तिब्बत में खेती की ज़मीन की क्या स्थिति है?’ल्हासा की ओर’ पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए। Show तिब्बत में खेती की ज़मीन छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है। इन जमीनों का एक बड़ा हिस्सा जागीरों (मठों) के हाथ में है। अपनी-अपनी जागीर में से हर जागीरदार खुद भी कुछ खेती कराता है। इसके लिए उन्हें मजदूरों को मेहनताना नहीं देना पड़ता है। खेती का इंतजाम देखने के लिए जिन भिक्षुओं को भेजा जाता है जो जागीर के आदमियों के लिए राजा जैसा होता है। इन भिक्षुओं और जागीरदारों पर ही खेती कराने की जिम्मेदारी होती है। Concept: गद्य (Prose) (Class 9 A) Is there an error in this question or solution? तिब्बत की जमीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है । इन जागीरों का बहुत ज़्यादा हिस्सा मठों (विहारों) के हाथ में है । अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है, जिसके लिए मज़दूर बेगार में मिल जाते हैं । खेती का इंतज़ाम देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए राजा से कम नहीं होता । शेकर की खेती के मुखिया भिक्षु (नम्से) बड़े भद्र पुरुष थे । वह बहुत प्रेम से मिले, हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था । यहाँ एक अच्छा मंदिर था; जिसमें कन्जुर (बुद्धवचन-अनुवाद) की हस्तलिखित 103 पोथियाँ रखी हुई थीं, मेरा आसन भी यहीं लगा । 1. तिब्बत की जमीन की क्या विशेषता है ? 2. खेती का इंतजाम देखने के लिए किसे भेजा जाता है ? 3. शेकर की खेती के मुखिया कौन थे ? 4. हस्तलिखित में कौन-सा समास है ? केन्द्रीय विद्यालया, अशोक नगर चेन्नै आवधिक परीक्षा (प्रथम) प्रश्न – पत्र, 2017-18 कक्षा – नवीं विषय – हिंदी अधिकतम
अंक – 40 निर्धारित समय – 1.30 घंटे खंड – क आज समाज में नारी की स्थिति में पुराने समय से काफी बदलाव आया है | प्राचीनकाल में नारी को देवी मानकर पूजनीय बताया गया है ,पर मध्यकाल में नारी की काफी दुर्दशा हुई | उसे घर की चारदीवारी तक
सीमित कर दिया गया| पुरुष वर्ग ने उसे अपने कठोर नियंत्रण में रखने का भरपूर प्रयास किया |यह एक प्रकार से नारी का शोषण था | पाश्चात्य जगत में नारी स्वातंत्र्य की लहर चली | नारी मुक्ति के कई आन्दोलन चलाए गए | धीरे –धीरे यह प्रभाव भारत में भी आया| अब की नारी पुरुष के साथ कंधे–से-कन्धा मिलाकर सभी क्षेत्रों में आगे बढ रही है | वह तरक्की की सभी मंजिलें छू लेने की ओर निरंतर अग्रसर है| अब उसका कार्यक्षेत्र घर तक सीमित नहीं रह गया है| नारी की स्थिति बदलने में अनेक तत्वों ने बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका का
निर्वाह किया है| पहला कारण है – नारी शिक्षा के प्रति चेतना एवं उसका प्रसार | सरकार की ओर से लड़कियों की शिक्षा को काफी प्रोत्साहन दिया गया है | अत: साक्षरता प्रतिशत काफी बढ़ गया है | 1 .किस काल में नारी की काफी दुर्दशा हुई? वक्त के इस भागते दौर में मशीनों के युग में मानव भी मशीन बन गया है भावहीन मशीन ,जो चलती है, पर लक्ष्य- हीन परिवार रूपी तेल उसके पास है पर तेल डालने का समय नहीं| बच्चों का साथ रूपी दौलत उसके पास तो है पर उसे भोगने का समय नहीं बड़ों का आशीर्वाद रूपी वृक्ष तो उसके पास है पर उस छाया में बैठने का समय नहीं कंकड़ और सीमेन्ट के महल में फंसी ये मशीन आज असहाय है जहाँ वैभव ,अंहकार और अतृप्ति के शत्रुओं ने जंग लगाया है| इस भागते दौर में मानव सिर्फ मशीन ही बन पाया है | 1 मानव को मशीन क्यों कहा गया है ? 2 मानव की असली दौलत क्या है ?
खंड –ख III. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए – 4
खंड – ग
तिब्बत की जमीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीरदारों मे बंटी है| इन जागीरों का बहुत ज्यादा हिस्सा मठों (विहारों) के हात मे है| अपनी-अपनी जागीर मे हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी करता है, जिसकेलिए मजदूर बेगार मे मिल जाते हैं| खेती का इंतजाम देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए राजा से कम नहीं होता| शेखर की खेती की मुखिया भिक्षु (नस्से) बड़े भद्र पुरुष थे| वह बहुत प्रेम से मिले, हालांकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था|
1.लेखक लड्न्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण बिछुड़ गया ? 2.कांजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ? 3.दो बैलों की कथा मे बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक उभर कर आए है ? VI..निम्नलिखित “साखी” पढ़कर कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए| 4 हस्ती चढ़िए ज्ञान की, सहज दुलीचा डारि | स्वान रूप संसार है, भूंकन दे झख मारि ||
VII.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए – 2+2+2= 6
VIII. पूरक पुस्तिका ‘कृतिका’ के आधार पर उत्तर लिखिए – 4 लेखक ने ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे और क्यों कहा है ? उदाहरण देकर समझाइए| खंड – घ
किसी समाचार–पत्र के सम्पादक को पत्र लिखकर बताइए कि आपके शहर में वर्षा के कारण सड़कों पर जहां-तहां गड्डे हो गए हैं आवागमन में कठिनाई हो रही है | Post navigationतिब्बत में खेती की देखरेख का उत्तरदायित्व किसका है?खेती का इंतजाम देखने के लिए जिन भिक्षुओं को भेजा जाता है जो जागीर के आदमियों के लिए राजा जैसा होता है। इन भिक्षुओं और जागीरदारों पर ही खेती कराने की जिम्मेदारी होती है।
तिब्बत में खेती कौन करता है?तिब्बत में खेती करने की अधिकतर जिम्मेदारी भिक्षुओं और जागीरदारों के हाथ में होती है। तिब्बत में खेती की जमीन छोटे-बड़े जागीरदारों में बंटी होती है। यह जागीर मठों के नियंत्रण में होती है। जागीर यानी मठ से हर जागीरदार कुछ ना कुछ खेती करता रहता है।
तिब्बत में खेती का प्रबंध देखने वाले भिक्षुओं की क्या स्थिति है?समय-समय पर खेती का प्रबंध देखने के लिए भिक्षु आते रहते हैं, जिन्हें राजा के समान आदर मिलता है। शेकर विहार की खेती के मुखिया भिक्षु नम्से बड़े ही भद्र पुरुष थे। लेखक को भिखमंगों के वेश में देखकर भी शंकर की खेती के मुखिया भिक्षु (नम्से) उनसे बहुत प्रेम से मिले।
तिब्बत की जमीनों पर खेती का काम कौन करता है?1. तिब्बत की जमीन छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है । इन जागीरों का बहुत ज्यादा हिस्सा मठों के हाथों में है । बॅटी हुई जमीनों में जागीरदार खेती करवाता है ।
|