पुरुषों के लिए कान छिदवाने के क्या फायदे हैं? - purushon ke lie kaan chhidavaane ke kya phaayade hain?

नए जमाने में इयर पियरर्सिंग यानी कान छिदवाने का इतना क्रेज है कि लड़कियों के साथ साथ पुरुष भी कान छिदवाते हैं। ये भले ही आजकल फैशन की बात हो लेकिन सनातन धर्म में कान छिदवाने यानी कर्णछेदन को 16 संस्कारों में स्थान दिया गया है। ज्योतिष में कान छिदवाने का ज्योतिषीय महत्व बताया गया है और साथ ही नाराज राहू और केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए भी कान छिदवाने का लॉजिक बताया गया है। 

 

कुंडली में अगर राहु और केतु की स्थिति खराब है, वे गलत स्थान पर बैठे हैं और जीवन पर बुरा प्रभाव ही डालेंगे। ऐसे में ज्योतिषीय उपाय के तौर पर कान छिदवाने की सलाह दी जाती है जिससे जातक पर राहु-केतु के दुष्प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है। 

 

आमतौर पर राहू और केतु कुंडली में अगर अशुभ प्रभाव डालते हैं तो जीवन पर बुरा असर पड़ता है। असफलता हाथ लगती है, मानसिक तनाव, गलत निर्णय़,भ्रम की स्थिति के साथ साथ नकारात्मक शक्तियां भी हावी होती हैं। 

 

ऐसे में राहु केतु के असर को कम करने के लिए कान में छेद करवाने की सलाह दी जाती है और कम से कम 43 दिनों तक दोनों कानों में तार डालकर रहने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष में ऐसा कहा जाता है कि इससे कान के छेद के जरिए राहु और केतु के बुरे असर निकल जाते हैं। यह राहू औऱ केतु को प्रसन्न करने का भी उपाय कहा जाता है। 

 

ज्योतिष में कहा जाता है कि कर्ण छेदन संस्कार से बुरी शक्तियों का नाश होता है औऱ जातक निरोगी और लंबी उम्र पाता है। दिमाग तेज होने के साथ साथ निर्णय़ लेने की क्षमता में भी इजाफा होता है।

 

हिंदू धर्म में कई घरों में घर की सबसे बड़ी संतान के कर्ण छेदन की परंपरा है। 

 

ज्योतिष कैलेंडर में हर साल कान छेदने यानी कर्ण छेदन के लिए भी बाकायदा शुभ मुहुर्त निकाले जाते हैं। 

 

कान छिदवाने के ज्योतिषीय फायदों के साथ साथ कुछ सेहत संबंधी फायदे भी हैं जैसे कान छिदने से तनाव कम होता है और लकवा जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

 

कान छिदवाने से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है जिससे दिमाग तेज चलता है। पुरुषों के द्वारा कान छिदवाने से उनमें होने वाली हर्निया की बीमारी खत्म होने की बात भी कही जाती है, हालांकि इस संबंध में पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

 

डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों में से एक कर्ण वेध संस्कार का उल्लेख मिलता है। इसे उपनयन संस्कार से पहले किया जाता है। विशेष मुहूर्त में कान छिदवाने के बाद उसमें सोने का तार पहना जाता है। कान पके नहीं इसके लिए हल्दी को नारियल के तेल में मिलकर तब तक लगाएं तब तक की छेद अच्छे से फ्री ना हो जाए। दोनों ही कान छिदवाना चाहिए। आओ जानते हैं कान छिदवाने के लाल किताब अनुसार 5 फायदा और वैज्ञानिकों के अनुसार 5 फायदे।

लाल किताब के अनुसार फायदे :

1. कान छिदवाने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव का असर खत्म होता है। जीवन में आने वाले आकस्मिक संकटों का कारण राहु और केतु ही होते हैं।

2. इसे मंदा केतु जब ठीक हो जाता है तो संतान पक्ष से भी व्यक्ति को कई कठिनाई नहीं होती है। धर्म के अनुसार इससे संतान स्वस्थ, निरोगी रोग और व्याधि मुक्त रहती है।

3. लाल किताब के अनुसार केतु और चंद्र की नहीं पटती है। यदि आपने कान में चांदी पहन रखी है तो यह नुकसान दायक होगी।

4. लाल किताब के अनुसार कानों में सोना पहनने से गुरु का साथ मिल जाता है। यह जंगल में भी मंगल कर देता है। यह भी कहा जाता है कि इससे बुरी शक्तियों का प्रभाव दूर होता है और व्यक्ति दीर्घायु होता है।

5. मंदा केतु पैर, कान, रीढ़, घुटने, लिंग, किडनी और जोड़ के रोग पैदा कर सकता है। इसे मन में मतिभ्रम और हमेशा किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इससे व्यक्ति के भीतर अपराधी प्रवृत्ति भी जन्म ले सकती है। ऐसे में कान छिदवाने से से यह सभी समस्या दूर हो जाती है।

1- कहते हैं कि कान छिदवाने से सुनने की क्षमता बढ़ जाती है।

2- कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

3- कान छिदने से तनाव भी कम होता है।

4- कान छिदने से लकवा जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

5- पुरुषों के द्वारा कान छिदवाने से उनमें होने वाली हर्निया की बीमारी खत्म हो जाती है।

6- यह भी कहा जाता है कि पुरुषों के अंडकोष और वीर्य के संरक्षण में भी कर्णभेद का लाभ मिलता है।

7. इससे मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे दिमाग तेज चलता है।

8. कान छिदवाने से मेधा शक्ति बेहतर होती है तभी तो पुराने समय में गुरुकुल जाने से पहले कान छिदवाने की परंपरा थी।

नई दिल्‍ली: कान छिदवाने या कर्णभेद संस्‍कार को सनातन धर्म में 16 संस्‍कारों में से एक माना गया है. हालांकि लड़कियों के कान तो कमोबेस हर धर्म-जाति के लोगों में छिदवाए जाते हैं लेकिन लड़कों के कान छिदवाने की परंपरा कुछ ही जगहों पर निभाई जाती है. हालांकि अब फैशन के चक्‍कर में लड़कों में भी पियर्सिंग कराने का चलन चल पड़ा है. इस बीच यह जानना जरूरी है कि लड़कों का कान छिदवाना या शरीर के किसी अन्‍य अंग पर पियर्सिंग कराना कितना सही है. 

कान छिदवाने के शुभ-अशुभ असर 

16 संस्‍कारों के तहत कान छिदवाने की परंपरा 9 वें नंबर पर आती है. यहां तक कि जब भगवानों ने अवतार लिया है, तब उनके भी कर्णभेद संस्‍कार हुए हैं. बल्कि पुराने समय में तो राजा-महाराजा समेत सभी पुरुषों का कर्णभेद संस्‍कार किया जाता था लेकिन अब ये परंपरा केवल कुछ ही जगहों पर निभाई जाती है. 

- कान छिदवाने से मस्तिष्क में रक्त का संचार सही तरीके से होता है और इससे व्‍यक्ति की बौद्घिक योग्यता बढ़ती है. इसलिए बचपन में ही कान छिदवा दिए जाते हैं ताकि शिक्षा शुरू होने से पहले ही बच्‍चे की मेधा शक्ति बढ़ जाए. 

- कान‍ छिदवाने से लकवा या पैरालिसिस नहीं होता है. पुरुषों के मामले में बात करें तो यह फर्टिलिटी के लिहाज से बहुत अच्‍छा होता है. 

- इसके अलावा कान छिदवाने से चेहरे पर ग्‍लो भी बना रहता है. 

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...लेकिन बॉडी पियर्सिंग है खतरनाक 

वहीं कान-नाक के अलावा शरीर के किसी अन्‍य हिस्‍से में पियर्सिंग कराना खतरनाक साबित हो सकता है. आजकल तो लोग जीभ, पेट, आईब्रो समेत शरीर के तकरीबन हर हिस्‍से में पियर्सिंग करा रहे हैं जो कि गलत है. इन जगहों पर पियर्सिंग कराना खून में संक्रमण का कारण बन सकता है. इसके अलावा किसी तरह की एलर्जी हो सकती है. नसों में यदि सुई चुभ जाए तो ढेर सारा खून बह सकता है. यहां तक कि पियर्सिंग के आसपास की तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने से आसपास का हिस्‍सा हमेशा के लिए मृत हो सकता है, वहां बड़े दाग बन सकते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

लड़कों के कान छिदवाने से क्या होता है?

कान छिदवाने से मस्तिष्क में रक्त का संचार सही प्रकार से होता है। इससे बौद्धिक योग्यता बढ़ती है। मान्यता के अनुसार कान छिदवाने से व्यक्ति के रूप में निखार आता है। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।

लड़के को कौन सा कान छिदवाना चाहिए?

ब्राह्मण और वैश्य का कर्णवेध चांदी की सुई से, शुद्र का लोहे की सुई से तथा क्षत्रिय और संपन्न पुरुषों का सोने की सुई से करने का विधान है।

कान क्यों छिदवाना चाहिए?

कान छिदवाने के फायदे- - कहते हैं कि कान छिदवाने से सुनने की क्षमता बढ़ जाती है। - कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज होती है। - कान छिदने से तनाव भी कम होता है। - कान छिदने से लकवा जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

कान में कुंडल पहनने से क्या होता है?

कान में अलंकार धारण करने से कान की सात्विकता बढ़ती है और सूक्ष्म-नाद ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ती है । कान में धारण किए जाने वाले अलंकारों से कान के चारों ओर चैतन्य का सुरक्षा-कवच निर्मित होता है तथा नाद तरंगों के माध्यम से आक्रमण करने वाली अनिष्ट शक्तियों से कानकी रक्षा होती है।