Show मध्य भारत के एक गाँव का दृश्य भारतीय गाँव के सामान्य लोक जीवन का चित्रण ग्राम या गाँव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्रायः गाँवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गाँवों में घर प्रायः बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं। परम्परागत रूप से गाँवों में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएँ (शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य आदि की) होती हैं। अनुक्रम
ग्रामीण जीवन[संपादित करें][1] 2001 की भारतीय जनगणना के अनुसार 74% भारतीय गाँवों में रहते हैं।[2] 236,004 भारतीय गाँवों में न्यूनतम 500 के लगभग की आबादी है, जबकि 3,976 गाँवों में 10,000 की आबादी है। पाकिस्तान के एक गाँव में गृह इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
आज गाँव और नगर का रिश्ता दिन ब दिन गहरा होता जा रहा है। गाँव क्या है? इसका उत्तर और भी कठिन लगता है। इसलिए कुछ विद्वानों ने इस प्रश्न के उत्तर में केवल ग्राम या ग्रामीण जीवन की सामान्य रूपरेखा प्रस्तुत की है। बर्ट्रेंड ने ‘ग्रामीणता’ के निर्धारण में दो आधारों (1) कृषि द्वारा आय या जीवन-यापन, (2) कम घनत्व वाले जनसंख्या क्षेत्र को मुख्य माना है। गाँव मानव निवास का नाम है, जिसका एक विशिष्ट क्षेत्र है और जहाँ सामुदायिक जीवन के सभी तत्व पाए जाते हैं। यहां रहने वाले सदस्य आपसी आत्मनिर्भरता से सामाजिक संबंधों का विकास करते हैं। गांव की ऐतिहासिक रूपरेखा गांव की उत्पत्ति के संबंध में विद्वानों में आम सहमति का अभाव है। कुछ विचारकों का मत है कि गाँव की उत्पत्ति का मुख्य आधार सभ्यता का विकास है। सभ्यता के विकास ने मनुष्य के ज्ञान को विकसित किया, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य ने विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रयास शुरू किए और विभिन्न अनुभवों और प्रयासों के बाद उसे संतुष्टि प्राप्त हुई। यह प्रक्रिया समय के साथ निरंतर चलती रही है और वर्तमान समय में नगरों, और कस्बों संरचना ग्राम संरचना से विकसित हुई है। गाँव को और भी स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाओं का उल्लेख कर सकते हैं – गांवों का उदय कृषि के विकास के साथ हुआ है। भौगोलिक वातावरण, तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक विकास के कारण गांवों के रूप बदल रहे हैं। प्रमुख प्रकार के गाँवों के बारे में भी विद्वानों में सर्वसम्मति का अभाव है। इस प्रकार के गाँव अस्थायी प्रकार के होते हैं। ऐसे गाँवों के निवासी थोड़े समय के लिए किसी स्थान पर रुकते हैं और फिर उस स्थान को छोड़कर दूसरी जगह कृषि करने चले जाते हैं। वे एक स्थान पर कितने समय तक रहेंगे यह भूमि की उर्वरता, मौसम की अनुकूलता और जीवन यापन के साधनों की उपलब्धता आदि पर निर्भर करता है। ऐसे गाँवों में लोग कई वर्षों तक रहते हैं और जब भूमि की उर्वरता नष्ट हो जाती है, तो वे गाँव छोड़ कर दूसरी उपजाऊ जगह पर बस जाते हैं। ऐसे गाँव पहले प्रकार के गाँवों की तुलना में स्थायी होते हैं। ऐसे गाँवों में लोग पीढ़ियों से नहीं, सदियों से रह रहे हैं। वे कृषि करते हैं, उनका स्वभाव स्थायी और रूढ़िवादी होता है। प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक संकटों का सामना करने के बाद भी लोग इन गांवों में रहते हैं। गाँव को परिवारों का एक समूह कहा जा सकता है जो एक निश्चित क्षेत्र में स्थापित होते हैं और जिनका एक विशिष्ट नाम होता है। गाँव की एक निश्चित सीमा होती है और ग्रामीण इस सीमा के प्रति सचेत रहते हैं। गाँव मानव निवास का नाम है, जिसका एक विशिष्ट क्षेत्र है और जहाँ सामुदायिक जीवन के सभी तत्व पाए जाते हैं। यहां रहने वाले सदस्य आपसी आत्मनिर्भरता से सामाजिक संबंधों का विकास करते हैं। सोरोकिन के अनुसार, भूमि स्वामित्व को ग्रामीण वर्गीकरण का आधार माना हैं –
गाँव की विशेषताएं क्या है?
भारतीय गांव की मुख्य विशेषता क्या है?भारतीय गाँवों की सर्वप्रमुख विशेषता है, संयुक्त परिवारों की प्रधानता। यहाँ पति-पत्नी व बच्चो के परिवार की तुलना में ऐसे परिवार अधिक पाये जाते हैं, जिनमें तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य एक स्थान पर रहते हैं। इनका भोजन, सम्पत्ति और पूजा-पाठ साथ-साथ होता है। ऐसे परिवारों का संचालन परिवार के वयोवृद्ध व्यक्ति द्वारा होता है।
गांव से क्या तात्पर्य है इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?गाँव की परिभाषा :-
“गाँव वह नाम है, जो कि प्राचीन कृषकों की स्थापना को साधारणतयाः दर्शाता है।” ''एक ग्रामीण समुदाय में स्थानीय क्षेत्र के लोगों की सामाजिक अन्त:क्रिया तथा उनकी संस्थाएँ सम्मिलित थीं, जिसमें वह खेतो के चारों ओर बिखरी झोपड़ियो और पुरवा अथवा ग्रामों में रहती है और जो उनकी सामान्य क्रियाओं का केन्द्र है।''
भारतीय गांव से क्या तात्पर्य है?गांव या ग्राम छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं, जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से पांच हजार के बीच होती है तथा जहां की बड़ी आबादी खेती और अन्य परंपरागत पेशे से जुड़ी होती है. जनगणना में पूरे देश को दो समूहों में रखा जाता है. नगर और ग्रामीण क्षेत्र. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सरकार की अलग-अलग योजनाएं हैं.
गांव का महत्व क्या है?गाँव कच्चे माल के भी स्रोत है, उद्योगों के लिए कपास, जूट, तिलहन. गन्ना आदि गांव में ही पैदा होती है, पशुपालन का कार्य भी गांव में अधिक होता है। वही नगरों को दूध एवं घी प्रदान करते हैं। कृषि से ही विदेश में जाने वाला आधार माल प्राप्त होता है।
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