Show
बच्चों में अस्थमा के लक्षण पहचानना मुश्किल हो सकता है। बहुत बार अस्थमा को सामान्य सर्दी-जुकाम समझ लिया जाता है। लेकिन कुछ ऐसे लक्षण होते है जो अस्थमा का संकेत देते है। अगर इनमे से कोई भी परेशानी हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
यह भी पढ़ें : रात को देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, बच्चे को दे सकता है सांस की ये जानलेवा बीमारी अस्थमा के कारणवैज्ञानिक अभी भी अस्थमा का सटीक कारण क्या है इस बारे में पता करने की कोशिश कर रहे हैं। फिर भी कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे पता चलता है कि बच्चे को अस्थमा का खतरा हो सकता है, जैसे :- अस्थमा या एलर्जी की समस्या का पारिवारिक इतिहास, गर्भवती महिला अगर धूम्रपान करती है, तो ये भी बच्चे को भविष्य में अस्थमा होने का कारण बन सकता है। वायरल इन्फेक्शन भी कई बार अस्थमा का कारण बन सकता है, खासकर 6 महीने से छोटे बच्चे में। अस्थमा से जोखिमअस्थमा अटैक जिसे काबू में ना किया जा सके वो सांस नलिकाओं में सूजन का कारण बनता है, जो लम्बे समय तक सांस संबंधी परेशानी का कारण बन सकता है। अस्थमा अटैक आने पर बच्चा चिड़चिड़ा, असहज और थका हुआ महसूस कर सकता है। अगर बहुत ही गंभीर अस्थमा अटैक आए जो सामान्य मेडिकेशन से काबू में ना आए, इस परिस्थिति में बच्चे को तुरंत आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता होती है और कई बार एडमिट करने की जरूरत भी पड़ जाती है। यह भी पढ़ें : सिजेरियन से पैदा हुए बच्चे को अस्थमा का खतरा ज्यादा अस्थमा का इलाजकभी भी बच्चे में अस्थमा से जुड़े कोई भी लक्षण नजर आए तो डॉक्टर से सलाह लेने में देर नहीं करनी चाहिए, अगर डॉक्टर से आप संतुष्ट नहीं हो तो किसी दूसरे डॉक्टर से भी संपर्क करें। सही देखभाल और सही इलाज से इस समस्या से निजात पा सकते हैं। अस्थमा के घरेलू उपचार
यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में सिगरेट से बच्चे को हो सकता है अस्थमा मौसमी बीमारियांबच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में काफी कम होता है, इसलिए वो जल्दी ही मौसमी बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। उसी तरह अस्थमा भी बच्चों को आसानी से चपेट में ले लेता है। सही समय पर पता लगाकर और बच्चे को सही देखभाल करके इस समस्या से को दूर किया जा सकता है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें In this article
अपने बच्चे के अस्थमा के इलाज और इसके प्रबंधन से जुड़ी सारी जानकारी यहां पाएं। साथ ही जानें कि बच्चे में अस्थमा के दौरे का खतरा कम करने के लिए क्या किया जा सकता है। यदि आप निश्चित नहीं हैं कि आपके बच्चे को अस्थमा है या नहीं, तो हमारे मुख्य लेख शिशुओं में दमा रोग (अस्थमा) में इसके बारे में जानकारी पाएं। मेरे बच्चे को अस्थमा है, मुझे क्या करना चाहिए?यदि आपके बच्चे को अस्थमा है, तो आपको डॉक्टर के साथ मिलकर इसके दौरों से बचाव और इनका सामना करने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। यदि इलाज न कराया जाए या डॉक्टरी सहायता लेने में देर हो, तो दमा का दौरा जानलेवा साबित हो सकता है। क्योंकि अस्थमा एक पुरानी, दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थिति है, इसलिए आपको नियमित रूप से अपने बच्चे के डॉक्टर के संपर्क में रहना होगा। बच्चे के लिए व्यक्तिगत "अस्थमा एक्शन प्लान" बनाने में डॉक्टर आपकी मदद व मार्गदर्शन कर सकते हैं। इस एक्शन प्लान में बच्चे के दमा के लक्षणों, दमा की स्थिति पैदा करने वाले कारणों और इलाज के साथ-साथ यह जानकारी भी होती है कि अस्थमा का दौरा पड़ने पर क्या करना चाहिए। इस अस्थमा एक्शन प्लान की कई प्रतियां निकालकर घर में अलग-अलग जगह रखें। बच्चे की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्यों और बच्चे के डेकेयर के स्टाफ को भी इसकी प्रतियां दे दें। उचित दवाओं, अस्थमा एक्शन प्लान और नियमित डॉक्टरी जांच से अस्थमा वाले अधिकांश बच्चे ठीक रहते हैं। बच्चों में अस्थमा का इलाज कैसे किया जाता है?अस्थमा का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि:
बच्चे की स्थिति को देखते हुए उसके इलाज की योजना भी अलग-अलग होगी, लेकिन इसके मुख्य मकसद निम्नांकित होंगे:
डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करेंगे और निम्नांकित की सलाह दे सकते हैं:
डॉक्टर आपको बताएंगे कि बच्चे को इन्हेलर कैसे और कब देना है। इसके लिए आपको स्पेसर नामक एक विशेष उपकरण का इस्तेमाल करना होगा। यह एक छोटी ट्यूब या चैम्बर होता है, जिसमें इन्हेलर से दी जाने वाली दवा होती है। स्पेसर में फेस मास्क होता है, जिससे बच्चे को दवा देना आसान हो जाता है। जब भी बच्चे में लक्षण दिखाई दें या डॉक्टर की सलाह अनुसार, आप इस उपकरण के जरिये शिशु को दवा दे सकती हैं। यदि आपका बच्चा छोटा है और खुद से दवा सांस के जरिये अंदर नहीं ले सकता, तो दवा एक नेबुलाइज़र की मदद से दी जाएगी। नेबुलाइज़र एक छोटी इलेक्ट्रिक या बैटरी से चलने वाली मशीन है। यह लिक्विड दवा को धुंध या फुहार में बदल देता है, जिसे बच्चा फेस मास्क के माध्यम से सांस के जरिये फेफड़ों तक ले जा सकता है। कुछ बच्चे रिलीवर इन्हेलर का इस्तेमाल करने के बाद हल्के साइड इफेक्ट महसूस करते हैं। हो सकता है खुराक लेने के बाद बच्चे को हल्की कंपकंपी लगे या वह असहज या चिड़चिड़ा सा दिखे। आप शायद यह भी पाएं कि उसका दिल बहुत तेज धड़क रहा है। ये साइड इफेक्ट नुकसान नहीं पहुंचाते और आमतौर पर कुछ ही मिनटों में ठीक हो जाते हैं। फिर भी, यदि आपको बच्चे में कोई भी ऐसे साइड इफेक्ट दिखें तो डॉक्टर को अवश्य बताएं। यदि आपका नन्हा बच्चा क्रेश या डेकेयर में जाता है, तो उसका ध्यान रखने वाले स्टाफ से मिलें। उन्हें बच्चे की अस्थमा की स्थिति के बारे में बताएं और अस्थमा एक्शन उनके साथ साझा करें। ऐसे में, यदि क्रेश या डेकेयर में बच्चे को कोई लक्षण उत्पन्न हों, तो वहां स्टाफ को पता होगा कि क्या करना चाहिए। डॉक्टर शायद आपको कई इन्हेलर रखने की सलाह देंगे, ताकि आप एक अपने घर पर प्राथमिक चिकित्सा किट में, एक कार में, और एक अपने बच्चे के बैग में रख दें। इस तरह, आप आश्वस्त हो सकते हैं कि लक्षण उत्पन्न होने पर बच्चे को तुरंत उसकी दवा मिल सकेगी। आपको अपने बच्चे के लक्षणों पर नजर रखनी होगी और नियमित तौर पर डॉक्टर के संपर्क में रहना होगा। यदि आपके बच्चे की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो डॉक्टर इलाज के विकल्पों को बदलेंगे, खुराक में थोड़ा बदलाव करेंगे और जरुरत हुई तो बच्चे को किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाने के लिए कहेंगे। यदि बच्चे को अस्थमा का गंभीर दौरा पड़े, तो क्या करना चाहिए?यदि आपके बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही हो, और रिलीवर इन्हेलर से भी राहत नहीं मिल रही हो (या उसके पास यह न हो), तो तुरंत एम्बुलेंस को बुलाएं या बच्चे को नजदीकी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में ले जाएं। यदि आपके पास रिलीवर इन्हेलर है, तो एम्बुलेंस का इंतजार करते समय या अस्पताल ले जाते समय बच्चे को जितनी बार डॉक्टर ने बताया है, उतनी बार पफ दें। बच्चे को सीधे बैठी हुई अवस्था में रखें, ताकि उसे सांस लेने में आसानी हो। यदि बच्चे को अस्पताल में जाने की जरुरत हो, तो डॉक्टर दौरे की गंभीरता को देखते हुए इलाज करेंगे। वे बच्चे को आसानी से सांस लेने में मदद के लिए मास्क से ऑक्सीजन दे सकते हैं। लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए, वे उसे दवा भी दे सकते हैं। अगर इलाज से बच्चे की स्थिति में सुधार हो रहा हो, तो उसे घर भेजा जा सकता है। मगर,यदि वह बेहतर महसूस न कर रहा हो, तो देखभाल के लिए उसे अस्पताल में ही रुकना पड़ सकता है। यदि बच्चे के दमा के लक्षणों में सुधार न आए, तो क्या करना चाहिए?आपको नियमित तौर पर डॉक्टर के संपर्क में रहना होगा, क्योंकि वे शिशु की स्थिति पर नजदीकी निगरानी रखे होंगे। कई बार शिशुओं और छोटे बच्चों में अस्थमा का पता लग पाना मुश्किल हो सकता है। यदि सही से इस्तेमाल करने के बाद भी दवा काम न कर रही हो तो डॉक्टर यह पता लगाएंगे कि शिशु के लक्षणों की वजह कुछ और तो नहीं है। डॉक्टर आपको बच्चों के अस्थमा के विशेषज्ञ डॉक्टर के पास भी भेज सकते हैं, जहां उपचार के अन्य विकल्पों पर चर्चा की जा सकती है। बिना डॉक्टरी पर्ची के अपने बच्चे को केमिस्ट की दुकान पर मिलने वाली दवाएं या हर्बल उपचार न दें। ऐसे कुछ उपचार बच्चों के लिए उचित नहीं होते और डॉक्टर द्वारा दी जा रही दवाओं और इलाज में भी इनका असर पड़ सकता है। क्या बच्चे में अस्थमा के दौरे होने से रोका जा सकता है?दुर्भाग्यवश, अस्थमा का कोई स्थाई उपचार और दौरों को रोकने के लिए कोई पक्का तरीका नहीं है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि शिशु में दमा के गंभीर दौरे का खतरा कम करने और उसे खुश व स्वस्थ रखने के लिए आप बहुत सी चीजें कर सकती हैं, जैसे कि:
कुछ लोगों का कहना है कि हवा शुष्क होने पर ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल और हवा में नमी हो तो डिह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल से दमा के लक्षणों में आराम मिलता है। हालांकि, इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं। यदि आप ह्यमिडिफायर या डिह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करना चाहें, तो पहले बच्चे के डॉक्टर से सलाह ले लें। इसी तरह यदि आप अपने घर पर एयर प्यूरिफायर लाने का विचार कर रहे हैं, तो इसके लिए भी पहले डॉक्टर से बात कर लें। क्या इलाज से या उम्र बढ़ने के साथ मेरे बच्चे का अस्थमा ठीक हो जाएगा?अस्थमा अक्सर के दीर्घकालीन स्वास्थ्य स्थिति रहती है। हालांकि, इसका कोई इलाज नहीं है, मगर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जहां कुछ शिशुओं और छोटे बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ अस्थमा की स्थिति ठीक हो जाती है, वहीं कुछ अन्य इसका सामना करना सीख जाते हैं। इस तरह वे बड़े होने पर अपने अन्य दोस्तों की तरह खेलना, दौड़ना, स्विमिंग कर सकते हैं। आपके शिशु के साथ चाहे कोई भी स्थिति हो, आप आश्वस्त रहें कि दमा से ग्रस्त अधिकांश बच्चे बड़े होकर स्वस्थ रहते हैं, बशर्ते उनकी अस्थमा की स्थिति को उचित ढंग से नियंत्रित किया जाए। अस्थमा आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए एक भयावह स्थिति हो सकती है, मगर याद रखें कि ऐसा केवल आपके साथ ही नहीं है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कितने परिवार इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। बेबीसेंटर कम्युनिटी में अपने शिशु के दमा की स्थिति को लेकर सवाल व चिंताएं अन्य माता-पिताओं से साझा करें। अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: Asthma attacks in babies: treatment and prevention हमारे लेख पढ़ें:
ReferencesAsthma UK. 2016a. Spacers. Asthma UK, Health advice. www.asthma.org.uk Asthma UK. 2016b. Indoor environment. Asthma UK, Health advice. www.asthma.org.uk Asthma UK. 2018a. How is asthma treated in children? Asthma UK, Health advice. www.asthma.org.uk Asthma UK. 2018b. Reliever inhalers. Asthma UK, Health advice. www.asthma.org.uk Asthma UK. 2018c. Preventer inhalers. Asthma UK, Health advice. www.asthma.org.uk GINA Report 2020. Global Strategy for Asthma Management and Prevention. www.ginasthma.org NHS. 2018a. Asthma. NHS, Health A-Z. www.nhs.uk NHS. 2018b. Colds, coughs and ear infections in children. NHS, Health A-Z. www.nhs.uk WHO. 2020. Asthma. Fact Sheet. www.who.int बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करना चाहिए?बच्चे को यदि सांस लेने में दिक्कत होती है और वह रुक -रुककर स्तनपान कर पाता है। साथ ही उसे जुकाम, खांसी और निमोनिया अधिक होता है तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। यह बच्चे के दिल में छेद होने के लक्षण हैं। ऐसे बच्चों का अब बिना चीरफाड़ किए नई पद्धति से इलाज संभव है।
कैसे बताएं कि बच्चा ठीक से सांस ले रहा है या नहीं?हर सांस के अंत में लगातार घरघराहट की आवाज आना। फूले हुए नथुने, जो इस बात का संकेत है कि उसे सांस लेने के लिए अधिक प्रयास करने पड़ रहे हैं। बहुत तीक्ष्ण कर्कश सी आवाज और खांसी जिसमें भौंकने जैसी आवाज आए।
बच्चे को सांस लेने में दिक्कत कब होती है?किसी भी तरह के इन्फेक्शन (Infection) की वजह से बच्चों को सांस में तकलीफ होने लगती है. 2 साल से कम उम्र के बच्चों में हल्की सर्दी भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है. सर्दी के वजह से बच्चे की नाक बहने लगती है, गले में कफ, खांसी और बुखार भी आ सकता है.
खांसी और सांस फूलने पर क्या करें?सांस फूलना और खांसी के लिए क्या करें?. धूम्रपान न करें।. अधिक से अधिक पानी पिएं।. ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें।. सर्दी में ठंडी चीजों से बचें।. दूषित वायु से खुद को बचाएंं।. घर की साफ-सफाई का खयाल रखें।. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर पैष्टिक भोजन लें।. फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कामों में सावधानी बरतें ।. |