ही अनिवार्य है। जब कभी नमी वाली गर्म हवा किसी ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आ जाती है तब बारिश होती है। गर्म हवा में ठंडी हवा से ज्यादा पानी इकट्ठा करती है और जब यह हवा अपने अंदर इकट्ठे पानी को ऊंचाई पर ले जाती है तो ठंडे जलवायु मैं मिल जाती है और अपने अंदर का जमा हुआ पानी के भारी हो जाने पर उसे नीचे गिराने लगती है। जिसे बारिश या वर्षा कहते हैं। यह तो हम सभी ने पढा है और जानते भी हैं पृथ्वी पर बारिश पानी के रूप में होती है। धरती से पानी वाष्पित होकर पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर उठने लगता है और ठंडा होकर पानी के रूप में दुबारा धरती पर गिरता है। आसमान में पानी कैसे पहुंचता हैलेकिन आसमान में यह पानी कैसे पहुंचता है? जब सूरज की किरने धरती पर पड़ती है तो उसे धीरे-धीरे गर्म करने लगती है जिस वजह से पानी के कण एक दूसरे से दूर होने लगते हैं और फिर यह कण वास्पी विकृत होकर भाप में बदल जाती है। यह भाप बहुत हल्की होती है जिस वजह से धीरे-धीरे आसमान की ओर बहने लगती है। हर 1000 फीट पर तापमान साडे 5 डिग्री कम होने लगता है जिसके कारण ऊपर उठने वाली भाप ठंडी होने लगती है। और दोबारा तरल रूप ले लेती है। जब पानी के छोटे कारण एक दूसरे में मिलने लगते हैं तो उन्हें हम बादल कहते हैं। यह कण बहुत ही हल्के होते हैं जिससे यह हवा में आसानी से उड़ने लगते हैं। पानी के इन कणों को जमीन पर गिरने के लिए लाखों बूंदों को मिलकर एक क्रिस्टल बनाना पड़ता है। बर्फ का क्रिस्टल बनाने के लिए इन्हें किसी ठोस चीज की आवश्यकता होती है। क्रिस्टल का आधार का काम करता है। बारिश करवाने के लिए पृथ्वी के जंगलों में से आग से निकलने वाले धुंए से छोटे पार्टिकल्स, रेत के छोटे कण सूक्ष्मजीव और साथ ही अंतरिक्ष से आने वाले Micro Meteorites सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। बर्फ कैसे बनती हैब्रह्मांड से आने वाले यह छोटे-छोटे कण बारिश करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं यानी Micro Meteorites करते हैं हर रोज भ्रमण से लगभग 2000 किलो Micro Meteorites पृथ्वी के वातावरण से टकराते हैं। इनका आकार बहुत छोटा होता है जिसके कारण इन्हें बहुत कम ही फ्रिक्शन का सामना करना पड़ता है। जिस वजह से Micro Meteorites धीरे-धीरे बादलों में चला जाता है और पानी की बूंदों को क्रिस्टल बनने में मदद करता है। पानी के बूंदों से मिलने पर पानी इन कणो के आसपास क्रिस्टल आइस हो जाती है। यह प्रक्रिया दिन भर में कई बार होता है एक क्रिस्टल दूसरे पानी की बूंदों के लिए एक तरह से आधार का काम करता है छोटे-छोटे क्रिस्टल जब आपस में मिलते हैं तो बर्फ बनते हैं। जब इन बफ का वजन ज्यादा होने लगता है तो यह धरती पर गिरने लगता है जैसे-जैसे यह बर्फ नीचे गिरने लगते हैं तापमान बढ़ता है और यह बर्फ पिघल कर छोटी-छोटी पानी की बूंदों का रूप ले लेती है जिसे हम बारिश कहते हैं। वर्षा के रूप :- बारिश कई रूप में धरती पर गिरती है
अलग-अलग कारणों से होती है बारिशबारिश कभी भी एक साथ हर जगह नहीं होती और एक समान नहीं होती। धरती पर बहुत सी प्रक्रियाएं हैं जिसके कारण कई स्थानों पर बारिश होती है। इन प्रक्रियाओं में से सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानसून की प्रक्रिया को माना जाता है। जिस वजह से एक ही इलाके में कुछ महीनों तक लगातार या फिर रुक-रुक कर बारिश होती है। कई बार बिना मौसम के भी बारिश हो जाती है जिसे स्थानीय वर्षा कहते हैं। कई बार समुद्री इलाकों में उठे चक्रवात के कारण भी आसपास के इलाकों में बारिश होती है। किस जगह पर कब कैसे और कितनी बारिश होगी यह कई कारणों पर निर्भर करता है-समुद्र तल से दूरी, किसी इलाके में पेड़ पौधे की मात्रा, हवा के बहने का तरीका, पहाड़ों से दूरी ऐसे ही कई अन्य कारण और तत्व मिलकर यह तय करते हैं कि कौन से इलाके में कितनी बारिश होगी और कब होगी। वर्षा आने पर क्या क्या होता है?वर्षा के आने पर वातावरण में ठंड बढ़ जाती है तथा गर्मी कम होने लगाती है। सड़क किनारो तथा गड्ढो में पानी भर जाता है। अत्याधीक पानी जमा होने कारण वह पानी सड़को पर आने लगता है। जिससे लोग को आने जाने में असुविधा होने लगती है।
वर्षा होने से क्या क्या हानियां होती है?वर्षा से हानि-. अत्यधिक वर्षा होने से घर व मकानें बह जाती है, तथा इससे जन धन की हानि होती है|. बहुत अधिक वर्षा होने के कारण सड़कों व गलियों में पानी जमा हो जाता है जिससे आने जाने में असुविधा होती है|. वर्षा ऋतु में हर जगह कीचड़ भर जाता है इससे गंदगी बढ़ती है |. वर्षा ऋतु में अनेक प्रकार के बीमारियों का खतरा बना रहता है|. वर्षा से क्या समझते हो?वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जो वायुमण्डलीय जल के संघनित होकर किसी भी रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस आने को कहते हैं। वर्षण के कई रूप हो सकते हैं जैसे वर्षा, फुहार, हिमवर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि इत्यादि। अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है।
हमारे वर्षा का क्या कारण है?वर्षा जल की बूंदें हैं जो बादलों से गिरती हैं। सूर्य से गर्मी पौधों और पत्तियों, साथ ही महासागरों, झीलों, और नदियों से जल वाष्प (गैस) में बदल जाती है, जो हवा में गायब हो जाती है। यह वाष्प उगता है, ठंडा होता है, और पानी की छोटी बूंदों में बदल जाता है, जो बादलों का निर्माण करते हैं।
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