बेबी ग्रोथ के लिए क्या अच्छा है? - bebee groth ke lie kya achchha hai?

आरंभ के दो सालों में दिया जाने वाला अच्छा पोषण बच्चे के विकास के लिए सबसे जरूरी होता है। शुरू में विशेष रूप से स्तनपान कराना, तथा दो साल या उससे अधिक समय तक स्तनपान जारी रखनाऔरछह महीने के बाद उम्र के अनुसार शुरू होने वाले अच्छेऔर सुरक्षित, पूर्ण आहार देने की शुरूआत करना,बचपन में शारीरिक विकासमें बाधा (स्टंटिंग) को दूर करने और बाल कुपोषण के चले आ रहेदौर को खत्म करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। पहले वर्ष में पूरक स्तनपान और उत्तम पोषणसे, पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों में होने वाली मौतों में से लगभग हर पांचवी मौत को रोका जा सकता है।

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जीवन के पहले घंटे के दौरान स्तनपान नवजात शिशु के जीवित रहने के लिएसबसे महत्वपूर्ण है। फिर भी भारत मेंकेवल 41.6 प्रतिशत शिशु ही जीवन के पहले घंटे में स्तनपान शुरू कर पाते हैं।

यहां तक कि गर्म मौसम में भी, बार-बार और आवश्यकता-अनुसारस्तनपान कराने पर, शिशुओं को पानी या किसी अन्य तरल पेय की आवश्यकता नहीं होती है। माँ का दूध उनकी उन सभी जरूरतों को पूरा करता है, जो उनके जीवित रहने तथा अच्छे विकास एवं वृद्धि के लिए आवश्यक हैं।जीवन के पहले छह महीनों में अगर शिशुओं को माँ के दूध के अलावा कुछ और दिया जाए तो उससेउनके विकास में सुधार नहीं होता है, बल्कि वह हानिकारक होता है।शुरूआती छह महीनों के दौरान अन्य खाद्य पदार्थ शिशुओंमें बार-बार संक्रमण और कमज़ोर विकास तथा वृद्धि का कारण बन सकता है।

विशेष तौर पर स्तनपान कराए गए शिशुओं को डायरिया और निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बहुत कम होता है।यही दोनों बीमारियां पांच साल तक के बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण हैं।विशेष रूप से स्तनपान कराए गए शिशु की तुलना में, वह शिशु जिसे ठीक से स्तनपान नहीं कराया गया है, कई कारणों से उसकी मृत्यु की संभावना 14 गुना अधिक हो जाती है।

छह महीने के बाद, शिशुओं को स्तनपान के साथ-साथ पूरक खाद्य पदार्थोंकी भी आवश्यकता होती है, जिससे कि वे मजबूत बनें और पूरी तरह से विकसित हो सकें। तेजी से बढ़ने और विकास कीइस आयु अवधि के दौरान माँ के दूध से शिशुओं को सभी प्रकार का आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता हैं।

हालांकि, जीवन के पहलेदो वर्षों में शिशुओं के लिए स्तनपान ही पोषक तत्वों का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत होता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि, पूरक आहार के साथ-साथ, स्तनपान कम से कम दो वर्ष की आयु तक जारी रखना चाहिए। सबसे उपयुक्त पूरक खाद्य पदार्थ ऐसे ठोस, अर्ध-ठोस या नरम खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें छह महीने के बाद माँ के दूध के साथ शिशुओं को दिया जाता है।

उचित और सुरक्षित पूरक आहार से यह सुनिश्चित करना कि बच्चों को सही उम्र में, सही समय पर पोषण से भरपूर पूरक खाद्य पदार्थ खिलाएं जाएं और स्वच्छता संबंधी सभी तरीकों का पालन किया जाए -यहभारत में आज भी एक बड़ी चुनौती है।

छह से नौ माह की आयु वाले आधे से कुछ कम ही भारतीय शिशुओं को मां के दूध के साथ पूरक खाद्य पदार्थ मिल पाता हैं। 6 से 24 माह की आयु वाले दस में से केवल एक शिशु को सुझाए गए तरीकों के अनुसार बेहतर तौर पर पोषण मिल पाता है।

यूनिसेफ का बच्चों के लिए आवश्यक पोषण कार्यक्रमों के संचालन में भारत सरकार और राज्य सरकारों को समर्थन जारी है। शिशु आहार और पोषण पर विशेष ध्यान दिए जाने के साथ शिशुओं और छोटे बच्चों के पोषण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का उपयोग किया जाता है।

इनमें नीतियों का पक्ष-समर्थन व संचार रणनीतियाँ, शिशुओं की देखभाल करने वालों को पूरक खाद्य पदार्थों पर परामर्श में सुधार और समूह परामर्श के माध्यम से खिलाए जाने पर जानकारी, और घरों में जाकर व्यक्तिगत परामर्श (आंगनवाड़ियों या बचपन विकास केंद्रों में इन्हें खिलाए जाने का प्रदर्शन)शामिल हैं।अन्य कार्यक्रमों में शिशु और छोटे-बच्चे को खिलाना, शिशु और बच्चों में उत्तरदायी देखभाल के प्रयासों को एक साथ मिलाना तथा छोटे बच्चे को खिलाने हेतु पैकेज एवं उनके आहार विविधता में सुधार पर अनुसंधान व निगरानी गतिविधियां भी शामिल हैं।

यूनिसेफ ने इन प्रयासों हेतु सुनिश्चित वित्त पोषण प्रदान करने के लिएतथा इसकी प्रगति की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए, राज्य की कार्य-योजनाओं पर शिशु और छोटे बच्चों हेतु पोषण कार्यक्रमों व प्रयासों के एकीकरण का समर्थन किया है। सरकार ने आंगनवाड़ी पोषण कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले भोजन के लिए बजट प्रावधानों को बढ़ाया है। इसके परिणामस्वरूप,कई राज्यों मेंअंडे और दूध जैसे खाद्य पदार्थों को पोषण कार्यक्रम में जोड़ा गया है।

वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री महोदय के कर-कमलों द्वारा‘पोषण अभियान’ नामक एक राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरूआत की गई। इस बहु-स्तरीय पोषण कार्यक्रम के आरंभ किए जाने के फलस्वरूप छोटे बच्चों के पोषण में सुधार के लिए बजट और उसके लिए की जाने वाली कार्यवाहियों में आवश्यक बढ़ोतरी हुई है।

पोषण अभियान को लागू करने वाले सभी राज्यों में यूनिसेफ, तकनीकी सहयोग, एकीकृत कार्य योजनाओं के विकास के लिए समर्थन, संचार और सामाजिक/व्यवहार परिवर्तन अभियान का समर्थनतथा राज्य और जिला संसाधन समूहों के प्रशिक्षण के लिए तकनीकी समर्थन प्रदान करता हैताकि बढ़ते क्रम में सीखने का दृष्टिकोण लागू किया जा सके।

In this article

  • क्या मुझे गर्भावस्था के दौरान खान-पान बदलना होगा?
  • स्वस्थ आहार में क्या-क्या शामिल होता है?
  • क्या मुझे गर्भावस्था में और अधिक कैलोरी का सेवन करना होगा?
  • गर्भावस्था में कितनी बार भोजन खाना चाहिए?
  • गर्भावस्था में कौन से खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए?
  • क्या गर्भावस्था के दौरान मुझे अनुपूरक लेने चाहिए?
  • शाकाहारी या वीगन होने पर मैं स्वस्थ आहार का सेवन कैसे कर सकती हूं?
  • गर्भावस्था में मेरा कितना वजन बढ़ना चाहिए?
  • क्या मैं गर्भावस्था के दौरान अपनी अस्वस्थ भोजन की लालसाओं को पूरा कर सकती हूँ?
  • क्या गर्भावस्था के दौरान डाइटिंग ठीक है?
  • गर्भावस्था रेसिपी और डाइट चार्ट
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गर्भावस्था के लिए स्वस्थ पेय
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क्या मुझे गर्भावस्था के दौरान खान-पान बदलना होगा?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका खान-पान पहले कैसा था! यदि आपका आहार पहले से ही स्वस्थ व संतुलित है, तो आपको अपने आहार में शायद थोड़े-बहुत बदलाव ही करने होंगे।

मगर यदि आप पहले रेडीमेड भोजन या टेक अवे भोजन पर निर्भर रहती थीं या फिर आपको जंक फूड या चॉकलेट खाने की आदत है, तो आपको अपने आहार में पूरा बदलाव करना होगा और पौष्टिक भोजन पर जोर देना होगा।

गर्भावस्था में स्वस्थ आहार खाना जरुरी है क्यों​कि गर्भस्थ शिशु को आपके भोजन से पोषण मिलता है।

विविध, संपूर्ण आहार से सुनिश्चित हो सकेगा कि आप और आपके शिशु को सभी जरुरी पोषण मिले।

स्वस्थ आहार में क्या-क्या शामिल होता है?

आपके रोजमर्रा के आहार में प्रतिदिन निम्नांकित भोजन समूहो में से अलग-अलग भोजन शामिल होने चाहिए:
  • अनाज, साबुत व पूर्ण अनाज, दाल और मेवे: हर भोजन में इनका एक हिस्सा रखें। जटिल कार्बोहाइड्रेट्स जैसे कि ब्राउन राइस, साबुत अनाज, किनोआ, जई (ओट्स), ज्वार, बाजरा, सूजी और होलग्रेन ब्रेड और पास्ता आदि का सेवन करें। इनसे आपको और शिशु को न केवल ज्यादा पोषक तत्व मिलेंगे, बल्कि इनसे आपका पेट ज्यादा समय तक भरा-भरा रहेगा। साथ ही स्टार्चयुक्त जड़ वाली सब्जियां जैसे कि आलू, जिमिकंद, शकरकंदी, अरबी या कच्चा केला आदि भी खाएं।

  • ​फल और सब्जियां। कोशिश करें कि आप हर दिन कम से कम पांच हिस्से ताजा फल और सब्जियां खाएं। ​फल से ज्यादा सब्जियां खाने पर जोर दें। अलग-अलग रंगों वाले विभिन्न फल और सब्जियां शामिल करें, जिससे आपका पोषण बढ़ेगा। जूस और स्मूदी भी फायदा करती हैं। मगर, प्राकृतिक शर्करा आपके ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित कर सकती है और आपके दांत भी खराब हो सकते हैं। इसलिए बेहतर है कि इन पेयों की मात्रा सीमित रखें।

  • प्रोटीन से भरपूर भोजन। इनमें कम वसा का मांस और चिकन, मछली, अंडे और दाल-दलहन शामिल हैं। कोशिश करें कि एक हफ्ते में दो या इससे ज्यादा हिस्से मछली खाएं। इसमें कम से कम एक और ज्यादा से ज्यादा दो हिस्सा तैलीय मछली जैसे कि बांगड़ा या सार्डिन मछली होनी चाहिए।

  • डेयरी उत्पाद। इनमें शामिल है दही, छाछ और पनीर। ये भोजन कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन बी12 से भरपूर होते हैं। इनके ऐसे विकल्प जिनमे वसा और मीठा कम हो, वे ज्यादा स्वस्थ रहते हैं। यदि आपको लैक्टॉस असहिष्णुता है, तो अपनी डॉक्टर से बात करें कि आपको क्या खाना चाहिए।

वसा भी स्वस्थ आहार का जरुरी हिस्सा होती है, मगर कुछ वसा आपके लिए दूसरों की तुलना में ज्यादा बेहतर है। चाहे आप गर्भवती हो या नहीं, कोशिश करें कि आप स्वस्थ वसा (मोनोसैचुरेटेड और पॉलीसैचुरेटेड) ज्यादा लें। वहीं, दूसरी ओर अस्वस्थ वसा (सैचुरेटेड और ट्रांस) का सेवन कम करें।

बहुत से लोगों के आहार में आयोडीन का स्तर भी कम होता है। आयो​डीन भोजन में मिलने वाला ऐसा खनिज है जो शिशु के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत जरुरी है। डेयरी उत्पाद और समुद्री भोजन आयोडीन का अच्छा स्त्रोत हैं। यदि आप अपने भोजन में नमक डालती हैं, तो आयोडीन युक्त नमक इस्तेमाल करें।

पर्याप्त मात्रा में तरल का सेवन भी जरुरी है, ताकि आप जलनियोजित रह सके और गर्भावस्था में होने वाली आम समस्याएं जैसे कि कब्ज, बवासीर और मूत्राशय के संक्रमणों से बच सकें। अंतिम ​तिमाही में निर्जलीकरण से समय से पहले संकुचन शुरु हो सकते हैं।

पानी सबसे स्वस्थ पेय है, मगर कुछ अन्य ​सेहतमंद विकल्प भी हैं।

क्या मुझे गर्भावस्था में और अधिक कैलोरी का सेवन करना होगा?

गर्भावस्था के दौरान यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप कितना खाती हैं, बल्कि जरुरी यह है कि आप क्या खाती हैं। हालांकि, परिवारजन और दोस्त आप दो लोगों के लिए खाने की सलाह दे सकते हैं, मगर याद रखें कि आप नन्हे से शिशु के लिए खा रही हैं, न कि किसी वयस्क के लिए!

एक औसत गर्भवती महिला को गर्भावस्था के शुरुआती छह महीनों तक अतिरिक्त कैलोरी की जरुरत नहीं होती। वास्तव में गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर जरुरी उर्जा और पोषक तत्व आपके भोजन से निकालने में और अधिक कुशल हो जाता है।

बहरहाल, भारत में अधिकतर डॉक्टर दूसरी व तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 300 अतिरिक्त कैलोरी लेने की सलाह देते हैं। आप ये अतिरिक्त 300 कैलोरी अपने आहार में निम्न विकल्पों के आधार पर शामिल कर सकती हैं:
  • दो रोटी और एक छोटी कटोरी मिली-जुली सब्जी
  • दो सादा इडली और एक छोटी कटोरी सांभर
  • एक गिलास केले का शेक

ऐसे भोजनों से अतिरिक्त कैलोरी पाने का प्रयास न करें, जिनमें बहुत कम पोषक तत्व होते हैं, जैसे कि मीठे पेय, तले हुए भोजन और घी और चीनी से भरपूर भोजन आदि। सेहतमंद स्नैक्स जैसे कि दही, मेवे, अच्छी तरह उबला हुआ अंडा, कुछ ताजा फल व सब्जियां आदि जरुरी कैलोरी पाने का बेहतरीन तरीका हैं।

यदि आप तय न कर पा रही हों कि अपने आहार में क्या शामिल करें, तो अपनी डॉक्टर से बात करें। वे आपको डाइटिशियन के पास जाने की सलाह दे सकती हैं, जो आपको जरुरी कैलोरी के आधार पर मील प्लान तैयार करके दे सकती हैं।

गर्भावस्था में कितनी बार भोजन खाना चाहिए?

आप शायद पाएंगी कि गर्भावस्था के दौरान आपकी भूख घटती-बढ़ती रहती है।

प्रेगनेंसी के शुरुआती कुछ हफ्तों में शायद आपकी भूख काफी कम हो जाए। आपका शायद सही ढंग से भोजन करने का मन न करें, विशेषकर यदि आपको मिचली या उल्टी रहती है तो।

गर्भावस्था के मध्य में आपकी भूख शायद उतनी ही रहेगी जितनी की गर्भावस्था के पहले रहती थी या फिर इसमें थोड़ी बढ़त हो सकती है। गर्भावस्था के अंत में आपको शायद ज्यादा भूख लगने लगे।

यदि आपको भूख न लग रही हो, तो भी हो सकता है शिशु भूखा हो इसलिए कोशिश करें कि आप नियमित अंतराल पर कुछ न कुछ खाती रहें। कोशिश करें कि आप दिन में तीन बार भोजन और इनके बीच में यदि भूख लगे तो स्नैक्स ले सकती हैं।

यदि मिचली, भोजन विमुखता, एसिडिटी, सीने में जलन या अपचता की वजह से भोजन करना आपको मुश्किल लग रहा हो तो, कम मात्रा में लेकिन समय-समय पर खाती रहें। यह शायद आपके ​शरीर के लिए सही रहेगा।

उच्च फाइबर और साबुत अनाज वाले भोजन खाने से आपको पेट भरा-भरा लगेगा और ये पौष्टिक भी रहता है।

गर्भावस्था में कौन से खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए?

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनसे गर्भावस्था के दौरान आपको दूर रहना चाहिए। ये आपके शिशु के लिए असुरक्षित साबित हो सकते हैं, जैसेः
  • अपाश्च्युरिकृत दूध (भैंस या गाय का) और इससे बने डेयरी उत्पादों का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित नहीं है। इनमें ऐसे विषाणुओं के होने की संभावना रहती है, जिनसे पेट के संक्रमण और तबियत खराब होने का खतरा रहता है। गर्भावस्था के समय विषाक्त भोजन आपको बहुत बीमार कर सकता है, क्योंकि संक्रमण के प्रति आप अधिक संवेदनशील होती हैं। कहीं बाहर खाना खाते समय भी पनीर से बने व्यंजनों जैसे टिक्का और कच्चे पनीर के सैंडविच आदि के सेवन से बचें, क्योंकि पनीर ताजा है या नहीं, यह बता पाना मुश्किल हो सकता है।
  • सफेद, फफुंदीदार पपड़ी वाली चीज़ जैसे ब्री और कैमेम्बर्ट या फिर नीली (ब्लू वेन्ड)चीज़। इसके अलावा भेड़ या बकरी आदि के दूध से बनी अपाश्च्युरिकृत मुलामय चीज से भी दूर रहें। इन सभी तरह की चीज़ में लिस्टीरिया जीवाणु होने का खतरा रहता है, जिससे लिस्टिरिओसिस नामक संक्रमण हो सकता है। यह संक्रमण आपके अजन्मे शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • कच्चे या अधपके मांस में ऐसे परजीवी (पैरासाइट) हो सकते हैं जो टोक्सोप्लाज्मोसिस पैदा करते हैं। यह एक ऐसी बिमारी है जो गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताएं पैदा कर सकती है। कच्चे या अधपके मांस से साल्मोनेला भोजन विषाक्तता भी हो सकती है। सभी मांसाहारी भोजनों को तब तक पकाएं जब तक उनमें से साफ रस निकलने न लगे और जरा सा भी गुलाबी हिस्सा न बचे। साथ ही, रेडिमेड भेजनों को भी अच्छे से पकाएं।
  • कच्चे समुद्री भोजन जैसे कि कस्तूरा मछली (ओएस्टर) या बिना पकी सुशी। कच्ची सीपदार मछ​ली, कस्तूरा और झींगा में जीवाणु (बैक्टीरिया) और विषाणु (वायरस) हो सकते हैं। सुशी को यदि तैयार करने से पहले प्रशीतित (फ्रोजन) नहीं किया गया है तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें परजीवी कीड़े हो सकते हैं। प्रतिष्ठित दुकानों और रेस्टोरेंट में मिलने वाली सुशी अधिकांशत: सुरक्षित होती है, मगर यदि आपको संशय हो तो बेहतर है कि इसके सेवन से बचें।
  • कच्चे या अधपके अंडे। कुछ अंडों से साल्मोनेला भोजन विषाक्तत हो सकती है। बेहतर है कि कच्चे अंडे से बने भोजनों का सेवन न किया जाए, जैसे कि घर पर बनी मेयोनीज़। बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए अंडे को तब तक पकाएं जब तक की जर्दी और सफेदी ठोस न हो जाए। इसका मतलब है कि हल्के उबाले हुए, पोच्ड, सनी साइड अप या टपकते हुए अंडों का सेवन न करें। अच्छी तरह पके हुए ठोस अंडे ही खाएं।
  • शार्क और स्वोर्डफ़िश जैसी बड़ी परभक्षी मछलियों का सेवन न करें, क्योंकि उनमें पारे (मर्क्युरी) की असुरक्षित मात्रा हो सकती है। ये मछलियां संदूषित जल से पारा समाहित कर लेती हैं। यह पारा उनकी मांसपेशियों में मौजूद प्रोटीन से चिपक जाता है और मछली के पकने के बाद भी वहीं बना रहता है।शार्क, स्वोर्डफिश और मार्लिन में मर्क्युरी का स्तर बहुत ही ज्यादा होता है, जो शिशु के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। टूना मछली में भी मर्क्युरी होती है, इसलिए बेहतर है कि हर हफ्ते मध्यम माप के चार कैन या दो ताजी टूना स्टीक से ज्यादा न खाएं।
  • कलेजी और कलेजी के उत्पाद जैसे कि पाके, लीवर सॉसेज और मछली के तेल के अनुपूरकों का सेवन न करें। कलेजी में बहुत अधिक मात्रा में रेटिनॉल (पशुओं से मिलने वाला विटामिन ए) हो सकता है। इसके अत्याधिक सेवन से गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है।
  • मादक पेय। गर्भावस्था के दौरान शराब छोड़ देनी चाहिए। यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि गर्भावस्था में कितनी मात्रा में शराब का सेवन सुरक्षित है। मगर, हम यह जानते हैं कि ​आप जितनी ज्यादा शराब पीती हैं, शिशु में दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा उतना ही ज्यादा होता है। पहली तिमाही में शराब के सेवन से गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। इसीलिए विशेषज्ञों की सलाह है कि प्रेगनेंसी में एल्कोहॉल का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिए।
  • प्रतिदिन 200 मि.ग्रा. से अधिक कैफीन का सेवन न करें। यक दो बड़े कप चाय या इंस्टेंट कॉफी के बरा​बर है। सोडायुक्त पेय और एनर्जी ड्रिंक्स में भी कैफीन होता है, इसलिए पेय चुनने से पहले उनके लेबल को अच्छी तरह देख लें। आप इनकी बजाय कैफीनरहित पेय ले सकती हैं।
कुछ शोधों के अनुसाद अत्याधिक पकाए गए स्टार्चयुक्त भोजनों को कम जन्म ​वजन शिशु के साथ जोड़ा गया है। ऐसा प्राकृतिक रसायन एक्राइलामाइड की वजह से होता है, जो कि आलू या ब्रेड को उच्च तापमान पर तलने, बेक करने, भूनने या ​ग्रिल करने पर बनता है।

आपको और शिशु को एक्राइलामाइड के क्या जोखिम हैं, इसे लेकर और शोध की आवश्यकता है। लेकिन अपने आहार में एक्राइलामाइड के स्तर को कम करने के कई आसान तरीके हैं, जिन्हें आप आजमा सकती हैं:
  • स्टार्चयुक्त भोजनों को जरुरत से ज्यादा न पकाएं। उदाहरण के तौर पर आलू और चिप्स को केवल केवल हल्का रंग लेने तक तलें और टोस्ट भी ज्यादा गहरा न करें इसे हल्का भूरा ही रहने दें।
  • पहले से तैयार भोजनों को, जिन्हें केवल तलने या ओवन में गर्म करने की जरुरत होती है तो उनके बारे में पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
  • कोशिश करें कि बहुत ज्यादा पैकेट बिस्किट या रेडिमेड भोजन न खाएं, क्योंकि एक्राइलामाइड प्रसंस्कृत भोजनों में भी पाया गया है।
आलूओं को कम रोशनी, ठंडी और सूखी जगह पर रखें, इन्हें फ्रिज में स्टोर न करें। फ्रिज में रखने से इनमें शर्करा का स्तर बढ़ सकता है, जिससे तलने, बेक करने या भूनने पर इनमें एक्राइलामाइड का स्तर बढ़ जाता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान मुझे अनुपूरक लेने चाहिए?

शिशु को विकसित करने के लिए आपके शरीर को विविध पोषण चाहिए होता है। आपको इनमें से अधिकांश पोषण अपने भोजन से मिल सकता है, मगर कुछ जरुरी पोषक तत्वों के लिए आपको प्रसवपूर्व अनुपूरक लेने की जरुरत होती है।

मिचली या खाद्य पदार्थों की ओर विमुखता से गर्भावस्था के दौरान सही भोजन कर पाना मुश्किल हो सकता है। इसलिए विटामिन और खनिज के पूरक (सप्लीमेंट) लेना अच्छा विचार है। इससे आपको सभी जरुरी विटामिन और खनिज पाने में मदद मिलेगी।

फॉलिक एसिड विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। डॉक्टर कम से कम गर्भावस्था के 12वें सप्ताह तक सप्लीमेंट के तौर पर फॉलिक एसिड लेने की सलाह देती हैं। इस बी विटामिन की कमी को शिशु में स्पाइना बिफिडा जैसे न्यूरल ट्यूब जन्म दोष होने के साथ जोड़ा गया है।

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया होना आम है। इसी कारण से दूसरी तिमाही की शुरुआत से नियमित तौर पर आयरन पूरक लेने की सलाह दी जाती है। दूसरी तिमाही से कैल्शियम अनुपूरक भी शुरु कर दिए जाते हैं।

डॉक्टर आपके विटामिन डी के स्तर की भी जांच करेंगी। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर आपके विटामिन डी के स्तर में सुधार करने के लिए अनुपूरक लेने की सलाह देंगी, जिससे समस्याओं से ​बचाव हो सकें। विटामिन डी की जरुरत के बारे में यहां और अधिक पढ़ें।

अपने आहार के बारे में डॉक्टर से सलाह लें, अगर:
  • आप शुद्ध शाकाहारी हैं
  • आपको गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज) है
  • आपको एनीमिया है
  • आपको थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं हैं
    आपको उच्च रक्तचाप (जैस्टेशनल हाइपरटेंशन) है
  • आपने पहले कम जन्म वजन के शिशुओं को जन्म दिया है

इन स्थितियों में आपको अतिरिक्त विटामिन और खनिज की जरूरत होगी और हो सकता है आपको एक विशेष भोजन योजना का पालन करना पड़े।

याद रखें, किसी चीज का अधिक होना हमेशा बेहतर नहीं होता। विटामिन और खनिज की बहुत अधिक खुराक लेना शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। हमेशा कोई भी दवा या गोली लेने से पहले अपनी डॉक्टर से सलाह ज़रूर करें, भले ही गोलियां हर्बल हों।

यदि आप मल्टीविटामिन गोली लेती हैं, तो सुनिश्चित करें कि डॉक्टर द्वारा विशेषकर गर्भावस्था के लिए बताई गई गोली ही लें। अन्य मल्टीवि​टामिनों में रेटिनॉल हो सकता है, ​जो कि गर्भस्थ शिशुओं के लिए जानलेवा हो सकता है। गर्भावस्था के मल्टीवि​टामिन अनुपूरकों में कैरोटीन होता है, यह पौधों पर आधारित विटामिन ए है, जो अजन्मे शिशु के लिए सुरक्षित है।

शाकाहारी या वीगन होने पर मैं स्वस्थ आहार का सेवन कैसे कर सकती हूं?

यदि आप शाकाहारी है, तो आप शायद काफी फल और सब्जियों का सेवन कर रही होंगी। इनमें बहुत से ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु को स्वस्थ ढंग से विकसित होने के लिए जरुरी होते हैं। मगर, शाकाहारी आहार में प्रोटीन और आयरन की कमी हो सकती है। गर्भावस्था में एनीमिया से बचने के लिए आहार में पर्याप्त आयरन होना जरुरी है।

अपने भोजन के साथ चाय या कॉफी न लें, क्योंकि इससे शरीर सब्जियों से मिलने वाला आयरन अच्छे से समाहित नहीं कर पाता। इसकी बजाय विटामिन सी से भरपूर भोजन या पेय लें, जैसे कि संतरे के रस या ​नींबू पानी। इससे आपके शरीर को आयरन के समाहन में मदद मिलेगी।

सुनिश्चित करें कि आप प्रोटीन के शाकाहारी स्त्रोतों का दिन में कई बार सेवन करें। आयरन के बहुत से अच्छे शाकाहारी स्त्रोत हैं। मगर शाकाहारी भोजनों से मिलने वाले आयरन का समाहन शरीर के लिए मुश्किल होता है। इसलिए आपको और अधिक आयरन से भरपूर भोजन खाने की आवश्कता होती है।

वीगन आहार वाले कोई भी पशु आधारित उत्पाद नहीं खाते, इनमें मांस, मछली, चिकन, अंडे, डेयरी उतपाद और शहद शामिल है। यदि आप विविध तरह के वीगन आहार लेती हैं और अपने आहार में प्रमुख पोषक तत्व शामिल करें तो आपको और शिशु को जरुरी पोषण मिल सकता है।

कुछ मामलों में आपको विशेष आहार, फोर्टिफाइड फूड या अनुपूरकों का सेवन करना होगा, ताकि आपको जरुरी पोषण मिल सके। डॉक्टर को अपने खाने की आदतों के बारे में बताएं, ताकि वे इसे देखते हुए आपको डाइटिशियन के पास जाने की सलाह दे सकें।

गर्भावस्था में मेरा कितना वजन बढ़ना चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान औसतन करीब 10 और 12.5 किलोग्राम के बीच वजन बढ़ना चाहिए। हालांकि, सभी महिलाओं में एक समान वजन नहीं बढ़ता। अपनी गर्भावस्था में आपका वजन कितना बढ़ता है, यह कई कारणों पर निर्भर करता है। जैसे कि आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और आपका आहार ऐसे ही दो कारण हैं। आपकी उम्र, जातीयता और एक्सरसाइज स्तर का भी अगले नौ महीने में शरीर में आने वाले बदलावों पर असर डालती हैं।

इसलिए स्वस्थ आहार खाने की ओर ध्यान दें और वसा और शर्करा का कम मात्रा में उपभोग करें। इससे स्वस्थ वजन वृद्धि में मदद मिलेगी।

जब आपका वजन बढ़ता है, तो इसके साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि वजन कितनी मात्रा में बढ़ा है। हो सकता है पहली तिमाही में आपका वजन कुछ ज्यादा नहीं बढ़े। फिर दूसरी तिमाही में इसमें निरंतर वृद्धि होनी चाहिए। तीसरी तिमाही में आपका वजन सबसे अधिक बढ़ता है, क्योंकि गर्भ में आपका शिशु भी सबसे ज्यादा इसी तिमाही में सबसे ज्यादा बढ़ता है।

यदि आपका वजन सामान्य से ज्यादा है या कम है, तो डॉक्टर आपको विशेष आहार की सलाह दे सकती हैं और वे आपकी प्रेगनेंसी पर नजदीकी नजर रखेंगी।।

क्या मैं गर्भावस्था के दौरान अपनी अस्वस्थ भोजन की लालसाओं को पूरा कर सकती हूँ?

कभी-कभार मनचाही चीजें खाना ठीक है, आप गर्भवती हैं, इसलिए आपको अपने सभी पंसदीदा खाद्य पदार्थ छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। वसा, नमक और चीनी से भरपूर भोजन और स्नैक्स की मात्रा कम से कम ही रखनी चाहिए।
  • ऐसी खाद्य पदार्थ कम मात्रा में खाने के लिए खुद को समझाएं। पूरी कटोरी आइसक्रीम खाने की बजाय केवल एक स्कूप ही लें या पूरी चॉकलेट खाने की बजाय एक टुकड़ा ही लें। ऐसे भोजन कम मात्रा में लेने के लिए आप छोटी प्लेट में इन्हें ले सकते हैं।
  • लालसाओं को शांत करने के लिए आप इनके स्वस्थ विकल्प चुन सकती हैं। वसा और चीनी युक्त मिठाई खाने की बजाय आप ठंडी फ्रूट सलाद, कम वसा वाला फ्रोजन योगर्ट या कम चीनी या कम वसा वाली आइसक्रीम आदि।
  • कैलोरी से भरपूर सोडायुक्त पेय लेने की बजाय ठंडा जूस या ठंडा नींबू पानी ले सकती हैं।
यदि आपकी मिट्टी, गीली मिट्टी, कोयला, साबुन-डिटर्जेंट, तारकोल, चॉक, राख या सिगरेट बट खाने की तीव्र इच्छा हो तो इस बारे में अपनी डॉक्टर से अवश्य बात करें। गैर खाद्य पदार्थों के सेवन की लालसा, जिसे पाईका कहते है, यह पोषण की कमी आदि किसी स्वास्थ्य समस्या की तरफ इशारा हो सकती है।

आपको या गर्भस्थ शिशु को प्रभावित करने वाली किसी पुरानी शारीरिक या मानसिक समस्या के लिए डॉक्टर से जांच करवा लेना बेहतर है। इन भावनाओं के बारे में डॉक्टर से बात करने से ही आपको इनसे स्वस्थ ढंग से निपटने में मदद मिल सकती है।

क्या गर्भावस्था के दौरान डाइटिंग ठीक है?

नहीं। गर्भावस्था के दौरान डाइटिंग करना आपके और आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। खाने का परहेज करने से आपके शरीर में आयरन, फॉलिक एसिड तथा अन्य महत्वपूर्ण विटामिन एवं खनिज की मात्रा कम हो सकती है।

वज़न का बढ़ना स्वस्थ गर्भावस्था के सबसे सकारात्मक संकेतों में से एक है। वे महिलाएं, जो अच्छे से भोजन करतीं हैं और जिनका वज़न उपयुक्त ढंग से बढ़ता है, उनमें स्वस्थ शिशुओं को जन्म देने की अधिक संभावना होती है।

अत:, यदि आप ताज़ा व संपूर्ण भोजन कर रही हैं और आपका वज़न बढ़ रहा है, तो घबराएं नहीं। वजन में यह बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है।

यदि गर्भावस्था से पहले आपका वजन सामान्य से ज्यादा था, तो गर्भावस्था में अपनी वजन वृद्धि के बारे में डॉक्टर से सलाह लें।

गर्भावस्था रेसिपी और डाइट चार्ट

आप शायद जरुरी पोषक ​तत्वों से भरपूर पौष्टिक आहार के सेवन का प्रयास कर रही होंगी। मगर हर बार ऐसा भोजन बना पाना मुश्किल होता है जो सेहतमंद भी हो और स्वादिष्ट भी।

अच्छी बात यह है कि हमारे पास आपके लिए पोषण से समृद्ध बहुत सी जायकेदार रेसिपी हैं, जिनमें रैप्स और भरवां परांठों से लेकर स्वस्थ डेजर्ट आदि बहुत कुछ है।

आपको दफ्तर के टिफिन के लिए और पार्टी के लिए शराबमुक्त पेयों के बहुत से विकल्प मिलेंगे।

प्रेगनेंसी रेसिपी का हमारा पूरा संग्रह यहां देखें।

मील प्लानिंग आसान बनाने के लिए हमारे तिमाही दर तिमाही डाइट चार्ट भी देखें।

अपना मत दें

अपने गर्भस्थ शरीर के बारे में ऐसी एक चीज क्या है जो आपको पसंद नहीं है। अपना वोट दें!

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हमारे लेख पढ़ें:
  • क्या मुझे गर्भावस्था में संपूर्ण दूध और घी अपने आहार में शामिल करना चाहिए?
  • क्या गर्भावस्था के दौरान शराब पीना सुरक्षित है?
  • गर्भावस्था के दौरान नारियल पानी पीने के क्या फायदे हैं?

References

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गर्भ में बच्चे की ग्रोथ के लिए क्या खाएं?

प्रेग्‍नेंसी में इन फूड्स को खाने से पेट में ताकतवर हो जाता है बच्‍चा, आज से ही शुरू कर दें खाना.
​अंडे मां और बच्‍चे दोनों के लिए प्रोटीन और अमीनो एसिड के मामले में अंडे सबसे बेहतरीन स्रोत होते हैं। ... .
​डेयरी प्रोडक्‍ट्स प्रेगनेंट महिलाएं रोज दूध, दही और छाछ पिएं। ... .
​बींस ... .
​हरी पत्तेदार सब्जियां ... .
​गाजर और टमाटर ... .
​बीज और मसाले.

बेबी की ग्रोथ कैसे बढ़ाए?

बच्चे की डाइट में ये 5 चीजें जरूर शामिल करें..
1- दूध- बच्चे के लिए सबसे जरूरी आहार दूध है. ... .
2- सोयाबीन- बच्चे की लंबाई बढ़ाने के लिए आपको डाइट में प्रोटीन भरपूर चीजें खिलानी चाहिए. ... .
3- अंडे- बच्चे को रोज एक अंडा जरूर खिलाएं. ... .
4- हरी सब्जियां- बच्चों के खाने में आपको हरी पत्तेदार सब्जियां भी शामिल करनी चाहिए..

दुबले पतले बच्चे को मोटा कैसे किया जाए?

केला बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए केला सबसे कारगर है। ... .
अंडा अंडे को प्रोटीन का बेस्ट सोर्स कहा जाता है। ... .
एवोकाडो एवोकाडो सबसे कम पसंद किया जाता है लेकिन आपको बच्चों को यह फल जरूर खिलाना चाहिए। ... .
देसी घी देसी घी भी वेट गेन करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। ... .

प्रेगनेंसी में बच्चे की ग्रोथ क्यों नहीं होती?

अगर आप प्रेग्‍नेंसी में कम खाना खाती हैं तो इस वजह से शिशु पर्याप्‍त पोषण पाने से वंचित रह सकता है। भ्रूण को स्‍वस्‍थ रखने के लिए मां को बेड रेस्‍ट यानि पूरी तरह से आराम करने की सलाह भी दी जा सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में जल्‍दी डिलीवरी करवाने की भी जरूरत पड़ सकती है।