श्रमिक संघ का क्या कार्य है? - shramik sangh ka kya kaary hai?

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नमस्कार आपने पूछा है श्रमिक संघ के कार्य बताए तो यह श्रमिक संघ जो हैं श्रमिक के भाइयों के हित में कार्य करते हैं उनके जरूरत क्या है उसके मांग क्या है उसको जो उस इंस्टिट्यूट है या संस्था है या कंपनी है जो भी है वह जो प्रबंधक वगैरह मालिक से प्रबंधक है उनकी समस्याओं को पहुंचाता और जो जैसे गवर्नमेंट श्रमिक के रूल लागू करती जाती हैं नया वेतनमान निर्धारित करती हैं उसको संघ के माध्यम से कंपनी के मालिक का क्या डायरेक्टर जो भी रहते हैं या प्रबंधक है उन तक पहुंचा सरकार में इतना रेट है निर्धारित किए हैं तो हमारी मांगों को पूरा करते हुए नए रेट पर निर्धारित किया जाए इसके अलावा अनजान कटौती की राशि रहते हैं उसका भी जानकारी प्राप्त खाता में जमा हो रहा है या नहीं हो रहा है प्रबंधन सही ढंग से जमा कर रही कि नहीं कर रही है यह भी जानकारी रखते हैं और किसी समय के माने दुर्घटना में कोई शारीरिक रूप से क्षति हो जाए या किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके परिवार वालों को भी परिवार के सदस्यों को उनका प्रात है जो दृश्य वगैरा की राशि हैं उसके कटौती की राशि मिलना चाहिए इन सब चीजों की जानकारी भी संघ के द्वारा रखा जाता है और उसको जो पात्र है उसको उपयुक्त सहायता राशि दिलाई जाती हैं अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में भी सैमसंग के माध्यम से पहल की जाते हैं उनके बच्चों कौन कंपनी पर दी जाए और अगर किसी श्रमिक के साथ कोई अन्याय हो रहा है तो उसको भी संघ के माध्यम से रखा जाता है और जो जो प्रबंधन है या डायरेक्टर हैं वह श्रमिक संघ के सदस्यों को बुला कर के जो अपनी जो बात है उनको कर्मचारियों तक श्रमिकों तक पहुंचाने के लिए संघों की बैठक लेते हैं और उन के माध्यम से संक्रमित हैं उन तक के साथ जो बात है अनेक तरह से मध्यस्थता की बातें आती हैं श्रमिक संघ जो है मध्यस्थता के रूप में एक कार्यकर्ता हैं ओके थैंक यू

namaskar aapne poocha hai shramik sangh ke karya bataye toh yah shramik sangh jo hain shramik ke bhaiyo ke hit me karya karte hain unke zarurat kya hai uske maang kya hai usko jo us institute hai ya sanstha hai ya company hai jo bhi hai vaah jo prabandhak vagera malik se prabandhak hai unki samasyaon ko pohchta aur jo jaise government shramik ke rule laagu karti jaati hain naya vetanamaan nirdharit karti hain usko sangh ke madhyam se company ke malik ka kya director jo bhi rehte hain ya prabandhak hai un tak pohcha sarkar me itna rate hai nirdharit kiye hain toh hamari maangon ko pura karte hue naye rate par nirdharit kiya jaaye iske alava anjaan katauti ki rashi rehte hain uska bhi jaankari prapt khaata me jama ho raha hai ya nahi ho raha hai prabandhan sahi dhang se jama kar rahi ki nahi kar rahi hai yah bhi jaankari rakhte hain aur kisi samay ke maane durghatna me koi sharirik roop se kshati ho jaaye ya kisi ki mrityu ho jaaye toh uske parivar walon ko bhi parivar ke sadasyon ko unka praatha hai jo drishya vagera ki rashi hain uske katauti ki rashi milna chahiye in sab chijon ki jaankari bhi sangh ke dwara rakha jata hai aur usko jo patra hai usko upyukt sahayta rashi dilai jaati hain anukampa niyukti ke sambandh me bhi samsung ke madhyam se pahal ki jaate hain unke baccho kaun company par di jaaye aur agar kisi shramik ke saath koi anyay ho raha hai toh usko bhi sangh ke madhyam se rakha jata hai aur jo jo prabandhan hai ya director hain vaah shramik sangh ke sadasyon ko bula kar ke jo apni jo baat hai unko karmachariyon tak shramiko tak pahunchane ke liye sanghon ki baithak lete hain aur un ke madhyam se sankrameet hain un tak ke saath jo baat hai anek tarah se madhyasthata ki batein aati hain shramik sangh jo hai madhyasthata ke roop me ek karyakarta hain ok thank you

नमस्कार आपने पूछा है श्रमिक संघ के कार्य बताए तो यह श्रमिक संघ जो हैं श्रमिक के भाइयों के

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हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Trade Unions in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

Contents

  • 1 श्रमिक संघ (Trade Unions)
    • 1.1  (i) श्रमिक संघों के उद्देश्य (Objectives of Trade Unions)
    • 1.2  (ii) श्रमिक संघ का पंजीकरण (Registration of Trade Union)
    • 1.3  (iii) श्रमिक संघों के कार्य/गतिविधियाँ (Activities/Functions of Trade Unions)
    • 1.4  (iv) श्रमिक संघ के लाभ (Merits of Trade Union)
    • 1.5  (v) श्रमिक संघ से हानि/सीमायें (Demerits/Limitations of Trade Union)
    • 1.6 (vi) भारत में श्रमिक संघ (Trade Union in India)
      • 1.6.1  (vii) भारत में श्रमिक संघों के विकास में आने वाली बाधाएँ (Obstacles of Trade Union Developmen in India)
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श्रमिक संघ (Trade Unions)

श्रमिक संघ श्रमिकों द्वारा बनाया गया स्वैच्छिक (Voluntary) संगठन है जो अपने सदस्यों के हितों तथा कल्याण की सुरक्षा करता है तथा उन्हें और विकसित करता है। श्रमिक संघों की शुरुआत भारत में सन् 1851 के आसपास हुयी। उद्योगों के मालिक अधिक लाभ पाने के लालच में कर्मचारियों का शोषण करते हैं।

अकेला श्रमिक अपने सीमित संसाधनों के कारण अपने नियोक्ता से सौदेबाजी करने में असफल रहता है और उसकी कार्य स्थितियों में कोई सुधार नहीं आता है न ही उसके वेतन, कार्य दशायें और कार्य घण्टों में कोई सुधार नहीं आता है। इससे कर्मचारी/श्रमिक के मन में असंतोष उत्पन्न हो जाता है।

इन सब परिस्थितियों से बचने के लिए श्रमिकों ने एक स्वैच्छिक संगठन तैयार किया, चन्दे तथा दान से आवश्यक धन जटाया, संगठन को पंजीकृत (Registered) कराया तथा अपने हितों की सुरक्षा एवं विकास के लिए एक मंच पर एकत्र हये तथा सामहिक सौदेबाजी द्वारा श्रमिकों के हितों का ख्याल रखा तथा नियोक्ता के शोषण से उसे बचाया। इस स्वैच्छिक संगठन को ही श्रमिक संघ (Trade Union) कहा जाता है।

परिभाषाएँ-वेब तथा वेब (Webb and Webb) के अनुसार, “अपने रोजगार की कार्यदशाओं को बनाये रखने अथवा सुधार लाने के लिए वेतन भोगियों द्वारा बनाये गये सतत संगठन को ट्रेड यूनियन कहते हैं।”

जी० एस० वाट्किन्स (G. S. Watkins) के अनुसार, “श्रमिक संघ से अभिप्राय विकसित रूपरेखा एवं स्वरूप वाले श्रमिकों के स्थायी संगठन से है जो सामूहिक सौदेबाजी (Collective bargaining) एवं औद्योगिक प्रजातन्त्र की विचारधाराओं पर आधारित होते हैं और जिनका गठन सदस्यों के कल्याण की अभिवृद्धि करने के उद्देश्य से किया जाता है।”

भारतीय ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 सेक्शन 2(b) के अनुसार, “ट्रेड यूनियन एक ऐसा स्थायी या अस्थायी संगठन है जिसका निर्माण मुख्य रूप से श्रमिकों व मालिकों या श्रमिकों व श्रमिकों अथवा मालिकों व मालिकों के सम्बन्ध को सनियन्त्रित करने अथवा व्यापार या उद्योग के संचालन की दशाओं या परिस्थितियों पर प्रतिबन्ध लगाने के उद्देश्य से किया जाता है और इसके अन्तर्गत दो या अधिक श्रमिक संघों के किसी भी समूह को सम्मिलित कि जाता है।”

जी० डी० एच० कोल (G. D. H. Koul) के मतानुसार, “श्रमिक संघों का मल एवं चरम उद्देश्य श्रमिकों का उद्योग के उपर नियन्त्रण स्थापित कराना तथा इनका समीपवर्ती उद्देश्य उच्चतर मजदूरी दिलाना, साथ ही कार्य की श्रेष्ठ परिस्थितियाँ उत्पन्न करना है।”

अन्त में हम कह सकते हैं कि, “एक ट्रेड यूनियन, समान अथवा विभिन्न ट्रेड में जुड़े हुये कर्मचारियों का एक संघ है जिसका मूल उद्देश्य अपने सदस्यों को उनके श्रम के बदले उचित मजदूरी अथवा वेतन दिलाना, उनके मतभेद अथवा झगड़ों का निपटारा करना, उनके कानूनी अधिकारों की रक्षा करना तथा ऐसे कार्यों को करना है जो सार्वजनिक हितों से जुड़े हो।”

यह कामगारों के हितों की सुरक्षा एवं विकास का एक मुख्य औजार है। किसी ट्रेड यूनियन की सफलता मुख्यतया देश के सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक स्थिति, औद्योगीकरण, ईमानदारी, ट्रेड यूनियन लीडर की क्षमताओं, जागरूक श्रमिकों तथा अनुकूल श्रम कानूनों पर निर्भर करती है।

 (i) श्रमिक संघों के उद्देश्य (Objectives of Trade Unions)

एक औद्योगिक संगठन में श्रमिक संघों के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं

1. श्रमिकों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करने के लिए,

2. श्रमिकों की सामुहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining) की शक्ति को बढ़ाने के लिए,

3. श्रमिकों की कार्यदशाएँ स्वस्थ व सुरक्षित बनाने के लिए,

4. श्रमिकों में एकजुटता तथा भाईचारा बनाने के लिए,

5. नियोक्ता-श्रमिक सम्बन्धों (Employer-Worker relations) को सुधारने के लिए,

6. श्रमिकों का सामाजिक व राजनैतिक स्थिति तथा जीवन स्तर सुधारने के लिए,

 7. श्रमिकों को शोषण (Extortion) से बचाने के लिए,

8. बेरोजगारी, दुर्घटना तथा बीमारी की स्थिति में श्रमिक को सहायता प्रदान करने के लिए,

9. तालाबन्दी तथा छटनी जैसी परिस्थितियों में श्रमिक को जॉब-सुरक्षा तथा उचित न्याय दिलाने के लिए,

10. कार्य-सम्बन्धी मामलों में श्रमिक को कानूनी मदद दिलाने के लिए,

 11. प्रबन्धन कार्यों में श्रमिकों की भागीदारी (Participation) सुनिश्चित करने के लिए।

 (ii) श्रमिक संघ का पंजीकरण (Registration of Trade Union)

कोई सात या अधिक सदस्य, जो एक स्तर के हो, अपने को संघ के रूप में ट्रेड यूनियन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकृत (Registered) करा सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा बनाये गये ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के यहाँ एक आवेदन देना पड़ता है। पजीकरण के लिए दिये जाने वाले आवेदन के साथ ट्रेड यूनियन के नियमों की एक प्रतिलिपि (Photocopy) तथा एक दस्तावेज (document) लगा होना चाहिए। इस दस्तावेज में निम्न बातों की जानकारी उल्लेखित करनी चाहिए

1. व्यवसाय का नाम तथा संघ के सदस्यों के पते (Address),

2. ट्रेड यूनियन का नाम तथा इसके हैड-आफिस का पता, तथा

3. पदाधिकारियों के नाम, पद, उम्र, पते तथा व्यवसाय की पूर्ण जानकारी।

 (iii) श्रमिक संघों के कार्य/गतिविधियाँ (Activities/Functions of Trade Unions)

जामक संघों के कार्यो/गतिविधियों को हम मुख्यतः तीन वर्गों में बाँट सकते हैं –

 1. औद्योगिक गतिविधियाँ (Industrial activities)

2. सामाजिक गतिविधियाँ (Social activities)

3. राजनैतिक गतिविधियाँ (Political activities)

उपरोक्त गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण निम्न हैं

इसे भी पड़े –what is motivation in hindi- प्रेरणा, प्रोत्साहन या अभिप्रेरण क्या है?

1. औद्योगिक गतिविधियाँ (Industrial Activities).-ये वे गतिविधियाँ हैं जो सीधे तौर पर श्रमिक की में सुधार तथा उनके कानूनी हकों की सुरक्षा से जुड़ी होती हैं। इन गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार है

– श्रमिकों को अच्छी मजदूरी (Fair wages to the workers)

– कार्य करने तथा रहने की अच्छी स्थितियाँ (Better working & Living conditions)

– उचित कार्य-समय (Suitable Working Hours)

 – अच्छी सामाजिक सुरक्षा (Better Social Security) – बोनस लाभ (Bonus Profit)

 – श्रम का सम्मान (Dignity of Labour)

– विश्राम का समय (Rest Pauses)

अपने स्तर पर उपरोक्त की प्राप्ति हेतु श्रमिक संघ सामूहिक सौदेबाजी, बातचीत, हड़ताल, कार्य बहिष्कार आदि गतिविधियों का सहारा लेते हैं।

श्रमिक संघ उपरोक्त के अतिरिक्त निम्न कार्य भी कर सकते हैं

– रोजगार कार्यालय खोल सकते हैं जिसमें वे अपने सदस्यों को उद्योगों में उपलब्ध रिक्तियों (Vacancies) की जानकारी दे सकते हैं,

– सूचना कार्यालय खोल सकते हैं जिसमें रोजगार सम्बन्धी सूचनाओं, जानकारियों, नियमों, सरकारी आदेशों की जानकारी उपलब्ध हो, तथा

– प्रशिक्षुओं (Apprentices) के लिए एक प्रशिक्षण आधार तैयार कर सकते हैं।

2. सामाजिक गतिविधियाँ (Social Activities)-वे गतिविधियाँ जो आवश्यकता पड़ने पर श्रमिक की मदद करने के लिए तथा उसकी दक्षता बढ़ाने के लिए की जाती हैं, सामाजिक गतिविधियाँ कहलाती हैं। उपरोक्त उद्देश्य के लिए श्रमिक सथ निम्न गतिविधियाँ करते हैं

– अपने सदस्यों में सहयोग तथा भाईचारे की भावना उत्पन्न करते हैं,

– कर्मचारियों को शिक्षित करते हैं, कर्मचारियों के मनोरंजन तथा ज्ञानवर्धन की विभिन्न गतिविधियों का संचालन करते है

_ बीमारी, दुर्घटना, तालाबन्दी, हड़ताल, बेरोजगारी जैसे विषम परिस्थितियों में अपने सदस्य की मदद

 – जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता उपलब्ध कराते हैं, तथा

– श्रमिक व उनके परिवारों के कल्याण की गतिविधियों का संचालन करते हैं।

राजनैतिक गतिविधियाँ (Political Activities)-वे गतिविधियाँ, जो राजनैतिक शक्ति पाने के लिए अथवा राष्ट्र की राजनैतिक हलचल को प्रभावित करती हैं, राजनैतिक गतिविधियाँ कहलाती हैं। ट्रेड यूनियन अप लोकसभा तथा अन्य सरकारी संस्थाओं में भेजने के प्रयास करती है जिससे वहाँ वे अपनी मांगों को मनवा सका ब्रिटेन की लेबर पार्टी वहाँ के चुनावों में बढ़चढ़ कर भाग लेती है और आजकल वही सरकार चला रही है। श्री प्रमुख राजनैतिक कार्य निम्न हैं

सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रभावी कानून व प्रस्ताव इत्यादि पारित कराना।

_ श्रमिकों में अपेक्षित राजनैतिक योग्यता का विकास करना

 (iv) श्रमिक संघ के लाभ (Merits of Trade Union)

श्रमिक संघ के कुछ प्रमुख लाभ निम्न हैं—

 (i) श्रमिकों के हितों की रक्षा करने तथा उन्हें विकसित करने का यह महत्वपूर्ण साधन है। यह श्रमिकों के सामाजिक,आर्थिक तथा मनोवैज्ञानिक उद्देश्यों की भी पूर्ति करता है। (ii) एक मजबूत श्रमिक संघ लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर कार्य करता है तथा श्रमिक को शोषण के विरुद्ध पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है।

 (iii) श्रमिक संघ औद्योगिक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।

 (iv) ये मजदूरों की रहने एवं काम करने की दशाओं को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं।

(v) श्रमिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करते हैं।

(vi) श्रमिकों में टीम भावना तथा भाईचारा बढ़ाते हैं।

(vii) ये श्रमिकों के परिवारों के कल्याण हेतु कार्य करते हैं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य आदि। (viii) दुर्घटना के समय वित्तीय मदद करते हैं, बीमारी का उचित इलाज करवाने का प्रबन्ध करते हैं तथा जीवनस्तर सुधारने का प्रयास करते हैं।

 (v) श्रमिक संघ से हानि/सीमायें (Demerits/Limitations of Trade Union)

(i) कभी-कभी श्रमिक संघ नई प्रौद्योगिकी (Techniques) तथा उन्नत मशीनों को अपनाने से इंकार कर देते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा करने पर मजदूरों की संभावित छटनी (Retrenchment) का भय रहता है। इससे उद्योग के विकास में बाधा आती है।

(ii) कभी-कभी राजनैतिक दल अपने फायदों के लिए श्रमिक संघों का शोषण करते हैं जिससे औद्योगिकरण प्रभावित होता है।

 (iii) कभी-कभी श्रमिक संघ केवल अपने सदस्यों को ही रोजगार देने पर दबाव बनाते हैं जिससे कुशल तथा दक्ष कर्मचारियों की संख्या में कमी आती है।

(iv) प्रायः श्रमिक संघों का रवैया/व्यवहार नियोक्ता के विरुद्ध रहता है और वे नुकसान करने वाली गतिविधियों में अधिक लिप्त रहते हैं।

(v) श्रमिक संघ मजदूरों को तंग दिमाग (narrow minded) तथा अदूरदर्शी (myopic) बना देती है। वे महत्त्वहीन कारणों से भी हड़ताल पर चले जाते है। जिसका प्रतिकूल असर मजदूरों, उद्योग तथा राष्ट्र को भुगतना पड़ता है।

(vi) संघ की गतिविधियों के लाभ प्राय: सदस्यों को ही प्राप्त हो पाते हैं।

(vii) अधिक शक्तिशाली संघ नियोक्ता पर अनुचित माँगों को मानने का दबाव बनाते हैं।

(vi) भारत में श्रमिक संघ (Trade Union in India)

 भारत में सर्वप्रथम श्रमिक संघ का गठन प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान हुआ। सन् 1917 की रूसी क्रांति तथा सन् 1919 में अर्न्तराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के स्थापना के बाद भारत में भी श्रमिक संघों का तेजी से विकास हुआ।

सन 1920 में अखिल भारतीय श्रमिक संघ कांग्रेस (All India Trade Union Congress (AITUC)) की स्थापना ILO के वार्षिक अधिवेशन में अपने प्रतिनिधि भेजने के उद्देश्य को लेकर हुयी। सन् 1926 में बने श्रमिक संघ कानून (Trade Union Act) में श्रमिक संघों को कानूनी मान्यता एवं पहचान प्रदान की,

जिससे श्रमिक संघों का तेजी से विकास हुआ। देश की आजादी (1947) के बाद सन् 1926 में बने कानून को संशोधित किया गया जिसे श्रमिक संघों के विकास में और अधिक मदद मिली। अपराधिक षडयन्त्रों से बचाने के लिए सन 1964 में इस कानून में एक बार फिर संशोधन किया गया। भारत में कार्यरत कुछ प्रमुख श्रमिक संघों के नाम इस प्रकार हैं

AITUC

– All India Trade Union Congress

(स्थापना वर्ष 1920)

 INTUC –

Indian National Trade Union Congress Indian N

(स्थापना वर्ष 1947)

 HMS

Hind Mazoor Sabha

(स्थापना वर्ष 1948)

UTUC

United Trade Union Congress

(स्थापना वर्ष 1949)

BMS

Bhartiya Mazdoor Sangh

CITU

Centre of Indian Trade Union

भारत के सभी श्रमिक संघ उपरोक्त में से किसी एक अथवा अधिक के साथ सम्बद्ध रहते हैं। एक स्वस्थ एवं मजबन श्रमिक संघ समाज के समाजवादी ढाँचे की पहचान होता है। अतः श्रमिक संघों को मजबूत करना राष्ट्रहित में है।

 (vii) भारत में श्रमिक संघों के विकास में आने वाली बाधाएँ (Obstacles of Trade Union Developmen in India)

भारत जैसे विकासशील देश में निम्न प्रमुख कारणों से श्रमिक संघ के विकास में बाधा आती है

1. श्रमिक संघ पर राजनैतिक प्रभाव,

2. अज्ञानता (illiteracy), रूढ़िवादी विचारधारा, धर्म, जाति, भाषा आदि के कारणों से मजदूरों में अलगाव,

3. एक ही संघ के सदस्यों में अतसंघीय दुश्मनी,

4. एक ही व्यापार या उद्योग में अनेक संघ होना तथा उनमें भी अतसंघीय (Inter Union) दुश्मनी होना,

5. लालची और बेईमान संघ नेता द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना।
6. श्रमिकों के कम वेतन तथा भत्तों के चलते संघ की सदस्यता कम रहती है, साथ ही संघ की आर्थिक दशा कमजोर रहती है।

7. संघ की गतिविधियों से कर्मचारियों का अनुपस्थित रहना या संघ छोड़कर चले जाना। 8. बाह्य नेतृत्व, जहाँ संघ का नेता कम्पनी का कर्मचारी नहीं होता है।

 9. नियोक्ताओं का ऋणात्मक व्यवहार (negative behaviour), जो संघ के विकास में अरुचि तथा अनिच्छा प्रदर्शित करता है।

reference-https://en.wikipedia.org/wiki/Trade_union

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श्रमिक संगठन क्या है?

श्रमिक संघ या ट्रेड यूनियन के रूप में भी जाना जाता है, एक श्रमिक संघ एक ऐसा संगठन है जो कर्मचारियों के सांप्रदायिक हितों का प्रतीक है। श्रमिक संघ काम करने की स्थिति, लाभ, घंटे और मजदूरी पर नियोक्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए उन्हें एकजुट करके श्रमिकों की सहायता करते हैं।

श्रमिक संघ का मुख्य उद्देश्य क्या है?

”श्रम संघ ऐसे संगठन हैं, जिनका मूल उद्देश्य श्रमिक एवं मालिक में श्रमिक एवं श्रमिक में तथा मालिक एवं मालिक में मधुर सम्बन्ध बनाना है, जिससे किसी व्यवसाय के क्रियाकलापों पर, श्रमिकों (अपने सदस्यों) के हितों की रक्षा हेतु आवश्यक नियन्त्रण रखा जा सके ।”

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का उद्देश्य क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ का मुख्य उद्देश्य संसार के श्रमिक वर्ग की श्रम और आवास संबंधी अवस्थाओं में सुधारना तथा पूर्ण रोजगार का लक्ष्य प्राप्त करने पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय क्रिया-कलापों को प्रोत्साहित करना है।

श्रमिक उन्मुक्त संघ की स्थापना कब हुई?

' 11 अप्रैल, 1936 ई.