devshayani ekadashi, devshayani ekadashi 2022, devshayani ekadashi katha, devshayani ekadashi vrat katha, ekadashi, ekadashi ki vrat katha, ekadashi vrat kab hai, ekadashi vrat katha, ekadashi vrat ki kahani, ekadashi vrat ki katha, shayani ekadashi 2022, yogini ekadashi 2022 Show एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछें वैज्ञानिक तथ्य भी है। इसके अनुसार चावल में जल की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजे खाना वर्जित कहा गया है। Latest Lifestyle News
India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्शन Ekadashi Rituals ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पद्म पुराण के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा के अनुसार इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। जो लोग इस दिन व्रत नही रख पाते वह सात्विक का पालन करते है यानी कि इस दिन लहसुन,प्याज, मांस, मछली आदि का त्याग करते है। साथ ही उस दिन चावल और इससे बनी कोई भी चीज नही खानी चाहिए। यहां हम बता रहे हैं कि एकादशी के दिन चावल खाना नहीं चाहिए। इसका कई चीजों पर प्रभाव पड़ता है। पौराणिक कथाओं में चावल को जीव माना जाता है। साथ ही चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में व्रत के नियमों के पालन में मुश्किल होती है। पौराणिक कथा के अनुसार चावल को जीव माना जाता है: पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है।जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने जैसा है। एकादशी पर चावल न खाना एक वैज्ञानिक कारण: वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है। Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत अहम माना जाता है. हर माह दो एकादशी पड़ती हैं. एक कृष्ण पक्ष के दौरान और दूसरे शुक्ल पक्ष में. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रतों में गिना जाता है. ऐसी मान्यता है कि हर एकादशी के व्रत का अपना अलग महत्व होता है. मगर सभी एकादशी के व्रत के लिए नियम एक ही है. गौरतलब है कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने और उनकी कृपा के लिए रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है. इतना ही नहीं, इस दिन व्रत और दान पुण्य आदि से व्यक्ति को मृत्यु के बाद भी मोक्ष प्राप्त होता है. गौरतलब है कि एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होकर द्वादशी के दिन खत्म हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि अगर एकादशी के व्रत का पालन नियमों के साथ किया जाए तो इससे व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता. इस दौरान चावल खाना वर्जित होगा. आइए जानिए इसके पीछे की कथा. एकादशी पर इसलिए नहीं खाते चावल ? पौराणिक कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद अगला जन्म जीव का मिलता है. वहीं, ऐसा कहा जाता है कि अगर द्वादशी के दिन चावल खाए जाएं तो इस योनि से मुक्ति मिल जाती है. पुराणों में कहा गया है कि माता शक्ति के क्रोध से बचाव को लेकर महर्षि मेधा ने अपने शरीर को त्याग दिया था. महर्षि मेधा चावल और जौ के रूप में उत्पन हुए इसलिए तब से चावल और जौ को जीव माना जाने लगा. गौरतलब है कि एकादशी के दिन ही महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया था. अतः चावल और जौ को जीव रूप में माना जाता है. वहीं एकादशी के दिन इन्हें खाना वर्जित हो गया. एकादशी के दिन इसे न खाकर व्रत पूर्ण माना जाता है. क्या है मान्यता चावल में जल का तत्व अधिक होता है. जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है. इसे खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है और इससे मन चंचल होता है. ऐसे में व्रत के नियमों का पालन करने में कठिनाई होती है. वहीं, पुराणों में इस बात का जिक्र है कि एकादशी के व्रत में मन पवित्र और सात्विक भाव का पालन करना आवश्यक है. ऐसे में इस दिन चावल से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए. आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? खबर की भाषा और शीर्षक से आप संतुष्ट हैं? खबर के प्रस्तुतिकरण से आप संतुष्ट हैं? खबर में और अधिक सुधार की आवश्यकता है? नई दिल्ली, Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी का काफी अधिक महत्व है। भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत में विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है। साल में 24 एकादशी पड़ती है। ऐसे में हर मास में 2 एकादशी पड़ती है पहली कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में पड़ती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी दुखों, कष्टों और पापों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन के कुछ नियम है जिन्हें जरूर पालन करना चाहिए। ऐसा ही एक नियम है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण। Aaj Ka Rashifal 06 December 2022: मिथुन और कर्क राशि को आज रहना होगा सतर्क, देखिए अपना राशिफल पंचांग के अनुसार, 21 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी कहते हैं। यह एकादशी काफी शुभ मानी जाती है। चावल न खाने का धार्मिक कारणपौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि मेधा से मां शक्ति के क्रोध से बचने के लिए धरती में अपने शरीर का त्याग कर दिया था। कहा जाता है कि जिस दिन उन्होंने अपना शरीर त्यागा उस दिन एकादशी थी। जब महर्षि ने अपना शरीर त्याग दिया तो वह चावल और जौ के रूप में धरती में जन्म लिया। इसी कारण चावल और जौ को जीव के रूप में माना जाता है। एकादशी के दिन इनका सेवन करना यानी महर्षि मेधा के खून और रक्त का सेवन करने के बराबर है। Surya Gochar 2022: ग्रहों के राजा सूर्य बदलने वाले हैं अपनी चाल, इन राशियों को मिलेगा बंपर लाभ यह भी पढ़ेंवैज्ञानिक कारणएकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपा है। इसके अनुसार, चावल में अधिक मात्रा में पानी पाया जाता है। ऐसे में पानी में चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। जब व्यक्ति एकादशी के दिन चावल का सेवन करता है, तो उसके शरीर में अधिक मात्रा में पानी हो जाता है। ऐसे में उसका मन चंचल और विचलित होने लगता है। ऐसे में उसे अपना व्रत पूर्ण करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। Som Pradosh Vrat 2022: सोम प्रदोष व्रत आज, जानें महादेव को प्रसन्न करने का अचूक उपाय यह भी पढ़ेंPic Credit- Freepik/instagram/_jadevine15_ डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। एकादशी को चावल बनाने से क्या होता है?वैज्ञानिक कारण
इसके अनुसार, चावल में अधिक मात्रा में पानी पाया जाता है। ऐसे में पानी में चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। जब व्यक्ति एकादशी के दिन चावल का सेवन करता है, तो उसके शरीर में अधिक मात्रा में पानी हो जाता है। ऐसे में उसका मन चंचल और विचलित होने लगता है।
एकादशी को चावल क्यों नहीं बनाए जाते?एकादशी पर चावल न खाना एक वैज्ञानिक कारण:
चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है।
एकादशी को चावल खाने से क्या दोष लगता है?वैज्ञानिक कारण
चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है।
एकादशी के दिन क्या क्या नहीं करना चाहिए?हिंदू शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।. देवउठनी एकादशी वाले दिन पर किसी अन्य के द्वारा दिया गया भोजन नहीं करना चाहिए।. साथ ही एकादशी पर मन में किसी के प्रति विकार नहीं उत्पन्न करना चाहिए ।. देवउठनी एकादशी पर गोभी, पालक, शलजम आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए।. |