पर्यावरण प्रौद्योगिकी (ऍनवायरोटेक के रूप में संक्षेपित) या हरित प्रौद्योगिकी (ग्रीनटेक के रूप में संक्षेपित) या स्वच्छ प्रौद्योगिकी (क्लीनटेक के रूप में संक्षेपित) प्राकृतिक पर्यावरण और संसधानों के संरक्षण और मानव हस्तक्षेप के फलस्वरूप हुए नकारात्मक प्रभावों को रोकने हेतु पर्यावरणीय विज्ञान का एक अनुप्रयोग है। सतत विकास ही पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। Show
उदाहरण[संपादित करें]
पुनर्चक्रण[संपादित करें]पुनर्चक्रण एक विश्वव्यापी घटना है, यह हरित प्रौद्योगिकी के अंतर्गत किया जाने वाला प्राथमिक अनुप्रयोग है। यह लोगों को पुनः प्रयोग की जा सकने वाली वस्तुओं का पुनर्प्रयोग प्रदर्शित करती है व उन्हें इसके लिए प्रेरित करती है। शासकीय संस्थाओं द्वारा भोजन अथवा पेय के डिब्बों व कागज आदि की बचत को प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिससे की उन्हें पुनर्चक्रित करके भविष्य में अन्य उपयोगों में लिया जा सके. इस प्रकार से पर्यावरण की रक्षा करते हुए प्रदूषण/कचरे को कम किया जा सकता है।[1]%akshay% जल शोधन[संपादित करें]जल शोधन: इसका मूल विचार पूरे पर्यावरण में बहने वाले जल को धूल/जीवाणु/प्रदूषण रहित करना है। पानी के शोधन की यह अवधारणा कई अन्य घटनाओं से उत्पन्न हुई है। जल प्रदूषण इस अवधारणा का मुख्य शत्रु है और दुनिया भर में जल को शोधित करने के लिए कई अभियान व गतिविधियां आयोजित की गयी हैं। वर्तमान में जल के उपयोग के परिमाण को देखते हुए, यह अवधारणा अति महत्वपूर्ण है।[2] वायु शोधन[संपादित करें]वायु शोधन: मूलभूत व साधारण हरे पौधों को वायु को स्वच्छ करने के लिए घर के अन्दर भी उगाया जा सकता है क्योंकि सभी पौधे CO2 को हटा कर उसे ऑक्सीजन में परिवर्तित करते हैं। इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं: डाइपसिस ल्यूटेसेन्स, सान्सेवीरिया ट्रीफैसीयाटा तथा एपीप्रेम्नम ऑरेयम .[3] मलजल प्रशोधन[संपादित करें]मलजल प्रशोधन की अवधारणा जल शोधन के बहुत निकट है। चूंकि यह जल में प्रदूषण के स्तर को कम करता है इसीलिए मलजल प्रशोधन एक बहुत महत्वपूर्ण अवधारणा है। जल जितना अधिक प्रदूषित होता है उतना ही अधिक अनुपयोगी होता है, जिन क्षेत्रों में पानी का अधिक उपयोग होता है, वहां न्यूनतम प्रदूषित जल की आपूर्ति की जाती है। यह पर्यावरण संरक्षण, सततता आदि अन्य अवधारणाओं के लिए मार्ग खोलता है।[4] पर्यावरण उपचारिकरण[संपादित करें]पर्यावरण के सामान्य संरक्षण के लिए प्रदूषकों व संदूषकों को हटाये जाने को पर्यावरण उपचारिकरण कहा जाता है। यह विभिन्न रासायनिक, जैविक तथा बड़े परिमाण के अंतरण की प्रणालियों के द्वारा किया जाता है, इसके साथ ही पर्यावरण की निगरानी भी की जाती है। (एनसाइक्लोपीडिया ऑफ मेडिकल कनसेप्ट्स)[5] ठोस अपशिष्ट प्रबंधन[संपादित करें]ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट के शुद्धिकरण, उपभोग, पुनर्प्रयोग, प्रशमन तथा उपचार को कहा जाता है जिसकी निगरानी सरकार अथवा शहर/कस्बों की शासकीय इकाइयों द्वारा की जाती है।[6] अक्षय ऊर्जा[संपादित करें]अक्षय ऊर्जा वह ऊर्जा है जिसकी पूर्ति आसानी से हो जाती है। वर्षों से हम ऊर्जा के उत्पादन के लिए लकड़ी, सूर्य, जल, आदि जैसे स्रोतों का उपयोग कर रहे हैं। ऐसी ऊर्जा जिसे प्राकृतिक साधनों जैसे लकड़ी, सूर्य, हवा जैसी वस्तुओं के द्वारा उत्पादित किया जाता है, उसे ही अक्षय माना जाता है।[7] ईगेन पूर्वानुमान[संपादित करें]ईगेन पूर्वानुमान वह प्रक्रिया होती है जिससे भविष्य में किसी इमारत पर पड़ने वाले मौसम के प्रभावों का पूर्वानुमान लगता जा सकता है।[8] मौसम के पूर्वानुमान पर ताप के आधार को समायोजित करके, यह प्रणाली अतिरिक्त ताप के प्रयोग को समाप्त कर देती है, जिसके कारण ऊर्जा का उपभोग तथा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम हो जाता है।[9] ऊर्जा संरक्षण[संपादित करें]ऊर्जा संरक्षण ऐसे उपकरणों का प्रयोग है जो ऊर्जा की कम मात्रा का प्रयोग करते हैं जिससे विद्युत् का उपभोग कम हो जाता है। विद्युत् के प्रयोग को कम करने से जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने की आवश्यकता कम हो जाती है जिनका प्रयोग उस विद्युत् का उत्पादन करने में किया जाता. वैकल्पिक और स्वच्छ ऊर्जा[संपादित करें]सिद्धांत
वैज्ञानिक हमारे वर्तमान शक्ति उत्पादन के तरीकों से अलग स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों की खोज में लगे हुए हैं। ऐनेरोबिक डाइजेशन (अवायवीय पाचन) जैसी कुछ तकनीकें अपशिष्ट पदार्थों से अक्षय ऊर्जा उतपन्न कर सकती हैं। ग्रीन हाउस गैसों में वैश्विक कमी औद्योगिक स्तर पर ऊर्जा संरक्षण तकनीकों के प्रयोग के साथ ही साथ स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन पर निर्भर है। इनमें शामिल हैं सीसा-रहित पेट्रोल, सौर ऊर्जा तथा वैकल्पिक ईंधन वाले वाहन, जिनमें प्लग-इन हाइब्रिड व हाइब्रिड विद्युत् वाहन सम्मिलित हैं। कुल उत्पादित विद्युत् का 60% भाग विद्युत् मोटरें प्रयोग कर लेती हैं,[कृपया उद्धरण जोड़ें] विकसित ऊर्जा सक्षम विद्युत् मोटर (तथा विद्युत् जनरेटर) तकनीक, जो कि लागत की दृष्टि से प्रभावशाली हों, के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जैसे कि बिना ब्रश की वाऊंड रोटर वाली डबली-फेड विद्युत् मशीनें तथा ऊर्जा की बचत के भाग, इनकी सहायता से कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) व सल्फर डाई ऑक्साइड (SO2), जो कि जीवाश्म ईंधन प्रयोग किये जाने से वातावरण में चलीं जातीं, की मात्रा में कमी लायी जा सकती है। ग्रीसस्टॉक यॉर्कटाउन हाइट्स, न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाला एक कार्यक्रम है जो पर्यावरण प्रौद्योगिकी के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे बड़ा प्रदर्शन है।[10][11][12][13][14] आलोचना[संपादित करें]चरम अतिवादी पर्यावरणवाद, जैसा कि ग्रीन ऐनार्की जैसे प्रकाशनों में परिलक्षित होता है, पर्यावरण प्रौद्योगिकी की आलोचना करता है।[कृपया उद्धरण जोड़ें] इस दृष्टिकोण से, प्रौद्योगिकी को प्रणाली के रूप में देखा जाता है न कि किसी विशिष्ट भौतिक उपकरण के रूप में. तदनुसार, प्रौद्योगिकी को संसाधनों की उत्पत्ति व निष्कर्षण के ज़रिये पर्यावरण के दोहन की आवश्यकता होती है, साथ ही इसे श्रम, विशेषज्ञता तथा श्रम के विभाजन के जरिये लोगों के दोहन की भी आवश्यकता होती है। इस प्रकार, प्रौद्योगिकी का कोई "प्राकृतिक" स्वरुप नहीं हो सकता है; इनकी उत्पत्ति हमेशा किसी सन्दर्भ में, किसी निश्चित ध्येय तथा प्रकार्य के साथ होती है। हरित प्रौद्योगिकी को इसी दोहन प्रणाली के सुधार के प्रयास के रूप में अस्वीकृत किया गया है, जिसको सिर्फ सतही रूप से पर्यावरण मैत्रिक रूप दिया जा रहा है और इसके बावजूद अरक्षणीय रूप से मानवीय तथा प्राकृतिक दोहन जारी है। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
२०वीं सदी के मध्य तक मनुष्य ने तकनीक के प्रयोग से पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलना सीख लिया था। एकीकृत परिपथ (IC) के आविष्कार ने कम्प्यूटर क्रान्ति को जन्म दिया । प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक और औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का समूह है। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है। आदिकाल से मानव तकनीक का प्रयोग करता आ रहा है। आधुनिक सभ्यता के विकास में तकनीकी का बहुत बड़ा योगदान है। जो समाज या राष्ट्र तकनीकी रूप से सक्षम हैं वे सामरिक रूप से भी सबल होते हैं और देर-सबेर आर्थिक रूप से भी सबल बन जाते हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि अभियांत्रिकी का आरम्भ सैनिक अभियांत्रिकी से ही हुआ। इसके बाद सडकें, घर, दुर्ग, पुल आदि के निर्माण सम्बन्धी आवश्यकताओं और समस्याओं को हल करने के लिये सिविल अभियांत्रिकी का प्रादुर्भाव हुआ। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ यांत्रिक तकनीकी आयी। इसके बाद वैद्युत अभियांत्रिकी, रासायनिक प्रौद्योगिकी तथा अन्य प्रौद्योगिकियाँ आयीं। वर्तमान समय कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का है। प्रौद्योगिकी का प्रभाव[संपादित करें]समाज[संपादित करें]1) प्रौद्योगिकी, व्यापार के माध्यम से लोगों तक पहुँचती हैआदमी को व्यापार से नई खोजों की उम्मीद है। समाज या राष्ट्र की आर्थिक समृद्धि लाभ के लिए व्यापार पर निर्भर करता है। 2) उपभोक्ताओं की उच्च उम्मीदजब प्रौद्योगिकी बढ़ता है तब उपभोक्ताओं की उम्मीद भी उत्पादों की विविधता, अच्छी गुणवत्ता और सुरक्षा की तरह बढ़ जाती है। 3) प्रणाली जटिलताप्रौद्योगिकी जटिलता का कारण है। आधुनिक तकनीक बेहतर है और तेजी से काम करते हैं। लेकिन अगर वे बिगड़ जाते है तो उन्हें मरम्मत करने के लिए विशेषज्ञों की सेवाओं की जरूरत है। 4) सामाजिक परिवर्तनकोई नया आविष्कार, नए रोजगार के अवसर खोल सकता है। इस के कारण श्रमिकों के लिए अवकाश के समय बढ़ जाती है। अर्थव्यवस्था[संपादित करें]1) बढ़ती उत्पादकताप्रौद्योगिकी, उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है। अनुसंधान और विकास के लिए धन का आवंटन करते समय, समय एक महत्वपूर्ण कारक है। 3) जॉब अधिक बौद्धिक हो जाते हैंनौकरियां अधिक बौद्धिक और उन्नत हो गई हैं। नौकरियों के लिए अब शिक्षित या कुशल श्रमिकों के सेवाओं की आवश्यकता है। 4) उत्पादों और संगठनों के बीच प्रतियोगिताएक नए उत्पाद की शुरूआत एक और संगठन की गिरावट का कारण है। 5) बहुराष्ट्रीय कम्पनी की स्थापनाबहुराष्ट्रीय कंपनियों की शुरूआत सबसे अच्छा उदाहरण है। शिक्षा[संपादित करें]1) एक कमरे कक्षाओं की गिरावटशिक्षा प्रक्रिया विशाल होता जा रहा है। 2) केंद्रीकृत दृष्टिकोण से पारीशिक्षा के क्षेत्र में शक्तियों का समान वितरण। 3) ई-शिक्षाइंटरनेट का उपयोग करके सीखने की प्रणाली शुरू की गई है। वातावरण[संपादित करें]1) पारिस्थितिक संतुलनप्रौद्योगिकी से पर्यावरण पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव पड़ते हैं। 2) प्रदूषणवायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आधुनिक तकनीक का उपयोग करने के कारण बढ़ गए हैं। 3) नए रोगप्रौद्योगिकी के कारण नए रोग फैल जाते है। तकनीकी क्रांति के कारण प्राकृतिक संसाधनों दुर्लभ होते जा रहे हैं। 5) पर्यावरण का विनाश और वन्यजीवनवन्यजीव प्रजातियों के विलुप्त होना पर्यावरण के लिए खतरा है। कारखाना स्तर[संपादित करें]1) संगठनात्मक संरचनाउदाहरण: लाइन ऑफ़ कमांड, स्पान ऑफ़ कण्ट्रोल आदि। 2) जोखिम का डरउदाहरण: तकनीक में परिवर्तन का डर 3) परिवर्तन के लिए प्रतिरोधकर्मचारी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में परिवर्तन का विरोध करते हैं। 4) सम्पूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन (टोटल क्वालिटी कन्ट्रोल)उदाहरण: दोष के बिना उत्पादन 5) लचीला विनिर्माण प्रणालियाँउदाहरण: असेंबली लाइन इंडस्ट्री सन्दर्भ[संपादित करें]इन्हें भी देखें[संपादित करें]
प्रोद्योगिकी हस्तांतरण वायु को शुद्ध करने के प्राकृतिक साधन कौन से हैं?एलोवेरा सूर्य की किरणों को तेजी से ग्रहण करता है. ऐरेका पाम- इस पौधे को लिविंग रूम प्लांट भी कहा जाता है. ये पौधा हवा से फार्मेल्डिहाइड, कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को दूर कर शुद्ध ऑक्सीजन देता है. घर की हवाओं की शुद्धिकरण के लिए कम से कम इसके 4 पौधे लिविंग रूम में लगाएं.
वायु का शुद्धिकरण कैसे होता है?फ़िल्टर आधारित शुद्धीकरण में वायुवाहित कणों को वायु से अलग किया जाता है। एक फ़िल्टर से हवा को बलपूर्वक पास कराया जाता है और कणों को फ़िल्टर द्वारा हवा से अलग कर दिया जाता है।
सबसे शुद्ध हवा कौन सा पेड़ देता है?देवदार की एक ख़ासियत ये भी है कि ये सदाबहार पेड़ है. इसलिए ये हर समय हवा साफ़ करने का काम करता रहता है.
2 हवा शुद्ध कौन करता हैं?पौधे वातावरण के लिए फेफड़ों का काम करते हैं। ये ऑक्सीजन छोड़ते हैं और वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड सोख कर हवा को शुद्ध बनाते हैं। पौधों की पत्तियां भी सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसे खतरनाक तत्व अपने में समा लेती हैं और हवा को साफ बनाती हैं।
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