रसोई घर में पानी का क्या क्या उपयोग है? - rasoee ghar mein paanee ka kya kya upayog hai?

Rasoi ghar ka vastu shastra kya hona chahiye? रसोई का वास्तु क्या होना चाहिए? हर घर में रसोई का होना बहुत ही आवश्यक होता है। रसोई में ही सबके लिए खाना बनता है। खाने के बिना रहना मुश्किल (problem) होता है खाने से ही घर के लोगों को शक्ति मिलती है। घर में रसोई हमेशा

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रसोई घर में पानी का क्या क्या उपयोग है? - rasoee ghar mein paanee ka kya kya upayog hai?

Vastu Tips For Kitchen 

मुख्य बातें

  • पानी की सर्वाधिक शुभ जगह ईशान कोण माना जाता है

  • नल से पानी रिसने से भुखमरी की स्थिति पैदा होती है

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार चीज़े रखने से घर में शांति बनी रहती है

वास्तु शास्त्र के मुताबिक पानी, आग, हवा, आसमान, और पृथ्वी के लिए अलग-अलग जगह या दिशाएं बताई गई हैं। इसलिए हमें अपने घर में बताई गई चीजों की दिशाएं देखकर ही रखनी चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमें वास्तु दोष के कारण कई परेशानिया का भी सामना करना पड़ जाता है। वास्तु शास्त्र का अनुसार पानी की सर्वाधिक शुभ जगह ईशान कोण माना गया है। इसलिए पानी को उसकी सही दिशा में ही रखना चाहिए। ऐसा करने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है और घर में भी सुख-शांति बनी रहती है। 

वास्‍तु के अनुसार रसोई के ल‍िए ट‍िप्‍स : 

  1. पानी के बर्तन को हमेशा उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखना चाहिए।
  2. पानी की सर्वाधिक शुभ जगह ईशान कोण है इसलिए पानी का भूमिगत टैंक या बोरिंग पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए।
  3. पानी को ऊपर की टंकी में भेजने वाला पंप भी पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए।
  4. वास्तु का संतुलन बनाने के लिए कुआं अथवा ट्यूबवेल उत्तर-पूर्व कोण के स्थान में होना चाहिए।
  5. ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए। टैंक का ऊपरी भाग गोल होना चाहिए।
  6. दूसरी दिशा में ट्यूबवेल हो तो उसका प्रयोग न करें या उसे भरवा दें।
  7. बाथरुम की दिशा पूर्व होनी चाहिए।

एक बात हमेशा ध्यान रखें घर के किसी भी नल से पानी नहीं रिसना चाहिए अन्यथा भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।

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रसोईघर अर्थात किचन को वास्तु अनुसार बनाना जरूरी है अन्यथा यह रोग, शोक और धन की बर्बादी का कारण बन सकता है। आओ जानते हैं इस संबंध में 10 खास बातें।


1. रसोईघर की दिशा : रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी होता है। यदि ऐसा नहीं है तो इससे घर में रहने वाले लोगों की सेहत, खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अन्न-धन की भी हानि होती है। इससे पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं। इसका उपाय यह है कि रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगा दें या यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।

2. किस दिश में क्या होना चाहिए :

- चूल्हा आग्नेय में, प्लेटफॉर्म पूर्व व दक्षिण को घेरता हुआ होना चाहिए। वॉश बेसिन उत्तर में हो। भोजन बनाते समय मुख पूर्व की ओर हो, उत्तर व दक्षिण में कतई नहीं।


3. किस दिशा में क्या रखें :

- रसोईघर में पीने का पानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।

- रसोईघर में पानी और आग को कभी भी पास पास नहीं रखना चाहिए।

- रसोईघर में गैस दक्षिण-पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।

- रसोईघर में भोजन करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

- डाइनिंग टेबल दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए। मकान में अलग डायनिंग हॉल की व्यवस्था की है तो वास्तु अनुसार किसी मकान में डायनिंग हॉल पश्चिम या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

- भवन के ईशान व आग्नेय कोण के मध्य पूर्व में स्टोर का निर्माण किया जाना चाहिए।

- माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखें। रेफ्रिजरेटर या फ्रीज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं।

- रसोईघर में यदि झाडू, पौंछा या सफाई का कोई सामान रखना है तो नैऋत्य कोण में रख सकते हैं।

- डस्टबिन को रसोईघर से बाहर ही रखें।

4. कैसा होना चाहिए रसोईघर :

- रसोईघर खुला-खुला और चौकोर होना चाहिए।

- इसके फर्श और दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरूआं रखें।

- नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।

- रसोईघर आग्नेय कोण में होना चाहिए।

- पूर्व में खिड़की और उजालदान होना चाहिए।

- प्लेटफार्म का रंभ भी वास्तु के अनुसार होना चाहिए।

- ईशान कोण में जल को रखने का स्थान बनाएं।

- रसोईघर में पूजा का स्थान बनाना शुभ नहीं होता।

- मॉड्यूलर किचन बनाएं तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर बनाएं।

- रसोईघर के पास बाथरूप या शौचालय कतई ना बनाएं।

- रसोइघर में टूटे फूटे बर्तन, अटाला या झाडू ना रखें।

- रसोईघर में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगाएं।

- रसोई में हरा, मेहरून या फिर सफेद रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

- सिंक और चूल्हा एक ही प्लेटफार्म पर न हो और खिड़की के नीचे चूल्हा न हो।

- चूल्हा के उपर किसी तरह का शेल्फ नहीं होना चाहिए।

5. रसोईघर में हो कैसे बर्तन :

- रसोईघर में में स्टील या लोहे के बर्तन के बजाय पीतल, तांबे, कांसे और चांदी के बर्तन होना चाहिए।

- लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।

- पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। एक तांबे का घड़ा भी रखें।

- इसके अलावा घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है।

- किचन में प्लाटिक के बर्तन या डिब्बे तो बिल्कुल भी नहीं होना यह आपके किचनी ऊर्जा भी खराब करते हैं साथ ही इसका आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव गिरता है।

- किचन में जर्मन या एल्यूमीनियम में किसी भी प्रकार का खाना नहीं बनाना या पकाना चाहिए यह सेहत के लिए घातक होता है। इससे चर्मरोग और कैंसर जैसे रोग हो सकते हैं। हालांकि जर्मन में आप दही जमा सकते हैं।

- हालांकि आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद रहते हैं। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है।

6. रसोईघर के नियम-

- रसोईघर में किचन स्टैंड के ऊपर सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र लगाएं। अन्नपूर्णा माता का चित्र भी लगाएंगे तो घर में बरकत बनी रहेगी।

- चींटियों-कॉकरोचों, चुहे या अन्य प्रकार के कीड़े मकोड़े किचन में घुम रहे हैं तो सावधान हो जाइये, यह आपकी सेहत और बरकतर को खा जाएंगे। किचन को साफ-सुथरा और सुंदर बनाकर रखें।

- जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है।

- भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें। खाने की थाली को कभी भी एक हाथ से न पकड़ें। ऐसा करने से खाना प्रेत योनि में चला जाता है।

- भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न धोएं। थाली में कभी जूठन न छोड़ें। भोजन करने के बाद थाली को कभी किचन स्टैंड, पलंग या टेबल के नीचे न रखें, ऊपर भी न रखें। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें।

- भोजन करने से पूर्व देवताओं का आह्वान जरूर करें। भोजन करते वक्त वार्तालाप या क्रोध न करें। परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर भोजन करें। भोजन करते वक्त अजीब-सी आवाजें न निकालें।

- रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।

- भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।

- किचन के नल से पानी का टपकना आर्थिक क्षति का संकेत है। घर में किसी भी बर्तन से पानी रिस रहा हो तो उसे भी ठीक करवाएं।

-सप्ताह में एक बार किचन में (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।

7. ये सामग्री रखें रसोई घर में-

निम्नलितिख वस्तुओं में कुछ पूजन सामग्री है तो कुछ खाने योग्य वस्तुएं हैं जो सेहत को सही रखती है। इसके और भी फायदे हैं। हालांकि इन सभी वस्तुओं के महत्व और उपयोग को विस्तार से जानना चाहिए। यहां सिर्फ नाम भर लिखे जा रहे हैं।

पंचामृत, नीम की दातून, गोखरु का कांटा, यज्ञोपवीत, अक्षत, मौली, अष्टगंध, दीपक, मधु, रुई, कपूर, धूपबत्ती, नारियल, लाल चंदन, केशर, कुश का आसन, मोटे कपड़े की दरी, इत्र की शीशी, कुंकू, मेहंदी, गंगाजल, खड़ी, हाथ का पंखा, सत्तू, पंचामृत, चरणामृत, स्वस्तिक, ॐ, हल्दी, हनुमान तस्वीर, गुढ़, लच्छा, बताशे, गन्ना, खोपरा, स्वच्छ दर्पण, तांबे का लोटा, बाल हरण, बड़ी इलाइची, ईसबगोल, शहद, मीठा सोडा, कलमी सोडा, चिरायता, नाव (औ‍षधी), नीम तेल, तिल्ली का तेल, एलोविरा, अश्वगंधा, आंवला, गिलोई, अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश, चारोली, अंजीर, मक्का, खुबानी, पिस्ता, खारिक, मूंगफली, मुलहठी, बेल का रस, नीबू, अदरक, बादाम तेल, काजू का तेल, खसखस, चारोली का तेल, नीम का तेल, अरंडी का तेल, आदि।

उपरोक्त सभी औषधियों के चमत्कारिक लाभ को आप यदि जानेंगे तो निश्चित ही इन्हें रखने पर मजबूर हो जाएगी।

8. रसोईघर में कौन सी आकृति लगाएं?

इसके लिए हमने दो तरह की आकृतियों का चयन किया है। पहली आकृ‍ति तो परंपरागतरूप से बनाई जाने वाली आकृति है जो मांडना या अल्पना कला के अंतर्गत आती है जिसमें फूल, फल आदि की आकृतियां होती हैं। दूसरी प्रकार की आकृतियां वास्तुदोष को मिटाने हेतु है, जैसे गणेश चित्र या यज्ञ का चित्र। मांडना से भी वास्तुदोष दूर होता है।

9. रसोईघर का रंग : आग्नेय की दीवार पर नारंगी रंग कर सकते हैं। दक्षिण-पूर्वी कक्ष में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए।

10. रसोईघर में बैठकर ही करें भोजन : वास्तु और ज्योतिष के अनुसार भोजन वहां करना चाहिए जहां रसोईघर हो। इससे राहु और केतु का प्रभाव नहीं होता है। जहां पर कोई छत नहीं है वहां भोजन करने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव सक्रिय रहते हैं। लाल किताब में भी रसोईघर में बैठकर ही भोजन करने की सलाह दी जाती है।

रसोई घर में क्या क्या चीजें होती हैं?

एक आधुनिक मध्यवर्गीय आवासीय रसोई में आमतौर पर एक स्टोव, गर्म और ठंडे पानी के साथ एक सिंक, एक रेफ्रिजरेटर, और वर्कटॉप्स और रसोई अलमारियाँ एक मॉड्यूलर डिजाइन के अनुसार व्यवस्थित होती हैं। कई घरों में एक माइक्रोवेव ओवन, एक डिशवॉशर और अन्य बिजली के उपकरण भी होते हैं

रसोई घर में कौन कौन से बर्तन है?

रसोई घर में लोहे और स्टील के बर्तन की जगह पीतल, तांबे, चांदी, और कांसे के बर्तन होने चाहिए..
गैस स्टैंड पर फलों और सब्जियों का चित्र लगाना शुभ होता है. ... .
बरकत बनाए रखने के लिए आपके किचन में कीड़े, मकोड़े, कॉकरोच, चूहे आदि नहीं आने चाहिए..

किचन में कौन से भगवान की फोटो लगाना चाहिए?

हिंदू धर्म में हर देवी-देवताओं का विशेष महत्व है. ऐसे ही कुछ लोग किचन यानी रसोई घर में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाते हैं. वास्तु शास्त्र की मानें तो रसोई घर में माता अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाना बेहद ज़रूरी होता है. इसके साथ ही किचन में फलों व सब्जियों से भरी सुंदर तस्वीर लगाना भी शुभ माना जाता है.

रसोई घर में स्वच्छता का क्या महत्व है?

हमारा भोजन हमारे स्वास्थ्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए जहां भोजन पकता है यानी रसोई घर को पवित्र जगह के रूप में माना जाता है। अगर वह साफ नहीं है तो उसके दुष्परिणाम घर के सभी सदस्यों को झेलने पड़ते हैं। इसलिए पुरने लोग रसोई की पवित्रतता यानी साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखते थे।