भारत में धर्म में विविधता क्या है? - bhaarat mein dharm mein vividhata kya hai?

भारत में धर्म में विविधता क्या है? - bhaarat mein dharm mein vividhata kya hai?
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भारत में धर्म में विविधता क्या है? - bhaarat mein dharm mein vividhata kya hai?

धार्मिक विविधता की अवधारणा

धार्मिक विविधता भारतवासियों के जीवन में धर्म का सबसे अधिक महत्व है। यहाँ मुख्य रूप से छः धर्म- हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध तथा जैन है। मुख्य धर्म में भी अनेक सम्प्रदाय और मत-मतान्तर पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, हिन्दू धर्म में शैव, वैष्णव, शाक्त, ब्रह्म समाज और आर्य समाज, इस्लाम में शिया और सुन्नी, ईसाई धर्म में प्रोटेस्टेण्ट तथा कैथोलिक, सिख धर्म में अकाली एवं गैर-अकाली बौद्ध धर्म में हीनयान और महायान, जैन धर्म में स्वेताम्बर एवं दिगम्बर, आदि प्रमुख सम्प्रदाय है। प्रत्येक सम्प्रदाय को भी अनेक शाखाएँ और उप-शाखाएँ हैं। इस्लाम, ईसाई और पारसी धर्म विदेशों से यहाँ आए जबकि हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा सिख धर्मों की जन्म स्थली भारत ही है।अवधारणा बौद्ध, जैन तथा सिख धर्मों को हिन्दू धर्म का हो अंग माना जाता है। धार्मिक विविधता के कारण समय-समय पर विभिन्न धर्मावलम्बियों के बीच यहाँ तनाव एवं संघर्ष भी उत्पन्न होते रहे हैं और इन्होंने राष्ट्रीय एकता (National Unity) के मार्ग में बाधा भी उत्पन्न की है।

भारत में शिक्षा सुधार हेतु सुझाव कीजिए।

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भारत की धार्मिक विविधता का वर्णन कीजिए

भारत में धर्म में विविधता क्या है? - bhaarat mein dharm mein vividhata kya hai?

भारत की धार्मिक विविधता - सम्पूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ धर्मों की इतनी अधिक धार्मिक विविधता पायी जाती हैं अर्थात् शायद ही कोई ऐसा देश हो जहाँ पर इतने अधिक धर्मों की संख्या पायी जाती है। भारत में मुख्य रूप से छ: धर्म हैं - हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध एवं जैन। इसके अतिरिक्त कुछ पारसी एवं जनजातीय धर्मों के अनुयायी भी यहाँ पर हैं। इन मुख्य छ: धर्मों में भी अनेक सम्प्रदाय और मत-मतान्तर पाये जाते हैं।

भारत में सर्वाधिक हिन्दू धर्म के लोग हैं और शेष अन्य धर्मानुयायियों का है। भारत में विभिन्न धर्मो का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार हैं .

1. हिन्दू धर्म - भारत का सबसे प्राचीन धर्म हिन्दू धर्म ही है। यह ईसा के लगभग 3,000 वर्ष पूर्व आर्यों के साथ भारत आया था। प्रारम्भ में इसे आर्य धर्म एवं वेदों की रचना हो जाने पर इसे वैदिक धर्म कहा गया।

पंच महायज्ञ - हिन्दू धर्म में निम्नलिखित पाँच महायज्ञों को महत्व प्रदान किया गया -

(1) ब्रह्म यज्ञ - इस यज्ञ का अनुष्ठान स्वाध्याय द्वारा किया जाता था। इसके माध्यम से मनुष्य अपने आदरणीय ऋषियों के प्रति आदर प्रकट करता था।

(2) देव यज्ञ - यह यज्ञ देवताओं को प्रसन्न करने के लिये प्रातः एवं सांयकाल किया जाता था।

(3) पित यज्ञ - इसके अन्तर्गत पितरों का वर्णन एवं श्राद्ध आदि का आयोजन किया जाता था।

(4) भूत यज्ञ - इस यज्ञ का आयोजन पृथ्वी, आकाश, जल एवं वायु आदि को भोजन देने के लिये किया जाता था।

(5) मनुष्य यज्ञ - यह यज्ञ मनुष्य मात्र की सहायता एवं उत्तरदायित्व की भावना से पूर्ण होता था।

हिन्दू धर्म के संस्कार - हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों का उल्लेख मिलता है, जोकि स्त्री के गर्भधारण से लेकर अन्त्येष्टि-संस्कार तक होते हैं। ये निम्नलिखित हैं - गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, निष्क्रमण, चूडाकर्म, कर्ण-वेध, उपनयन, विद्यारम्भ, समापवर्तन, विवाह एवं अन्तेष्ठि।।

2. इस्लाम (मुस्लिम धर्म) - इस्लाम धर्म को प्राचीन अरबी धर्म के संशोधित रूप से जाना जाता है। इस धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब थे। इस्लाम धर्म के अनुयायियों की पवित्र पुस्तक 'कुरान' में इस्लाम धर्म का विस्तृत वर्णन है।

इस्लाम एकेश्वरवादी हैं, क्योंकि यह केवल एक ही ईश्वर में विश्वास करता है। इस्लाम के अन्तिम पैगम्बर मोहम्मद साहब थे। इस्लाम का मूल मन्त्र है -"ला इलाह इलिल्लाह मुहम्मदुर्रसूलिल्लाह" जिसका अर्थ है - अल्लाह के सिवाय कोई दूसरा पूजनीय नहीं है और उसके रसूल (दूत) मोहम्मद हैं।

इस्लाम धर्म के आदेश 

प्रत्येक इस्लाम धर्म के अनुयायी को कुरान के आदेशों का पालन करना आवश्यक है, ये आदेश निम्नलिखित हैं .

  • कलमा का पाठ करना, 
  • प्रतिदिन पाँच बार नमाज का पाठ करना, 
  • रमजान के महीने में रोजा रखना, 
  • अपनी कुल आय का 40 प्रतिशत भाग दान में देना, 
  • अपने जीवन में एक बार मक्का-मदीना की हज यात्रा अवश्य करना ।

इस्लाम धर्म की विशेषताएं  ( Characteristics of Islam in Hindi)

  • यह एकेश्वरवादी है अर्थात् केवल एक ही ईश्वर में विश्वास करता है। 
  • यह मूर्ति-पूजा में विश्वास नहीं करता है।
  • यह जाति, जन्म एवं व्यवसाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करता है। 
  • यह पैगम्बरों की परम्परा को स्वीकारता है। 
  • इसमें यह आशा की जाती है कि इसे मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति धार्मिक कृत्य ही करेगा।

3. सिक्ख धर्म - इस धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव थे। इस धर्म की उत्पत्ति हिन्दू धर्म के दोषों का निवारण करने के उद्देश्य से हुआ। इसीलिये इसे हिन्दू धर्म का ही एक अंग माना जाता है। इस धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव द्वारा हिन्दू धर्म के दोषों का विरोध किया गया। इस धर्म के प्रमुख ग्रन्थ 'गुरु ग्रन्थ साहिब' की रचना 1604 में अर्जुन देव द्वारा की गई।

4. ईसाई धर्म - ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह थे। इस धर्म के अनुयायियों का कुल जनसंख्या में प्रतिशत 2.32 है। इस धर्म का पवित्र ग्रन्थ बाइबिल है जिसमें इसका पूर्ण उल्लेख मिलता है। इस धर्म की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  1. ईसाई धर्म केवल एक ही ईश्वर में विश्वास करता है, अतः यह एकेश्वरवादी है। 
  2. यह धर्म आत्मा की पवित्रता एवं धर्म चर्च में विश्वास करता है। 
  3. यह धर्म ईसा मसीह में विश्वास करने पर जोर देता है। 
  4. यह धर्म मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता है। 
  5. यह मातृत्व एवं समानता के सिद्धान्त पर आधारित है।
  6. यह धर्म निम्नलिखित पाँच धार्मिक अनुष्ठानों पर विश्वास करता है - बपतिस्मा, पष्टिकरण आत्मनिवेदन, पवित्र संचार एवं विवाह।

5. बौद्ध धर्म - बौद्ध धर्म के संचालक महात्मा बुद्ध थे, जिनका जन्म ईसा से 563 वर्ष पर्व नेपाल की तराई में कपिलवस्तु के समीप लुम्बनी नामक गाँव में हुआ। महात्मा बुद्ध द्वारा दिये गये उपदेश ही बौद्ध धर्म के नाम से जाने गये। भारत में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या कल जनसंख्या का 77 प्रतिशत (60.30 लाख) है। बुद्ध के इस धर्म के अनुसार धार्मिक क्रियाओं की अपेक्षा शुद्ध आचरण, शुद्ध विचार, शुद्ध भावना एवं शुद्ध कर्म अधिक महत्व रखता है। इन्होंने ज्ञान की तुलना में कर्म को अधिक महत्व प्रदान किया है। इस धर्म की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  1. सांसारिक जीवन दुःखो से भरा हुआ है। 
  2. प्रत्येक दुःख का कोई न कोई कारण अवश्य होता है। 
  3. प्रत्येक दुःख का निवारण सम्भव है। 
  4. प्रत्येक दुःख से छुटकारा पाने का भी मार्ग है, जिसे दुःखं निरोध मार्ग अथवा दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा के नाम से जाना जाता है।

6. जैन धर्म- विद्वानों की मान्यता यह है कि जैन धर्म अत्यधिक प्राचीन है। यह धर्म अनेकात्मावाद एवं कर्मफल में विश्वास करता है तथा इसका प्रमुख उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति होता है। इस धर्म के संस्थापकों को 'तीर्थकर' कहते हैं। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थाकर थे। इनका जन्म 509 ई. पूर्व वैशाली के समीप कुण्डग्राम में हुआ। इन्होंने इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया था जिसके कारण ये 'जिन' कहलाए। भारत में इस धर्म के अनुयायियों का कुल जनसंख्या के प्रतिशत का 0.41 है अर्थात् 34 लाख।

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भारत में धार्मिक विविधता क्या है?

भारत एक ऐसा देश है जहाँ धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहाँ की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिख धर्म।

धर्म विविधता क्या है?

जब किसी भू-भाग में एक से अधिक धर्म पाए जाते हैं तो उसे धार्मिक विविधता कहते हैं। प्राचीन काल से भारत विभिन्न धर्मों की पुण्य भूमि रहा है। प्रजातियों की भाँति हमारे देश में धर्मों में भी भिन्नताएँ हैं। यहाँ एकाधिक धर्म और उसके अनुयायी कितने ही वर्षों से साथ-साथ रहते हैं और अब भी रह रहे हैं।

भारत के प्रमुख धर्म क्या है?

भारत में प्रमुख रूप से हिन्दू, इस्लाम, बौद्ध, जैन, सिक्ख, ईसाई, पारसी और यहूदी आदि है | इस पोस्ट में भारत के सभी प्रमुख धर्मों की चर्चा किया जाना प्रासंगिक होगा| How many Religion in india in hindi.

भारतीय समाज में धर्म का क्या महत्व है?

धर्म संस्कृति का एक हिस्सा है। धर्म मानवीय जीवन से संबंधित अनेक अनेक कार्यों की पूर्ति करता है, इसी मानवीय लगाव के कारण आदि काल से लेकर वर्तमान काल तक सभी समाजों में धर्म ही दिखाई देता है। धर्म जीवन के मूल्यों का महत्वपूर्ण अर्थ स्पष्ट करता है।