राजस्थान में खारे पानी की झील का क्या नाम है? - raajasthaan mein khaare paanee kee jheel ka kya naam hai?

आज हम आपको इस अध्याय के माध्यम से बताएंगे राजस्थान के प्रमुख खारे पानी की झीलों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी।

राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील सांभर है।

भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिल्का झील (उड़िसा) में है।

वहीं विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील कैस्पियन सागर है।

राजस्थान में खारे पानी की झील का क्या नाम है? - raajasthaan mein khaare paanee kee jheel ka kya naam hai?
सांभर झील का सूर्यास्त के समय का दृश्य

राजस्थान के प्रमुख खारे पानी की झीले-

सांभर झील- जयपुर में स्थित इस झील का निर्माण वासुदेव चौहान ने करवाया था। ये भारत की दूसरी व राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। आयताकार आकार में बनी ये झील 3.2 किलोमीटर लंबी व 3-12 किलोमीटर चौड़ी है। इस झील पर कुंरजा पक्षी भ्रमण के लिए आते हैं। इस झील के किनारे शाकंभरी माता का मंदिर व नमक स्मारक स्थित है। राजस्थान में सर्वाधिक नमक का उत्पादन सांभर झील से ही होता है ये झील भारत का लगभग 8.7% उत्पादन करती है इस झील पर नमक उत्पादन कार्य सांभर साल्ट लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जा रहा है। ये झील रामसर साइट में शामिल है।

पचपदरा झील- राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित ये झील भारत की सबसे खारी झील है। राजस्थान में सर्वश्रेष्ठ नमक का उत्पादन इसी झील से होता है इस झील से स्टूपिड नमक का उत्पादन होता है जिसमें 98% सोडियम क्लोराइड पाया जाता है। इस झील पर खारवाल जाति मोरली झाड़ी विधि द्वारा नमक उत्पादन करती है। इस झील पर कुएं से नमक प्राप्त करने की पद्धति को कौसिया पद्धति कहा जाता है तथा वायु से नमक प्राप्त करने की पद्धति को रेस्तरां पद्धति कहा जाता है।

डीडवाना झील- नागौर जिले में स्थित इस झील को खालदा झील भी कहा जाता है। इस झील से घटिया किस्म का नमक उत्पादित होता है जो खाने योग्य नहीं होता है इसलिए इसका उपयोग चमड़ा उद्योग तथा कागज उद्योग में किया जाता है इस झील पर नमक उत्पादन का कार्य राज स्टेट केमिकल्स वर्क्स लिमिटेड द्वारा किया जाता है।

यह राजस्थान की सबसे बड़ी झील है। यहाँ उत्पादित नमक उत्तम किस्म का होता है। यहाँ राज्य के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत नमक उत्पन्न किया जाता है। इसका अपवाह क्षेत्र लगभग 500 वर्ग किमी में फैला है जिसमे रूपनगढ़, खारी व खंडेला आदि नदियाँ आकर मिलती है। यह झील दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 32 किमी लंबी तथा 3 से 12 किमी तक चौड़ी है। ग्रीष्मकाल में वाष्पीकरण की तीव्र दर से होने के कारण इसका आकार बहुत कम रह जाता है। इस झील में प्रतिवर्ग किमी क्षेत्र में 6000 टन नमक होने का अनुमान है। इसका क्षेत्रफल लगभग 140 वर्ग किमी है। इसके पानी से नमक बनाया जाता है। यहां नमक उत्पादन सांभर साल्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाता है जिसकी स्थापना 1964 में की गई थी। यहां सोडियम सल्फेट संयंत्र स्थापित किया गया है जिससे 50 टन सोडियम सल्फेट प्रतिदिन बनाया जाता है। यह झील जयपुर व नागौर जिले की सीमा पर स्थित है तथा यह जयपुर की फुलेरा तहसील में जयपुर से लगभग 60 किमी दूर है।

 

2. डीडवाना झील –

यह नागौर जिले के डीडवाना नगर के समीप स्थित है। यह 10 वर्ग किमी में फैली है। इससे राजस्थान स्टेट साल्ट्स वर्क्स द्वारा नमक तैयार किया जाता है। यहाँ नमक का उत्पादन निजी इकाइयों द्वारा भी किया जाता है जिन्हें ‘देवल’ कहते हैं। इनमें नमक पुराने तरीके से बनाया जाता है। डीडवाना से 8 किमी दूर राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स डीडवाना, जिसकी स्थापना 1964 में की गई थी, द्वारा स्थापित सोडियम सल्फेट का संयंत्र भी है। यह क्षेत्र नमक उत्पादन की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ उत्पादित नमक की लागत कम आती है किन्तु यहाँ नमक में सोडियम सल्फेट की मात्रा अधिक होने की वजह से अखाद्य नमक का उत्पादन अधिक होता है जिसको बेचने में कठिनाई आती है।

3. पचपद्रा झील –

बाड़मेर जिले में पचपद्रा नगर के निकट यह स्थित है। यह लगभग 83 वर्ग किमी क्षेत्र मेँ स्थित है। यह वर्षा के जल पर निर्भर नहीं है बल्कि नियतवाही जल स्रोतों से इसे पर्याप्त खारा जल मिलता रहता है। यहाँ का नमक समुद्री नमक के समान होता है। इससे तैयार नमक में 98 प्रतिशत तक सोडियम क्लोराइड की मात्रा होती है। यहाँ खखाण जाति के लोग नमक बनाने का कार्य करते हैं। यहाँ राजस्थान स्टेट साल्ट्स वर्क्स, पंचपदरा (स्थापना- 1960) द्वारा खाद्य, अखाद्य, औद्योगिक व आयोडिन युक्त नमक तैयार किया जाता है।

4. लूणकरणसर झील –

यह बीकानेर के उत्तर-पूर्व में लगभग 80 किमी दूर स्थित है। इसके पानी में लवणीयता की कमी है अत: बहुत थोड़ी मात्रा में नमक बनाया जाता है। यह झील 6 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली है।

राजस्थान का सामान्य परिचय राजस्थान की सीमा राजस्थान के जिले व संभाग राजस्थान के प्रतीक चिन्ह राजस्थान की जलवायु राजस्थान के भौतिक विभाग राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम राजस्थान की झीले राजस्थान की नदियां(बंगाल की खाड़ी तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(अरब सागर तंत्र की नदियां) राजस्थान की नदियां(आंतरिक प्रवाह तंत्र की नदियां) राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ प्राचीन सभ्यताऐं राजस्थान का इतिहास जानने के स्त्रोत गुर्जर प्रतिहार वंश राजपूत युग आमेर का कछवाह वंश सांभर का चौहान वंश मारवाड का राठौड वंश बीकानेर का राठौड़ वंश 1857 की क्रान्ति राजस्थान में किसान तथा आदिवासी आन्दोलन राजस्थान में प्रजामण्डल राजस्थान का एकीकरण राजस्थान जनगणना व साक्षरता - 2011 राजस्थान में वन वन्य जीव अभ्यारण्य राजस्थान में कृषि पशु सम्पदा खनिज संसाधन राजस्थान में ऊर्जा विकास राजस्थान में औद्योगिक विकास राजस्थान में वित्तीय संगठन राजस्थान में पर्यटन विकास राजस्थान में लोक देवता राजस्थान में लोक देवियां राजस्थान में सम्प्रदाय राजस्थान में त्यौहार राजस्थान के मेले राजस्थान में प्रचलित रीति -रिवाज & प्रथाएं आभूषण और वेशभूषा राजस्थान की जनजातियां राजस्थान के दुर्ग भारत की प्रमुख संगीत गायन शैलियां राजस्थान में नृत्य राजस्थान में लोकनाट्य वाद्य यंत्र प्रमुख वादक राजस्थान की चित्र शैलियां लोक कलाएं राजस्थान के लोकगीत राजस्थान में हस्तकला छतरियां , महल &हवेलियां राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल राजस्थानी भाषा एवं बोलियां राजस्थान में परिवहन राजस्थान की प्रमुख योजनाएं राजस्थान की मिट्टियाँ शिक्षा राजस्थान मंत्रिमंडल और मंत्रियों के विभाग राजस्थान में पंचायती राज व्यवस्था लोकसभा चुनाव-2019 राजस्थान राज्य से राज्यसभा सदस्य राजस्‍थान लोक सेवा आयोग राजस्थान के महत्वपूर्ण पदाधिकारी आर्थिक समीक्षा 2019-20 राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व राजस्थान इतिहास की प्रसिद्ध महिला व्यक्तित्व ब्रिटिश शासन के दौरान प्रेस और पत्रकारिता मुख्यमंत्री राज्य मंत्रिपरिषद् राज्यपाल राज्य विधान मंडल उच्च न्यायालय राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग राजस्थान राज्य महिला आयोग राजस्‍व मण्‍डल राजस्‍थान राजस्थान में लोकायुक्त राजस्थानी शब्दावली राजस्थान बजट 2022-23 स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गठित संगठन महाजनपद काल में राजस्थान एक जिला एक उत्पाद में चिन्हित प्रोडक्ट्स की सूची

राजस्थान जी.के.

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राजस्थान की झीले

राजस्थान देश में जल संसाधनों की सबसे बड़ी कमी का सामना करता है। भारत के कृषि योग्य क्षेत्र का 13.88%, जनसंख्या का 5.67% और देश के पशुधन का लगभग 11% है, लेकिन इसमें केवल 1.16% सतही जल और 1.70% भूजल है। इस प्रकार, लगभग 10% भूमि क्षेत्र वाले राजस्थान में देश का लगभग 1% जल संसाधन है।

राजस्थान में प्राचीन काल से ही लोग जल स्रोतों के निर्माण को प्राथमिकता देते थे।

इस कार्य से संबंधित शब्दों पर एक नजर।

  1. मीरली या मीरवी- तालाब, बावड़ी, कुण्ड आदि के लिए उपयुक्त स्थान का चुनाव करने वाला व्यक्ति।
  2. कीणिया- कुआँ खोदने वाला उत्कीर्णक व्यक्ति।
  3. चेजारा- चुनाई करने वाला व्यक्ति।

राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर।

भारत की झीलों की नगरी श्रीनगर।

खारे पानी की झीलेमीठे पानी की झीलेंसांभर- जयपुरजयसमंद- उदयपुरपचभदरा- बाड़मेरराजसमंद- राजसमंदडीडवाना- नागौरबालसमंद- जोधपुरलुणकरणसर- बीकानेरआनासागर- अजमेरफलौदी- जोधपुरफतेहसागर- उदयपुरकावोद- जैसलमेरफायसागर- अजमेररेवासा- सीकरउदयसागर- उदयपुरतालछापर- चुरूपुष्कर- अजमेरकुचामन- नागौरकोलायत- बीकानेरडेगाना- नागौरनक्की- सिरोहीपौकरण- जैसलमेरसिलिसेढ- अलवरबाप- जोधपुरपिछौला- उदयपुरकोछोर - सीकरकायलाना- जोधपुरनावां - नागौरपीथनपुरी - सीकर
राजस्थान में खारे पानी की झील का क्या नाम है? - raajasthaan mein khaare paanee kee jheel ka kya naam hai?

तथ्य

केन्द्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय झील सरंक्षण कार्यक्रम में राजस्थान की पांच झीलों क्रमश अजमेर की आना सागर , पुष्कर का पुष्कर सरोवर , उदयपुर की पिछोला और फतेहसागर तथा माउंट आबू की नक्की झील को सम्मिलित किया गया है।

राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें

जयसमंद झील /ढेबर झील (उदयपुर)

राजस्थान में मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील जयसमंद है। इस झील का निर्माण मेवाड़ के राणा जयसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर(1687-91) कराया गया। इस झील में छोटे-बडे़ सात टापू है। इनमें सबसे बडे़ टापू का नाम बाबा का भागड़ा/भकड़ा है और उससे छोटे का नाम प्यारी है। इन टापूओं पर आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते है। जयसंमद झील से उदयपुर जिले को पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जयसंमद झील को पर्यटन केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इस झील से श्यामपुरा व भट्टा/भाट दो नहरें भी निकाली गई है।

एशिया/भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील गोविन्द सागर झील(भाखड़ा बांध, हिमाचल प्रदेश)

राजसमंद झील (राजसमंद)

इसका निर्माण मेवाड़ के राजा राजसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1662-76) इस झील का निर्माण करवाया गया। इस झील का उतरी भाग "नौ चौकी" कहलाता है। यही पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे राजप्रशस्ति कहते है जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। राजप्रशस्ति अमरकाव्य वंशावली नामक पुस्तक पर आधारित है जिसके लेखक - रणछोड़ भट्ट तैलंग है। इसके किनारे "घेवर माता" का मन्दिर है।

पिछोला झील (उदयपुर)

14 वीं सदी में इस मीठे पानी की झील का निर्माण राणा लाखा के समय एक पिच्छू नामक बनजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया। पिछौला में बने टापूओं पर 'जगमन्दिर(लैक पैलेस)' व 'जगनिवास(लैक गार्डन पैलेस)' महल बने हुए है। जग मंदिर का निर्माण महाराणा कर्णसिंह ने सन् 1620 ई. में शुरू करवाया तथा जगत सिंह प्रथम ने 1651 ई. में पूर्ण करवाया। मुगल शासक शाहजहां ने अपने पिता से विद्रोह के समय यहां शरण ली थी। जगमन्दिर महल में ही 1857 ई. में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान महाराणा स्वरूप ने नीमच की छावनी से भागकर आए 40 अंग्रेजो को षरण देकर क्रांन्तिकारियों से बचाया था। जगनिवास महल का निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने 1746 ई. में करवाया था। वर्तमान में इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में इन महलों को "लेक पैलेस" के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस झील के समीप "गलकी नटणी" का चबुतरा बना हुआ है। इस झील के किनारे "राजमहल/सिटी पैलेस" है। इसका निर्माण उदयसिंह ने करवाया। इतिहासकार फग्र्यूसन ने इन्हें राजस्थान के विण्डसर महलों की संज्ञा दी। सीसारमा व बुझडा नदियां इस झील को जलापूर्ति करती है। राजस्थान में सौर ऊर्जा चलित प्रथम नाव पिछोला झील में चलाई गई।

आनासागर झील (अजमेर)

अजमेर शहर के मध्य स्थित इस झील का निर्माण अजयराज के पुत्र अर्णाेराज(पृथ्वीराज चौहान के दादा आनाजी) ने 1137 ई. में करवाया। जयानक ने अपने ग्रन्थ पृथ्वीराज विजय में लिखा है कि "अजमेर को तुर्कों के रक्त से शुद्ध करने के लिए आनासागर झील का निर्माण कराया था' क्योंकि इस विजय में तुर्का का अपार खून बहा था। पहाड़ो के मध्य स्थित होने के कारण यह झील अत्यन्त मनोरम दृष्य प्रस्तुत करती है अतः मुगल शासक जांहगीर ने इसके समीप नूरजहां(रूठी रानी) का महल बनवाया। दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान कहते है। इस उद्यान में नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब के इत्र का आविष्कार किया।इसके किनारे जहांगीर ने चश्मा-ए-नूर झरना बनवााया। शाहजहां ने इसी उद्यान में पांच बारहदरी का निर्माण करवाया।

नक्की झील

राजस्थान के सिरोही जिले मे माऊंट आबू पर स्थित नक्की झील राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर तथा सबसे गहरी झील है। राजस्थान की एक मात्र झील जो सर्दियों में जम जाती है। झील का निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ अर्थात यह एक प्राकृतिक झील(क्रेटर झील) है। मान्यता के अनुसार इस झील की खुदाई देवताओं ने अपने नाखुनों से की थी अतः इसे नक्की झील कहा जाता है। यह झील पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। इस झील में टापू है जिस पर रघुनाथ जी का मन्दिर बना है। इसके अलावा इस झील के एक तरफ मेंढक जैसी चट्टान बनी हुई है जिसे "टाॅड राॅक" कहा जाता है। एक चट्टान की आकृति महिला के समान है जिसे "नन राॅक" कहा जाता है। एक आकृति लड़का-लड़की जैसी है जिसे "कप्पल राॅक" कहा जाता है। इसके अलावा यहाँ हाथी गुफा, चंम्पा गुफा, रामझरोखा, पैरट राॅक अन्य दर्शनीय स्थल है। यह झील गरासिया जनजाति का आध्यात्मिक केन्द्र है। अतः लोग अपने मृतको की अस्थियों का विसृजन नक्की झील में ही करते है। इसके समीप ही "अर्बुजा देवी" का मन्दिर स्थित है। अतः इस पर्वत को आबू पर्वत कहा जाता है।

पुष्कर झील

राजस्थान के अजमेर जिले में अजमेर शहर से 12 कि.मी. की दूरी पर पुष्कर झील का निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ है। यह झील भी प्राकृतिक झील है। यह राजस्थान का सबसे पवित्र सरोवर माना जाता है।इसलिए इसे आदितीर्थ/पांचनातीर्थ/कोंकणतीर्थ/तीर्थो का मामा/तीर्थराज भी कहा जाता है। पुष्कर झील के बारे में मान्यता है कि खुदाई पुष्कर्णा ब्राह्मणों द्वारा कराई गई। अतः पुष्कर झील की संज्ञा दी गई। तथा किवदन्ती के अनुसार इस झील का निर्माण ब्रह्माजी के हाथ से गिरे तीन कमल के पुष्पों से हुआ जिससे क्रमशः वरीष्ठ पुष्कर, मध्यम पुष्कर, कनिष्ठ पुष्कर का निर्माण हुआ। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां स्नान किया, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, विश्वामित्र ने यहां तपस्या कि, वेदोें को यहां अंतिम रूप से संकलन हुआ। चौथी शताब्दी में कालिदास ने अपनी कृति 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' इसी स्थान पर रची थी। गुरु गोविन्द सिंह ने यहाँ पर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ किया था। इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने कहा कि इस सरोवर की तुलना तिब्बत की मानसरोवर झील के अलावा और किसी से नहीं की जा सकती। इस झील के चारों ओर अनेक प्राचीन मन्दिर है। इनमें ब्रह्माजी का मन्दिर सबसे प्राचीन है जिसका निर्माण 10 वीं शताब्दी में पंडित गोकुलचन्द पारीक ने करवाया था। इसी मन्दिर के सामने पहाड़ी पर ब्रह्मा जी की पत्नि 'सावित्री देवी' का मन्दिर है। जिसमें माँ सरस्वती की प्रतिमा भी लगी हुई है।(राजस्थान के बाड़मेर जिले में आसोतरा नामक स्थान पर एक अन्य ब्रह्मा मन्दिर भी है।)

पुष्कर झील के चारों ओर 52 घाट बने हुए है। इन घाटों पर लोग अपने पित्तरों का लोकर्पण करते है।कार्तिक पूर्णीमा को यहां मेला लगता है दिपदान कि क्रिया होती है आय की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बडा मेला है यहां पर एक महिला घाट भी बना हुआ है जिसे वर्तमान में गांधी घाट कहा जाता है। इसका निर्माण 1912 में मैडम मेरी ने करवाया था। गांधी जी की इच्छा पर उनकी अस्थियों का विसृजन पुष्कर झील में ही किया गया था। इनमें जयपुर घाट सबसे बड़ा है। पुष्कर में राजस्थान में दक्षिण भारतीय शैली का सबसे बड़ा मन्दिर श्री रंग जी का मन्दिर भी बना हुआ है। पुष्कर में आई मिट्टी को साफ करने में 1998 में कनाडा सरकार ने आर्थिक सहायता प्रदान की। पुष्कर के राताड्ढंगा में नाथ पंथ की बैराग शाखा की गद्दी बनी है।

पुष्कर के पंचकुण्ड को मृगवन घोषित किया।

फतहसागर झील (उदयपुर)

राज. के उदयपुर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील का निर्माण मेवाड के शासक जयसिंह ने 1678 ई. में करवाया। बाद में यह अतिवृष्टि होने के कारण नष्ट हो गई। तब इसका पुर्निमाण 1889 में महाराजा फतेहसिंह ने करवाया तथा इसकी आधार शिला ड्यूक आॅफ कनाॅट द्वारा रखी गई। अतः इस झील को फतहसागर झील कहा गया। इस झील में टापु है जिस पर नेहरू उधान बना है इस झील में सौर वैद्यशाला भी बनी है।

फतहसागर झील में अहम्दाबाद संस्थान ने 1975 में भारत की पहली सौर वैद्यशाला स्थापित की। इसी झील के समीप बेल्जियम निर्मित टेलिस्कोप की स्थापना सूर्य और उसकी गतिविधियों के अध्ययन के लिए की गई। फतहसागर झील से उदयपुर को पेय जल की आपूर्ति की जाती है।

उदयपुर के देवाली गांव में स्थित होने के कारण इसे देवाली तालाब भी कहा जाता है।

कोलायत झील (बीकानेर)

राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित यह झील अत्यन्त छोटी है। परिणामस्वरूप यहां से थोडी बहुत मात्रा में नमक स्थानीय लोगो की ही आपूर्ति कर पाता है। उत्तरी राजस्थान की एकमात्र खारे पानी की झील है।

राजस्थान में खारे पानी की झील कौन कौन सी हैं?

राज्य की अन्य खारे पानी की झीलें.
रेवासा झील – सीकर.
कावोद झील – जैसलमेर.
तालछापर झील – चुरू.
डेगाना झील – नागौर.
फलौदी झील – जोधपुर.
लूणकरणसर – बीकानेर.

राजस्थान की सर्वाधिक खारे पानी की झील कौन सी है?

राजस्थान की सबसे बड़ी खारे पानी की झील “सांभर झील” है। यह झील राजस्थान में जयपुर नगर, जिसे Pink City के नाम से भी जाना जाता है, के समीप स्थित है।

खारे पानी की झील का नाम क्या है?

एक ख़ारी झील या लवणीय झील (अंग्रेज़ी: salt lake या saline lake) चारों तरफ़ से जमीन से घिरा हुआ वो जलाशय होता है जिसके पानी में नमक/लवण या नमकीन पदार्थों की मात्रा (सान्द्रणता) ज्यादा होती है।