इसे सुनेंरोकेंपेट की जलन को दूर करने मे है मददगार हम सबको पता है कि मुल्तानी मिट्टी की तासीर बहुत ठंडी होती है. यह पेट की जलन और एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है. इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले मुल्तानी मिट्टी भिगोकर 5 से 6 घंटे रख दें. बाद में इसे एक पट्टी में बांधकर पेट पर रखें. Show
मुल्तानी मिट्टी खाने से शरीर में क्या नुकसान होता है?इसे सुनेंरोकेंगर्भावस्था के दौरान मुल्तानी मिट्टी खाने के दुष्प्रभाव गर्भावस्था के दौरान मुल्तानी मिट्टी खाना भी सुरक्षित नहीं है. यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य और पेट के मुद्दों का कारण बन सकता है. यह आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. यह बच्चे और मां को भी नुकसान पहुंचा सकता है. पढ़ना: फीनॉल अम्लीय होते हैं क्यों? मुल्तानी से क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंये एक तरह की मिट्टी होती है, जिसमें पानी या गुलाब जल मिलाकर एक पेस्ट बनाया जाता है। मुल्तानी मिट्टी के इस्तेमाल से त्वचा चमकदार बनती है और मुहांसों, निशान, टैनिंग, आदि जैसे समस्याओं से छुटकारा भी मिलता है। इस मिट्टी के पेस्ट को लगाने से त्वचा की अशुद्धियां, गंदगी और तेल हटता है और साथ ही झुर्रियां कम होती है। इसे सुनेंरोकेंयह पेट की जलन और एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है. इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले मुल्तानी मिट्टी भिगोकर रख दें. हम सबको पता है कि मुल्तानी मिट्टी की तासीर बहुत ठंडी होती है. यह पेट की जलन और एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है. मुल्तानी मिट्टी कब लगानी चाहिए? इसे सुनेंरोकेंयह गर्मी के मौसम में लगाने से आपकी स्किन को कई प्रकार के फायदे मिलते हैं। इसलिए आप इसे जब भी फ्री समय हो चेहरे पर लगाएं और करीब 20 से 25 मिनट जब तक यह चेहरे पर ही सुख ना जाए, लगी रहने दे, फिर साफ पानी से धो लें। इसे फेस पैक की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आज हम आपको मुल्तानी मिट्टी लगाने के कई तरीके बताएंगे। पढ़ना: मरुस्थलीकरण की प्रक्रिया में क्या होता है? मिट्टी से बाल कैसे बनाते हैं?इसे सुनेंरोकेंचार चम्मच मुल्तानी मिट्टी में एक नींबू का रस मिलाएं और 20 मिनट के लिए लगाएं। सादे पानी से सिर धोने के बाद बालों को नैचरली सूखने दें। बालों को लंबा और मजबूत बनाने के लिए मुल्तानी मिट्टी के साथ रीठा पाउडर मिलाएं और पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों में लगाएं। आधे घंटे बाद सिर को अच्छे से धो लें। मिट्टी खाने से पेट में क्या हो जाता है?इसे सुनेंरोकेंमिट्टी और चॉक खाने से पेट में कीड़े पड़ सकते हैं और इसकी वजह से कई बार पथरी की समस्या भी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों और बड़ों की भी इस आदत को खत्म करना चाहिए। औरतें मुल्तानी मिट्टी क्यों खाती है? इसे सुनेंरोकेंशरीर में आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की कमी की वजह से भी मिट्टी खाने की तलब होती है। महिलाओं में यह आदत प्राय: इसी वजह से विकसित होती है। कोई भी खानपान अगर संतुलित मात्रा में कराया जाए तो वह नुकसानदेह नहीं होता। पढ़ना: गाड़ी का इंजन सीज कैसे होता है? रोज मुल्तानी मिट्टी लगाने से क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंइसमें एंटीसेप्टिक गुण होते है, जो त्वचा से जुड़ी एलर्जी में भी कारगर साबित हो सकती है। मुल्तानी मिट्टी के इस्तेमाल से त्वचा चमकदार बनती है और मुहांसों, निशान, टैनिंग, आदि जैसे समस्याओं से छुटकारा भी मिलता है। इस मिट्टी के पेस्ट को लगाने से त्वचा की अशुद्धियां, गंदगी और तेल हटता है और साथ ही झुर्रियां कम होती है। काली मिट्टी से बाल धोने से क्या होता है?इसे सुनेंरोकेंअगर आपके बाल ड्राय हैं और उन्हें मुलायम बनाना है, तो काली मिट्टी आपके बड़े काम आ सकती है। इससे बाल धोने पर आपके बाल बेहद मुलायम और चमकदार हो जाएंगे। यह नहीं, यह बालों की कंडीशनिंग भी अच्छी तरह से करती है। नियमित काली मिट्टी से बाल धोने पर आपकी स्कैल्प से चिकनाई हटेगी और बाल साफ होंगे। प्रकृति और मानव जीवन का आधार मिट्टी ही है। आज हम अपने देश की मिट्टी ओर इसकी विशेषताओं पर चर्चा करेंगे। हमारे आसपास का पर्यावरण कैसा है इसका निर्धारण वहां की मिट्टी से होता है। विश्व में 12 मृदा प्रकार (SOIL ORDER) हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों में मिट्टी की अलग-अलग किस्में पाई जाती हैं। सभी की अपनी खासियत और अपने उपयोग हैं। कुदरत ने हमें जो परिवेश दिया है वह हमारी जरुरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। मिट्टी को अन्य पंच तत्वों जल, पावक, गगन तथा समीर का सार कहा गया है। स्वास्थ्य सौन्दर्य और दीर्घायु का मिट्टी से प्रगाढ़ सबंध होता है। मिट्टी में अनेक रोगों के निवारण की अद्भुत क्षमता होती है। लेकिन यह जरूरी है कि हम भी अपनी मिट्टी की सेहत का खयाल रखें। भारत में प्रमुख रूप से काली मिट्टी का अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारत को मिट्टी का देश कहते हैं और यहां की स्थानीय मिट्टी में काली मिट्टी का स्थान इसके कृषि, औषधीय और प्राकृतिक चिकित्सा में उपयोग को देखते हुए मिट्टी के राजा जैसा है। इसलिए आज हम काली मिट्टी और उसके उपयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे। मिट्टी एक नाम अनेकभारत में काली मिट्टी अन्य मिट्टियों में सबसे अलग दिखाई देती है। काली मिट्टी का काला रंग लोहे की अधिकता के कारण होता है। काली मिट्टी के अलावा इसे श्रेगुण, रेगुर, चिकनी मिट्टी, कपास की मिट्टी, और लावा मिट्टी भी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम कहते हैं। नाइट्रोजन, पोटाश और ह्यूमस की कमी के बावजूद इसमें कपास की खेती सर्वोत्तम होती है। इसका काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइड एंव जीवांश के कारण होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसमें मैग्नेशियम,चूना और लौह तत्व व कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता होती है क्योंकि यह दक्कन के ट्रैप की लावा चट्टानों टूटने-झडऩे से बनी हुई मिट्टी है। मध्य प्रदेश में मालवा पठार पर भी काली मिट्टी पाई जाती है। स्थानीय भाषा में इसे तुलाई वाली मिट्टी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी प्रमुख विशेषता इसकी देर तक जल धारण करने की क्षमता है्र। वहीं काली मिट्टी बहुत जल्दी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर इस में दरारें पड़ जाती हैं इसी गुण के कारण काली मिट्टी को जुताई वाली मिट्टी कहा जाता है।मिट्टी है जीवन का आधार मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है। धरातल की जो ऊपरी परत पेड़-पौधों के लिए जीवाश्म खनिज अंश प्रदान करती है वो मिट्टी ही होती है। मध्य प्रदेश का क्षेत्र अत्यंत प्रचीन भूखंड का हिस्सा है एवं चट्टानों का बना हुआ है, इसलिए यहां काली मिट्टी की प्रचुरता है। यहां की मिट्टी भी इन्हीं चट्टानों से बनी हुई है। धरातल पर उगने वाले हर पेड़-पौधे के गुण मिट्टी से ही आते हैं जो उसमें पहले से ही मौजूद होते हैं। मिट्टी कई पकार की होती है तथा इसके गुण भी अलग-अलग होते हैं। उपयोगिता के दृष्टिकोण सें पहला स्थान काली मिट्टी का है।काली मिट्टी के औषधीय गुण काली मिट्टी के लेप से शरीर को ठंडक पहुंचती है। साथ ही यह विष के प्रभाव को भी दूर करती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है। शरीर में रक्त को साफ करने और उसमें विषैले पदार्थों के जमाव को भी यह मिट्टी कम करती है। पेशाब रुकने पर यदि पेड़ू के ऊपर काली मिट्टी का लेप किया जाता है तो पेशाब की रुकावट समाप्त हो जाती है। मधुमक्खी, कनखजूरा, मकड़ी, ततैये, बर्रे और बिच्छू के डंक मारे जाने पर प्रभावित स्थान पर तुरंत काली मिट्टी का लेप लगाने से लाभ मिलता है।पेड़-पौधों के लिए संजीवनी काली मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति इसे औषधीय गुण देते हैं। धरातल पर उगने वाले हर पेड़-पौधे के गुण मिट्टी से ही आते हैं जो उसमें पहले से ही मौजूद होते हैं। इसमें लगे पौधे अच्छी तरह उगते है। गमलों में, 1/10वां हिस्सा काली मिट्टी, 1/10वां हिस्सा नीम की खली, 1/10वां हिस्सा कोको पिट, 1/10वां हिस्सा फार्मयार्ड मैन्योर एक तिहाई काली मिट्टी का मिश्रण तैयार कर घर के गमलों, बालकनी या छत पर टैरेस गार्डन में मेडिसिन प्लांट या घर की सब्जियां उगा सकते हैं। कार्बनिक पदार्थ जैसे गोबर खाद, हरी खाद और केंचुआ खाद का ज्यादा उपयोग करें।ये गुण भी हैं ख़ास काली मिट्टी के चार प्रमुख गुण होते हैं। इसमें शरीर की गंदगी को सोखना, शरीर को ठंडक पहुंचाना, इसके एलीमेंट्स शरीर की त्वचा के लिए पोषण का काम करते हैं और हमारी स्किन को टोन करती है। आंखें में जलन होतो काली मिट्टी की पट्टी ठंडे साफ पानी से बनाकर आंखों पर रखने से जलन कम कर नेत्र ज्योती बढ़ाती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है।ऐसे बनाएं काली मिट्टी घर पर उपयोग के लिए काली कपासी मिट्टी बनाने के लिए एक तिहाई कोको पिट, एक तिहाई काली मिट्टी, एक तिहाई गोबर खाद, एक तिहाई सिल्ट मिलकार इसे घर में छोटी जगहों या पोली हाउस और गमलों के लिए उपजाऊ काली मिट्टी घर में ही बनाई जा सकती है। काली मिट्टी खाने से क्या फायदा?काली मिट्टी के औषधीय गुण
साथ ही यह विष के प्रभाव को भी दूर करती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है। शरीर में रक्त को साफ करने और उसमें विषैले पदार्थों के जमाव को भी यह मिट्टी कम करती है।
भुनी हुई मुल्तानी मिट्टी खाने से क्या होता है?यह पेट की जलन और एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है. इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले मुल्तानी मिट्टी भिगोकर रख दें. हम सबको पता है कि मुल्तानी मिट्टी की तासीर बहुत ठंडी होती है. यह पेट की जलन और एसिडिटी जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है.
गर्भवती महिला को मिट्टी खाने से क्या होता है?इसका सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था के दौरान फल सब्जी खाने की बजाय मुल्तानी मिट्टी, मिट्टी, कोयला राख का सेवन है। डॉक्टरों के अनुसार इन महिलाओं में आयरन कैल्शियम की कमी होती है। जिस कारण उनका यह अजीबो गरीब चीजें खाने का मन करता है। इसी के कारण गर्भवती के पेट में कीड़े होना आम बात हो जाती है।
खाने वाली काली मिट्टी कैसे बनती है?काली मिट्टी बेसाल्ट चट्टानों (ज्वालामुखीय चट्टानें) के टूटने और इसके लावा के बहने से बनती है। इस मिट्टी को रेगुर मिट्टी और कपास की मिट्टी भी कहा जाता है। इसमें लाइम, आयरन, मैग्नेशियम और पोटाश होते हैं लेकिन फॉस्फोरस, नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थ इसमें कम होते हैं।
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